पहले बातें हुई कि लोकपाल आना चाहिए. हील-हुज्ज़त के बाद यह बात शुरू हुई कि लोकपाल आ रहा है. एक बार लगा भी कि अब आ ही जाएगा लेकिन फिर लगा कि शायद आने में देरी है. महत्वपूर्ण लोगों को आने में देरी होती ही है और आज की तारीख में लोकपाल से महत्वपूर्ण कौन है? फिर इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गई कि जो लोकपाल आएगा वह कमज़ोर हो कि मज़बूत? जबतक कुछ लोग़ कमज़ोर लोकपाल चाहते थे तबतक उसके आने की उम्मीद बनी हुई थी. समस्या तब से शुरू हुई जबसे इस मुद्दे से जुड़े सभी पक्ष मज़बूत लोकपाल लाना चाहते हैं.
अब लगता है कि लोकपाल आज के ज़माने की मूंगफली बनकर रह गया है. यानि टाइम-पास.
खैर, अब तक लगभग सभी जगह बहस हो चुकी है. रतीराम जी की पान-दुकान, बस, लोकल ट्रेन, फेसबुक, ट्विटर, गूगल-प्लस, से लेकर सर्वोपरि पार्लियामेंट तक में बहस हो चुकी है. कल किसी पाठक ने याद दिलाया कि मेरे ब्लॉग पर लोकपाल जैसे महतवपूर्ण मुद्दे पर बहस नहीं हुई है. वे मुझे धिक्कारते हुए बोले; "अगर इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस नहीं करवा सकते तो ब्लागिंग में काहे झक मार रहे हैं."
आप में से जो ब्लॉगर हैं, उन्हें पता होगा कि एक ब्लॉगर का ईगो कितना बड़ा होता है. उधर हमारा ईगो हर्ट हुआ और इधर मैंने चंदू को भेज दिया लोकपाल के मुद्दे पर तमाम लोगों के बयान लेने. आप पढ़िए कि लोगों ने क्या कहा?
हरभजन सिंह : "आई वांट लोकपाल टू मेक इट लार्ज. मैं तो जी मानता हूँ कि लोकपाल बने और बड़ा बने. छोटे लोकपाल से क्या फायदा? मैं तो यह चाहूँगा कि जो भी लोकपाल हो, ही शुड स्ट्राइक ऐट रूट ऑफ करप्शन. कहने का मतलब ये कि स्ट्राकिंग लोकपाल हो. बिलकुल मेरी तरह जैसे मैं इंडियन टीम का स्ट्राकिंग बॉलर हूँ."
कपिल सिबल : "(मुस्कुराते हुए) लोकपाल लाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. लोकपाल के बारे में डिस्कशन हमें जीरो से शुरू करना चाहिए. आप जानते ही होंगे कि कोई बात जब जीरो से शुरू होती है तो बड़ा फायदा होता है. सोनिया जी भी चाहती हैं कि एक मज़बूत लोकपाल आये. बहस के बाद जब भी लोकपाल बिल संसद में पास हो जाए तो मैं चाहूँगा कि सरकार के पास ये अधिकार रहे कि जो भी लोकपाल बने उसके बोलने या कुछ करने से पहले उसके दिमाग की स्कैनिंग कर सके. एकबार स्कैनिंग हो जाए तो फिर हम उन्ही बातों को उनसे बोलने के लिए कहेंगे जो हम चाहते हैं. मैं आई टी मिनिस्टर भी हूँ और मैंने कई टेक कंपनियों के रीप्रजेंटेटिव की एक मीटिंग की है. मैंने उनसे कहा है कि वे सजेस्ट करें कि लोकपाल की सोच और उनके काम की प्री-स्क्रीनिंग कैसे की जाए? अगर ये कम्पनियाँ हमारे साथ को-ऑपरेट नहीं करतीं तो फिर हम कोर्ट जायेंगे. "
प्रनब मुखर्जी : "ऐज आभार पार्टी हैज सेड आर्लियर आल्सो, उइ आल उवांट ए स्ट्रांग लोकपाल.. बाट ऐज इयु नो, डियु टू रेसेसोन ईन एयुरोप, ईट हैज रियाली बीकोम डिफिकोल्ट टू शासटेन ऐंड ब्रींग लोकपाल ऐज पार पीपुल्स च्वायस. बाट उइ स्टील बिलीभ दैट साम डे, स्पेसोली हुएन इन्फलेशोंन ईज कोंट्रोल्ड, उइ उविल बी एभुल टू ब्रींग ए स्ट्रांग लोकपाल."
लालू जी : "आ पहले बात सुनो आगे ही भकर-भकर मत बोलो. सूनो.. आ ई आना जो हैं देश के खिलाफ साजिश कर रहे हैं. आई भिल टेल नेशन... ई लोग़ सब सड़क पर बैठ के बिल बनना चाहता है लोग़. संसद जो है, ऊ सर्वोपरि है. ई सब आर एस एस वाला जो है सब आना के भड़काता है लोग़. हमलोग ऐज अ रिस्पेक्टेड लीडर का करप्शन नहीं मिटाना चाहते? आ फिर, का ज़रुरत है स्ट्रोंग लोकपाल का? हमको बताओ. लोकपाल जो है सो उ दूध का माफिक रहना चाहिए. जहाँ ढाल दिए, उहाँ ढल गया. तब न जाके अपना काम कर पायेगा. असली लोकपाल जो है सो दलित के बारे में सोचेगा..भीकर सेक्शन आफ सोसाइटी के बारे में सोचेगा...हमारे मुस्लिम भाइयों के बारे में सोचेगा...सीख भाइयों के बारे में सोचेगा..आ सुनो, हीन्दू, मुस्लिम, सीख, ईसाई, आ, आपस में हैं सब भाई-भाई.."
मुलायम जी : "देखिये सुइए..क्या है ये लोकपा? ये जो है वो एक तईका है... दओगा-आज लाने का तईका है ये. ओकपाल आ जाने से, अच्छे ओग आजनीति में आना बंद क देंगे. अखियेश ने हमें बताया है. सवोच्च-न्यालय को भी ये ओग चाहते हैं कि न्यालय भी लोकपा के अधीन ओ जाए..ऐसा संभव नहीं है..बात मानिए हमाई..ये ओकपाल का आना लोकतंत्र के इए खतरा है. सका को चाहिए कि ऐसा कदम न उहाये. वियोध कयेंगे हम सका के इस कदम का."
सुब्रमनियम स्वामी : "मेरे पास सुबूत हैं कि लोकपाल के मुद्दे पर चिदंबरम और सिबल के बीच कुल पाँच मीटिंग्स हुई थी और दोनों ने डिसाइड किया था कि फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व बेसिस पर लोकपाल का अप्वाइंटमेंट होगा. चिदंबरम भले ही कहें कि ऐसी कोई मीटिंग नहीं हुई लेकिम मेरे पास इसका सुबूत है. मिनट्स ऑफ मीटिंग्स भी हैं. मैं जल्द ही ट्वीट करके बताऊंगा कि मैं आगे क्या करने वाला हूँ. जहाँ तक यह बात है कि लोकपाल कैसा रहे तो मेरे विचार से हमें एक विराट लोकपाल के गठन की कोशिश करनी चाहिए. इसी से करप्शन को दूर किया जा सकेगा."
प्रधानमंत्री जी : "
."
अरनब गोस्वामी : "दिस चैनल इज गोइंग तो आस्क सम टफ क्वेश्चंस टूनाईट एंड वी विल मेक इट स्योर दैट द इश्यू ऑफ लोकपाल इज नॉट पोलिटिसाइज्ड. वी अस्योर आर व्यूअर्स दैट वी आर ऑन ओउर हाइ-वे टू सीक द ट्रुथ एंड....
विनोद दुआ : "सभी यह चाहते हैं कि लोकपाल आये और एक मज़बूत लोकपाल आये परन्तु प्रश्न यह है कि लोकपाल के आने के बाद क्या नरेन्द्र मोदी को अपने किये पर शर्म आएगी? क्या वे राष्ट्र से माफी मांगेंगे? हजारों लोगों की हत्या की जिम्मेदारी जिनके ऊपर है उन्हें क्या लोकपाल सज़ा दिला पायेगा? अगर लोकपाल के आने के बाद भी नरेन्द्र मोदी को सज़ा नहीं मिलेगी तो फिर मुझे समझ नहीं आता कि ऐसा लोकपाल किस तरह भारत के हित में है. आप इसपर विचार करें तब तक हम सुनते हैं मुकेश का गाया गीत. फिल्म का नाम है पहली नज़र. गाने के बोल हैं; "दिल जलता है तो जलने दो..." गीतकार हैं आह सीतापुरी और संगीत अनिल विश्वास का है..."
शाहरुख़ खान, उर्फ़ डान -२ : "लोकपाल का आना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. हे हे हे हे हे.."
किरण बेदी : "ये देश के साथ अन्याय है. जिस तरह से सरकार ने लोकपाल के मुद्दे पर पूरे देश के साथ धोखा किया है हम उसे जनता के बीच लेकर जायेंगे. अभी तक तो हम ये मांग करते रहे हैं कि लोकपाल मज़बूत होना चाहिए लेकिन अब हम उनमें एक और मांग जोड़ देंगे कि लोकपाल ऐसा होना चाहिए जो अन्ना की तरह ही अनशन कर सके. हम तब तक नहीं बैठेंगे जबतक..."
रजत भंडारी, आई ए एस, चीफ सेक्रेटरी, सेंट्रल पब्लिक प्रोक्योरमेंट कमिटी : "मैं तो चाहूँगा कि देश को सही लोकपाल मिले उसके लिए हमें इसी वित्तवर्ष के मार्च महीने में लोकपाल सप्लाई का एक ग्लोबल टेंडर फ्लोट करना चाहिए. ऐसा करने से देश को मजबूत, कम्पीटेटिव और सस्ता लोकपाल मिलेगा...."
माननीय अमर सिंह जी : "कोई ज़रूरी नहीं कि देश में भ्रष्टाचार का खात्मा लोकपाल ही कर सकता है. मैं खुद भ्रष्टाचार ख़त्म कर सकता हूँ. अगर माननीय प्रधानमंत्री और सोनिया जी कहें तो मैं इस दिशा में काम करने के लिए तैयार हूँ. लोकतंत्र में मतभेद के लिए स्थान है. दरअसल मैंने सिंगापुर जाकर इलाज कराने के बहाने जो जमानत ली, वह भ्रष्टाचार मिटाने के लिए ही ली. ताकि मैं स्टैडिंग कमिटी की मीटिंग में हिसा ले सकूँ और देश से भ्रष्टाचार मिटा सकूँ. ये अलग बात है कि मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ और घूम-फिर कर रैली भी कर रहा हूँ लेकिन बेसिक बात यही है कि मैं भ्रष्टाचार मिटाने में सक्षम हूँ."
एस एम कृष्णा : "पुर्तगाल की जनता एक सशक्त लोकपाल चाहती है और हमारी सरकार उन्हें एक सशक्त लोकपाल देने के लिए प्रतिबद्ध है."
ममता बनर्जी : "ये देश में जो कारप्शोंन है सोब लेफ्ट-फ्रोन्ट का बाजाह से हुआ है. किन्तु आब सोरकार सोतर्क हो गया है. अब लेफ्ट बेंगोल में भी नहीं रहा. सो, हाम तो एही कहेगा कि भ्रोष्टचार आब खोतोम होगा. किन्तु हाम इसका बास्ते एफ डी आई नहीं आने देगा... हाम तो प्रोधानमोंत्री से कहूँगी कि लोकपाल कोई भी बने, उसका उदघाटोन का लिए हामको जोरूर बुलाये. "
और लोगों की प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा है. आने पर लगा दी जायेंगी. तब तक इतना बांचकर एक नई बहस छेड़ी जाय:-)
Saturday, December 24, 2011
लोकपाल कोई भी बने, उसका उदघाटोन का लिए हामको जोरूर बुलाये
@mishrashiv I'm reading: लोकपाल कोई भी बने, उसका उदघाटोन का लिए हामको जोरूर बुलायेTweet this (ट्वीट करें)!
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Superb, excellent.... A Masterpiece on Lokpal sir.
ReplyDeleteDer aaye durust aaye.... Pranab Da ka comment Lazawaab laga, par sabse uttam vichar(economical) Pradhanmantri ji ne diya.. :-)
Hanste-Hanste lot-pot huye sath-sath hua-- Sach ka Samna.
अबतक जितनी बहसें देखी सुनी और पढ़ी हैं उन सबको पीछे छोड़ गयी यह बहस। सच्चाई खोल कर रख दी आपने। :)
ReplyDeleteओह...गज्ज़ब उतार दिया...
ReplyDeleteपढ़ते समय एक बार भी नहीं लगा कि साक्षात सबको आमने सामने सुन देख नहीं रहे...
क्या जो चिटोकी काटी है, अगर पढ़ लें ये महानुभाव तो वर्षों तक सीसियाते रह जायेंगे, कोई दवाई नहीं मिलेगी जलन शांत करने की....
जियो...
किसी बिल-बिलागर सॉरी मतलब ब्लॉगर का इंटरव्यू नहीं लिया....
ReplyDelete:(
पूरा धोबिया पछाड़ ! जैसा निखिल ने कहा सबसे बेहतरीन कमेन्ट माननीय प्रधानमंत्री जी का हैं | रंजना दीदी सही कह रही हैं ..काश यह लोग स्वयं इससे पड़ पाते | कितनी बारीकी से आप ने हुबहू
ReplyDeleteउतारा है मुलायम सिंह..लालू ...वाकई आनंद आ गया भैया |
और जहा तक मजबूत लोकपाल का प्रश्न है ..लिख लीजिये कभी नहीं आ सकता ...और आ गया तो " वर्क टू रुल " लागु हो जायेगा |किताबो में नियम पड़ पड़ कर काम करने का ढोंग किया जायेगा, एक दिन का कम इक्कीस दिन में भी नहीं होगा :(
इन सारी उलझनों में आप हमें गुदगुदाते रहिये ...ब्लॉग पोस्ट करते रहिये ..वर्ना " आना " टाइप अनशन निश्चित है ....गिरीश
प्रणव मुखर्जी जी और मुलायम सिंह जी के बयान गजब के हैं। ऐसे गजब के बयान तो शायद वे भी नहीं दे पाते होंगे। :)
ReplyDeleteसुन्दर बहस, सबसे पूछा जाये कि सबसे पूछा जाये कि नहीं।
ReplyDeleteऊपर टिप्पणी देने वाले ही ही क्यों कर रहे हैं। मुझे तो यकीन है कि ये वक्तव्य देने वालों ने दिल से दिये हैं। किसी रियाल्टी शो के वास्ते नहीं!
ReplyDeleteकपिल सिबल : "(मुस्कुराते हुए) this is attention for detail. my respect for the writer has grown. "well done (chote muh badi baat hi sahi par kehna zaroori hai)" WELL DONE! also da-o-ga LOL
ReplyDeleteप्रधान मंत्री जी जो कह गए हैं उनके आगे बाकि सारे बयान सिर्फ लफ्फाजी है बेकार है समय की बर्बादी है...देश धन्य है जिसे ऐसा प्रधान मंत्री मिला...सत श्री अकाल...
ReplyDeleteनीरज
और लोगों की प्रतिक्रिया की हमें भी प्रतीक्षा है :)
ReplyDeleteचलो आखिरकार सबके मत पता चल गये, उम्मीद है कि इस बार अनशन में सब बैठेंगे।
ReplyDeleteहा हा। गज़ब !
ReplyDeleteप्रणोब मुखार्जी बाबू का भाषा गजब उतारे हैं और प्रधानमंत्री जी का बयान किरीम आन दि टाप ।
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको भाई जी !
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ReplyDelete.
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हा हा हा हा,
आनंद आया पढ़कर...
आभार!
...
जाइए, आपसे हम बाते नहीं करेंगे.. सचिनवा का स्टेटमेंट तो आप खा गए.. उसका स्टेटमेंट कहाँ गया जी?
ReplyDeleteहमे तो मूआयम जी की प्रतिक्रिया समझ आई. हमाये ईया से हैं ना.
ReplyDeleteबाकी पुर्तगाल के बारे में समय-समय पर जानकारी अच्छी लगती है.