Show me an example

Wednesday, June 20, 2012

राष्ट्रपति चुनाव बमचक - एक ट्विटर टाइम-लाइन.




जैसा कि होता है. हर मुद्दे की तरह राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर भी बड़ी बमचक मची हुई है. मुलायम सिंह जी ने ममता दी को धोखा दे दिया. ममता दी ने धोखा ले लिया. उधर शिवसेना और जेडीयू ने बी जे पी को धोखा दे दिया. बी जे पी ने भी ले लिया. सबने मिलकर डॉक्टर कलाम को धोखा दे दिया. धोखा लेन-देन का कार्यक्रम लगातार चलता जा रहा है. सबकुछ देखकर मन में आया कि मुलायम सिंह जी के धोखा देने के बाद अगर ममता दी की ट्विटर टाइम-लाइन दीखती तो कैसी दीखती?

शायद कुछ ऐसी:


Mamta Banerjee @DialMforMamta                                                                                     
What Mulayom Singh did will prove to be detrimental to Indian democracy in future.

@DialMforMamta देखिये हामे जो किया वोई ओकतन्त्र के इये अच्छा था। हामे जो है कुछ बुआ नईं किया।

Mamta Banerjee @DialMforMamta                                                                                                 
@Soft_Lion  ei ki? Eta ki bhasha? Mone hoy Hindi te likhe chhe..Mulayom ji, let me first get the trans-lesson of whatever you have written.

Mulayam Singh @Soft_Lion                                                                                                
@DialMforMamta अ इजिये कअ इजिये। हमें जो ऐ ... कोई आपत्ति नईं ऐ।

@Soft_Lion No no, Mulayom ji, I don’t agree with you. You see, @Official_kalam is people’s president, just like I am people’s Chief Minister. 

@DialMforMamta जन्ता के इए ई तो हम भी काम कअ अहें एं। हम सभी जन्ता के इए ई तो एं।

@DialMforMamta Telling @Soft_Lion such thing would not work. Don’t worry I have plan-B and if needed, I have Plan-C and Plan-D too. I am all for a Virat president.

Rashid Alvi @Ra.Shid
@Swamy39  Do whatever, you want to do but our pirdhanmantri is honest and he will not resign for coal scam. @DialMforMamta

@Ra.Shid We are talking about presidential election. First see what the subject is. Don’t behave like congi reptiles. @DialMforMamta

@Ra.Shid  Rosheed ji, please don’t tag me in your tweets. I don’t want to see a congressi on my TL. @Swamy39

@Swamy39 ई जोमुलायम सिन्ह जी किये हैं आ ऊ बिल्कुल ठीक किये हैं आ देश को सेकुलर प्रेसिडेन्ट . का जरूरत है। 
@Law-Lu-P  Lalu ji, I knew you would oppose me. You opposed me even when I was railways minister. Nothing new in it. @swamy39

@DialMforMamta  Don’t waste your energy by replying these people. I will soon come up with Plan-D.

Lalu Prasad  @Law-Lu-P @Swamy39  कह त आइसा रहे हैं जईसे कम्प्लान-डी है कि बाज़ार से खरीद लाये आ दे दिए दीदी को. @DialMforMamta
@Law-Lu-P  Oiisa hi somajhiye Lalu ji. Game is not over yet. @Swamy39

@DialMforMamta  देखेंगे ठाकुर केतना बार कहे कि नाऊ. ऊ हमरे बिहार में एगो किहनी है? ऊ बोले जजमान आगे ही गिरेगा आ गिन लीजिये। @Swamy39 @pranab_M
@Law-Lu-P  Please don’t tag me in your tweets Lalu ji. I have great regard for you but I am now a presidential candidate.@DialMforMamta @swamy39

A P J Abdul Kalam @official_kalam
@DialMforMamta  I believe, now this discussion is useless. I have decided not to contest. Now, repeat this three times with me; “I will not contest. I will not contest. I will not contest.” @swamy39 @Law-Lu-P

@DialMforMamta Mamta ji, now that @official_kalam has decided to not contest, may I request you to support me? @Swamy39

Mamta Banerjee @DialMforMamta
@Poor_No_S  First you should try get support of your party NCP then you ask for our support. @Swamy39

@Poor_No_S    After seeing such huge support for me, you still want to contest? I think, you will not get even 8% of total votes. @Swamy39 @DialMforMamta  

@pranab_M   Dada, I have great regards for u but y fixation with this figure of 8%? You are now presi candidate & not FM. @Swamy39 @DialMforMamta

@Poor_No_S  I have put all the evidences in public domain against @pranab_M. We demand a thorough enquiry into allegation of corruption. @Swamy39 @DialMforMamta

@Kejriwal_Arvind    This is ‘robbish’. I deny all charges. After this denial, there is no need for any enquiry. Post of president is supreme. @Swamy39 @DialMforMamta

@pranab_M   But how will our democracy survive without constituting an enquiry? @Swamy39 @DialMforMamta

@Kejriwal_Arvind  Democracy is also about presidential election. President is supreme. @Swamy39 @DialMforMamta

@pranab_M  First you said parliament is supreme. Now you say president is supreme. First decide who is supreme. @Swamy39 @DialMforMamta

@Kejriwal_Arvind   भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई में व्यक्तिगत आक्षेप करना उचित नहीं है। @Swamy39 @DialMforMamta @pranab_M

Arvind Kejriwal @Kejriwal_Arvind
@Yog_Kapalbhanti  Babaji, aap kaledhan ke mudde ke baad ab is mudde par bhi bolenge? Ab kya president bhi aap hi banwayenge? @Swamy39 @pranab_M @DialMforMamta

Baba Ramdev @Yog_Kapalbhanti
@Kejriwal_Arvind  हे हे हे। हम तो योगी हैं। ...भी सिखायेंगे, राष्ट्रपति भी बनवायेंगे और देश भी बचायेंगे। योग से कुछ भी हो सकता है। @Swamy39 @pranab_M

Rajdeep Sardesai @sardesairajdeep
Politicos can be wise, let’s see who will rise, to the post of president, even so, when you get loyalty on rent. Gnite!

Tuesday, June 5, 2012

बाबाओं को चरणस्पर्श




नेता जी ने बाबाजी के पाँव छू लिए. बाबाजी ने भी छुआ लिए. छु-छुआ कर दोनों धन्य हुए. त्रेता टाइप युग की घटना होती तो देवता लोग़ ऊपर से पुष्पवर्षा वगैरह भी कर देते लेकिन यह तो ठहरा कलियुग. ऐसा युग जिसमें जमाना हमेशा से खराब ही रहा है. लिहाजा पुष्पवर्षा का चांस नहीं बना. बाबा और नेता, दोनों को केवल धन्य होकर संतोष करना पड़ा. अब इस जुग में देवता कहाँ से आयेंगे? हमें भी यही सोचकर संतोष करना चाहिए कि हमारे नेता और हमारे बाबा लोग़ ही इस युग के देवता हैं. ऐसे में होना यह चाहिए था कि बाबा जी के कुछ लोग़ और नेता जी के कुछ लोग़ लोग़ पुष्प वगैरह बाज़ार से खरीद कर रखते और जैसी ही छुआ-छूत कार्यक्रम हुआ वैसे ही ये लोग़ एक-दूसरे के ऊपर पुष्पवर्षा कर डालते. हमारी संस्कृति की रक्षा भी होती और दोनों देवता पुष्प से नहा भी लेते.

नेताजी जी ने तो वैसे भी पाँव छूने के बाद घोषणा कर दी थी कि वे भारतीय संस्कृति की रक्षा का जिम्मेदारी पूर्ण कार्य कर रहे थे.

भारतीय संस्कृति की रक्षा के तमाम महत्वपूर्ण कर्मों में बाबाओं के पाँव छू लेना सबसे महत्वपूर्ण कर्म है जिसकी जिम्मेदारी बाबा और उनके भक्तों ने अपने कन्धों पर लाद रखी है. मैंने ऐसी अफवाह भी सुनी है कि अगर किसी बाबा का पाँव दो घंटे से ज्यादा समय तक न छुआ जाय तो वह हलकान च परेशान होने लगता है. कुछ लोग़ तो यहाँ तक बताते हैं कि कि ऐसे बिकट समय में बाबा लोग़ अपने चेलो-चपाटों को इशारा कर देते हैं और वे उनके पाँव छू लेते हैं ताकि बाबाजी का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहे. उधर चेलों ने पाँव छुआ और इधर बाबा की हलकानियत गई.

वैसे देखा जाय तो इस मामले में योगगुरु टाइप बाबा लोग़ बहुत लकी हैं. उन्हें कभी इसकी वजह से परेशानी नहीं उठानी पड़ती. वे योगशिविर में सुबह-शाम अपने पाँव खुद ही छूते रहते हैं.

बाबाओं के लिए पाँव छुआ लेना अपने आप में बड़ा एक्सपर्टात्मक कार्य है. ठीक वैसे ही जैसे पाँव छू लेना. इस कार्य में छूने और छुआने वाले, दोनों को हमेशा अलर्ट रहना पड़ता है. ठीक वैसे ही जैसे सीमा पर खड़ा सिपाही हमेशा अलर्ट रहता है. यह सोचते हुए कि उधर से कोई घुसने की कोशिश किया नहीं कि इधर से गोली दागनी है. कुल मिलाकर अब न चूक चौहान टाइप परिस्थिति हमेशा बनी रहती है. ऐसे में अगर पाँव छूने-छुआने की प्रैक्टिस होती न रहे तो मामला गड़बड़ा सकता है. जैसे अगर छूने वाले के मन में अचानक पाँव छूने की इच्छा जाग उठे तो छुआने वाले को चाहिए कि वह तुरंत अपना पाँव आगे कर दे. अगर वह इस क्षण में चूक जाता है तब कुछ भी हो सकता है. हो सकता है कि छूने वाले को लगे कि; "जब यही अपना पाँव छुआने में इंट्ररेस्ट ही नहीं दिखा रहा तो मुझे क्या ज़रुरत है आगे बढ़कर जबरदस्ती पाँव छूने की?" छूने वाले के मन में यह विचार भी आ सकता है कि; "हटाओ जाने दो. जो यह नहीं जानता कि पाँव कैसे छुवाया जाता है उसका पाँव छूकर भी क्या फायदा? दरअसल इसका पाँव छूने लायक ही नहीं है."

संस्कृति रक्षा के इस कर्म में बाबाजी लोग़ बड़े एक्सपर्ट होते हैं. कुछ बाबा तो बैठे-बैठे अपना पाँव फैलाकर आगे किये रहते हैं. एवर-अलर्ट टाइप. ऐसे बाबाओं को पाँव न छुए जाने का कष्ट कभी नहीं सताता. कोई न कोई उनका पाँव छूता ही रहता है. उन्होंने पाँव आगे कर दिया तो कर दिया. आनेवाले को झक मार के पाँव छूना ही पड़ेगा. अगर उसने ऐसा नहीं किया तो फिर बाबाजी से आगे की बात ही नहीं हो सकती. ऐसे बाबा से वार्तालाप भी पाँव छूने से ही शुरू होता है. कह सकते हैं कि छूने वाले के हाथ को ही वार्तालाप शुरू करना है और बाबा जी के पाँव को उस शुरुआत के लिए इशारा करना रहता है. पाँव का छुआ जाना या न छुआ जाना ही यह तय करता है कि वार्तालाप किस तरह का होगा? भक्त ने अगर पाँव छू लिए तो गारंटी है कि बाबा जी उसके बेटे चुन्नू और बेटी गुड़िया का कुशल-क्षेम और उनकी पढ़ाई के बारे में भी पूछेंगे लेकिन अगर पाँव छूने के मामले में भक्त चूक गया तो फिर कोई गारंटी नहीं कि बाबाजी उसके कुशल-क्षेम के बारे में भी पूछें.

लगातार विचरण करने वाले बाबा जी को अलग तरह से अलर्ट रहना पड़ता है. चलते समय वे अपना दाहिना पाँव आगे फेंकते हुए चलते हैं ताकि भक्त को उनका पाँव छूने में न तो कोई कष्ट हो और न ही असमंजस. बाबा जी का पाँव आगे है मतलब भक्त को छूने का सिग्नल मिल रहा है. ऐसा करने से भक्त को सुभीता रहता है. उसका सेवेंटी परसेंट असमंजस अपने आप चला जाता है. वह पहला मौका मिलते ही बाबा का पाँव छू लेता है. बाबा भी अपना हाथ भक्त के सिर पर रखकर उसके पाँव छूने का फल उसे तुरंत दे देते हैं. भक्त अगर पैसेवाला रहा तो उसे उठकर अपने हृदय से भी लगा सकते हैं. बाबा जी का यह कर्म निश्चित करता है कि दोनों के हृदय मिल जायें और एक बड़े हृदय की सृष्टि करें ताकि वह अपने अन्दर बहुत कुछ समो ले.

पाँव छूने के एवज में मिलनेवाले आशीर्वाद भी अलग-अलग तरह के होते हैं. जैसे बाबागीरी के धंधे में आया नया-नया बाबा हर भक्त के ऊपर हाथ रख देता है. वहीँ सीजंड बाबा उस पोज में केवल हाथ ऊपर कर देता है जिस पोज में हमारे देवतागण आशीर्वाद देते थे. बाबाजी अगर डबल-सीजंड हुए तो वह अपना हाथ भी नहीं उठाते. वे केवल मुस्कान में अपना आशीर्वाद मिक्स करके भक्त के लिए ठेल देते हैं और भक्त उसे रिसीव कर लेता है. ऐसे बाबाओं के भक्तों का रिसीवर हमेशा ऑन रहता है, यह सोचते हुए कि क्या पता बाबा कब मुस्कुरा दें? कुछ बाबा तो हमेशा मुस्कुराते रहते हैं. उन्हें देखकर लगता है कि चुटकुलों की रेडिओ तरंगें उनके कानों से हमेशा टकराती रहती हैं और उसके प्रभाव से बाबा मुस्कुराते रहते हैं. वैसे मैंने एक बाबा के बारे में यह सुना है कि वे आशीर्वाद स्वरुप भक्त के सिर पर अपना पाँव दे मारते थे. फिर भक्त चाहे प्रधानमंत्री ही क्यों न हो. एक और बाबा अपना आशीर्वाद देने के लिए अंडे की उल्टी करते थे. कड़ी मेहनत करके उल्टी करते और फिर जीवविज्ञान के तमाम सिद्धांतों को धता बताते हुए मुँह से अंडा निकालते और भक्त को दे देते थे. भक्त और बाबा दोनों धन्य हो लेते.

यह अलग बात है कि बाबा द्वारा इतना कठिन कार्य करने के बावजूद देवताओं ने कभी आकाश से पुष्पवर्षा नहीं की.

यह तो हुई बाबाओं की बात. लेकिन क्या हमारी संस्कृति में पाँव छूने का कार्यक्रम बाबाओं और भक्तों तक ही सीमित है? बिलकुल नहीं. गुरुओं और बड़े-बुजुर्गों के पाँव छूने की भी संस्कृति है हमारे यहाँ. यह अलग बात है कि पाँव छूते-छुआते हुए ज्यादातर बाबाओं और भक्तों को ही देखा जाता है. कई गुरु तो शिष्य द्वारा पाँव न छुए जाने पर समाजशास्त्र के पर्चे में शिष्य के नंबर तक काट लेते हैं. युवराज दुर्योधन ने खुद अपनी डायरी के एक पेज में इस बात का जिक्र किया था कि कैसे क्रीड़ास्थल पर पाँव न छुए जाने पर एकबार गुरु द्रोण उनसे नाराज़ हो गए थे.

बहुत कम गुरु ऐसे होते हैं जो सार्वजनिक स्थल पर शिष्य द्वारा पाँव छू लिए जाने पर नाराज़ हो जाते हैं. ऐसे में वे अपने शिष्यों को क्लास-रूम में हिदायत देकर रखते हैं कि; "बाहर मिलने पर मेरे पाँव कभी मत छूना." शायद गुरु को मालूम रहता है कि अगर शिष्य ने कहीं सड़क पर आते-जाते पाँव छू लिए तो दुनियाँ को पता चल जाएगा कि वे गुरु हैं. ऐसे में इस बात का चांस बनता है कि दुनियाँ वाले अगले साल अपने बेटे-बेटियों, पोते-पोतियों के एडमिशन के समय गुरु जी को स्कूल-कालेज में मिलकर परेशान करें. यह कहते हुए कि; "बॉबी का नंबर कम आया है इसलिए एडमिशन नहीं हो रहा. आप अगर कह देते तो एडमिशन कमिटी उसका केस कंसीडर कर लेती."

बुजुर्गों के पाँव छूने को लेकर भी तमाम बातें हैं. कई बुजुर्ग भी इस बात से परेशान रहते हैं कि फलाने की शादी में फलाने के बेटे ने उनका पाँव नहीं छुआ. कई बुजुर्ग तो बेटे के माँ-बाप से शिकायत तक कर देते हैं. यह कहते हुए कि; "देखो कैसा बिगड़ गया है. मुझे देखा और पहचान भी लिया लेकिन पाँव नहीं छुआ उसने." उधर बच्चे की हालत ख़राब है और उसे माँ-बाप के सामने झूठ बोलना पड़ता है, यह कहते हुए कि; 'मैंने नानाजी का पाँव छुआ था. इनको ही याद नहीं."

वैसे पाँव छूने की रश्म धीरे-धीरे बदलती रही है. पहले बच्चे अपने बुजुर्गों के दोनों पाँव छूते थे. कालांतर में जैसे-जैसे जमाना थोड़ा ख़राब हुआ, एक पाँव छूने लगे. जमाना थोड़ा और ख़राब हुआ तो बुजुर्ग के सामने केवल झुकने लगे. आज हालत यह है कि दाहिना हाथ आगे करके बुजुर्ग के घुटने तक ले जाते हैं और वही हाथ खींचकर छाती से लगा लेते हैं. एक नौजवान ने पाँव छूने की इस 'इश्टाइल' कि व्याख्या करते हुए मुझे बताया कि; "भइया, इस तरह से पाँव छूने का मतलब और ही होता है."

मैंने पूछा; "वह और ही मतलब क्या है?"

वह बोला; "नौजवान अपना हाथ बुजुर्ग के घुटने तक ले जाता है फिर उसे खींचकर अपने छाती से लगा लेता है जिसे देखकर यह लगता है जैसे वह बताना चाहता हो कि आपका घुटना टूटे तो मेरे दिल को ठंडक पहुंचे."

एक और केस होता है...खैर, जाने दीजिये.