Monday, December 1, 2008

टेरर कॉमबैटिंग सेस

पत्रकार : होम मिनिस्टर बनकर कैसा महसूस कर रहे हैं आप?

चिदंबरम: होम मिनिस्टर बनकर बहुत खुश हूँ. काश कि मेरे पास आज वित्त मंत्रालय भी होता तो आज ही टेरर कॉमबैटिंग सेस लगा देता.

16 comments:

  1. kuch din ki baadshaahat haen

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  2. टेरर कॉम्बैटिंग सेस - क्या नायाब सोच है! ऐसी लेटरल थिंकिंग से ही समस्या का समाधान आयेगा।

    वैसे जब वित्त मंत्रालय पास था तब देखते कि आतंक का पैसा मार्केट में तो नहीं लगा है!

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  3. सेस भी लगा दें ! हम अपने सेस पूल में खड़े खड़े वह भी भर देंगे ।
    घुघूती बासूती

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  4. नरसिम्‍हा राव के जमाने से ही मनमोहन व चिदंबरम कड़वी दवा पिला रहे हैं और बीमारी बढ़ती ही जा रही है। ये जो न कह दें, जो न कर दें, कम है।

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  5. "टेरर कॉम्बैटिंग सेस" बिल्कुल सही सोच ..एक अर्थशाष्त्री के गृहमंत्री बनने का डाईरेक्ट फायदा !

    रामराम !

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  6. नान सेंस इंसान सेस ही लगायेगा....और क्या करेगा...
    नीरज

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  7. अब मीडिया किसको और कैसे गाली देगा.

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  8. वो लगाएँ न लगाएँ, आप ने रास्ता तो सुझा ही दिया है ।

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  9. hahhahaha..

    bach gaye... or aap bhi kya-kya idea dete he.. abi koi sun lege...

    isa lag raha he jaise jaan bachaane ke liye hafta maang rahe ho..

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  10. गुरु काहे आईडिया उछाल रहे हो हवा में ? लोक लेंगे ये फिर पछताना पड़ेगा.

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  11. क्या कहें आज हँसी भी नहीं आ रही !

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  12. इसे पहले आईना दिखाना चाहिये चम्चा

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  13. सही है, लगा भी दें... पर एक सुरक्षित माहौल दें तो बात है ?
    देश तो इससे भी बड़ी कुर्बानियाँ दे चुका है !
    1971-72 में हमने डाकटिकटों से लेकर सिनेमाटिकटों पर भी सरचार्ज़ दिया है..
    किसके लिये.. बाँग्ला देश को आज़ाद कराने के लिये, उनको आज़ादी मिल गयी.. पर केवल हमें ऊँगली करने के लिये !

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  14. लगा दो जी. मगर फिर जिम्मेदारी भी लेनी होगी और भरोसा भी दिलाना होगा.

    व्यंग्य में दम है.

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  15. बहुत बढ़िया....मान गए...

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय