Monday, May 26, 2008

सेण्टिया गये हैं शिवकुमार


मेरे लिये जूझने को उद्धत। पर औरों की जूतमपैजार देख कर सेण्टिया गये हैं शिव कुमार। और मैं साफ कहूंगा कि यह जमा नहीं।

हिन्दी ब्लॉग जगत में लतखोरई नई बात नहीं है। लोग साथ चलते हैं, बात करते हैं, फिर लात चलाते हैं। ये कोशिश करते हैं कि लात उनकी तो चल जाये पर दूसरा जब चलाये तो बैलेंस बिगड़ जाये उसका, और वह गिरे धड़ाम। यह तो कॉमन डिनॉमिनेटर है हिन्दी (चिर्कुट) ब्लॉग धर्म का।

मैं तो केवल सलाह ही दे सकता हूं, कई क्षेत्र अपने लिये निषिद्ध कर लेने चाहियें ब्लॉगजगत में। अव्वल तो वह न पढ़ें। पढ़ने के लिये वैसे ही बहुत बैकलॉग है। दूसरे अगर पढ़ें भी तो निस्पृहभाव से - नलिनीदलगतजलमतितरलम! कमल से बून्द ढ़रक जाये - ऐसे।

और बाकी भी कित्ता काम बाकी है - लक्ष्य की साइट बनी नहीं। वो प्रॉजेक्ट का क्या हुआ? मेरा पोर्टफोलियो देखे कितने दिन हो गये। शूगर स्टॉक का क्या सीन है। दुर्योधन की डायरी के जो पन्ने मैने दिये थे, उनका अनुवाद कितना धीरे चल रहा है?! बाकी पन्ने किसके पास भेज दूं??!

खैर, मैं यह इस लिये लिख रहा हूं कि इस ब्लॉग पर मेरी भी पांच परसेण्ट की शेयरहोल्डिंग है। और मेरे पार्टनरशिप में यूंही नैराश्य नहीं उंडेल सकते बिना जॉइण्ट पॉलिसी डिसीशन लिये!Butterfly
ज्ञानदत्त पाण्डेय द्वारा लिखी पोस्ट

13 comments:

  1. मैं आपसे सहमत हूँ ज्ञान भइया.
    शिव तों हरदम से ही ऐसा है.
    चलते-चलते रास्ता भटक जाता है.
    पर फ़िक्र नाट मैं सम्भाल लूँगा.

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  2. http://farm3.static.flickr.com/2200/2524109620_b77c84866e_o.jpg

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  3. सही सलाह है. बूढ़न के बूड़न के कवनो जगहन की कमी है? काम की?

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  4. ये गली ब्लागिंग की
    खाला का घऱ नाहि
    जो हो मोटी खाल तो
    ही ब्लागिंग में आहिं

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  5. jo gati tori so gati mori
    par mast rahen...

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  6. केडीके साहब आपसे नाराज हैं.कुछ नयी रचनायें आपके लिये भेजी है.
    कुछ शेर उनकी प्रसिद्ध क़जलों से चुराये गये हैं. समात फ़रमायें.


    1.

    रेबीज के नये इंजेक्शन की कसम
    किसी कुत्ते में कहां है वह दम
    जो भोंकता भी हो चाटता भी हो
    गरियाता भी हो काटता भी हो
    हम तो ऐसे ही थे
    और
    ऐसे ही रहेंगे सनम.

    2.

    तेरे बिना जिन्दगी का नूर चला जायेगा
    बिन काटे किसी को क्या मजा आयेगा
    गाली खाने से नहीं डरते हैं हम मेरे दोस्त
    खायी गाली तो ब्लॉग हिट हो जायेगा

    3.

    हिट हो ना सके अच्छा लिख के तो क्या
    चलो किसी ब्लॉगर को हड़काया जाये

    4.

    हमारे सामने टिक नहीं सकती शराफत
    गुड़ागर्दी में अपना नाम बहुत चलता है

    5.

    ज़ज़बात सीने में हैं तो छुपा के रख
    यहा कौन तेरे ज़ज़बात के लिये सैंटी है

    6.

    प्यार आता है उस भोली सूरत पर
    जिसने मुझको सिर्फ ब्लॉगर समझा

    7.

    तेरे बस में कुछ नहीं है,उजबक
    तू क्या समझा था,भले हैं हम?

    अब दोहा भी झेलिये

    शूल,फूल,पत्थर सहित,चलें पवन सी चाल
    जो ब्लॉग़िंग से भागते, कैसे बनायें माल

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  7. सिर्फ़ शिवकुमार जी के सेंतियाने की बात नही है पांडे जी.....जैसे कई बार एक ही ब्रेकिंग न्यूज़ देख मन खट्टा हो जाता है ऐसा सबका हाल है .....बस ये है की लोग टिपियाना नही चाहते......सोचते है की चलो अब ख़त्म की अब ख़त्म...शिव कुमार जी को एक दो फोन घुमाइये ओर अपनी हलचलों से उन्हें ....जरा समझा दे...एक शेर हम भी टपका देते है.......
    "फ़रिश्ते से बेहतर है इन्सान होना
    मगर उसमे लगती है मेहनत ज्यादा "

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  8. इस निरंतर जारी मार-कूट से शिवजी की पोस्ट कहीं ज्यादा दुःखदाई है. जूतमपैजार को तो आप नजर अंदाज कर सकते हैं इस उम्मीद के साथ कि स्थिति जल्द सुधर जायेगी पर भले लोग, जिनसे हिन्दी ब्लॉगिंग का जहाँ आबाद है, अगर यूं हिम्मत हार कर बोरिया बिस्तर समेटने की बात कहें तो तकलीफ होना ही है.

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  9. हम जरा भटके थे कि इस पोस्ट ने संभाल लिया है,
    अब विवादों से तौबा...सिर्फ़ अपना काम करेंगे और विवादों में नहीं पड़ेंगे ...

    बहुत बहुत धन्यवाद...

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  10. दद्दा
    शिव को बताईये की दुनिया में सब लोग एक जैसे नहीं होते....कुछ ऐसे होते हैं जिनके बारे में कहा गया है की:
    "मैं मर गया जिसके लिए ये हाल है उसका
    ईंटें चुरा के ले गया मेरे मज़ार से "
    ये सब चलता है, बाग़ में आए हैं तो गुलाब के साथ कांटे भी मिलेंगे... हमें जरा बात समझने दीजिये फ़िर देखिये कैसे शिव अपना तीसरा नेत्र खोलते हैं.
    नीरज

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  11. अरे, ऐसे कैसे चले जायेंगे? नो परमिशन. अब आराम से बैठकर लिखिये.

    केडीके साहब तो धूम मचाये हैं. :)

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  12. अरे एक तो हमारे पास टाइम का टोटा है दूसरे जब भी कुछ फुर्सत में टहलना शुरू करते हैं तो कोई न कोई फिक्र वाली बात !!!!ये क्या हो रहा है?

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  13. क्या जलवे हैं के डी के के! शिवकुमार मिश्र के लिये शिवौ-शिवौ!

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय