उधर वारेन एंडरसन अपने घर के सामने बैठे बागवानी और घर के भीतर बैठे फ़ुटबाल वर्ल्डकप के मज़े ले रहा है और इधर हम उसके बारे में बतिया रहे हैं. कयास लगा रहे हैं कि किस माई के लाल ने उसे भोपाल से दिल्ली और दिल्ली से अमेरिका जाने दिया? जैसे वनोत्सव में पेड़ लगाये जाते हैं और सूख जाते हैं ठीक वैसे ही कयास लगाये जा रहे हैं और दूसरे ही क्षण सूख जा रहे हैं.
क्वांटिटी के हिसाब से अब तक कोई डेढ़ पौने दो टन कयास लग गए होंगे. टीवी पर उस एम्बेसेडर गाड़ी के बारम्बार दर्शन करवाए जा रहे हैं जिसमें एंडरसन भोपाल शहर से एयरपोर्ट रवाना हुए थे. इस दर्शन से पता चला कि गाड़ी स्टार्ट करने से पहले उसके ड्राइवर ने हाथ उठाकर सबकुछ टंच होने का इशारा किया था. मतलब यह कि उन क्षणों में सबकुछ बहुत मस्त था. देखकर लगा कि वह ड्राइवर बाबू एंडरसन को उस गाड़ी में बैठाए सीधा एवरेस्ट पर चढ़ने जा रहा था.
कोई चैनल एंडरसन के मुचलके की कॉपी दिखा रहा है तो कोई उन्हें संसद भवन के सामने खड़ा दिखा रहा है. कोई यह दिखा रहा है कि यूनियन कारबाइड ने अर्जुन सिंह के ट्रस्ट (अर्जुन सिंह और ट्रस्ट?) को डेढ़ लाख रुपया दान में लुटा दिया था तो कोई यह दिखा रहा है कि उसी कंपनी ने बीजेपी को भी डेढ़ लाख दिए थे. पार्टी फंड में. इनसब के बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री निर्दोष घोषित हो चुके हैं. कानून मंत्री ने शपथ कर बता दिया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बाबू एंडरसन के लिए कालीन नहीं बिछवाई थी. अर्जुन सिंह चुप है. शायद उम्र की वजह से आजकल बोल नहीं पाते या फिर उन्होंने अपनी बोली का सौ प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर बोलने के लिए रख छोड़ा है. जस्टिस अहमदी तो ठहरे जस्टिस. उनसे कुछ भी कहने या सुनना न्याय के विरुद्ध अन्याय होगा.
फिर कौन बचा? किसने बाबू एंडरसन को देश से बाहर जाने दिया? तमाम टीवी चैनल सवाल पूछ रहे हैं. पैनल डिशकसन करने वालों की डिमांड बढ़ गई है. मुझे इस बात का रंज है कि अभी तक एस एम एस वोटिंग नहीं हुई. कल रतन नूरा जी से तमाम बातों पर बात हो रही थी. 'फिलिम' राजनीति से जो बात उठी तो वर्ल्डकप की पगडंडियों से गुजरते हुए मानसून और गर्मी के मेड़ पर चलते-चलते एंडरसन तक पहुँच गई. अचानक रतन भाई अपना मुंह मेरे कान के पास लाते हुए बोले; "अगर वादा करो कि तुम किसी को नहीं बताओगे तो मैं एक राज की बात तुम्हें बताऊंगा."
मैंने कहा; "रतन भाई, अब राज की बात को किसी को न बताने के बारे में वादा मत करवाइए. राज की बात किसी को न बताने का वादा करना जितना सहल है, उसको निभाना उतना ही मुश्किल."
वे बोले; "अच्छा चलो, यही वादा कर डालो कि इस राज की बात सबको बता दोगे. उधर तुमने वादा किया और इधर मैंने इस राज की बात की लगाम ढीली की."
मैंने कहा; "वादा किया. उधर आपने बताया और इधर मैंने उस राज की बात को सबके सामने रखा. तीन साल पहले यही बात करते तो मेरे लिए सबको बताना थोड़ा मुश्किल रहता. लेकिन अब नहीं है. अब तो मेरा ब्लॉग भी है और वो भी हिंदी में. आज के भारत में जिसके पास हिंदी ब्लॉग है उससे बड़ा कौन है? उससे ज्यादा फालोवर किसके पास होंगे?"
मेरी बात से आश्वस्त होते हुए बोले; "तो सुनो. उस एंडरसन को भगाने का आर्डर मैंने दिया था. मैंने अर्जुन सिंह से कहकर उसके लिए गाड़ी और हवाई जहाज की व्यवस्था करवाई थी. उसके बाद दिल्ली फ़ोन करके उसे अमेरिका जाने की व्यवस्था भी मैंने ही करवाई थी."
मैंने कहा; "क्या बात कर रहे हैं, रतन भाई? आपने! आप इतने बड़े छुप-ए-रुस्तम निकलेंगे यह बात मुझे नहीं पता थी."
वे बोले; "कैसे न करवाता? उस एंडरसन ने मेरे ट्रस्ट को पांच करोड़ रूपये दिए थे. ऐसे में उसे भगाने की व्यवस्था कैसे न करवाता?"
मैंने कहा; "आपका ट्रस्ट? वो भी इतना बड़ा?"
वे बोले; "तो और क्या समझते हो? नेता ट्रस्ट करने लायक कब से हो गए? और वैसे भी उनका ट्रस्ट लाख-डेढ़ लाख लायक ही होता है. पांच करोड़ लायक ट्रस्ट तो मेरे जैसे आम आदमी का ही होगा."
अब मैंने अपने ब्लॉग पर वह राज की बात बता दी है. आशा है, शाम तक इंडिया टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज देखने को मिलेगी; "एंडरसन को भगाने की जांच का काम हुआ पूरा, उसे भगाने के पीछे रतन नूरा."
इस देश में सबसे बड़ा ट्र्स्ट अगर किसी का है तो आम जनता का है. एक बार मूर्ख बनने के बाद फिर से उसी को चुन लेती है. ट्रस्ट के मामले में कोई सानी नहीं. पाकिस्तान पर भी ट्रस्ट कर लेती है और कसाब पर भी की उसे बहुत खेद हो रहा होगा, गाँधी की किताब पढ़ कर अहिंसावादी हो जाएगा, इसलिए खातिरदारी करो.
ReplyDeleteट्रस्ट ऐसा कि मानने को तैयार नहीं कि उसके हत्यारे को मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री भगा सकता है. बड़ा ट्रस्ट है इसे. 120 करोड़ का ट्रस्ट.
एंदरसन को भगाने वाले रतन नुरा ही है. सही कहा. इसमें राज कैसा?
(अर्जुन सिंह और ट्रस्ट?)
ReplyDeleteहे हे हे हे हे हे हे ....ऐसे नहीं...वैसे हंस रहा हूँ जैसे अक्षय कुमार एक मोबाइल एड में हँसता है...हे हे हे हे हे....
नीरज
रतन नूरा मुर्दाबाद...
ReplyDelete२५ साल खामोश रहे... अचानक सबकी आँख खुलती है... एंडरसन कहाँ है... किसने भगाया.. इतने साल सो रहे थे... अब याद आया.. मुझे नहीं पता वो कितना जवान है.. पता चला वापस आते आते रास्ते में लुढक गया...
वैसे 'बेल' का क्या हुआ?
देश की ऐसी हालत पर हम कुछ कर नहीं सकते तो हंस सकते हैं .नीरज जी का कमेंट पढ़ कर आन्नदम्र2...हे हे हे हे..
ReplyDeletein my opinion , Anderson should be immaterial here. we should zero in on the rehabilitation of the affected persons. thats the true tribute
ReplyDeleteहिक्क्क, हिक्क्क, हिक्क्क
ReplyDeleteइस बात की भी जाँच होनी चाहिये कि रतन नूरा को 5 करोड़ के साथ, कितनी स्कॉच मिली, व्हिस्की मिली, जिन मिली, रम मिली या गुलाब छाप मिली…
हिक्क्क, हिक्क्क, हिक्क्क, हिक्क्क्क्…
वरना 5 तो क्या 10 करोड़ में भी न छोड़ता… :)
सन्यास आश्रम में धंस गये एंडरशन को कितना परेशान करते हैं लोग!
ReplyDeleteक्वांटिटी के हिसाब से अब तक कोई डेढ़ पौने दो टन कयास लग गए होंगे
इससे हिन्दी की टांग टेढ़ी करने का प्रयास और साजिश साफ़ दिख रही है। क्वांटिटी का मात्रक संख्या होता है जबकि टन वजन का मात्रक है। हमसे फोन करके अभी जूनियर ब्लॉगर एशोसियेशन की बैठक के लिये प्रमेन्द्र ने शुभकामनायें ले ली हैं। सोचते हैं उनको ये काम थमा दें कि एशोसियेशन की मीटिंग के बाद आपको में इस बात की भी चर्चा कर लें। :)
ऊपर मेरी टिप्पणी से आपको में निरस्त समझा जाये।
ReplyDelete@ अनूप जी,
ReplyDeleteएंडरसन बाबू के विषय में लिखी गई पोस्ट में कुछ भी नियम के अनुसार नहीं होगा. नियम-कानून की चलती तो एंडरसन जी अभी सज़ा काट रहे होते. क्वांटिटी को टन में एक्सप्रेस करना एक ब्लॉगर के प्रोटेस्ट का तरीका है....:-)
अच्छा तो वो रतन नूरा जी थे.. हमें तो लगा इन सबके पीछे भी अनूप शुक्ल रहे होंगे..
ReplyDeleteबड़े भैया,
ReplyDeleteहमें तो टनॊं में क्वांटिटी वाला प्रोटैस्ट एकदम टन्न लगा।
दोषी तो कोई आम जन ही निकलेगा, पक्की बात है। बड़े लोग थोड़े ही ऐसा काम करते हैं?
यह क्या है कि जहां जाता हूं तेरहवें नम्बर पर ही टिप्पणया पाता हूं, वैसे सबसे तेज के बारे में क्या विचार है..
ReplyDeleteइण्डिया टीवी को टिप दे रहे हैं और बाकियों के साथ में अन्याय कर रहे हैं..
काश कि हमारा भी एक ट्रस्ट होता उस समय..
oh....to ye baat thee....post padhkar maza aaya...
ReplyDeleteगहरे राज़ खोलता पोस्ट।
ReplyDelete.
ReplyDeleteवोई तो, जभी मैं बोल्यूँ के सदन से सड़काँ तलक नूरा कुश्ती किस करके चल रयी सै ?
फिर भी दिल की चोट छिपाकर हमने आपका दिल बहलाया ... (ये आपने गलत कर दिये हैं मैं आप पर मानहानि का दावा ठोकुंगा , मैं आपको कोर्ट तक लेकर जाऊंगा, मैं बताऊंगा कि ये सब.... ये सब.... ये सब.... ... अच्छा छोडो भी आप कितना लोगे.... माफ किजिएगा .. रात की उतरी नही है दो घूंट पीकर आता हूँ)
ReplyDeleteअभी गूगल कर पता किया की ये एंडरसन है कितना जवान.. ऐ साहेब १९२१ मैं पैदा हुए और अब करीब ९० साल के है...
ReplyDelete८४ मैं छोड़ा न होता तो कुछ मतलब था... अब तो केवल वोट से मतलब है...
अब तो नूरा से काम चलना पडेगा...
आम जनता का ट्रस्ट रतन नूरा जी ने पाँच करोड़ में बेच दिया । इस प्रकार तो स्विस बैंक में कितना भारतीय ट्रस्ट जमा पड़ा है । सभी बेच रहे हैं इस ट्रस्ट को, अब तो कुछ बचा ही नहीं ।
ReplyDeleteव्यंग्य लिखना हरेक के बूते का नहीं.लेकिन आपके प्रिय परसाई जी रहे हैं..सो निश्चित है आपने उन्हें खूब पढ़ा है...तो कैसे कुछ न कुछ असर आये.
ReplyDeleteअपने ब्लॉग हमज़बान में जाएँ ज़रूर यहाँ भी के तिहत शिवजी के साथ नाम से आपके ब्लॉग का लिंक दिया है.अब आना-जाना बना रहेगा.
लेकिन यदि अन्यथा न लें तो कहूँ...आपके यहाँ एक घोर आपत्तिजनक ब्लॉग का लिंक देख कर चकित हुआ.
नहीं नूरा गलत बोल रहा है । पैसे उसको अभी कांग्रेस पार्टी ने दिये हैं इल्जाम अपने सिर लेने के लिये और वह भी खलिस रू0 500 । बाकी करोड़ वाली डिजिट तो चढ़ने के बाद हर शराबी के मुंह से निकल जाती है ।
ReplyDelete