Show me an example

Monday, March 28, 2011

साल २०१५ के भारत संबंधी विकिलीक्स


@mishrashiv I'm reading: साल २०१५ के भारत संबंधी विकिलीक्सTweet this (ट्वीट करें)!

जब से विकिलीक्स द्वारा खुलासे करने का श्रीगणेश हुआ है तब से बाकी मीडिया ने खुलासे से अपना पल्ला झाड़ लिया है. विकिलीक्स के पास भी इतना केबिल्स है जिसे पढ़ कर लगता है जैसे पूरी दुनियाँ में फैले अमेरिकी डिप्लोमैट केबिल लिखने के अलावा और कुछ करते ही नहीं. शाम को किसी नेता, ब्यूरोक्रेट, मंत्री, संत्री, पत्रकार, कलाकार, लोबीयिस्ट वगैरह से बात की और दूसरे दिन ही अमेरिका में बैठे अपने लोगों को केबिल ठेल दिया. एक बात और समझ में आती है कि पूरी अमरीकी विदेश-नीति केबिलों पर चल रही है. ठीक वैसे ही जैसे करेंट केबिलों पर चलता है. जैसे-जैसे ये केबिल अखबारों में छाप रहे हैं वैसे-वैसे न जाने कितनों को करेंट लग रहा है.

मैं मार्च नहीं मना रहा हूँ. अब मार्च में जब भारतीय मार्च नहीं मनायेगा तो वह कुछ न कुछ सोचेगा. आज सोच रहा था कि अगर ऐसे ही विकिलीक्स केबल्स पब्लिश करता रहा तो क्या होगा? देखेंगे कि साल २०१५ में तमाम केबिल्स छापे जायेंगे तो साल २०१० या साल २०११ की घटनाओं से सम्बंधित होंगे. क्या नज़ारा हो सकता है?

अब जैसे साल २०११ में जो खुलासे हो रहे हैं वे राजनीति से जुड़ी हुई बातें, पॉलिसी, बातचीत वगैरह-वगैरह सम्बंधित हैं. ऐसे में साल २०१० और २०११ में जो भी भारतीय नेता, ब्यूरोक्रेट, सेक्रेटरी, लेखक, पत्रकार वगैरह अमेरिकी डिप्लोमैट्स से बात करेंगे वे राजनीतिक कम और बाकी मुद्दों पर ज्यादा होंगी. क्या-क्या बातें हो सकती हैं? एक नज़र मारिये. अरे, मेरा मतलब इधर नीचे नज़र मारिये; (अब मैं हिंदी में लिखता हूँ इसलिए उस समय पब्लिश होने वाले केबल्स के हिंदी अनुवाद छाप रहा हूँ....)

केबिल संख्या २५७७१३ तारीख १३.०२.२०११

"भारतीय सरकार पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट और जनता का बहुत दबाव पड़ रहा है. सरकार, उसके मंत्री और मुखिया की सुप्रीम कोर्ट में, ब्लाग्स और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर रोज ऐसी-तैसी हो रही है. वैसे कल अमेरिकी राजनयिक ने बातचीत में राहुल गांधी ने बताया कि बस पाँच दिन की बात है. उन्नीस फरवरी से क्रिकेट वर्ल्ड कप शुरू हो रहा है तो चीजें कुछ हद तक कंट्रोल में आ जायेंगी. जैसे ही पूरा देश करप्शन एक्सपर्ट से क्रिकेट एक्सपर्ट बना नहीं कि मामला हमारे लिए ईजी हो जाएगा. वर्ल्ड कप के बाद आई पी एल भी है. साल २००९ में तो चुनावों के बहाने हमने आई पी एल को सुरक्षा की गारंटी न देते हुए दक्षिण अफ्रीका पहुँचा दिया था लेकिन इस बार तो डबल सुरक्षा देंगे जिससे आई पी एल भारत में रहे. वैसे इस बार भी पाँच राज्यों में चुनाव रहे हैं लेकिन हम इस बार आई पी एल को जेड कैटगरी की सुरक्षा देंगे. यह हमारी सरकार के लिए ज़रूरी है. इधर एक महीना से ज्यादा वर्ल्ड कप राहत दे देगा उसके बाद एक महीना आई पी एल. सुना है उसके बाद वेस्टइंडीज का दौरा है. ऐसे में....."

केबिल संख्या २५७८०९ तारीख २५.०२.२०११

"अमेरिकी दूतावास में कार्यरत अधिकारी, पीटर स्कॉट के साथ शाम को व्हिस्की की चुस्कियां लेते हुए एक प्रसिद्द पत्रकार वहीद लखवी ने बताया था कि राहुल गाँधी को मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए गाना बहुत पसंद है. कांग्रेस की एक इनर सर्किल जो राहुल के बहुत करीब है, ने खुद बताया कि राहुल ने फिल्म दबंग छत्तीस बार और यह गाना चौरासी बार......"

केबिल संख्या २५७९१६ तारीख २५.०३.२०११

"भारतीय मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के पॉलिट-ब्यूरो के कई सदस्यों का मानना है कि अमेरिका ने भारतीय क्रिकेट टीम के ऊपर दबाव डाला कि वो अच्छा खेलकर सेमीफाइनल में पहुंचे ताकि पाकिस्तान और भारत के प्रधानमंत्री मैच देखने के बहाने मुलाकात कर सकें. मार्क्सवादियों को इस बात से गुरेज नहीं था कि दोनों देशों के प्रधानमंत्री मिलें बल्कि वे इस बात से नाराज़ थे कि अमेरिका अब भारतीय क्रिकेट में भी दखलंदाजी करने लगा है..."

केबिल संख्या २५७७६९ तारीख १८.०२.२०११

"दूतावास में काम करने वाले एक भारतीय कर्मचारी को कांग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी ने बताया कि राहुल गाँधी अपने पिता के कदमों पर चलकर अपनी ईमानदारी को अमर करना चाहते थे. जैसे उनके पिता ने पच्चीस साल पहले यह कहकर अपनी ईमनदारी को अमर कर लिया था कि आम आदमी के लिए सरकार से चलने वाला एक रुपया आम आदमी तक पहुँचते-पहुँचते पंद्रह पैसा रह जाता है उसी प्रकार राहुल ज़ी भी कुछ करना चाहते थे. राहुल का मानना था कि पच्चीस साल पहले कही गई बात को अब रिवाइज करके एक बार फिर से प्रेस और जनता से अपनी ईमानदारी पर मुहर लगवा लिया जाय लेकिन आम आदमी तक पहुचने वाले पैसे पर कांग्रेस वर्किंग कमिटी में सहमति नहीं हो सकी.

राहुल ज़ी चाहते थे कि अपने पिता द्वारा दिए गए फिगर यानि पंद्रह पैसे को रिवाइज करके अब पाँच पैसा कर दिया जाय लेकिन वित्तमंत्री मुखर्जी और गृहमंत्री सात पैसे से नीचे आने पर सहमत नहीं हुए. बाद में मामला यह कहकर टाल दिया गया कि प्रधानमंत्री एक ज़ीओएम बनायेंगे जो एक सहमति बनाने की कोशिश करेगा.."

केबिल संख्या २५७९६१ तारीख ०२.०४.२०११

"विदेश मंत्रालय के एक सचिव ने पीटर स्कॉट को बताया कि चंडीगढ़ में सेमी फाइनल देखने आये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के खाने के मेन्यू को लेकर मंत्रिमंडल में अंतिम समय तक असहमति बनी रही. जहाँ गृहमंत्री चाहते थे कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को पंजाबी खाना खिलाया जाय वहीँ विदेशमंत्री कृष्णा चाहते थे कि उन्हें पुर्तगाली खाना परोसा जाय. बाद में विदेश सचिव अनुपमा राव ने सुझाव दिया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के लिए अफगानी और बलोची खाना परोसना ठीक रहेगा. वैसे जब प्रधनमंत्री श्री मनमोहन सिंह से इस बाबत सवाल पूछा गया तो उन्होंने गब्बर सिंह 'इश्टाइल' में कहा - हमको नहीं पता. हमको कुछ नहीं पता.."

केबिल संख्या २५७९८७ तारीख ०५.०४.२०११

"कांग्रेसी नेता जयन्ती नटराजन ने अमेरिकी दूतावास के एक सेक्रेटरी के साथ अपनी बातचीत में बताया कि तमिलनाडु विधानसभा के चुनावों में चुनाव प्रचार को एक नया मोड़ देने के लिए कांग्रेस ने करीब साठ हज़ार कार्यकर्ताओं का एक समूह तैयार किया है जो डी एम के और ए आई डी एम के की रैलियों में घुसकर इन पार्टियों द्वारा प्रदेश के पुरुष वोटरों को भाव न दिए जाने पर नारा लगाएगा. यह समूह अपनी मांग में यह कहेगा कि राजनैतिक पार्टियाँ राज्य के पुरुष वोटरों के लिए फ्री शेविंग क्रीम और रेजर का वादा करें. साथ ही पुरुष मतदाताओं के लिए लुंगी और चन्दन की डिबिया की भी डिमांड रखेगा..."

केबिल संख्या २५७९२७ तारीख २८.०३.२०११

"साल २०११ के वर्ल्ड कप सेमी फाइनल में भारत के पहुँचने के क्रेडिट के लिए तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई है. जहाँ मार्क्सवादी सेमी फाइनल में भारत के पहुँचने के लिए अमेरिकी दबाव को जिम्मेदार मानते हैं वहीँ भारतीय जनता पार्टी इसके लिए नरेन्द्र मोदी को क्रेडिट दे रही है. बी जे पी का मानना है कि क्वार्टर फाइनल में गुजरात क्रिकेट एशोसियेशन के अध्यक्ष्य के रूप में मोदी ने ऐसी पिच बनवाई जिससे ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग धरासायी हो जाए. वहीँ कांग्रेस का मानना है कि क्वार्टर फाइनल से पहले राहुल गाँधी ने भारतीय क्रिकेट टीम को शुभकामना संदेश भेजा था जिससे टीम जीत गई. चेयरमैन ऑफ सेलेक्टर्स इसके लिए मुनफ पटेल द्वारा अपने पूरे ओवर्स नहीं करने को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीँ भारतीय क्रिकेट प्रेमी क्वाटर्स फाइनल में नेहरा के नहीं खिलाये जाने को टीम की जीत के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. बड़ी बमचक मची हुई है. पता नहीं चल रहा कि क्रेडिट कहाँ जाएगा और कैश कहाँ..."

केबिल संख्या २५७७०६ तारीख २४.०३.२०११

"संसद में बहस के दौरान विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री से एक-दूसरे पर शेरों से हमला किया. जहाँ विपक्ष के नेता ने हमले के लिए इकबाल के शेर का इस्तेमाल किया वहीँ प्रधानमंत्री श्री सिंह ने ग़ालिब के शेर का इस्तेमाल किया. खबर यह भी है कि संसद में शेर कहने के तीन घंटे बाद प्रधानमंत्री श्री सिंह को कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद ग़ालिब के उस शेर का मतलब समझाते हुए देखे गए. अन्दर की खबर यह है कि बाद में प्रधानमंत्री ने माना कि उनके द्वारा कहा गया शेर उस मौके पर मैच नहीं कर रहा था. लेकिन फिर वही बात है कि - कमान से निकला हुआ तीर और मुँह से निकला हुआ शेर कभी वापस नहीं आते.."

केबिल संख्या २५८१०३ तारीख ०७.०४.२०११

"पश्चिम बंगाल में भी चुनाव हो रहे हैं लेकिन वहाँ पर तमिलनाडु की तरह वोटरों को मिक्सर, टीवी, मंगलसूत्र, मिनरल वाटर, फ्रिज, लैपटॉप, चावल, गेंहू ऑफर नहीं किया जा सका है. बाकी देश के लोग़ यह अनुमान लगा रहे हैं कि तमिलनाडु की पार्टियों द्वारा ऑफर किये गए सामानों की तरह पश्चिम बंगाल की पार्टियों ने क्या ऑफर किया?

कोलकाता स्थित डिप्टी हाई-कमीशन के एक स्टाफ से बात करते हुए एक वरिष्ट बांग्ला पत्रकार ने बताया कि पश्चिम बंगाल में पार्टियाँ वोटरों को ऐसे स्कूल ऑफर कर रही हैं जिनमें नारे लिखने, हड़ताल करने और राज्य को बंद करने की शिक्षा दी जायेगी.."

केबिल संख्या २५७९२८ तारीख २८.०३.२०११

"आज एक भारतीय चैनल ने हिंदी फिल्म तीस मार खान एक ही दिन में दो बार दिखाई. सोशल नेटवर्किंग साईट ट्विटर पर कुछ ट्वीटबाजों का मानना है कि यह २६/११ के बाद भारत पर हुआ सबसे बड़ा असॉल्ट है. भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि ट्वीटबाजों द्वारा किये गए इस खुलासे को पाकिस्तान के मंत्री रहमान मलिक ने बहुत सीरियसली लिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री श्री गिलानी को सुझाव दिया है कि वे चंडीगढ़ में मैच देखने के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए प्रधानमंत्री श्री सिंह से सवाल करें कि वे इस असॉल्ट के ऊपर भी कार्यवाई कर रहे हैं या नहीं?"

20 comments:

  1. 'केबिल संख्या २५७९६१ तारीख ०२.०४.२०११' - "विदेश सचिव अनुपमा राव ने सुझाव दिया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के लिए अफगानी और बलोची खाना परोसना ठीक रहेगा." -- यही सुझाव ठीक है.. :)

    ReplyDelete
  2. खूब , बहुत खूब...

    ReplyDelete
  3. अब ब्लॉगिंग का खतना हुआ समझो.

    ReplyDelete
  4. @Mishrashiv ji ..
    Aapka Vyangya .. Kinchit Uttar Bharat mein sthit , Un mahanubhavo key masyishq mein yadi utar jaye , to .. Prem Chand ka Jabru .. Poos ki Raat mein apney Paalak ko prasanna chit evam swasth dekhney ki chestha kar sakta hai

    Ati uttam kriti .. Man prasanna evam Hasya se lot pot ho utha .. Dhanyawad
    VenuG
    @kvenugopalmenon

    ReplyDelete
  5. @mishrashiv ji

    Aapka sarahniya blog padha .. Samjha .. Evam grahan kiya
    Yadi blog mein varnit mahanubhavo ko is Vyangya sey kuch seekh Miley to .. Munshi PremChand ka Jabru apney Paalak ko , swasth evam kushal dekhney ki chestha kar sakta hai
    Ati uttam
    Tamil Nadu evam Bangali Chunav Atyachar Samhita ka varnan bahut achcha Laga
    Dhanyawad
    VenuG
    @kvenugopalmenon

    ReplyDelete
  6. इतना केबल है तो फिल्में बनाने की क्या आवश्यकता?

    ReplyDelete
  7. narayan.........narayan......narayan.........

    sara de-coding kar ke dhar patke hain.....shiv...shiv..shiv..


    pranam.

    ReplyDelete
  8. एकदम बिंदास रहा..

    ReplyDelete
  9. ` कांग्रेस की एक इनर सर्किल जो राहुल के बहुत करीब है, ने खुद बताया कि राहुल ने फिल्म दबंग छत्तीस बार और यह गाना चौरासी बार......"

    2015 में बवाल मचा है कि शीला ने क्या किया था और उसके लीक क्यों छुपाए जा रहे हैं :)

    ReplyDelete
  10. मुझे तो शक है कि कहीं आप ही ने तो केबल लिख कर विकीलीक्स वालों को नहीं दिये...
    :)

    ReplyDelete
  11. बहुत खूब! दुर्योधन को विकीलिक्स की सुविधा से क्यॊं वंचित रखा है अभी तक आपने। :)

    ReplyDelete
  12. हमें तो खुलासों से मतलब ... अब वो चाहे दुर्योधन की डायरी हो हा असान्जे का विकिलीक्स .. :D

    ReplyDelete
  13. वाह ! नारे लिखने, हड़ताल करने और राज्य को बंद करने की शिक्षा तो कमाल की है. कॉरेस्पोंडेंस से भी होगा क्या?

    ReplyDelete
  14. पता नहीं चल रहा कि क्रेडिट कहाँ जाएगा और कैश कहाँ..."

    एक से बढ़कर एक चुटीले व्यंग्य बाणों का भण्डार है तुम्हारे पास...छोड़ते हो तो सीधे मन मस्तिष्क तक पहुँच इसे आनंद रस में निमग्न करा जाते हैं..


    आनंद आ गया....लाजवाब...

    ReplyDelete
  15. पुराना पोस्ट पढ़ने का मजा ही अलग होता है. पुराने अखबार के कतरनों की तरह.

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय