Thursday, January 15, 2009

दुर्योधन की डायरी - पेज २३१६

आज दुशाला बहुत खुश है. साथ में हम भाई लोग भी. आख़िर आज दुशाला का जन्मदिन है. जन्मदिन की खुशी बाकी सभी खुशियों से अलग होती है. शादी-व्याह पर उतनी खुशी नहीं होती जितनी जन्मदिन पर होती है. शादी-व्याह पर भी खुशी होती ही है लेकिन रूपये-पैसे के खर्च की वजह से कुछ-कुछ सैडनेश अपने आप क्रीप-इन कर जाती है.

वहीँ जन्मदिन की खुशी में किसी सैडनेश की मिलावट का चांस बिल्कुल नहीं रहता. आख़िर दुशाला के जन्मदिन पर भारी मात्रा में रुपया-पैसा वसूल कर लिया जाता है. सैडनेश दिखाई भी देती होगी तो उनके चेहरों पर जिनसे पैसा वसूला जाता है.

मुझे याद है. पहली बार जब दुशाला ने सार्वजनिक तौर पर अपना जन्मदिवस मनाया था तो उसका नाम 'स्वाभिमान दिवस' रखा था. जन्मदिवस को स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाने का कारण भी बड़ा मजेदार था. दुशाला चाहती थी कि उसके जन्मदिन पर द्रौपदी जल-भुन जाए. इसीलिए उसने अपने जन्मदिवस को स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाया था.

उसका मानना था कि द्रौपदी का अपना कोई स्वाभिमान तो बचा नहीं था. ऐसे में दुशाला के जन्मदिन को स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाने से द्रौपदी का जल-भुन जाना पक्का था.

तीन महीने से तैयारियां चल रही हैं. द्वार बनाये जा रहे हैं. पोस्टर छपाए जा रहे हैं. निमंत्रण पत्र छप रहे हैं. नगर को सजाया जा रहा है. नगर के बीचों-बीच एक चिल्ड्रेन पार्क पर कब्जा कर लिया गया है. दुशाला की इच्छा है कि वह इसी चिल्ड्रेन पार्क में प्रजा के बीच अपने जन्मदिवस पर खीर खाने का शुभ कार्य करे.

और फिर उसे सबकुछ करने का अधिकार है. दुशाला राजपुत्र सुयोधन की बहन है. सौ भाईयों की एक बहन. ये बात कोई साधारण तो नहीं. सुयोधन की बहन और महाराज धृतराष्ट्र और महारानी गांधारी की पुत्री का जन्मदिवस है.

दुशाला का जन्मदिवस भी अच्छे दिन और अच्छे पैसे लेकर आता है. जन्मदिवस की तैयारियों के तहत सबसे पहले राज्य के व्यापारियों से पैसा वसूला गया. बाद में व्यापरियों से टैक्स के रूप में पैसा वसूलने वाले सेल्स टैक्स अफसरों से पैसे की वसूली कर ली गई है. सड़क निर्माण के लिए काम करने वाले अभियंताओं से भी खूब पैसा खींचा गया है. मामाश्री ने सुझाव दिया था कि मदिरा के ठेकेदारों से वसूल की जाने वाली रकम इसबार बढ़ा दी जाए. उनके सुझाव की वजह से इसबार भारी मात्रा में वसूली की गई है.

आने-जाने वाले वाहनों से वसूली करने का काम तो वैसे भी जन्मदिवस के एक महीने बाद तक चलता ही रहेगा.

मुझे याद है. पहली बार जब दुशाला द्बारा सार्वजनिक तौर पर जन्मदिवस मनाया गया था, उस वर्ष भी मामाश्री के कहने पर दुशासन और जयद्रथ ने पैसा वसूली का महत्वपूर्ण कार्य किया था. वो तो बाद में कर अधिकारियों ने दुशाला से उसके जन्मदिवस के उपलक्ष में वसूल किए गए पैसों का हिसाब मांगकर थोड़ा लफड़ा खड़ा करने की कोशिश की थी लेकिन मामाश्री ने साबित कर दिया कि ज़बरन वसूली की कोई घटना नहीं हुई थी. ये तो प्रजा के लोगों ने प्यार से अपनी राजकुमारी को धन भेंट किया था.

प्रजा द्बारा धन भेंट करने की वजह से ही उसके बाद हमलोग उसका जन्मदिवस आर्थिक सहयोग दिवस के रूप में मनाते हैं. मुझे याद है, दुशासन ने हँसते हुए कहा था कि आर्थिक सहयोग दिवस के रूप में जन्मदिवस मनाने से प्रजा के बीच संदेश जाता है कि अगर वो आर्थिक सहयोग में हिस्सा नहीं लेगी तो दुशासन प्रजा के ख़िलाफ़ असहयोग पर उतर आएगा.

ऐसे में प्रजा को सहयोग देने वाला कोई दिखाई नहीं देगा.

दुशाला के जन्मदिवस के उपलक्ष में जब मैंने उसे उपहार स्वरुप कुछ देने की मंशा जताई तो उसने कहा कि अगर मैं कुछ देना ही चाहता हूँ तो उसी जगह पर दुशाला की प्रतिमा स्थापित करवा दूँ जहाँ पिताश्री की प्रतिमा है. मैंने उसे वचन दिया है कि मैं अलग से वसूली का कार्यक्रम चलाकर नगर के बीचों-बीच किसी पार्क में दुशाला की प्रतिमा स्थापित करवाऊंगा.

परसों ही कपड़े का एक व्यापारी जन्मदिवस के उपलक्ष में दुशाला के लिए एक नया ड्रेस देकर गया है. इसबार वो बिल्कुल नए तरह का ड्रेस पहनना चाहती थी. उसे किसी इमेज डेवेलपमेंट एजेन्सी ने बताया है कि प्रजा के बीच अपनी इमेज को और लोकप्रिय बनने के लिए उसे नए तरह के कपड़े पहनने की ज़रूरत है.

अज शाम को जन्मदिवस के उपलक्ष में वह पचास लोगों को कम्बल बांटना चाहती है. हँसते हुए बता रही थी कि कम्बल बांटने जैसा महत्वपूर्ण राजकीय कार्य अगर जन्मदिवस पर किया जाय तो इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलते हैं. दुशासन ने किसी व्यापारी की दूकान से कल शाम को ही कम्बल उठवा लिया था.

जन्मदिवस की ये बहार ऐसे ही चलती रही. जन्मदिवस ऐसा ही मनाया जाता रहे. प्रजा ऐसे ही धन भेंट करती रहे. और क्या चाहिए...?

21 comments:

  1. जन्मदिवस के उपलक्ष में वह पचास लोगों को कम्बल बांटना चाहती है. हँसते हुए बता रही थी कि कम्बल बांटने जैसा महत्वपूर्ण राजकीय कार्य अगर जन्मदिवस पर किया जाय तो इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलते हैं. दुशासन ने किसी व्यापारी की दूकान से कल शाम को ही कम्बल उठवा लिया था.

    बहुत सटीक व्यंग है, आखिर बहन जी किस प्रदेश...मेर मतलब... प्रदेश नही, किसकी हैं?

    मिश्राजी दुर्योधन की बहन होने के बाद भी अगर वसूली ना करे तो फ़िर चुनाव मे क्या दुर्योधन ही हमेशा पैसा लगाता रहेगा?

    अजी साहब, बेचारी अबला सशक्त हो रही है, होने दिजिये. :)

    रामराम.

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  2. ई दुशाला जी तो जानी पहचानी निकली. कल मध्य प्रदेश से भी २ खोखे का पैकेट गया. :)


    बेहतरीन!!!

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  3. क्रुपया ‘आर्थिक सहयोग दिवस’ को पूरी श्रद्धा और भक्ति के भाव से मनाने का कष्ट करें। सादर!

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  4. कृपया... त्रुटि के लिए खेद है।

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  5. कहानी द्वापर युग कि है या कलयुग कि?
    आप कहीं हमें किसी और कि डायरी दुर्योधन के नाम से तो नहीं पढ़वा रहे हैं न?? :)

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  6. नारियों का मज़ाक : नहीं सहेंगे , नहीं सहेंगे !

    इंकलाब जिन्दाबाद !

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  7. ई दुशाला की बहुत चर्चा हो रही आज, वैसे ये है कौन??????

    Regards

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  8. janta to ban gayi draupdi bechari hai
    chir-haran hona nishchit kar diya niyati ne

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  9. दुशाला को जन्मदिन की विलंबित बधाई पहुंचा दीजिए शिवजी...

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  10. प्रजा महाराज के बाद दुशाला को शासक के रूप में देखना चाहती है, ऐसी उड़ती उड़ती खबर मिली है.

    जय हो दुशालाओं की. भारत के भाग्य में यही लिखी है.

    अच्छा व्यंग्य है. खूब.

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  11. हम कुछ नही कहेगे जी......हमें तो इसी राज में जीना है....बंगाल आकर कुछ बोलेगे...

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  12. एक बार दिल्ली के एक मुख्य मार्ग से गुजर रही थी तो छोटे भाई ने एक बहुत बड़े कंपाउंड से बीच खड़े आलीशान भवन दिखाते हुए बताया था कि यह दुशाला बहन जी का भवन है जिसे उन्होंने दो,तीन पाँच रुपये करके जो प्रदेश की जनता ने उन्हें चंदा दिया है,उसीसे बनाया गया है. मैं तो बस हिसाब लगाती रह गई कि दो तीन पाँच रुपये के कितने लाख बोरे रुपये लगे होंगे..........


    बहुत बहुत लाजवाब और सार्थक व्यंग्य आलेख के लिए शाबाशी.........

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  13. दुशाला जी को कही देखा लगता है...

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  14. भावी प्रधान आमात्य के विषय में क्या कहें - छोटे मुंह बड़ी बात होगी।
    केशव/अर्जुन/युधिष्ठिर तो सीन में हैं ही नहीं!

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  15. निस्सन्देह दुशाला का यह दु दुशाले वाल दु न होकर दुर्योधन वाला (सु का विलोम) है।

    सो, दरि अनन्त दरि कथा अनन्ता।

    हम भी ‘ह’ को‘द’ से रिप्लेस कर रहे हैं, ... आखिर दुशालों दरियों की अपनी कटेगिरि होती है जी!
    कपास-सूत और वस्त्राधारित किसी ऊनीसूती धागे वाली।

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  16. दुशाला बहनजी की जय ! अब तो मैडमजी कहना उचित होगा. भविष्य उनके हाथ में है जय कहने में ही भलाई है.

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  17. दुशाला के जन्मदिन पर यहाँ अदालत के पास भी एक सभा दिन में हुई। सौ लोग रहे होंगे। बाद में तीन चार लोगों को कंबल बांटे गए। सब को भोजन कराया गया। अगली बार जनसंख्या में वृद्धि की उम्मीद है।

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  18. मकर सँक्रात शुभ हो गई जी
    - सभी को दुश्श:ला की ओर से नमस्कार !
    " हरी थी मन भरी थी,
    दुशाला " ओढे खडी थी
    राजा जी के बाग मेँ ,
    "दुशाला " आगे खडी थी "
    :-)

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  19. चंदा पीड़ित ब्लागर तेरी यही कहानी,
    हाथों है कटी रसीद और बोली में लूटबयानी!

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  20. तिवारी साब आये थे, हम अपना योगदान तभी भेज दिये थे बहन दुशाला के लिये. (नहीं तो हेडलाइन न्यज़ नहीं बन जाते?)

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  21. परम आदरणीय दुशाला "बहिन जी" के जन्म दिवस की "माया" है की "हाथी" पेट भर रहे हैं और चीटियाँ भूखी मर रही हैं...कौरवों के समय से लेकर आज तक कुछ भी नहीं बदला है...दुर्योधन की ये डायरी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है...जय हो...
    (NOTE: meaning of the words in the inverted coma should be taken as mentioned in the oxford dictionary...authur will not be responsible if the meaning is taken otherwise)
    नीरज

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय