शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय, ब्लॉग-गीरी पर उतर आए हैं| विभिन्न विषयों पर बेलाग और प्रसन्नमन लिखेंगे| उन्होंने निश्चय किया है कि हल्का लिखकर हलके हो लेंगे| लेकिन कभी-कभी गम्भीर भी लिख दें तो बुरा न मनियेगा|
||Shivkumar Mishra Aur Gyandutt Pandey Kaa Blog||
Tuesday, August 31, 2010
इंडिया टुडे - राष्ट्रीय ब्लॉग सर्वे - २०१०
इंडिया टुडे ने जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में देश भर में हिंदी ब्लागिंग पर एक सर्वेक्षण किया. पत्रिका के अनुसार यह सर्वेक्षण अपनी तरह का पहला सर्वेक्षण है जो हिंदी ब्लागिंग के लिए न सिर्फ महत्वपूर्ण है अपितु उसकी दिशा तय करने में निर्णायक साबित होगा.
इस मामले में पत्रिका के प्रधान सम्पादक का कहना है; "हिंदी ब्लागिंग स्वतंत्र अभिव्यक्ति का ऐसा माध्यम बन चुकी है जिसका भविष्य तो उज्जवल है ही, वर्तमान भी कम महत्वपूर्ण नहीं है. लेखन के मीडियम के तौर पर हिंदी ब्लागिंग अब पर्याप्त रूप से पुरानी हो चुकी है. इतनी पुरानी हो चुकी है कि अब तो इस मीडियम का विस्तार दलों, गुटों और एशोसियेशन के तौर पर भी हो रहा है. आज पूरे भारतवर्ष में बीस हज़ार से ज्यादा हिंदी ब्लॉगर हैं. यही कारण था कि हमने पहली बार इतने विशाल स्तर पर एक सर्वे किया. हमने पूरे देश के अट्ठारह बड़े और तैंतीस छोटे शहरों में अपने संवाददाताओं को भेजकर करीब आठ हज़ार हिंदी ब्लागरों से कुल तेरह प्रश्न किये और उनपर उनका मत लेते हुए यह सर्वे करवाया जिसमें कई चौकानेवाले तथ्य सामने आये हैं. आशा है कि हमारी पत्रिका हिंदी ब्लागिंग पर आगे भी सर्वेक्षण करती रहेगी. हम अपना यह सर्वेक्षण राष्ट्र को समर्पित करते हैं."
प्रस्तुत है सर्वेक्षण का परिणाम जो इंडिया टुडे के १६-२३ सितम्बर अंक में प्रकाशित होगा. वैसे आपको इंतज़ार करने की ज़रुरत नहीं है, सर्वेक्षण के परिणाम आप यहीं बांचिये.
०१. ब्लागरों से जब यह पूछा गया कि "उनकी ब्लागिंग का उद्देश्य क्या है?" तो कुल ५७.३७ प्रतिशत ब्लॉगर का यह मानना था कि ब्लागिंग का कोई उद्देश्य हो, यह ज़रूरी नहीं है. जहाँ बड़े शहरों में इस तरह का विचार रखने वाले कुल ४०.२६ प्रतिशत लोग थे वहीँ छोटे शहरों में यह आंकड़ा ५२.१८ प्रतिशत रहा. बड़े शहरों में करीब १९.२७ प्रतिशत ब्लॉगर का मानना था कि वे इन्टरनेट पर अमर होने के लिए ब्लागिंग कर रहे हैं वहीँ ९.८३ प्रतिशत ब्लॉगर यह मानते हैं कि वे अपनी ब्लागिंग से समाज को बदल डालेंगे. छोटे शहरों में समाज बदलने को ब्लागिंग का उद्देश्य बनाने वाले ब्लागरों का आंकड़ा करीब १७.३१ प्रतिशत रहा.
०२. जब ब्लागरों से यह सवाल पूछा गया कि; "ब्लागिंग की वजह से सम्बन्ध बनाने में सहायता मिलती है?" तो ७०.१९ प्रतिशत ब्लॉगर यह मानते हैं कि ब्लागिंग की वजह से सम्बन्ध बनते है. वहीँ १९.८३ प्रतिशत ब्लॉगर यह स्वीकार करते हैं कि ब्लागिंग की वजह से सम्बन्ध बिगड़ते है. ७.१२ प्रतिशत ब्लॉगर का यह मानना है कि ब्लागिंग की वजह से सम्बन्ध बनते-बिगड़ते रहते हैं. बाकी ब्लॉगर यह मानते हैं कि समबन्ध बने या बिगडें, उन्हें इसकी परवाह नहीं है.
०३. एक और महत्वपूर्ण प्रश्न था; "ब्लागिंग करने की वजह से क्या ब्लॉगर को एक पारिवारिक माहौल मिलता है?" इस प्रश्न पर ८९.१६ प्रतिशत ब्लॉगर का मानना था कि उन्हें ब्लागिंग में आने के बाद एक ही चीज मिली है और वह है पारिवारिक माहौल. ६.८७ प्रतिशत ब्लॉगर का ऐसा मानना है कि वे स्योर नहीं है कि उन्हें पारिवारिक माहौल मिला है या नहीं? ऐसे ब्लॉगर का मानना है कि अगर झगड़ा वगैरह होता रहे तो पारिवारिक माहौल का एहसास बना रहता है परन्तु चूंकि झगड़ा परमानेंट फीचर नहीं है इसलिए वे अपने विचार पर पूरी तरह जम नहीं सकते.
०४. एक प्रश्न कि; "ब्लागिंग की वजह से ब्लॉगर को कौन-कौन से रिश्तेदार मिलने की उम्मीद रहती है?" इस प्रश्न के जवाब में ८.९३ प्रतिशत ब्लॉगर का कहना था कि वे एक 'फादर फिगर' मिलने की उम्मीद से रहते हैं वहीँ ४५.६६ प्रतिशत लोग भाई-बहन मिलने की उम्मीद करते हैं. करीब १४.५७ प्रतिशत ब्लॉगर को एक अदद चाचा मिलने की उम्मीद रहती है तो १९.३१ प्रतिशत ब्लॉगर एक दोस्त मिलने की उम्मीद में ब्लागगिंग करते हैं. केवल ७.५६ प्रतिशत ब्लॉगर यह उम्मीद करते हैं कि उन्हें पूरा परिवार ही मिल जाए जिससे उन्हें किसी रिश्ते की कमी नहीं खले. करीब ३.१६ प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि पारिवारिक रिश्तों से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उन्हें टिप्पणियां मिले.
०५. हमारे संवाददाताओं ने ब्लागरों से एक सवाल किया कि; "क्या केवल अपना ब्लॉग लिखकर ब्लॉगर बना जा सकता है?" इस सवाल के जवाब में ह्वोपिंग ९७.६८ प्रतिशत ब्लॉगर का यह मानना था कि केवल ब्लॉग लिखकर ब्लागिंग नहीं की जा सकती. जहाँ २२.४४ प्रतिशत ब्लॉगर का यह मानना था कि वे अपना ब्लॉग लिखने के अलावा चर्चा करना पसंद करते हैं वहीँ ५३.७१ प्रतिशत ब्लॉगर का यह मानना है कि वे ब्लॉग लिखने के अलावा ब्लॉगर सम्मलेन को महत्वपूर्ण मानते हैं. १८.८८ प्रतिशत ब्लॉगर यह मानते हैं कि लिखने के अलावा वे एशोसियेशन बनाने को ब्लागिंग का अभिन्न अंग मानते हैं. ४१.५१ प्रतिशत ब्लॉगर यह मानते हैं कि लिखने के अलावा ब्लॉगर सम्मलेन, एशोसियेशन और गुटबाजी करके ही एक सम्पूर्ण ब्लॉगर बना जा सकता है. वहीँ ७.३९ प्रतिशत ब्लॉगर यह मानते हैं कि लेखन, एशोसियेशन और सम्मलेन के अलावा पुरस्कार वितरण करके ही पूर्ण ब्लॉगर बना जा सकता है.
०६. सर्वे में एक प्रश्न था; "आप लेखन की किस विधा का समर्थन करते हैं?" इस प्रश्न के जवाब में जहाँ ८३.१५ प्रतिशत लोगों ने कविता लेखन का समर्थन किया वहीँ १४.१३ प्रतिशत लोगों ने गद्य लेखन का समर्थन किया. केवल १.१८ प्रतिशत लोगों ने दोनों का समर्थन किया. करीब १.५ प्रतिशत लोगों ने यह कहकर किसी का समर्थन नहीं किया कि वे गुट निरपेक्ष संस्कृति को जिन्दा रखना चाहते हैं.
०७. एक प्रश्न कि; "टिप्पणियां कितनी महत्वपूर्ण हैं?" के जवाब में ९१.८९ प्रतिशत ब्लॉगर ने बताया कि टिप्पणियां सबसे महत्वपूर्ण हैं. इसमें से जहाँ ८४.५६ प्रतिशत ब्लॉगर यह मानते हैं कि टिप्पणियां पोस्ट से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं वहीँ ७.१६ प्रतिशत ब्लॉगर मानते हैं कि टिप्पणियां और पोस्ट दोनों महत्वपूर्ण हैं. करीब ८.७८ प्रतिशत ब्लॉगर मानते हैं कि पोस्ट और टिप्पणियों से ज्यादा महत्वपूर्ण वे खुद हैं.
०८. एक प्रश्न कि; "फीड अग्रीगेटर का रहना कितना ज़रूरी है?" के जवाब में करीब ९२.३९ प्रतिशत ब्लॉगर का यह मानना है कि हिंदी ब्लागिंग के लिए फीड अग्रीगेटर का होना बहुत ज़रूरी है. जहाँ ६७.७२ प्रतिशत ब्लॉगर यह मानते हैं कि फीड अग्रीगेटर के रहने से लोगों को उठाने-गिराने में सुभीता रहता है वहीँ २८.७५ प्रतिशत ब्लॉगर का मानना था कि फीड अग्रीगेटर को पंचिंग बैग की तरह इस्तेमाल करने में मज़ा आता है इसलिए उसका रहना बहुत ज़रूरी है. करीब ३.१८ प्रतिशत ब्लॉगर यह मानते हैं कि फीड अग्रीगेटर रहे या न रहे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वे लोगों को मॉस-मेल के जरिये सूचित करते हैं कि उनकी नई पोस्ट आ गई है.
०९. जब ब्लागरों से यह प्रश्न किया गया कि "ब्लागिंग करने की वजह से उनका कितने लोगों से झगड़ा हुआ है?" तो जो परिणाम सामने आये वे चौकाने वाले थे. करीब ८.१२ प्रतिशत लोग ही यह जवाब दे सके कि ब्लागिंग करने के बावजूद उनका किसी ब्लॉगर के साथ झगड़ा नहीं हुआ. ९०.१७ प्रतिशत का मानना था कि ब्लागिंग करते हुए उनका किसी न किसी ब्लॉगर से झगड़ा अवश्य हुआ है. वहीँ १.७१ प्रतिशत ब्लॉगर का मानना था कि वे स्योर नहीं है कि उनका किसी अन्य ब्लॉगर के साथ झगड़ा हुआ या नहीं? ऐसे लोगों का मानना था कि अन्य ब्लॉगर से उनकी तू-तू-मैं-मैं हुई भी तो उसे झगड़ा कह जा सकता है या नहीं इस बात पर संदेह है. केवल २४.८९ प्रतिशत ब्लॉगर ही ऐसे थे जिनका दो या दो से कम लोगों से झगड़ा हुआ है. करीब ४०.३७ प्रतिशत ब्लॉगर ऐसे हैं जिनका पाँच से ज्यादा लेकिन नौ से कम लोगों के साथ झगड़ा हुआ. जहाँ १३.७८ प्रतिशत ब्लॉगर का दस से ज्यादा और पंद्रह से कम ब्लॉगर के साथ झगड़ा हुआ वहीँ ११.१० प्रतिशत ब्लॉगर का पंद्रह से ज्यादा और तीस से कम ब्लॉगर के साथ झगड़ा हुआ. कुल ०.३ प्रतिशत ब्लॉगर थे जिन्होंने मॉस लेवल पर यानि पचास से ज्यादा लोगों के साथ झगड़ा किया है.
१०. जब ब्लागरों से यह प्रश्न किया गया कि "हिंदी ब्लागिंग में ज्यादातर झगड़े की वजह क्या है?" तो करीब केवल ७.८९ प्रतिशत लोगों ने व्यक्तिगत मतभेद को झगड़े की वजह बताया. दूसरी तरफ जहाँ ६७.१८ प्रतिशत लोगों ने धार्मिक वैमनष्य को झगड़े की जड़ बताया वहीँ १९.०९ प्रतिशत ब्लागरों ने राजनैतिक विचारधारा को झगड़े की वजह बताया. वैसे एक बात पर सारे ब्लॉगर एकमत थे कि कहीं पर झगड़ा होने से उस संस्था के डेमोक्रेटिक होने का गौरव प्राप्त होता है इसलिए हिंदी ब्लागिंग में झगड़े का मतलब है कि डेमोक्रेटिक सेटअप सुदृढ़ हो रहा है.
११. एक सवाल कि; "संबंध बनाने के लिए कौन से साधन महत्वपूर्ण हैं?" के जवाब में जो परिणाम आये वे चौकाने वाले थे. जैसे करीब ६३.३९ प्रतिशत लोगों का मानना था कि संबंध बनाने के लिए फ़ोन सबसे महत्वपूर्ण साधन है. वहीँ करीब ८.९७% प्रतिशत ब्लॉगर यह मानते हैं कि संबंध बनाने के लिए वे ई-मेल का सहारा लेते हैं. ६.९८ प्रतिशत ब्लॉगर मेल और फ़ोन दोनों का इस्तेमाल करते हैं और बाकी के ब्लॉगर मेल, फ़ोन के अलावा सम्मलेन और व्यक्तिगत मुलाकातों को सम्बन्ध बनाने के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं.
१२. जब ब्लागरों से यह पूछा गया कि; "सिनेमा, राजनीति, क्रिकेट और सामजिक मुद्दों के अलावा ब्लॉग पोस्ट के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय क्या है?" तो उसपर करीब ७५.४३ प्रतिशत ब्लागरों का मानना था कि इन सब विषयों के अलावा सबसे महत्वपूर्ण विषय है "चिट्ठाकारों" के बारे में लिखना. करीब ६.७३ प्रतिशत लोगों के लिए यात्रावर्णन एक महत्वपूर्ण विषय है वहीँ ९.११ प्रतिशत लोगों के लिए ब्लागिंग कार्यशाला महत्वपूर्ण विषय है. दूसरी तरफ ८.२७ प्रतिशत लोगों के लिए सम्मान लेन-देन कार्यक्रम महत्वपूर्ण है तो करीब ०.५% प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि वे खुद सबसे महत्वपूर्ण विषय हैं.
१३. जब ब्लागरों से यह प्रश्न किया गया कि; "बीच-बीच में ब्लागिंग छोड़ देने की घोषणा एक ब्लॉगर के भविष्य के लिए कितनी महत्वपूर्ण है?" तो उसके जवाब में करीब ९२.१३ प्रतिशत ब्लॉगर मानते हैं कि ब्लागिंग छोड़ देने की घोषणा किसी भी ब्लॉगर के ब्लॉग-जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण है. इसमें से करीब ६६.८९ प्रतिशत ब्लॉगर का मानना है कि ऐसी घोषणा से किसी भी ब्लॉगर का ब्लॉग-जीवन न सिर्फ बढ़ जाता है अपितु उसे टिप्पणियां भी ज्यादा मिलने लगती हैं. करीब ७.१६ प्रतिशत ब्लॉगर ही मानते हैं कि ब्लागिंग छोड़ देने की घोषणा से एक ब्लॉगर के ब्लॉग-जीवन पर ख़ास असर नहीं पड़ता. वहीँ जिन लोगों का मानना है कि ऐसी घोषणा से एक ब्लॉगर का ब्लॉग जीवन बढ़ जाता है उनमें से करीब २४.३१ प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि दो से ज्यादा बार ब्लागिंग छोड़ देने की घोषणा करने से एक ब्लॉगर का ब्लॉग जीवन औसतन तीन वर्ष बढ़ जाता है. वहीँ चार से ज्यादा घोषनाएं करने वाले ब्लॉगर का ब्लॉग जीवन औसतन पाँच वर्ष बढ़ जाता है.
तो ये थे हमारे प्रथम राष्ट्रीय ब्लॉग सर्वेक्षण के परिणाम. हमारे संवाददाताओं ने न सिर्फ पूरे देश का दौरा किया अपितु सही परिणामों के लिए सैम्पल साइज़ से कोई समझौता नहीं किया. उद्देश्य केवल एक ही था कि पूरे देश के सामने एक सच्ची तस्वीर उभर कर आये. हम उन हिंदी ब्लागरों के भी आभारी हैं जिन्होंने इस सर्वे के लिए अपना समय निकाला. आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह सर्वे हिंदी ब्लागिंग में एक मील का पत्थर साबित होगा.
---सम्पादक
कमाल है पुरूस्कार बांटने वाला प्रशन कैसे भूल गये टुडे वाले .....
ReplyDeleteज्ञान चच्छु खुला कि क्यों अबतक अपना नाम नहीं हुआ है,दुकान मंदी पड़ी है.....
ReplyDeleteसब बड़का बड़का प्रतिशत सब को नोट कर लिया है....इसी रस्ते तो कामयाब बलागर बनेंगे न...
मोडरेटर काहे लगा लिए जी ???? हटाओ इसे...
ReplyDeleteइतना डेराते हो बेईजत्ती खराब होने से...
ये एक बिलकुल निराधार सर्वे हैं । केवल और केवल माठाधीशो से ही प्रश्न किये गये लगे हैं ।
ReplyDeleteमील का पत्थर सड़क के बीचो बीच पड़ा है तनिक साईड में लगवाइए कोई ठोकर खाके गिर पड़ेगा.. पहले ही यहाँ गिरे हुए लोगो की कमी नहीं है..
ReplyDeleteवैसे आपकी पोस्ट को १००% लोग पसंद करने वाले है.. संपादक साहब की चिट्ठी भी उड़ा लाये आप.. ब्लोगर होंकर भी चोर्यकर्म में लिप्त है आप?? यदि ऐसा रहा तो आप पर पुष्पवर्षा कैसे होगी शिरिमान जी..
रचना जी से सहमत है हम.. हमसे भी कोई सवाल नहीं किया टुडे वालो ने.. लगता है हमें वे बिलोगर ही नहीं मानते..
हमें इंडिया टुडे पर विश्वास ही नहीं है. न तो आम आदमी का नाम लिया न नारीवाद का और न ही भगवाखेमे पर कोई सवाल उठाया. हम आउटलुक के सर्वे को विश्वसनीय मानेंगे. हाय-हाय-थु-थु
ReplyDeleteदुसरों के लिखे को बकवास बताना भी हिन्दी ब्लॉगरी का महत्त्वपूर्ण अंग है. आपने इसे शामिल नहीं किया इस लिए आपकी पोस्ट बकवास है.
हिन्दी ब्लॉगरी की एक और महान देन है जिस ओर ध्यान नहीं गया है. भारतीय गुरू-शिष्य परम्परा को हिन्दी ब्लॉगिंग ने नया जन्म दिया है. क अपना गुरू ख को घोषित करता है और ख करता है ग को. ग पहले से ही क को अपना गुरू बना चुका होता है. यह जीवनचक्र की तरह गुरू-चक्र है. गुरू ब्रह्मा...गुरू विष्णु...
हमारी टिप्पणी आपके लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है इसलिए यह टिप्पणी कर रहे है. यहाँ ईस्माइली की जरूरत नहीं है. और बता देते हैं इंडिया टुडे वालों ने हमसे भी सवाल किये थे. हमने उन्हे बता दिया था कि सभी मठों में हमारा मठ ज्यादा महत्त्वपूर्ण है. इसका महत्त्व साबित करने के लिए शिव-पार्वती के वार्तालाप वाली कथा भी सुनाई, जिसमें शिव कहते है हे देवी, यूँ तो कई मठ है मगर मठों का मठ तो लठ चले वो मठ है.
ReplyDeleteसाझा करने के लिए शुक्रिया -चलिए असोसिएशनों को तो मान्यता मिली!
ReplyDeleteहमारी टिप्पणी आपके लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है इसलिए यह टिप्पणी कर रहे है. यहाँ ईस्माइली की जरूरत नहीं है. और बता देते हैं इंडिया टुडे वालों ने हमसे भी सवाल किये थे. हमने उन्हे बता दिया था कि सभी मठों में हमारा मठ ज्यादा महत्त्वपूर्ण है. इसका महत्त्व साबित करने के लिए शिव-पार्वती के वार्तालाप वाली कथा भी सुनाई, जिसमें शिव कहते है हे देवी, यूँ तो कई मठ है मगर मठों का मठ तो लठ चले वो मठ है.
ReplyDelete@ "आप लेखन की किस विधा का समर्थन करते हैं?"
ReplyDeleteमुझे लगता है सबसे महत्वपूर्ण विधा है .....
टिप्पणी।
क्या आपने ब्लॉग संकलक तूतूमेमे पर अपना ब्लॉग पंजीकृत किया है?
ReplyDeleteअधिक जानकारी के लिए क्लिक करें.
तूतूमेमे पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि
सॉरी, मैं गलत कॉपी-पेस्ट कर गया। मेरी उक्त टिप्पणी रद्द मानी जाये। मैं इस सर्वेक्षण के जीवन बढ़ाने के टंकियाटिक नुस्खे से बहुत प्रभावित हूं!
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद!
ऐसा विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि जिन लोगों से आप ये editor पत्र झटक कर लाए हैं उस पत्र में एक पिन भी लगा था जो कि पन्नों को नत्थी करने के लिए ही लगा था और इसकी पुष्टि हो गई है।
ReplyDeleteआपके द्वारा झटका झटकी में वही पुष्टि किया हुआ पिन खुल गया और एक पन्ना नीचे कही गिर गया जिस पर प्रश्न था कि -
क्या आपने कभी किसी ब्लॉगर को गाली दी है.....यदि दी है तो कितने किसम की गाली दी है....50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि देने का तो मन बहुत था लेकिन इमेज बिल्डिंग के चक्कर में गाली न दे पाए वहीं 25.38 का मानना था कि उन्होंने जमकर गाली दी है और हर दो लाइन बाद टिप्पणी दर टिप्पणी देते गए....वहीं 8.12 प्रतिशत का मानना था कि गाली देने से ही काम नहीं चलता थोड़ा जूतमपैजार भी होना मांगता :)
शानदार पोस्ट है। एकदम राप्चिकात्मक ।
चौंकाने वाले परिणाम आये हैं, ...पर विषय क्या था?
ReplyDeleteपेपर आउट.. अब पक्का इंडिया टुडे में नहीं छपेगा..
ReplyDeleteहमने पूरे देश के अट्ठारह बड़े और तैंतीस छोटे शहरों में अपने संवाददाताओं को भेजकर
ReplyDeleteइतनी मेहनत करने की क्या आवश्यकता थी .. ब्लोगरों को सिर्फ ईमेल ही भेज देते .. और सब तथ्य तो ठीक हैं .. पर ब्लोगरों के मध्य लडाई में ज्योतिष की भी बडी भूमिका रही है .. इसकी चर्चा न हो सकी .. प्रथम राष्ट्रीय ब्लॉग सर्वेक्षण के दौरान यह मुद्दा शांत शांत जो रहा .. वैसे मजेदार रहा ये सर्वेक्षण !!
इधर तो आए ही ना इंडिया तोड़े [टुडे] वाले ...हम भी नहीं मान रहे यह रिपोर्ट .
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteपरिणाम हमेशा चौंकाने वाले ही होते हैं, तभी तो हनुमान जी के मन्दिर में सब बुनिया के दोने ले के जाते हैं ;)
ReplyDeleteGyan Ji Rocks...!!!
ReplyDeleteमेरा लोकल सर्वे भी पढ़िए, लम्बे समय से चल रहा है ...बहुत से ब्लोगर्स पर किया है :
ReplyDeleteउनकी ब्लागिंग का उद्देश्य क्या है?
मन का कचरा ब्लॉग जगत में फैलाना ९५ %
"ब्लागिंग की वजह से सम्बन्ध बनाने में सहायता मिलती है?
विशुद्ध चापलूसों को १००%, बाकी उसी विषय के भक्त होते हैं
"ब्लागिंग करने की वजह से क्या ब्लॉगर को एक पारिवारिक माहौल मिलता है?
फ्रेंडशिप और परिवार .... ना ना ना ( ये पारदर्शक दोस्ती तो छुपा के रखने वाली चीज है जी )
"ब्लागिंग की वजह से ब्लॉगर को कौन-कौन से रिश्तेदार मिलने की उम्मीद रहती है?"
चापलूस , महा चापलूस , आसानी से पकडे जा सकने वाले चापलूस
"क्या केवल अपना ब्लॉग लिखकर ब्लॉगर बना जा सकता है?
अरे इससे तो छद्दम देश भक्त , भाषा भक्त [जो आती हो ], स्वधर्म भक्त [दूसरे धर्म की कमियों से ] "ब्लोगर के आलावा" कुछ भी बना जा सकता है
"आप लेखन की किस विधा का समर्थन करते हैं?"
जिसमें लिखना आता हो
"टिप्पणियां कितनी महत्वपूर्ण हैं?"
हर एक ... अगर विशुद्ध चापलूस ने लिखी है
"फीड अग्रीगेटर का रहना कितना ज़रूरी है?
उसके बिना लोग "नाईस पोस्ट" कैसे लिखेंगे
"ब्लागिंग करने की वजह से उनका कितने लोगों से झगड़ा हुआ है?"
सभी बात न मानने वालों से , सच बोलने वालों , स्थिर दिमाग वालों से
"हिंदी ब्लागिंग में ज्यादातर झगड़े की वजह क्या है?"
मानसिक रोग
"संबंध बनाने के लिए कौन से साधन महत्वपूर्ण हैं?"
अच्छे संबंधों के लिए ब्लॉग से थोड़ी काम चलेगा और पारदर्शक(?) दोस्ती के लिए चेटिंग और फोन के बिना तो बनेंगे ही नहीं
सिनेमा, राजनीति, क्रिकेट और सामाजिक मुद्दों के अलावा ब्लॉग पोस्ट के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय क्या है?"
जिसमें लोगों की भावनाएं भड़के , विषय की जानकारी तो फिर टिप्पणियों से होगी ना
"बीच-बीच में ब्लागिंग छोड़ देने की घोषणा एक ब्लॉगर के भविष्य के लिए कितनी महत्वपूर्ण है?"
जब कुछ लिखने को ना मिले तो एक पोस्ट बनाने की खातिर
इंडिया टुडे वाले इस बार फिर खोपोली को भूल गए...कमबख्त लोग...कोई बात नहीं...आउट लुक वालों को बुलावा भेज दिया है...इंडिया टुडे के सर्वेक्षण की वाट न लग गयी तो कहना...
ReplyDelete(ये पोस्ट आपकी खोपड़िया के उर्वर होने का जीता जागता प्रमाण है, कौनसी खाद देते हो बंधू? )
कमाल है, इतना बड़ा सर्वे हुआ और मैं छूट गया! कहाँ था मैं?
ReplyDeleteइसमें भी मठ्ठाधीश बाजी मार ले गए और लस्सीधीश पीछे रह गए!
हाल में एक नई कैटेगरी निकली है, कुंठाधीश. इनका कुछ ज़िक्र नहीं?
इस पर गौर किया जाये की .......
ReplyDeleteमैंने पहले प्रश्नों के उत्तर लिखे उसके बाद पोस्ट पढ़ी है
बिना पोस्ट पढ़े कमेन्ट करना "एक बहुत बड़ी कला" है... आज मैंने साबित कर दिया
मुझसे नए ब्लोगर्स को कुछ सीखना चाहिए
[हा हा हा ]
यह सर्वेक्षण मनगढ़ंत लग रहा है ... लगता है इंडिया डे वालों ने ब्लागरों में अपनी पहचान बनाने के लिए इसे किसी ब्लागर से लिखवाकर प्रस्तुत कर दिया है ..... अभी चैनल वालों में या अखबार वालों में अभी ब्लागिंग की इतनी गहरी समझ नहीं हैं ... अभी हम ब्लागर उन्हें जैसा बताते है वो वैसा मैटर रख देते हैं ... आभार
ReplyDeleteएक अदद चाचा वाले विकल्प पर ठहाके छूट पड़े। कमाल है किसी ने गुरू मिलने की बात नहीं छेडी?
ReplyDeleteक्यों कुश? (and by the way, you also rock...)
किंतु रोचक है ये सर्वेक्षण....
टिप्पणियां पाने और चर्चित होने के लिए विषय अच्छा चयन किया गया है। मैं इसकी तहे दिल से सराहना करता हूं। अभी हिन्दी ब्लॉगिंग के संबंध में बहुत सारी अंग्रेजी पत्रिकाओं के सर्वेक्षण प्रकाशित होने वाले हैं, पर वहां पर इस तरह के बेसिर पैर के प्रश्न नहीं पूछे गए हैं, वैसे हिन्दी ब्लॉगरों की संख्या इस समय 35 हजार से अधिक हो चुकी है। लगता है सर्वेक्षण घर में ही कर लिया गया है। खैर ...
ReplyDeleteजल्दी ही एक सर्वेक्षण और प्रकाशित होने वाला है, अपना ब्लॉग थामे इंतजार कीजिएगा। सभी को आमंत्रण है। सबकी ई मेल आई डी पर प्रश्न भेजे जाएंगे, न मिलें तब भी आप जवाब भेज सकते हैं। इस सर्वेक्षण में सवाल भी आपके ही हों और जवाब भी आप ही देंगे। सर्वेक्षण रिपोर्ट भी आपसे ही बनवायेंगे और आप जिस अखबार/पत्रिका का नाम लेकर सनसनी फैलाने को कहेंगे, फैला दी जाएगी आप तो बस बटोरने को तत्पर रहिएगा।
इस सर्वे से यह तो सिद्ध हो ही गया है कि हिन्दी ब्लॉगिंग को अब कोई सरकार उपेक्षित नहीं कर सकती। एक नये प्रदेश ब्लॉगगढ़ की माँग रखते हैं जी हम, जिस्का अलग निशान, अलग विधान होना चाहिये, और अलग गान भी। निशान और विधान वड्डे वड्डे ब्लॉगर्स तय कर लें, गाना हमने चुन लिया है - ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का। - महिलाओं को समानाधिकार देने के लिये इसका स्त्रीलिंगीय वर्ज़न तैयार करने के लिये आवेदन इसी ब्लॉग पर मंगवाईये।
ReplyDeleteअरे!
ReplyDeleteमैं बी अपने आपको कल तक बिलागर समझे पड़ा था...अब पता लग्गा कि टुड्डे वाले मेरे यहां क्यों नी आए
बड़े भाई, टूडे ने हमसे पूछे बिना इतना बड़ा सर्वे कइसे कर लिया, हम नहीं मानेगें. ना.. न्ना.
ReplyDeleteसर्वे और रिपोर्टिंग से ये तो पता चला कि ब्लॉगर अब महत्वपूर्ण अंग बन चुका है समाज का .
ReplyDelete- विजय तिवारी ' किसलय '
मुझे तो यह सर्वे पूरा विश्वसनीय लग रहा है। मैं तो इंडिया टुडे खरीदे और पढ़े बिना ही इसे सच्चा मान लिया हूँ। आभार एडवांस में बताने का।
ReplyDeleteइस सूचना के लिए आपका आभार shiv sir n ज्ञान सर.. आशा है आपका स्वास्थ्य अब बेहतर होगा.. पता नहीं कई सवाल मुझे बड़े अटपटे से लगे.. पर ये भी सच है कि हिन्दी ब्लोगिंग में कई काम हो भी अटपटे ही रहे हैं.. :)
ReplyDeleteअरे आपने तो पेपर आउट कर लिया ...सही है ...करारा व्यंग्य !!
ReplyDeleteव्हेरी व्हेरी इंटरेस्टिंग! ऑर जस्ट स्टिंग! वैसे पाण्डे जी की संकलक वाली टिप्पणी मज़ेदार लगी!
ReplyDeleteकमाल का सर्वेक्षण करा डाला इंडिया टूडे वालों ने, ९१।१ प्रतिशत टिप्पणीकर्ता ये मानेंगे कि इस सर्वेक्षण ने हिंदी ब्लोगिंग में दूध का दूध और पानी का पानी अलग कर दिया वहीं ६।५ प्रर्तिशत टिप्पणीकर्ता कहेंगे दूध तो शुरू से था ही नही, २।४ प्रतिशत पाठक शायद बगैर टिपियाये ही खिसक लें।
ReplyDeleteसाझा करने के लिए शुक्रिया
ReplyDelete.
ReplyDelete
ReplyDeleteक्रूरपिया, ई-मेल से प्राप्त टिप्पणियों को ( यदि वह मँर्डरेट न हुईं हों ) को भी प्रकाशित कर दिया करें ।
सिद्धान्तः तो ब्लॉग-मालिक अनुरोध अस्वीकृत करने के लिये भी स्वतँत्र है ।
धन्यवाद !
हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में इतना सच बोलना ठीक नहीं है गुरुदेव…
ReplyDeleteमैं जानता हूं, आप जानते हैं और अब दुनिया भी जान जायेगी कि आपको किसी भी ब्लॉगर असोसियेशन का अध्यक्ष या ब्लॉगिंग सेमिनार का मुख्य अतिथि नहीं बनना है… इसीलिये ऐसी लन्तरानी हाँके पड़े हैं… :) :)
और हाँ, आपका मोडरेशन ताला देखकर साबित भी हो गया कि "हिन्दी ब्लॉगिंग" और ब्लॉगरों के व्यवहार(?) पर लिखते समय यह अतिरिक्त सावधानी बरतना बेहद आवश्यक है… :)
ReplyDeleteन ना सुरेश इस भ्रम मे ना रहना कि मिश्र जी पहले ही मिश्र ब्लॉगर असोसियेशन की नीव दाल चुके हैं ये हर जगह हर मिश्र से सहमत रहते हैं ।
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई !
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण !!
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई !
ReplyDeleteअव्वल तो ऐसा कोई सर्वे हुआ ही नहीं है और अगर हुआ भी है तो होने की ज़रूरत ब्लॉगर्स को है ही नहीं। इसमें पूछे गए सवाल प्रिंट मीडिया में ब्लॉगिंग के प्रति छुपे हुए डर का आइना हैं क्योंकि सभी सवालों में संजीदगी की जगह दिल्लगी और उपहास झलक रहा है। चिंता छोड़िए और मज़े के दंड पेलिए।
ReplyDeleteये इंडिया तोङे वाले हमारे पास भी नहीं आये इसलिए मुझ जैसे मह्तवपूर्ण ब्लोगर को उन्होने नजर अंदाज किया इसलिए मेरा विरोध दर्ज किया जाये....वैसे मेरा मानना है कि ब्लोगिंग छोङने की घोषणा एक ब्रह्मास्त्र की तरह है जो सिर्फ ब्लोग जीवन मैं एक ही बार काम लिया जाता है और सबसे उचित समय होता है जब आप किसी विवाद मैं फंस जाओं तब इसका इस्तेंमाल उचित रहता हैं
ReplyDeleteअरे भाई हम तो नही मानते …………हम से तो किसी ने पूछा ही नही……………यहाँ तो सभी खुद को दिग्गज ब्लोगर गिनते हैं अब दोबारा सर्वे कीजिये और उसके बाद रिज़ल्ट दीजिये………………फिर देखिये नतीजे इससे भी जुदा होंगे……………………वैसे हमने तो ब्लोग गुरु की पाठशाला भी चलाई थी उसमे भी यही सब बताया था………………हा हा हा।
ReplyDeleteकितना कुछ लिखना यहाँ आने के बाद सीखा मगर हम तो खुद को ब्लॉगर ही नहीं मान पाए अब तक , ब्लॉग जगत को छोड़ जाने की बात करें भी कैसे ...और छोड़ने की बात की और कोई मनाने नहीं आया तो गयी हमारी भैंस तो पानी में ...
ReplyDeleteइसलिए हम तो उम्मीद भी नहीं रखते कि कोई सर्वेयार हमसे कुछ पूछेगा भी ...!
इतने बेहतरीन तरीके से लिखा गया है की एकबारगी तो पढने वाला इसे सच मान ले और इंडिया टुडे खरीदने निकल पड़े. वाकई .
ReplyDeleteवैसे इंडिया टुडे वालों से हमसे संपर्क ही नहीं किया मतबल जे की हम अभी ढंग के ब्लोगर माने ही नहीं गए उनकी नज़र में ;)
जितने अच्छे सवाल चुने हैं उतने ही अच्छे जवाब भी तैयार किये हैं आपने. एकदम शानदार.
आपको कृष्ण जन्माष्टमी की उस से भी ज्यादा बधाई जितनी आपने हमारे ब्लॉग पर दी है..
ReplyDeleteहाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की..
ताज्जुब है कि भारत के बाहर के ब्लोगरों को शामिल किये बिना भी इतने सही रिजल्ट आये. इंडिया टुडे को समझना चाहिए कि इन सारे सवालों में ऐसे ब्लोगरों की भी बराबर हिस्सेदारी है. मुझे तो बराबर से थोड़ी अधिक ही लगती है. और हकलान भाई के विजेट के हिसाब से तो पकिस्तान में भी हिंदी ब्लोगर हैं बताइए ! इसके खिलाफ हमारा टुडे के नाम से नया सर्वेक्षण कराने की बात चल रही है. मैंने कहा आपको बताता चलूँ.
ReplyDeleteVaani di ke hi jaisa kuch main bhi soch rahi hun :)
ReplyDeleteकाफी ज्ञान वृध्दी हुई आज तो आलेख से भी और टिप्पणियों से भी ।
ReplyDeleteइतनी टाँग खींचना भी ठीक नहीं, परंतु है भी सही..
ReplyDeleteचलिये कम से कम इंडिया टुडे ने तो अपने को ब्लॉगर नहीं माना, इसी बात पर खुश हैं।
बेहतरीन..
ब्लॉग -सर्वे.... बढ़िया है.
ReplyDeleteसर्वे के अनेक उत्तरों से असहमति है.
ReplyDeleteहल्का लिखकर हलके हुए हैं या गंभीर लिखकर बुरा मानने का न्यौता है, समझ में नहीं आया. अंक आने तक प्रतीक्षा करते हैं.
ReplyDeleteहमारे पास तो आए थे जी ये इंडिया टुडे वाला, लेकिन हमने तो भगा दिया...इतना टाईम किसके पास है. अब ब्लाग लिखें या इनके सवालों के जवाब देते फिरें..इत्ती देर में एक नई पोस्ट न छाप देंगें :)
ReplyDeleteगर्ल -फ्रेंडों की तलाश में ब्लौगिंग करने का महत्त्वपूर्ण प्रश्न छूट गया सर्वे में . मैंने खुद इसलिए शुरू की पर प्रोफाइल और फोटू देख कर विचार बदला और देश सेवार्थ ब्लौगिंग को अंजाम देने लग गया.
ReplyDeleteबहुत अच्छा सर्वे।
ReplyDeleteअविनाशजी की टिप्पणी में कालजयी व्यंग्य है। इसको सर्वश्रेष्ठ व्यंग्य टिप्पणी पुरस्कार मिलना ही चाहिये।