आज प्रवीण पाण्डेय जी ने ईर्ष्या पर एक बढ़िया पोस्ट लिखी. बढ़िया तो वे हर विषय पर लिखते हैं. ईर्ष्या की जगह मसला सत्य या असत्य का होता तो भी वे उतना ही बढ़िया लिखते. कविता का मामला होता तो भी बढ़िया ही लिखते.
ईर्ष्या पर ब्लॉगर बन्धुवों ने टिप्पणी कर दी लेकिन सोचने वाली बात यह है कि दुनियाँ में क्या केवल ब्लॉगर ही रहते हैं? दुनियाँ तो नेता, अभिनेता, क्रिकेट खिलाड़ी, टेनिस खिलाड़ी, बाबा जी लोग, योगी, भोगी, रोगी, निरोगी, आयोगी और न जाने किन-किन से बनी है. जिस दुनियाँ में मनुष्य रहते हैं उसी में शरद पवार भी रहते हैं.
मेरा कहना यह है कि जब इतने सारे लोग रहेंगे तो ईर्ष्या जैसे महत्वपूर्ण विषय पर केवल ब्लॉगर बन्धुवों की टिप्पणी का होना तो सरासर अन्याय है. ऐसे में मैंने तमाम और लोगों की टिप्पणी इकठ्ठा की और उसे छाप रहा हूँ. आप पढ़िए.
बाबा रामदेव (अपने एक शिविर में) : "हे हे हे..मुझसे लोग पूछते हैं बाबाजी, ईर्ष्या क्या है? क्या है ईर्ष्या? चरक-संहिता और पतंजलि योगपीठ...क्षमा कीजिये मेरा मतलब पतंजलि योगदर्शन में लिखा गया है कि ईर्ष्या एक प्रकार का रोग है. तमाम बाबा लोग..खुद को साधू कहने वाले लोग मुझसे बड़ी ईर्ष्या करते हैं कि मैं इतना सफल कैसे हूँ?. परन्तु घबराने की बात नहीं. ईर्ष्या का इलाज है. रोज सुबह-शाम कपालभांति और अनुलोम-विलोम प्राणायाम से ईर्ष्या जैसी गंभीर बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है. हे..हे..बड़ी-बड़ी बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं. ह्रदय रोग, कैंसर जैसी बीमारी ठीक हो जाती है. हे हे ...करो बेटा करो...एक बहन आयी हैं पानीपत से...क्या नाम बताया आपने अपना?...हाँ?.. बहन बिमला...ये पिछले बारह वर्षों से ईर्ष्या की बीमारी से पीड़ित थी लेकिन कपालभांति और अनुलोम-विलोम से...कितना बताया बहन तुमने...कितना? बाईस किलो...हे हे ..बाईस किलो ईर्ष्या कम हुई है इनकी...हाँ.. करो बेटा..करो."
सुश्री मायावती : " .....हमारी सरकार के ऊपर आरोप लग रहे हैं. पहले केवल मनुवादी आरोप लगाते थे प्रंतु अब कांगरेस भी ऐसा कर रही है. ये सब लोग बहुजन समाज से ईर्ष्या करते हैं. मुझसे ईर्ष्या करते हैं. अब तो इस बात से भी ईर्ष्या कर रहे हैं कि मुझे बहुजन समाज रुपयों की माला पहना रहा है. उधर बाबा जी लोग हैं. पहले कसरत कराते थे अब ईर्ष्या करते हैं. राजनीति में आना चाहते हैं. बहुजन समाज की बढ़ती ताकत का असर ईर्ष्या के रूप में उभर कर....."
लालू जी : " भक्क..हट्ट..ई ईर्ष्या भी कोई करने का चीज है. करना है तो विरोध करो. नीतीश का विरोध करो..सब फ्रिकापरस्त..फासिस्ट ताकतों का विरोध करो..आई हैव टेकेन ओथ..का लिया? ओथ लिया है कि हमसब सेकुलर ताकत मिलके ई ईर्ष्या करने वालों को शासन में नहीं आने देना है...का कहा? ममता सेकुलर है? भक्क...जिसको रेलवे चलाने नहीं आता ऊ का सेकुलर होगी?"
शरद पवार : "मंहगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण मीडिया द्वारा फैलाई गयी ईर्ष्या है...मीडिया की वजह से पिछले तीन-चार महीने में इतनी ईर्ष्या फ़ैल गई कि चीनी, तेल, दाल...ये सब मंहगा हो गया. अगर ईर्ष्या इसी तरह से फैलती रही तो अगले पंद्रह दिन में दूध मंहगा हो जाएगा. आशा है रवी की फसल में ईर्ष्या की पैदावार कम होगी और मंहगाई घटेगी.."
प्रणब मुखर्जी : " आल दो ईट इज नॉट गूड फॉर द इकोनोमी बाट कुटिल्लो (इनका मतलब कौटिल्य से है) हैड सेड दैट बाई बीइंग जीलोस ऑफ़ साम उवान इयु डू साम गूड फॉर इयोर सेल्फ.. एंड इफ सेल्फ इज गूड, कोंट्री उविल आलवेज बी गूड.."
सचिन तेंदुलकर : " कोई जब तक ईर्ष्या करना एन्जॉय कर सकता है, उसे करते रहना चाहिए..."
नारायण दत्त तिवारी : " ईर्ष्या ही तो मुख्य कारण बनी मुझे राजभवन से निकालने का. नौजवान मुझसे ईर्ष्या करने लगे थे.मैंने सुना है कांग्रेस पार्टी में नौजवानों की बड़ी सुनवाई होती है. लेकिन मेरा कहना यही है कि ईर्ष्या जितनी कम की जाय मेरे लिए उतनी ही अच्छी."
शशि थरूर : " आधे से ज्यादा भारत अंग्रेजी के मेरे ज्ञान की वजह से मुझसे ईर्ष्या करता है. जिनलोगों को इंटरलोक्यूटर का मतलब मुझे चार बार समझाना पड़े, वे तो मुझसे ईर्ष्या करेंगे ही. एक तो मेरे अंग्रेजी ज्ञान की वजह से और दूसरे अपने नासमझी की वजह से. वैसे ईर्ष्या भी दो तरह की होती है. कैटेल क्लास ईर्ष्या और होली काऊ ईर्ष्या.."
अटल बिहारी बाजपेयी जी : " ये अच्छी बात नहीं है. ईर्ष्या करना अच्छी बात नहीं. वैसे इस बात पर राय लेने के लिए आप अगर आडवानी जी के पास जाते तो वे आपको और अच्छी तरह से बताते. याद आया. मैंने ईर्ष्या पर एक कविता लिखी थी जब मै बीए का विद्यार्थी था. कविता कुछ यूं थी;
ईर्ष्या तू बैठी हैं मन में
इधर-उधर दिन भर करती है
नए रंग मन में भरती है
नहीं दिखी बचपन में
ईर्ष्या तू बैठी है मन में
मन विचलित है तेरे कारण
नहीं दीखता कोई निवारण
कभी-कभी ये सोचा करता
जा भटकूँ अब वन में
ईर्ष्या तू बैठी है मन में
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प्रधानमंत्री जी : " मुझे उन लोगों से ईर्ष्या होती है जिनके पास पोस्ट के साथ-साथ पॉवर भी है. जैसे जब भी मैं ओबामा साहब को देखता हूँ मुझे......"
चन्दन सिंह हाठी सेल्स मैनेजर गंगोत्री यन्त्र प्रतिष्ठान, हरिद्वार : "ईर्ष्या आज से नहीं बल्कि सदियों से लोगों के दुख का कारण बनी है. लेकिन अब चिंता की बात नहीं क्योंकि हमारे संस्थान ने ईर्ष्या 'स्टापर' यन्त्र बनाया है जो दूसरों की आपके प्रति ईर्ष्या को आपके शरीर को छूने नहीं देता. इस यन्त्र के इस्तेमाल से आप हमेशा ईर्ष्या की किरणों से अपनी रक्षा कर सकेंगे. हमारे संस्थान ने खोज की है कि ईर्ष्या की किरणें सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से भी ज्यादा खतरनाक होती हैं. जल्द ही आर्डर करें. याद रखें इस यन्त्र की सहायता से आप न सिर्फ दूसरों की ईर्ष्या से बच सकेंगे बल्कि आपकी दूसरों के प्रति ईर्ष्या में भयंकर वृद्धि होगी. जल्द ही आर्डर करें और सरप्राइज गिफ्ट का लाभ उठाएं."
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नोट: बाकी के बयान थोड़ी देर में टाइप करता हूँ. आपके पास भी कोई बयान हो टिप्पणी में लिख दीजिये.
हाय, इत्ती बढ़िया पोस्ट?!
ReplyDeleteआप हज करने कब जायेंगे? :)
आयं ..इत्ती जल्दी एपिसोड टू भी आ गया ...ई ईर्ष्या ..होईबे इतनी सेंसिटिव होती है ..कमबख्त ...वेट नहीं न करती है ...अब सब लपेट लिए न ..हमें तो सारे ही निपट गए से लग रहे हैं .....
ReplyDeleteऔर हां अब हज जा सकते हैं :-)
अजय कुमार झा
किसी को हो न हो, हमें तो अब आपसे ईर्ष्या होने लगी है कि हाय!! यह लेखक हम क्यूँ न हुए.
ReplyDeleteजान गये हैं कि ईर्ष्या करना बुरी बात है मगर हाय!!
बहुत खूब!!
रामनवमीं की अनेक मंगलकामनाएँ.
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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
कभी कभी मुझे भी उन लोगों से होती है जो बिना पढ़े ही टिप्पणी लेखन की योग्यता रखते हैं ;)
ReplyDelete(ऊपर के टिप्पणीदाता इसमें अपने आपको शामिल न समझें)
'बाईस किलो ईर्ष्या'.. 'प्रंतु'.. क्या बात है.. लवली!!
ReplyDeleteऐसी भी क्या ईर्ष्या जो प्रवीणजी की टिप्पणियाँ सहन न हो और उसी विषय पर पोस्ट ठेल दी जाय.
ReplyDeleteयह कतई न समझे व्यंग्य की शैली से ईर्ष्या हो रही है कि हम क्यों नहीं लिख सकते. कतई ईर्ष्या ना हो रही है. ऐसा एं बे तो जब चाहें लिख लें, मगर फिर हमारे क्लास का लेखन कौन करेगा?
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मायवती की शैली पसन्द आयी और प्रणब दा तो कमाल कर गए.... क्या बात !!!
शिव जी, हमारी ईर्ष्या थोड़े ऊंचे स्तर पर है, छाप देंगे क्या?
ReplyDeleteउनका खुदा हमारे भगवान से ज्यादा ताकतवर, दयालु और न्यायप्रिय क्यों है? अभी यहीं कहीं पढ़ा है कि जिसने मस्जिद तोड़ी थी वो मुसलमान हो गया है। हमारे मंदिर, शिवालय तोड़ने वाले तो पछताकर या डरकर हिंदु नहीं बने। मुझे ईर्ष्या हो रही है और बाईस किलो से ज्यादा ही हो रही है, सच्ची।
ReplyDeleteईर्षियाने की तो बातै मत कीजिये, शीब-बाबू !
ब्लॉगर का ईर्ष्या.. ऊ भी हिन्दी बिलागर का.. अउर का सबूत चाहिये
ई जानिये कि उसका दायरा टिप्पणी बक्सा से बाहर जाने वाला नहिंये है, नू ?
लीजिये हमहूँ ईर्ष्या के वशीभूत होके एक्ठो, टिप्पणी ठोंक देते हैं , हिन्दी-विकास की मज़बूरी जो है !
बकिया आपका बहुत सा पोस्ट पिछला पोस्ट पढ़ेंगे, त वस्तू-इस्थिति का नॉलेज़ होगा.. काल्ह से जुटेंगे !
का कहें शिव बाबू...हम तो हँसते हँसते लौट पोट हो रहे हैं...कमाल का पोस्ट लिखें हैं आप...बहुत दिनों का रुका हुआ हंसी का कोटा पूरा हो गया है...हमको मुंह फाड़ के हँसते देख लोग हमसे इर्षा कर रहे हैं अब इसका क्या करें?
ReplyDeleteनीरज
ईर्ष्या को लेकर अच्छा पोस्ट है। रामनवमी की ढेर सारी शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसुबह-शाम कपालभांति और अनुलोम-विलोम प्राणायाम से संसार की सारी समस्याएं हल हो जाती है. मेरे एक दोस्त ने बताया कि उन्हें गर्लफ्रेंड मिल गयी :)
ReplyDelete...जिसको रेलवे चलाने नहीं आता ऊ का सेकुलर होगी?": बड़ा कठिन शर्त है सेकुलर होने का.
प्रणव बाबू के हिंदी और अंग्रेजी का उच्चारण तो कमाल का है बंगाली कैसा बोलते हैं?
मनमोहक लगी यह शैली भी ,बढ़िया प्रस्तुति.
ReplyDeleteईर्ष्या सार्वजनिक व राजनैतिक जीवन का प्रमुख अंग है । सभी के पास है और सभी छिपाते हैं । जो मुँह पर बोल देते हैं, बुड़बक समझे जाते हैं ।
ReplyDeleteअभी तक मैं प्रवीण जी का वेट कर रहा था कि उनका अधिकारिक टिप्प्णी आ जाए और यह देख लूँ कि किसकी ईर्ष्या बड़ी है। पर थोड़ा कन्फूजिया गया हूँ।
ReplyDeleteगुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु (जो दोनों जगह कॉमन हैं) प्लीज़, गोविंद देयो मिलाय !
बेहतरीन! शानदार अंदाज में सबके बयान छापे। हमको कोई ईर्ष्या नहीं हो रही। आनंदित हो रहे हैं बांचकर इसे। बहुत सही और सटीक डायलाग लिखे हैं।
ReplyDelete"इर्ष्या करना मामूली बात नहीं है.. इसके लिए लगातार रियाज करना पड़ता है.. सुबह उठते ही दो घंटे इर्ष्या करना चाहिए, फिर शाम में दो घंटे का रियाज फिर.. ऐसे ही १५-२० साल रियाज करते रहे तभी परफेक्शन आता है.."
ReplyDeleteअभी अभी उधर भी यही टिपिया कर आये हैं, फिर से कौन टाइप करेगा.. इसे इर्ष्या नहीं आलस कहते हैं.. :)
ये इर्ष्या भी बढ़िया रही...बहुत अच्छी पोस्ट
ReplyDeleteउडी बाबा....एतना भीषण पोश्ट.....एताना तो कोटिल्लो नई बोलता था.......तुम एतना भीषण लिखा कि अमी तुमको अपना बाटली में उतार के रहेंगा.....बोलो.... ....कल ही हेवार्डस वाला फाई थाउसेंड का पेटी लाके रखा है..... कुटिल्लो ईर्ष्या को उधर ही निपटाना मांगता :)
ReplyDeleteशानदार पोस्ट है।
@मनोज कुमार said...
ReplyDeleteअभी तक मैं प्रवीण जी का वेट कर रहा था कि उनका अधिकारिक टिप्प्णी आ जाए और यह देख लूँ कि किसकी ईर्ष्या बड़ी है ।
मैं,
बैठकर आनन्द से,
वाद के विवाद से,
उमड़ते अनुनाद से,
ज्ञान को सुलझा रहा हूँ,
सीखता हूँ,
सीखने की लालसा है,
व्यस्तता है इसी की,
और कारण भी यही,
कुछ बोल नहीँ पा रहा हूँ ।
शिवबाबू सुबेरे सुबेरे हँसने को मन हुआ तो इधर को फिर से आया. सोब आदमी लोगन के बयान फिर से पढ़े. हँस लिये मगर फिर क्या देखता है, जे इत्ती सारी टिप्पणी!!! ईर्ष्या हो रहा है. चलो कपालभाती करता हूँ.
ReplyDeleteलोग कपालभाती करने जा रहे हैं यहाँ से.. हम तो इंज्वाय करते हैं इसे.. :)
ReplyDeleteअजी अब तो हमको इर्ष्या से भी इर्ष्या होने लगी है...........
ReplyDelete.............
विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
.........
http://laddoospeaks.blogspot.com/
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....
हाहाहा...
ReplyDeleteहम तो ईर्ष्या रस के मजे ले रहे है..
जे हो मिसिर जी की......तिवारी वाला डाइलोग भी एक दम धांसू है .ओर रामदेव वाला भी.....सुना है वो तो आपकी ईष्या का वजन आपके टिकट के मूल्य से मुताबिक कम होगा .कभी गए है आसन करने ?
ReplyDeleteवाह ...वाह...वाह....क्या बात कही है....लाजवाब...
ReplyDeleteएकदम सटीक...
बहुत बहुत बहुत ही लाजवाब पोस्ट...
बस जरा प्रणब बाबू के कथन का अर्थ बता देना...
हिन्दी में कुछ भी लिख डालने का आपका योगदान सराहनीय है. आपको धुसावाद!!
ReplyDeleteटिपण्णी पाने के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन (वायदा व्यापार) हेतु टिप्पणी करना भी आपका कर्तव्य है एवं भाषा की लाज बचाने हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. ये अपना भी एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
age....baap ge.....ab ham kaa bolen....ham to kucchho nahin hain naa.....!!
ReplyDeleteetna tagdaa likhoge bhayiya....to ham patkaa kar dubara mar jaayenge....aur je ham dubara mar gaye....to tumko acchha lagegaa kaa....bataao....!!
ईर्ष्या का इतना उत्पादक, प्रेरक और प्रभावी स्वरूप!
ReplyDeleteजय हो!
आप इत्ते अच्छे अच्छे व्यंग्य घसीटे जा रहे हो और हम घर बैठे ईर्ष्या का पार्ट टाईम जाब कर रहे हैं ।
ReplyDeleteआप इत्ते अच्छे अच्छे व्यंग्य घसीटे जा रहे हो और हम घर बैठे ईर्ष्या का पार्ट टाईम जाब कर रहे हैं ।
ReplyDeleteइन टिप्पणीकारों से ईर्ष्या हो रही है कि इतना धांसू लेख हमसे सात महीना पहले ही पढ लिये। यह ज्ञानवर्धन भी हुआ कि "हू हैज टेकन मुलक का एक ठो मिसिंग ओथ."
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