Thursday, November 8, 2007

एक फिल्मी पोस्टर का पोस्टमार्टम


युधिष्ठिर के मन वाले प्रसंग की बात आज भी याद आ गई. उनकी एक लाख स्वर्ण-मुद्राओं वाली बात कि; 'मन सबसे तेज होता है.' कल की बात बताता हूँ. मैं और मेरा मित्र सुदर्शन साथ में घर लौट रहे थे. रास्ते में शाहरुख़ खान से मुलाक़ात हो गई. पोस्टर पर चिपके खड़े थे. बड़े-बड़े बाल.शरीर पर कोई वस्त्र नहीं. एक कंधे पर रस्सी टाँगे हुए. सिर पर कोयला खदानों के मजदूर वाला हेलमेट. पोस्टर पर लिखा हुआ था ॐ शान्ति ॐ.

अब देखिये, मन कैसे भागता है. पोस्टर देखकर मैंने कहा; "शायद कोयला खदानों के मजदूरों के जीवन पर आधारित फ़िल्म है."

सुदर्शन ने कहा; "मुझे नहीं लगता. आपको मालूम है कि नहीं, इस फ़िल्म में डिस्को पर आधारित गाना है. फिर फ़िल्म कोयला खदानों के मजदूरों पर कैसे आधारित हो सकती है?"

मैंने कहा; "क्यों नहीं हो सकती. इसके पहले भी कोयला खदान के मजदूरों को हमने गाना गाते देखा है. हमने काला पत्थर में देखा है." मुझे लगा सुदर्शन मेरी बात मान गया.

फिर सुदर्शन ने कुछ सोचते हुए पूछा; "अच्छा, यही फ़िल्म है जिसमें शाहरुख़ खान ने सिक्स पैक ऐब्स दिखाए हैं?"

"हाँ यही फ़िल्म है. देखने से लगता है, फ़िल्म में ऐब ही ऐब है"; मैंने उसे बताया.

सुदर्शन ने कहा; "जो भी बोलिए, शाहरुख़ खान का ये अंदाज़ मुझे अच्छा नहीं लगा. बड़े-बड़े बाल और नंगे बदन वाले शाहरुख़ को देखकर मुझे लगा जैसे जंगल बुक वाले मोगली को देख रहा हूँ."

मुझे बड़ी हँसी आई. लेकिन मुझे मेरे मित्र की बातों में दम लगा. बड़े-बड़े बालों और बिना कपडे के शाहरुख मोगली की तरह ही दिखते हैं. फिर मैंने सोचा, 'कितने पुराने हो गए हैं हम लोग. एक फिल्मी हीरो की जिस बाडी को देखकर पूरा भारत खुश हो रहा है हमें उसमें मोगली नज़र आ रहा है. हम क्या ज़माने के साथ नहीं चल सकते?

बात आगे चली और सुदर्शन ने कहा;"इसका एक गाना, 'दिल में मेरे है दर्द-ए-डिस्को', बहुत हिट हो गया है।"

फिर क्या था. मन इस बात की तहकीकात में चला गया कि दर्द-ए-डिस्को क्या होता है. मैंने सोचा; 'डिस्को का दर्द तो पाँव में होना चाहिए. ये तो नई बात हो गई कि डिस्को का दर्द दिल में हो रहा है. अरे, आदमी डांस करेगा तो पाँव थकेंगे. दर्द पाँव में होगा. लेकिन अजीब बात है कि इस हीरो के दिल में दर्द हो रहा है.'

फिर भी मैंने कहा; "शायद हीरो ठीक से डिस्को न कर पाता होगा, इसलिए उसका दिल दुखता होगा." फ़िल्म के बाकी पहलुओं पर बात हुई. अंत में बात फ़िल्म की टाईटल पर आ गई. सुदर्शन ने कहा; "अजीब टाईटल है.ॐ शान्ति ॐ. कहीं ये कोई धार्मिक फ़िल्म तो नहीं?"

मैंने मन ही मन सोचा कि फ़िल्म धार्मिक नहीं हो सकती. अभी तक तो किसी संगठन ने कोई बवाल खडा नहीं किया. फ़िल्म अगर धार्मिक होती तो कुछ न कुछ बवाल जरूर खडा हो जाता अब तक. धार्मिक या धर्मनिरपेक्ष 'ताकतों' की तरफ़ से कुछ न कुछ बात जरूर सामने आती. सोचते-सोचते मैंने सुदर्शन को अपने मन में आई बात बताई; "हो सकता है फ़िल्म के अन्तिम दृश्यों में कोयले की खदान में आग लग गई होगी. उसे बुझाने के लिए किसी तांत्रिक का सहारा लिया गया होगा जिसने ॐ शान्ति ॐ नामक मन्त्र का जाप करके आग बुझाई होगी."

ये तो हुई हमारे मन की बातें जो एक फिल्मी पोस्टर देखकर उपजीं. आपने भी पोस्टर देखा ही होगा. आपके मन में भी कुछ बातें अवश्य आईं होगी. वो बातें क्या थीं, ज़रा बताईयेगा तो!
पोस्ट की प्री-पब्लिश टिप्पणी - मुझे तो मालूम भी न था कि यह ॐ शान्ति ॐ क्या बला है। पर शिव की पोस्ट का ड्रॉफ्ट देख कर इण्टरनेट छाना तो पता चला कि यह फिल्म अभी प्रदर्शित भी नहीं हुई। नौ नवम्बर को होगी। मूवी के लिये बदन की मछलियाँ बनाने को एसआरके ने बहुत मेहनत की है और प्रकाश पदुकोण की पुत्री पहले ही प्रसिद्धि पा चुकी है। यह फिल्म प्री-पब्लिकेशन कमाई भी कस के कर चुकी है। जब इतना ज्ञानार्जन कर ही चुका हूं, तो अपने फिल्म ज्ञान को पोस्ट की प्री-पब्लिश टिप्पणी में ठेल ही सकता हूं! वैसे इससे कहीं ज्यादा और कहीं रोचक पाठक जानते होंगे, जो पोस्ट-पब्लिश टिप्पणियों में उद्घाटित होगा! - ज्ञानदत्त पाण्डेय


चित्र फिल्म की वेब साइट और बॉलीवुड.कॉम से।

10 comments:

  1. हमारे मन्ने तो एकी बात है पोस्टर देखकर..कि अपना भी एक ऐब तैयार है, पाँच और बनाने हैं..फिर कमीज का खर्चा कम हो जायेगा. :)

    वैसे है धार्मिक मूवी-आजकल डिस्को भजन भी होते हैं, शायद वो ही हों.

    मजा आ गया पढ़कर.

    ReplyDelete
  2. अब ज्ञानजी को भी समझाइये कि ये जो बालिका शाहरुख खान के साथ है पोस्टर में, यह कौन है और क्या कर रही है। ज्ञानजी आजकल किसी भी फिल्मी जानकारी से अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं। ये देखकर मोगंबो खुश हुआ कि उनके जाइंट वेंचर ब्लाग पर फिल्मी पोस्टर चमक रहे हैं। प्रमोशन होगा, कुछ दिनों बाद राखी सावंत, लिज टेलर, वगैरह भी चमकेंगी
    ज्ञानजी को बधाई।
    आपको शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  3. पोस्टर पर यू एन या ईसी किसी की नजर नही पड़नी चाहिये नही तो कह देंगे कि बालीवुड का फिल्मी हीरो कुपोषण का शिकार हो गया।

    ReplyDelete
  4. अच्‍छा लगा आपका लेख,

    काफी दिनों से कोई नई फिल्‍म नही देखी है, जब कभी टीवी पर आयेगी तो देखूँगा।

    ReplyDelete
  5. वो सब तो ठीक है शिव भैय्या लेकिन ये ज्ञान जी के लक्षण मुझे कुछ ठीक नई दिख रहे ( बच्चा कहीं बिगड़ तो नही रहा वाला टाइप) देखो न, इंटरनेट पे फ़िल्म, हीरो-हीरोईन और न जाने क्या क्या सर्च करने लगे है आजकल!! इनके कम्प्यूटर पे पेरेन्टल गाईडेंस वाला साफ़्टवेयर लगवाओ कोई!!

    ReplyDelete
  6. धाकड़ पोस्ट है भाई
    "ॐ शान्ति ॐ" फ़िल्म पर तो पोस्ट ढेल दिए हैं "सांवरिया" पर कब ढेलियेगा? आज कल इस के भी चर्चे बहुत हैं. ज्ञान जी को पहले से ही आगाह कर दूँ ताकि वो आप की पोस्ट ढेलने से पहले ही सारी जानकारी हासिल कर लें. मुझे उनका समय के साथ चलने का अंदाज़ पसंद आया.
    नीरज

    ReplyDelete
  7. मोगली नहीं -- बड़ा और बूढा मोगली . लुटा-पिटा मोगली . बाज़ार बीच खड़ा चकपकाया मोगली . जवानी की तमाम कसरतों और हरकतों के बावजूद 'सांवरिया' के नवोदितों से घबडाया हुआ मोगली .

    जवानी पर किसी का बैनामा थोड़े ही होता है .

    ReplyDelete
  8. वाह भाईजी वाह,
    आनंद आ गया.बस लगे रहिये इसी तरह.किसी को नही छोड़ना है,चाहे बुश हो,शाहरुख़ हो या युधिष्ठिर भाई.मन के घोडे को अविराम अनवरत दौड़ते रहिये और अपनी लेखनी चलते रहिये.
    दीपावली की अनंत शुभकामनाये .

    ReplyDelete
  9. शिव भाई की जय. धो दिया आपने तो दोनों को. कलाकार और फिल्मकार दोनों को. अब जरा वड्डे वापाजी की बात पर भी अमल किया जाय.

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय