रतीराम चौरसिया, अरे वही चौरसिया पानवाले, कल बीसीसीआई दफ्तर के बाहर दिखाई दे गए. कभी इधर जाते, कभी उधर. जो सामने मिल जाता, उसी को पकड़ लेते. कुछ बात करते और फिर चेहरा लटक जाता. मुझसे टकरा गए. मैंने पूछा; "आप और यहाँ? कैसे आना हुआ?"
बोले; "टीम खरीदने आए रहे. पर ई लोग कह रहा है सब बिक गवा."
मैंने कहा; "आप भी टीम खरीद रहे हैं. लेकिन अब तक तो सारी टीमें बिक गईं. अब तो कुछ नहीं बचा."
बोले; "हाँ. एही बात का तो रोना है. हमरे आने से पहिले ही ई लोग सब बेंच-बांच कर खतम कर दिया."
मैंने कहा; "अब तो कुछ कर भी नहीं सकते. लेकिन आप क्रिकेट के धंधे में कब से कूद गए? पान का धंधा छोड़ दिए क्या?"
बोले; "अरे भइया पान का धंधा बढ़िया चल रहा है एही वास्ते क्रिकेट के धंधे में आए हैं. सभी खरीद रहा था. हम सोचे, हम भी खरीद लें. अरे जब एअरलाइन वाला से लेकर कपड़ा वाला और दारू वाला से लेकर फिलिम वाला खरीद रहा है, तो हम भी तो टिराई मार ही सकते हैं. पान बेंचते हैं तो का हुआ, करते तो धंधा ही हैं."
मैंने सोचा ठीक ही तो कह रहे हैं. सब अपना-अपना बिजनेस छोड़कर क्रिकेट के बिजनेस में जा रहे हैं तो रतीराम जी ने कौन सा पाप किया है. वे भी जा सकते हैं. मैंने कहा;" लेकिन जिन लोगों ने टीम खरीदी हैं, कह रहे थे कि उनकी वजह से क्रिकेट का भला होगा. आप भी भला करेंगे क्या इस क्रिकेट का?"
रतीराम ने मुस्कुराते हुए कहा; "कौन भला करेगा क्रिकेट का? ई लोग जो टीम खरीदा है? इन लोगों को क्रिकेट का बारे में का पता है? जो जो लोग खरीदा है, उसमें कौन क्रिकेट खिलाड़ी था, बोलिए तो."
मैंने सोचा सही ही तो कह रहे हैं. लेकिन मन में ये बात भी आई कि जिन लोगों ने टीमें खरीदी हैं, वे लोग तो यही कह रहे थे कि क्रिकेट का भला करेंगे. यही सोचते हुए मैंने रतीराम से पूछा; "तो आपको क्या लगता है. जिन लोगों ने टीमें खरीदी हैं, उनका अपना कोई स्वार्थ है?"
बोले; "और नहीं तो का. आपको का लगता है, हमें कोई टीम मिल जाती तो का हम क्रिकेट का भला करते?"
मैंने पूछा; "तो आप क्या करते?"
बोले; "प्रचार करवाते. जो ई लोग भी करवाएगा. अन्तर एही है कि ई लोग दारू, फिलिम, कपड़ा और गैस का प्रचार करवाता, हम पान का करवाते."
उनकी बात सुनकर हंसी आ गई. मैंने कहा;" क्या बात कर रहे हैं. पान का प्रचार करवाते. ये भला क्यों?
आपको नहीं लगता कि क्रिकेट के खेल में पान का प्रचार कुछ भद्दा मजाक नहीं लगेगा?"
रतीराम जी ने मेरी बात सुनकर मेरे ऊपर ऐसी दृष्टि डाली जैसे दुनियाँ में मुझसे बड़ा 'खतम' आदमी और कोई नहीं. मुझे देखते हुए बोले; "आप रेडियो नहीं न सुनते हैं. आ सुनते तो अईसा नहीं कहते."
मैंने कहा; "आप ठीक कह रहे हैं. मैं रेडियो नहीं सुनता. वैसे इस रेडियो में ऐसा क्या है?"
बोले; "रेडियो में क्रिकेट का कमेंटरी आता है. जब भी चौका लगता है, रेडियो से आवाज आता है 'और ये बीएसएनएल चौका'. सुनकर बड़ा हंसी आता है. एक बार सुनकर लगता है जैसे ई बीएसएनएल ने ही ई चौका लगवाया है. ई कंपनी नहीं होती त चौका नहीं लगता."
मैंने सोचा अगर ऐसा है तो ठीक ही तो कह रहे हैं. यही सोचते हुए मैंने उनसे पूछा; "अगर आपको टीम मिल जाती तो क्या आप अपनी पान दुकान का प्रचार करवाते खिलाडियों से?"
बोले; "काहे नहीं. जरूर करवाते. जब पैसा लगाकर टीम खरीदेंगे तो प्रचार भी करवाएंगे. और ओइसे भी जो लोग टीम सब को लिया है, वो भी तो एही कराएगा सब. काल को देखियेगा, ई खिलाड़ी सब दारू से लेकर कपड़ा तक बेंचते हुए दिखेगा. फिलिम का प्रचार करेगा, सो अलग."
मैंने पूछा; "लेकिन अब तो आपको टीम मिलेगी नहीं. सब तो बड़ा-बड़ा लोग खरीद लिया. कलकत्ते से लेकर मुम्बई और बंगलूरु तक की टीमें बिक चुकी हैं."
बोले; "असल में सुने रहे कि आजकल छोटा-छोटा शहर और कस्बा से खिलाड़ी आ रहा है सब. मुम्बई और दिल्ली वगैरह से कम खिलाड़ी आता है. एही वास्ते हम बीसीसीआई को सुझाव दिए हैं कि पटना, इलाहाबाद, कानपुर, रायबरेली अ चाहे भटिंडा का भी टीम बनाये जिससे हम जैसे छोटे धंधेबाजों को क्रिकेट का धंधा करने का मौका मिले."
इतना कह कर वे बीसीसीआई के एक पदाधिकारी की पीछे-पीछे चले गए.
उनकी बात सुनकर हम आनेवाले समय में ऐसे विज्ञापन के लिए तैयार हो चुके हैं जिसमें दिखाया जायेगा कि बॉलर को विकेट नहीं मिल रहा है. हारकर वह रतीराम की दुकान का बनारसी पान खाकर बोलिंग करता है और सामने वाले बैट्समैन को बोल्ड कर देता है.
कुछ दारू ठेकेदार इधर छत्तीसगढ़ में भी ताम-झाम मैच करा रहे हैं और क्रिकेट खिलाड़ियों को अपने पाले में लेने के लिए सिर फुटौव्वल कर रखे हैं. आने वाले दिनों में छोटे शहरों कस्बों की बोली जरूर लगेगी और रतीराम के साथ हम आप बोली लगाएंगे.
ReplyDeleteराजेश अग्रवाल
www.cgreports.blogspot.com
Ye tumne theek nahi kiya bhai,cricketaron ko khareedane waale apne abhiyaan ko kitna karara jhatka lagega tere is post se tune socha.Abhi tak jin logon ko idea nahi tha ki is tarah ki khareed bikri kaise hoti hai aur chup chaap sirf dil me iski hasrat liye baithe the,ab sab sab pil padenge ki nahi.Mera sapna tha ki inhe kheed kar tere blog ki marketing karwaungi.par tune to sab kiye karaye par paani fer diya.....ja ab tujhse kya kahun.Ek hi baat ki tassalli hai ki abhi sab log gyan bhaiya ke post par apna poora dhyaan lagaye hue hain,so ho sakta hai kuch logon ko teri ye post padhne ka mouka na mile.soch rahi hun aisa koi comment bhaiya ke post par daal dun ki kuch din aur log usi me latke uljhe rahen aur teri is post ko padhne ka samay unhe na mile.
ReplyDeleteबताइये हमारा कलकत्ता आना बरबाद हो गया। रत्तीराम जी जैसी विभूति से मिल नहीं पाये।
ReplyDeleteहमारी गली में भरतलाल क्रिकेट खिलाड़ी बना चुका है 4-6। उन्हें एक्पोर्ट किया जा सकता है। वही सेट कर लेते रत्तीराम जी से! :-)
बहुत सही!!
ReplyDeleteबंधू
ReplyDeleteरति राम जी से कहियेगा की कौनो चिंता की बात नहीं है...अरे हम हैं ना...हमारी जो टीम है उसमें आने को सुना है सचिन तक लालायित हो रहे हैं....और तो और हमारे टीम के खिलाड़ी ससुरे इतने फटेहाल हैं की प्रतिभा होते हुए भी एक पान की खातिर पाला बदल लेते हैं...याने बहुत सस्ते में सौदा पट सकता है...अगर भरोसा न हो तो कल आ जायें खोपोली जहाँ हम कोलोनी में प्रतियोगिता रखे हैं और देख लें क्रिकेट कैसे खेली जाती है...
एक बात ज़रूर है आज कल आप की कलम ससुरी बहुत ही तेज़ी से चलने लगी है...अभी कल मुर्गियों की कथा पर वाह वा करना बंद भी नहीं किए थे की आप ने इतनी जल्दी एक और ठोक दी...कलम क्या हुई ससुरी सचिन का बल्ला से निकली संचुरी हो गयी...दे दनादन दे..दनादन..... बहुत बढिया है...लिखते रहो....
नीरज
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteअब फटाफट एक काम करो भाई १०-२० पान बनवा कर तुरंत आस्ट्रेलिया भिजवा दो. कुछ तो इज्जत बचे.
वैसे मेरे मोहल्ले की क्रिकेट टीम जिसका मे कप्तान हूँ अभी नही बिकी है जरा रतिराम जी से बात चला कर देखिये न?
१५ टका कमीशन आपको भी दिया जायेगा.
तगडा करारा कसा हुआ व्यंग्य.....
ReplyDeleteआज पता चला कि बनारसी पान भी मसालेदार होता है...
कल को कोई गंजी बनियान वाली कम्पनी अपनी ड्रैस में ही ना मैच करवा दे ध्यान रखिएगा...टीम की इज्जत अब आपके हाथ है
वाह! ये तो बताइए पान खा के जो चौका मारा जाएगा उसको कमेंटरी में कैसे ठोका जाएगा ये पान की पिच्च और गेंद बाउन्डरी के बाहर्।पान की पीक थूकने की भी नेट प्रेकटिस होनी चाहिए। राजीव तनेजा की टिप्पणी पढ़ कहीं सच में गंजी बनियान वाले कूद पढ़े तो हम सोचना भी नहीं चाहते विज्ञापन कैसा होगा
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