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Saturday, March 23, 2013

टाइम्स नाऊ का मास्टर शेफ इंडिया - नेताओं का गुझिया कम्पीटीशन


@mishrashiv I'm reading: टाइम्स नाऊ का मास्टर शेफ इंडिया - नेताओं का गुझिया कम्पीटीशन Tweet this (ट्वीट करें)!




"आ हम गोझिया कम्पीटीशन में तभिये आयेंगे जब ई बात किलियर हो जाएगा कि बीजेपी का तरफ से कोई आएगा या एनडीए का तरफ से"; लालू जी ने अपना दो टूक फैसला अरनब गोस्वामी को फ़ोन पर सुना डाला।

उनकी बात सुनकर अरनब गोस्वामी बोले; "लालू जी, आप अपने पार्टी को रिप्रेजेंट कीजिए न। आपको इससे क्या कि बीजेपी से कोई आएगा या एनडीए से? फिर तो मैं कहूँगा कि आर जे डी की बजाय केवल यूपीए से कोई आये।"

"ऐसा नै न होता है। आ यूपीए अलग है औ आरजेडी अलग। उप्पर से ई ..."

"लेकिन लालू जी, मेरा आपसे एक डायरेक्ट सवाल ये है ....."

अभी अरनब ने इतना ही कहा था कि लालू जी भड़क गए। बोले; "आ सुनो पाहिले। बात सुनो, ई तुम्हारा न्यूजआवर नै न है जो पब्लिक सब को बोलने नहीं देगा। ई अभी तुम टेलीफोन पर न बतिया रहा है। ता हमको पूरा बोलने देगा कि नहीं?"

अरनब गोस्वामी के चैनल ने होली पर नेताओं का एक गुझिया कम्पीटीशन आयोजित करने का फैसला किया और गोस्वामी जी ने नेताओं और विशेषज्ञों को फ़ोन पर इनवाईट करना शुरू कर दिया। कुछ को इनवाईट कर लेने के बाद वे लालू जी से बात कर रहे थे। उन्होंने लालू जी से कहा; "लेकिन लालू जी, आप तो यूपीए के साथ इतने सालों से हैं।"

"देखो, ई साला लोग का बात नै करो। आ ऊ लोग से हमरा कोई बास्ता नै है अब"; लालू जी फिर भड़क गए।

उनकी भड़क से अरनब गोस्वामी एकबार के लिए चुप हो गए। आगे बोले; "आप मुझे गलत समझ रहे हैं लालू जी। मैं आपके सालों की बात नहीं कर रहा था। मैं तो आपको रिमाइन्ड कर रहा था कि आप यूपीए के साथ इतने सालों से थे।"

वे बोले; "आछा ऊ बात कह रहे थे? देखो, हम यूपीए का साथ एही खातिर हैं कि हम सोनिया जी का बड़ा ईजत करते हैं। आ नै रहेंगे त केंद्र में फ्रिकापरस्त ताकत, सांप्रदायिक ताकत आ जाएगा।"

खैर काफी मान मनौव्वल के बाद लालू जी आने के लिए राजी हो गए। समारोह कब होगा, कैसे होगा, कौन आयेंगे यह सब फाइनल हो गया। टाइम्स नाऊ पर विज्ञापन आने लगे। उन विज्ञापनों को देखकर राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया; "महाराष्ट्रा इज रीलिंग अंडर ड्राऊट ऑफ़ द डबल सेंचुरी बट पीपुल आर ओर्गेनाइजिंग गुझिया कम्पीटीशन। कांट वी डू विदाऊट सच ...ऑर इज इट अस्किंग टू मच?"

उनकी इस ट्वीट पर अरनब गोस्वामी ने एक न्यूज-आर कर डाला और विनोद मेहता, कुमार केतकर, आर्यमा सुन्दरम, लार्ड मेघनाद देसाई, सुहेल सेठ, मारूफ रज़ा और पाकिस्तानी एक्सपर्ट ज़फर हिलाली के साथ मुद्दे को डिस्कश करके इस नतीजे पर पहुंचे कि भारत के लोकतंत्र में उनके मीडिया हाउस के योगदान को देखते हुए यह गुझिया कम्पीटीशन आयोजित करने का अधिकार उनके पास है।

कम्पीटीशन के दिन रामलीला मैदान में बड़ी भीड़ थी। दर्शक, पुलिस, जेड केटेगरी सिक्यूरिटी, नेता, नारे, बेचारे और चौबारे, सब एक जगह जमे थे। कम्पीटीशन शुरू होने वाला था। हर पार्टी की तरफ से एक नेता कम्पीटीशन में हिस्सा ले रहा था लेकिन उसे चीयर करने के लिए उसके पार्टी के और नेता वहां थे। उधर विशेषज्ञों का दल भी वहां था जिसे नेताओं की गुझिया देखकर उन्हें नंबर देना था। भारत के सबसे बड़े एक्सपर्ट सुहेल सेठ थे। उनके साथ आर्यमा सुन्दरम थे। चूंकि कम्पीटीशन दिन में था और विनोद शर्मा अपना ड्रिंक दिन में सिप नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने जूरी में रहने से इनकार कर दिया था।

कुल मिलाकर भारत दर्शन टाइप माहौल की सृष्टि हो गई थी।

हरतोष सिंह बाल थे। अरनब गोस्वामी के हाथ में माइक था। उन्होंने ऐन्करीय धर्म का पालन करते हुए श्रीगणेश किया; "लेडीज एंड जेंटिलमैन, इट्स होली टाइम एंड टूनाईट ऑन न्यूजआवर ........."

अभी उन्होंने इतना ही कहा था कि लालू जी बोल पड़े; "आरे ई तुम गोझिया कम्पीटीशन कर रहा है कि अपना रात वाला प्रोग्राम चला रहा हैं? हे अरनब, अरे इधर इधर ... आ इहाँ टीबी पर नै न हो। इहाँ त कम्पीटीशन न कराना है ..."

उनकी बात सुनकर अरनब जी लजा टाइप गए। बोले; "लालू जी क्या करें, आदत पड़ गई है।'

लालू जी बोले; "आ देखो, तुम लोग हम लोग के त बोलता है ..हमलोग के देखो, चुनाब परचार में एतना बोलता है चुनाब जीतने के बाद संसद में बोलते सुना है हमलोग को?"

अरनब गोस्वामी बोले; "सॉरी लालू जी।"

आगे बोले; "लेडीज एंड जेंटलमैन, जैसा कि आपसब जानते हैं हमारे चैनल ने इस गुझिया कम्पीटीशन को ऑर्गेनाइज किया है ताकि भारत में लोकतंत्र मजबूत हो सके और नेक्स्ट ईयर होने वाले एलेक्शन की फील मिल सके कि कौन सी पार्टी क्या करने वाली है ..."

अभी वे इतना बोले थे कि बीजेपी के रविशंकर प्रसाद बोले; "माई गुड फ्रेंड अरनब गोस्वामी, लेट मी टेक दिस ऑपरच्यूनिटी टू थैंक यू एंड योर चैनल फॉर ऑर्गेनाइजिंग दिस कम्पीटीशन ...और अरनब, यह कम्पीटीशन आयोजित करके टाइम्स नाऊ की टीम ने एकबार फिर से साबित कर दिया कि पिछले आठ-नौ वर्षों में देश में जो भी जो कुछ भी अच्छा हुआ है वह केवल टाइम्स नाऊ ने किया है।"

उनकी इस बात पर कहीं से आवाज़ आई; "पिछले नौ वर्षों का तो नहीं पता लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों में अर्नब ही भारत की एक मात्र अपोजीशन पार्टी रहे हैं।"

रविशंकर प्रसाद की बात पर लालू जी बोले; "आ आपलोग भी त अपोजिशने में थे, आपने काहे कुछ आछा नहीं कर दिया?"

रविशंकर प्रसाद बोले; "लालू जी की मैं बड़ी इज्ज़त करता हूँ लेकिन मैं कहना चाहूँगा कि हमारी पार्टी ने पिछले नौ वर्षों में कन्स्ट्रक्कटिव अपोजीशन की भूमिका का निर्वाह किया है और एक नहीं कई बार गुझिया बनाया है। और यही नहीं, जब भी यूपीए ने घटिया गुझिया बनाई, हमारी पार्टी ने उसे नहीं खाया।"

लालू जी ने में पूछा; "आ कह त ऐसे रहे हैं जैसे अपोजीशन में रहकर भारत को गोझिया से भर दिए हैं। कौन जगह गोझिया का महल कन्स्ट्रक्ट किये तानी हमें भी बताइए?"

अरनब ने देखा कि मामला फिसल रहा है तो बोले; "प्लीज प्लीज लालू जी, आई विल नॉट अलाऊ दिस कम्पीटीशन टू गेट पौलिटीसाइज्ड। हमें गोझिया के इश्यू पर ही रहना चाहिए।"

उधर बी जे पी की तरफ से भाग ले रहे नरेन्द्र मोदी जी ने गुझिया बनाना शुरू भी कर दिया था। उनके पास पहुंचकर अरनब ने ध्यान से सबकुछ देखा और बोले; "मोदी जी, सुना है आपकी पार्टी का एक फैक्सन नहीं चाहता था कि आप इस कम्पीटीशन में भाग लें। हमारे सोर्सेस तो यहाँ तक बताते हैं कि संघ के कुछ लोगों ने आपके द्वारा यहाँ यूज किया जाने वाला मैदा भी कहीं चुराकर रखा दिया था ताकि आपके हाथ न आये और आप गुझिया न बना सकें। उधर शिवसेना वाले भी चाहते थे कि सुषमा जी यहाँ ......"

मोदी जी बोले; "मित्रों, मैं कुछ करने में विश्वास रखता हूँ। मित्रों मैं गुझिया बनाता हूँ, उसे बनाने के सपने नहीं देखता। और मेरा कर्त्तव्य मुझसे यह कहता है कि मैं छ करोड़ गुजरातियों के लिए गुझिया बनाऊँ। वैसे मैं पार्टी का सिपाही हूँ और पार्टी जहाँ चाहेगी मैं वहां गुझिया बनाने के लिए तैयार हूँ। मुझे तो आश्चर्य होता है मित्रों कि आपके पास ये अफवाहें आती कहाँ से हैं?"

उनकी बात सुनकर केतकर बोले; "मोदी जी, ये अफवाहें नहीं हैं। ये सच है। और फिर पूरा भारतवर्ष, इन्क्लूडिंग तीश्ता सेतलवाड और संजीव भट्ट, यह मानता है कि आप जिस तरह की गुझिया बनाते हैं, वह पूरे भारतवर्ष को पसंद नहीं आएगी।"

मोदी जी बोले; "मेरे मीडिया के मित्र ऐसा मानते होंगे लेकिन ये बात सच नहीं है। मेरी बनाई गुझिया हर गुजराती को पसंद है। और मित्रों, मेरे गुजरात की गुझिया तो अब यूरोप तक जाती है। सिंगापुर तक जाती है। आपको जानकार आश्चर्य होगा मित्रों कि आज से बारह साल पहले तक गुजरात में गुझिया बहुत कम मात्रा में बनती थी। मैंने इस बारे में एक प्रयास किया। मैंने मेरे गुजरात के अफसरों के साथ मिलकर ऐसा प्रोग्राम बनाया जिसके तहत मित्रों गुझिया बनाने का मसाला से लेकर पानी तक, उस जगह पर उपलब्ध करवाया जहाँ मैदे की मिलें है। इसका फायदा यह हुआ मित्रों कि हर चीज एक ही जगह .... और आज मेरा गुजरात पूरे विश्व में गुझिया के लिए जाना जाता है। ...मित्रों आज से एक वर्ष पहले की बात है, मेरे पास एक आदमी आया। बोला साहब, हमें नवसारी में गुझिया बनाने का कारखाना खोलना है। मैंने कहा ......"

वे बोल रहे थे कि लालू जी ने उन्हें टोक दिया। बोले; "आ बस कीजिये। भार्टन के लिए जो लेक्चर का तइयारी किये थे ऊ एहीं डेलिभर कर देंगे का?"

यह सुनकर सब हंसने लगे। सुषमा स्वराज ने कहा; "अध्यक्ष जी, मैं ऐसा मानती हूँ कि संसद में केवल गुझिया पर बात हो। व्यक्तिगत आक्षेपों के लिए संसद के मंच का प्रयोग वर्जित किया जाना चाहिए।"

लालू जी बोले; "आ ए सुषमा जी, बिपच्छ का नेता रहने का एतना आदत पड़ गया है कि ई भी भूल गई हैं आप इहाँ कम्पीटीशन में हैं, संसद में नहीं। अइसा आदत पड़ जाएगा त रह जाएँगी विपच्छ में ही। आ उप्पर से मोदी जी रेसकोर्स रोड में गोझिया बनाना त दूर प्रगती मैदान में भी नहीं बना पायेंगे।"

उनके बात सुनकर मोदी जी बोले; "मित्रों, मेरा विश्वास गुझिया बनाने में है। वह रेसकोर्स रोड में बने या प्रगति मैदान में, मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। और मैं तो कहता हूँ मित्रों कि हमें केवल गुझिया के विकास की ही बात करनी चाहिए। हम कबतक पुराने तरीके से गुझिया बनाते रहेंगे? मित्रों, मेरे गुजरात ने पूरे देश को विकसित गुझिया बनाने का रास्ता दिखाया है। मेरे गुजरात ने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। मित्रों आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि जब यूरोपियन यूनियन के राजदूत ने हमारे अहमदाबाद की गुझिया का रंगरूप देखा तो वे आश्चर्य में पड़ गए। कहने लगे ....."

अभी वे इतना बोले थे कि कुमार केतकर कुछ कहने लगे। ऐसे में अरनब गोस्वामी ने मोदी जी को रोकते हुए कहा; "मोदी जी, मोदी जी, कुमार केतकर वांट्स टू रिबट यू। गो अहेड मिस्टर केतकर।"

कुमार केतकर बोले; "मोदी जी, आप तो ऐसा कह रहे हैं कि आपके आने के बाद ही गुजरात में अच्छी गुझिया बननी शुरू हुई। इतिहास गवाह है कि गुजराती श्रीकृष्ण के जमाने में, याने द्वारिका नगरी के समय से ही अच्छी गुझिया बनाते रहे हैं। और फिर जहाँ तक गुजरात के बाहर दिल्ली का सवाल है तो मैं अभी भी मानता हूँ कि श्रीमती गांधी सबसे बढ़िया गुझिया बनाती थी। मुझे तो इमरजेंसी के समय में भी उनकी बनाई गुझिया बहुत पसंद आई थी। मैं उन चाँद पत्रकारों में से हूँ जो आज भी यह मानते हैं कि उसके बाद उतनी बढ़िया गुझिया पूरे भारत में कहीं नहीं बनी।"

अभी वे यह कह हे रहे थे कि नितीश कुमार जो अपनी पार्टी को रिप्रजेंट कर रहे थे और स्पेशल बिहारी गुझिया बना रहे थे उन्होंने केतकर को टोंक दिया। बोले; "आ पता है कैसी गोझिया बने थी उन्होंने। आप जैसे लोगों की बजह से ही उनकी पूरी गोझिया तेल में डूबी रहती थी। मुझे भी पता है सबकुछ। मैंने भी उसी क्रांति से ही गोझिया बनाना शुरू किया। जैप्रकाश बाबू के साथ हमने गांधी मैदान पटना से ही गुझिया का मसाला सब इकठ्ठा किया आ दिल्ली आते-आते गोझिया तल डाली। ये बात औउर है कि कुछ और मित्र जो जैप्रकाश बाबू से गोझिया बनाना सीखे थे, अब भूल गए हैं और बहुत ज्यादा तेल वाली गोझिया बनाने लगे हैं।"

उनकी बात सुनकर लालू जी बोले; "जादा तेल बाला गोझिया जो है ऊ फ्रिकाप्रस्त गोझिया से तो नीक ही है। आ आप बीच में रास्ता भूलकर ऐसे लोगों के साथ रसोईया शेयर करने लगे जो गोझिया में भी केसर इस्तेमाल करता है। समाजवादी होकर भी आप केसरिया गोझिया खाने लगे। इसका बारे में काहे नै सोचते कभी? आ ई सोचे है कि पराचीन भारत से ही गोझिया में कभी केसर नहीं पड़ता था?"

उनकी बात सुनकर वहीँ खड़े सुशिल कुमार शिंदे बोल पड़े; "यह तो मैंने अखबारों में पढ़कर देश को बताया ही था कि बीजेपी और आरएसएस वाले केसरिया गुझिया बनाने का कैम्प चलाते हैं। और केसरिया गुझिया के कैम्प की बात दिग्विजय सिंह ने भी की थी।"

रविशंकर प्रसाद बोले; "मैं माननीय लालू जी से पूछना चाहता हूँ कि प्राचीन भारत के समय से ही गुझिया के मसाला में जो गरी काटकर डाली जाती थी वह रंगी नहीं जाती थी। यहीं देख लीजिये कि इन्होने जो मसाला यहाँ रखा है उसमें इस्तेमाल होने वाली गरी को इन्होने हरे रंग में रँग दिया है।"

........आगे का हाल अगले एपिसोड में।

17 comments:

  1. Is post ka to mein intzaar kar rahi thi...aage ka episode shayad bata de kon competition se pull out ya walk out kar gya aur kon haarkar bhi jeet gaya....baki to sab Arnab par hai kya dikhana kya nahin :)

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  2. कितनी ही पार्टियों का प्रतिनिधित्व अभी बाकी है, अगले एपिसोड से काम नहीं चलने वाला, एपिसोड्स कहिये :)

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  3. खूब गुझिया बना डाली मजाक मजाक में।

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  4. मायावती की गुझिया कहाँ रह गई ...

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  5. कितना कुछ भर गया होगा गुजिया में, खाने को तो २०१४ में ही मिलेगी।

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  6. हमेशा की तरह लाजवाब पोस्ट ... गुझिया का तो बहाना था, सबकी जम के क्लास ले ली गयी | चूँकि आप ने अगला एपिसोड की आस बंधा दी हैं ..वरना मुलायम सिंह जी को मिस किया गया |

    फरवरी महिना नाराज़ हैं उम्मीद करते हैं बारहों महीने के साथ कम से कम १ पोस्ट के साथ न्याय किया जायेगा :)

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  7. गुझियां का चित्र देखकर मुँह में पानी आ रहा है, लगता है इस होली पर नहीं मिलेगी खाने को। अच्‍छी बन रही है गुझियां, जारी रखिए।

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  8. उम्दा स्वाद है आपके होली स्पेशल गुजिया का. आशा है,मास्टर शेफ के अगले एपिसोड में और दमदार प्रतियोगी जैसे ममता, मुलायम,माया,जया,अ‍डवाणी के साथ-साथ अन्य कई फ्रिंज प्रतियोगियों को जैसे, रेणुका,मनीष तिवारी, अभिषेक सिंघवी,दिग्गी, कनीमोझी, लोगों को भी शामिल कर आप कृतार्थ होंगे!

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  9. गुझिया मुआयम होनी चाहिये। मनु-भोग मैदे की नहीं होनी चाहिये और फ्रिकापरस्त चिरौंजी तो उसमें तो नहिये होनी चाहिये!

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  10. ई एक चुटकी से हमारा क्या होगा ... ?? जीभ छुछुआ के रह गया ...
    जल्दी से बाकी पलेट हाजिर किया जाए ... ध्यान रहे, कोई न छूटने पाए !!!!

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  11. बाकी नेतवन सब के इनभाईट नहीं किये? :)

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  12. This is Timsi and th picture is from ou kitchen in Durham? Right??

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  13. अच्छी प्रस्तुति...होली की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  14. ये गुजिया और उसके मसाले है क्या चीज़? बड़ी ही मायापुरी टाइप लगा पढ़ कर. हर नेता के बात करने के ढंग को बारीकी से पकड़ा गया है.... लालूजी को तो तरीके से बर्बाद किया गया है :) मज़ा आ गया पढ़ कर। अगले भाग के इंतज़ार में ...

    आशीष

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  15. ये गुजिया और उसके मसाले है क्या चीज़? बड़ी ही मायापुरी टाइप लगा पढ़ कर. हर नेता के बात करने के ढंग को बारीकी से पकड़ा गया है.... लालूजी को तो तरीके से बर्बाद किया गया है :) मज़ा आ गया पढ़ कर। अगले भाग के इंतज़ार में ...

    आशीष

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  16. Ath shri Gujia puran. Wah kya swad!

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय