शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय, ब्लॉग-गीरी पर उतर आए हैं| विभिन्न विषयों पर बेलाग और प्रसन्नमन लिखेंगे| उन्होंने निश्चय किया है कि हल्का लिखकर हलके हो लेंगे| लेकिन कभी-कभी गम्भीर भी लिख दें तो बुरा न मनियेगा| ||Shivkumar Mishra Aur Gyandutt Pandey Kaa Blog||
Monday, December 1, 2008
टेरर कॉमबैटिंग सेस
पत्रकार : होम मिनिस्टर बनकर कैसा महसूस कर रहे हैं आप?
चिदंबरम: होम मिनिस्टर बनकर बहुत खुश हूँ. काश कि मेरे पास आज वित्त मंत्रालय भी होता तो आज ही टेरर कॉमबैटिंग सेस लगा देता.
सही है, लगा भी दें... पर एक सुरक्षित माहौल दें तो बात है ? देश तो इससे भी बड़ी कुर्बानियाँ दे चुका है ! 1971-72 में हमने डाकटिकटों से लेकर सिनेमाटिकटों पर भी सरचार्ज़ दिया है.. किसके लिये.. बाँग्ला देश को आज़ाद कराने के लिये, उनको आज़ादी मिल गयी.. पर केवल हमें ऊँगली करने के लिये !
kuch din ki baadshaahat haen
ReplyDeleteटेरर कॉम्बैटिंग सेस - क्या नायाब सोच है! ऐसी लेटरल थिंकिंग से ही समस्या का समाधान आयेगा।
ReplyDeleteवैसे जब वित्त मंत्रालय पास था तब देखते कि आतंक का पैसा मार्केट में तो नहीं लगा है!
सेस भी लगा दें ! हम अपने सेस पूल में खड़े खड़े वह भी भर देंगे ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
नरसिम्हा राव के जमाने से ही मनमोहन व चिदंबरम कड़वी दवा पिला रहे हैं और बीमारी बढ़ती ही जा रही है। ये जो न कह दें, जो न कर दें, कम है।
ReplyDelete"टेरर कॉम्बैटिंग सेस" बिल्कुल सही सोच ..एक अर्थशाष्त्री के गृहमंत्री बनने का डाईरेक्ट फायदा !
ReplyDeleteरामराम !
नान सेंस इंसान सेस ही लगायेगा....और क्या करेगा...
ReplyDeleteनीरज
terror ke baare me sochne walon par bhi SES lagaya jaaye.
ReplyDeleteअब मीडिया किसको और कैसे गाली देगा.
ReplyDeleteवो लगाएँ न लगाएँ, आप ने रास्ता तो सुझा ही दिया है ।
ReplyDeletehahhahaha..
ReplyDeletebach gaye... or aap bhi kya-kya idea dete he.. abi koi sun lege...
isa lag raha he jaise jaan bachaane ke liye hafta maang rahe ho..
गुरु काहे आईडिया उछाल रहे हो हवा में ? लोक लेंगे ये फिर पछताना पड़ेगा.
ReplyDeleteक्या कहें आज हँसी भी नहीं आ रही !
ReplyDeleteइसे पहले आईना दिखाना चाहिये चम्चा
ReplyDeleteसही है, लगा भी दें... पर एक सुरक्षित माहौल दें तो बात है ?
ReplyDeleteदेश तो इससे भी बड़ी कुर्बानियाँ दे चुका है !
1971-72 में हमने डाकटिकटों से लेकर सिनेमाटिकटों पर भी सरचार्ज़ दिया है..
किसके लिये.. बाँग्ला देश को आज़ाद कराने के लिये, उनको आज़ादी मिल गयी.. पर केवल हमें ऊँगली करने के लिये !
लगा दो जी. मगर फिर जिम्मेदारी भी लेनी होगी और भरोसा भी दिलाना होगा.
ReplyDeleteव्यंग्य में दम है.
बहुत बढ़िया....मान गए...
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