Show me an example

Wednesday, October 21, 2009

ओलंपिक और एथेलेटिक्स अमरत्व


@mishrashiv I'm reading: ओलंपिक और एथेलेटिक्स अमरत्वTweet this (ट्वीट करें)!

सुरेश कलमाडी को हम सब जानते हैं. न जाने कितने वर्षों से वे भारतीय एथेलेटिक्स और भारतीय ओलंपिक संघ की गाड़ी हांक रहे हैं. भारत में एथेलेटिक्स और ओलंपिक की बात होती है तो एक ही चेहरा आँख के सामने घूम जाता है और वो है सुरेश कलमाडी जी का. ठीक वैसे ही जैसे पहले भारतीय क्रिकेट की बात होने पर एक ही चेहरा आँख के सामने घूमता था और वो था जगमोहन डालमिया जी का. अब उस चेहरे को ललित मोदी के चेहरे ने रिप्लेस कर दिया है.

वैसे भारतीय क्रिकेट की बात होने पर बीच-बीच में सचिन तेंदुलकर का चेहरा भी आँख के सामने घूम जाता है. लेकिन एथेलेटिक और ओलंपिक की बात पर किसी पी टी ऊषा या फिर किसी मिल्खा सिंह का चेहरा आँख के आगे नहीं घूमता. मुझे तो लगता है कि कभी-कभी खुद मिल्खा सिंह भी मन में सोचते हुए लाउडली बात करते होंगे कि; "जब से होश संभाला, कलमाडी को सामने पाया."

कलमाडी साहब हैं कि उन्हें देखकर लगता है जैसे वे ओलंपिक और एथेलेटिक्स अमरत्व को प्राप्त कर गए हैं.

अब आपको एक राज की बात बताता हूँ. कल मेरी नज़र अचानक युवराज दुर्योधन की डायरी के पेज ९०३ पर पड़ गई. लिखा था;

"आज गुरु द्रोणाचार्य, पितामह और चचा विदुर के विरोध के बावजूद मामाश्री और पिताश्री ने सुरेश कलमाडी को एक बार फिर से भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बना दिया. सुरेश कलमाडी पिछले दस सालों से इस पद पर जमे हुए हैं. भारतीय ओलंपिक संघ की स्थापना दस साल पहले ऋषि भृगु के कहने पर हुई जिन्होंने एक दिन अपने कमंडल के पानी में भविष्य दर्शन करके बताया था ग्रीस में करीब तीन हज़ार साल बाद ओलंपिक के खेल शुरू होंगे इसलिए खेल-कूद में महान महाराज भरत के योगदान को याद रखते हुए भारतीय ओलंपिक संघ की स्थापना अभी कर देनी चाहिए."

युवराज दुर्योधन की डायरी का पेज ९०३ के अंश पढ़कर मुझे अचानक एक घटना याद आ गई. पिछले साल कोलकाता के इंडियन म्यूजियम से एक विदेशी एजेंट कुछ न्यूजपेपर कटिंग्स के साथ गिरफ्तार हुआ था. पूछताछ से पता चला था कि न्यूजपेपर कटिंग्स की चोरी करके वह क्रिष्टीज के एक ऑक्शन में बेचने का प्लान बनाकर आया था.

आप पढ़ना चाहेंगे कि ये न्यूजपेपर कटिंग्स में क्या लिखा हुआ था? तो पढिये.

लेकिन मुझसे यह मत पूछिए कि ये कटिंग्स मुझे कहाँ से मिलीं? मैंने (ब्लॉगर) पद और गोपनीयता की कसम खाई है इसलिए मैं नहीं बताऊंगा. आप अलग-अलग तारीख की न्यूजपेपर कटिंग्स पढ़िये.

काशी, ईसा पूर्व तारीख २० अक्टूबर, २३९

हमारे खेल संवाददाता द्बारा

आज सारनाथ में एक रंगारंग कार्यक्रम में सम्राट अशोक ने एक बार फिर सुरेश कलमाडी को भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. ज्ञात हो कि सुरेश कलमाडी को पहली बार महाराज धृतराष्ट्र ने भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनाया था. सुरेश कलमाडी तब से इस पद पर जमे हुए हैं. अपनी नियुक्ति पर प्रसन्न होते हुए श्री कलमाडी ने सम्राट अशोक को धन्यवाद दिया और एक बार फिर से विश्वास दिलाया कि वे पहले भी राष्ट्र के लिए समर्पित थे और आगे भी समर्पित रहेंगे..........

दिल्ली, तारीख ७ अक्टूबर, १२०८

आज बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक बार फिर से सुरेश कलमाडी को भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बना दिया. बसद रसूल ने श्री कलमाडी के एक बार फिर अध्यक्ष बनाने पर अपना विरोध यह कहते हुए दर्ज करवाया कि श्री कलमाडी पिछले चार हज़ार से ज्यादा सालों से इस पद पर जमे हुए हैं. उनके इस विरोध को बादशाह ने ज्यादा तवज्जो नहीं दिया. बादशाह का मानना है कि श्री कलमाडी जैसा प्रशासक इतना काबिल है कि वह दस हज़ार सालों तक इस पद पर बने रहने लायक है..................

दिल्ली ९ सितम्बर, १६०४

आज बादशाह अकबर द्बारा आयोजित एक कार्यक्रम में श्री सुरेश कलमाडी को एक बार फिर से भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष चुन लिया गया. इस मौके पर राजा बीरबल ने कुल इक्कीस चुटकुले सुनाये. अबुदुर्रहीम खानखाना ने अपने ताजे दोहे पेश किये जिनमें श्री कलमाडी के भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष के रूप में दिए गए उनके योगदान की सराहना की गई है. श्री कलमाडी ने भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष के रूप में अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर से दोहराया......................

ज्ञात हो कि ऐसा वे लगभग पैंतालीस सौ सालों से करते आ रहे हैं.

दिल्ली १६ सितम्बर, १८४६

आज दरबार में आयोजित एक समारोह में जहाँपनाह बहादुर शाह ज़फर ने सुरेश कलमाडी को एक बार फिर से भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बना दिया. श्री कलमाडी ने जहाँपनाह को धन्यवाद देते हुए आभार प्रकट किया. इस मौके पर जनाब मिर्जा असदुल्लाह बेग खान 'गालिब' ने जनाब कलमाडी की शान में एक शेर भी पढा. शेर कुछ यूं था;

तुम जियो हजारों साल
साल के दिन हों पचास हज़ार

श्री कलमाडी ने मिर्जा गालिब को धन्यवाद देते हुए भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष के रूप में किये गए आपने कार्यों का लेखा-जोखा पेश किया. लेखा-जोखा देखने के बाद एक बार फिर से साबित हो गया कि इस पद के लिए उनसे काबिल और कोई न तो पहले था और न ही होगा....

दिल्ली, १३ जून, १९४७

आज लार्ड माउंटबेटन ने अंतिम नियुक्ति करते हुए श्री सुरेश कलमाडी को भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बना दिया. श्री कलमाडी अपनी इस नियुक्ति पर बहुत खुश हुए. कुछ खेल पत्रकारों का अनुमान है कि क्वीन विक्टोरिया की पहल पर अंग्रेजी शासकों ने भारतीय शासकों से किये गए एक समझौते में यह वचन ले लिया है कि भारतीय सरकार कभी भी श्री कलमाडी को उनके पद से नहीं हटाएगी. सुनने में आया है कि प्रधानमंत्री श्री नेहरु यह बात मान गए हैं.

और अब आज की न्यूजपेपर रिपोर्ट..

नई दिल्ली, तारीख २० अक्टूबर, २००९

राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) और आयोजन समिति के बीच राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों को लेकर चरम पर पहुंच गए गतिरोध को तोड़ने की कोशिशों में लगे खेलमंत्री एमएस गिल ने आयोजन समिति के प्रमुख सुरेश कलमाडी से मंगलवार को मुलाकात करके विवादास्पद मुद्दों पर लंबी बातचीत की।

कलमाडी मंगलवार की सुबह गिल के घर पहुंचे और उन्हें इन खेलों की तैयारियों की मौजूदा स्थिति तथा सीजीएफ और आयोजन समिति के बीच उठे विवाद के बारे में जानकारी दी। गिल ने कलमाडी से मुलाकात के बाद कहा ‘मेरी आज उनसे मुलाकात हुई और हम दोनों ने सभी मुद्दों पर विस्तापूर्वक बातचीत की। मैं जल्दी ही सीजीएफ के अध्यक्ष माइक फेनेल से............

20 comments:

  1. नई दिल्ली, तारीख २० अक्टूबर, 2055

    आज श्रीमान राहुल गांधी के सुपुत्र चिंटू गांधी ने श्री सुरेश कलमाडी को भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बना दिया..
    ज्ञात हो कि सुरेश कलमाडी को पहली बार महाराज धृतराष्ट्र ने भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनाया था. सुरेश कलमाडी तब से इस पद पर जमे हुए हैं. अपनी नियुक्ति पर प्रसन्न होते हुए श्री कलमाडी ने चिंटू गांधी को धन्यवाद दिया और एक बार फिर से विश्वास दिलाया कि वे पहले भी राष्ट्र के लिए समर्पित थे और आगे भी समर्पित रहेंगे..........

    अब आप मुझसे ये मत पूछिए कि भविष्य के अखबार की कटिंग्स मैं कहाँ से जुगाड़ लाया.. मैंने (ब्लॉगर) पद और गोपनीयता की कसम खाई है इसलिए मैं नहीं बताऊंगा..

    ReplyDelete
  2. suresh ji ke lambi umar ki dua..


    bahut majedar he..

    ReplyDelete
  3. कुश ने मेरी टिप्पणी मेरे टिपियाने से पहले ही टीप ली। परन्तु वे तारीख के कुछ शून्य गायब कर गए। असली तारीख २०००५५ थी।
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete
  4. चिंटू गाँधी अमर रहे !!!!...... सुरेश कलमाडी तो है ही ! :D :D

    ReplyDelete
  5. सुरेश कलमाडी पर शोध ग्रन्थ प्रकाशित करने पर आपको मानद पी.एच डी. की उपाधि से सम्मानित किया जाता है. उपाधि वितरण खोपोली में कल शाम सात बजे किया जायेगा...आ सकें तो आ जाएँ वर्ना इस मानद उपाधि को खट्टे अंगूर समझ कर भूल जाएँ...
    नीरज

    ReplyDelete
  6. 'आप पढ़ना चाहेंगे कि ये न्यूजपेपर कटिंग्स में क्या लिखा हुआ था?' कुछ त्रुटी है भाई वो विदेशी एजेंट तो पिछले साल गिरफ्तार हुआ था. मैं खुद उस समय वहां मौजूद था. पिछले साल की कटिंग्स में २००९ का अखबार तो नहीं था :)
    अब राजू श्रीवास्तव की तरह जवाब मत दीजियेगा कि अगर दुस्शासन की जगह कुम्भकरण चीर खीचेगा तो ... ! हा हा !

    सुरेश कलमाडी को भगवान् दीर्घायु करे. आने वाली पीढियों को उनकी जरुरत है.

    ReplyDelete
  7. 5th jUne 2125
    Suresh ji ko ek baar phir nirvirodh adhyaksh chuna gaya.....
    ......... Gandhi ne unki sewaon ki prashansha ki.

    18-12-2242
    Sh........Gandhi dwara ek baar phir manonit. Unke yogdaan ko dekhte huye aajivan adyaksh banaya gaya.

    ReplyDelete
  8. ताजगी लिए हुए रचना विलक्षण है।

    ReplyDelete
  9. हा हा हा.. ये भी सही है.. :)

    सुरेश कलमाडी अमर रहें..

    ReplyDelete
  10. परमावतार बाबा महायोगी १००८ कलमद्दी महराज की जै।
    उनके शिष्य भी ४००-५०० वर्ष के होंगे!

    ReplyDelete
  11. ". पिछले साल कोलकाता के इंडियन म्यूजियम से एक विदेशी एजेंट कुछ न्यूजपेपर कटिंग्स के साथ गिरफ्तार हुआ था. ....."

    लगता है दुर्योधन की डायरी भी वहीं आपके हाथ लगी:)

    ReplyDelete
  12. सुरेश कलमाड़ी की जय हो...

    -एक सच्चा कांरेसी सिपाही.


    :)

    ReplyDelete
  13. कांरेसी = कांग्रेसी

    ReplyDelete
  14. सम्भवतः उड़न तश्तरी ने कारेंसी करेंसी के लिए लिखा है. उन्होने लिखा है तो सही ही होगा. :)

    ई.स. 2080 प्रधान मंत्री चिम्पू गाँधी ने कलमाडी को एक बार फिर अध्यक्ष चुना. (आने वाले समाचार, गूगल पर देखे गए :) )

    ReplyDelete
  15. हा हा हा....बहुत्तई बढ़िया........

    अरे जब समुद्र मंथन के टाइम में अमृत बाँट रहा था,तबै कलमाडी जी भी हुवें कतार में बैठे रहै और चुल्लू भर पी लिये रहै.
    ऐसे भी बेचारे को इहै एगो काम आता है...काहे को नजर लगते हो...

    ReplyDelete
  16. कलमाडी भी ८ वे चिरंजीव हैं क्या, शायद धर्मग्रंथ उल्लेख करना भूल गये हों आपको इस नये शोधपत्र की बधाई ।

    ReplyDelete
  17. हा हा...अपका भी जवाब नहीं मिश्र जी!

    ReplyDelete
  18. सर जी हृदय की पीड़ा हर ली आपने इस पोस्ट से । यानी भारत को पिछले 10000 साल से किसी खेल आयोजन में इन्ही के कारण ही कोई मेडल नहीं मिला

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय