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Monday, April 1, 2013

चंदू' ज एक्सक्लूसिव चैट विद जस्टिस काटजू


@mishrashiv I'm reading: चंदू' ज एक्सक्लूसिव चैट विद जस्टिस काटजू Tweet this (ट्वीट करें)!

"अदालत की वजह से कभी-कभी बड़े लोगों को सज़ा भी होनी चाहिए" नामक सिद्धांत के तहत संजय दत्त को सजा हो गई। इस सज़ा ने तमाम लोगों को एक्टिव कर दिया। कुछ अति-एक्टिव भी हुए। इसने लोगों को गुटबाजी के लिए भी प्रेरित किया। प्रेरणा लेकर दो गुट उभरे। एक वह जो यह चाहता है कि संजय दत्त को जेल होनी चाहिए और दूसरा वह जो चाहता है कि संजय को जेल नहीं होनी चाहिए बल्कि उन्हें राज्यपाल से माफी मिल जानी चाहिए।

इस दूसरे गुट का प्रतिनिधित्व जस्टिस काटजू कर रहे हैं। उन्होंने प्रण टाइप किया है कि वे राज्यपाल से अपील करके संजय दत्त जी को माफी दिलाकर ही दम लेंगे। लोग उनके विरोध में भी बात कर रहे हैं।

ये मैं क्या लिख रहा हूँ? मुझे यहाँ जस्टिस काटजू का इंटरव्यू छापना है और मैं कुछ भी अंट-संट लिख रहा हूँ। वैसे आप मन ही मन सोचने के लिए स्वतंत्र हैं कि जस्टिस काटजू के इंटरव्यू की बात पर अंट-संट लिख दिया जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं। तो आप बांचिये जस्टिस काटजू का इंटरव्यू जिनके साथ बात की हमारे ब्लॉग संवाददाता चंदू चौरसिया ने।


चंदू: नमस्कार सर।

जस्टिस काटजू : नमस्कार? क्या कह रहे हैं आप? आपको तमीज नहीं है? यू आर मच यंगर टू मी फिर भी आप नमस्कार कर रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता कि आपको प्रणाम करना चाहिए?

चंदू : नहीं, ऐसी बात नहीं है सर। दरअसल मुझे लगा कि "सर" के साथ नमस्कार ही ठीक जाता है। "प्रणाम सर" कहने से कैसा तो फील होता है। फिर भी आपने याद दिलाया तो मैं अपना नमस्कार वापस लेता हूँ और उसके बदले प्रणाम देता हूँ।

जस्टिस काटजू : ये ठीक है। वैसे आपका नाम क्या है और आप किस चैनल से हैं?

चंदू : सर, मेरा नाम चंदू चौरसिया है और मैं किसी चैनल से नहीं बल्कि ब्लॉग संवाददाता हूँ।

जस्टिस काटजू : अच्छा!! आप भी चौरसिया हैं?

चंदू : आप भी से क्या तात्पर्य था सर आपका?

जस्टिस काटजू : आप भी से मेरा मतलब ...दरअसल आपका सर-नेम सुनकर मुझे दीपक चौरसिया याद आ गए इसलिए मेरे मुंह से निकल आया। अभी हाल में मैंने एक इंटरव्यू में दीपक चौरसिया को बेवकूफ कहा था और बीच में भी इंटरव्यू छोड़कर बाहर निकल आया था ..... आप भी क्या उसी तरह के सवाल करेंगे?

चंदू : अरे नहीं सर। सोशल मीडिया वाले अभी तक मेनस्ट्रीम मीडिया वालों की तरह ज्यादा बेवकूफ नहीं हुए हैं। ऐसे में .....सोशल मीडिया वालों को वहां तक पहुँचने में अभी समय लगेगा।

जस्टिस काटजू : अरे हाँ मैं तो भूल ही गया कि आप सोशल मीडिया से हैं। खैर, पूछिए आप अपना सवाल। मुझे जल्दी है। कई न्यूज चैनल्स पर मुझे पैनल डिस्कशन के लिए जाना है।

चंदू: जरूर सर जरूर। मेरा पहला सवाल यह है कि आपने ये संजय दत्त की माफी के लिए गवर्नर से रिक्वेस्ट किया है, वह कहाँ तक जायज है?

जस्टिस काटजू : कहाँ तक जायज है से क्या मतलब आपका? वह संविधान तक जायज है। माफी की बात हमारे संविधान में है और यह हमारा अधिकार है।

चंदू: सर, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि ये आपका अधिकार कैसे हुआ? सज़ा संजय दत्त को हुई है, अधिकार तो उनका है।

जस्टिस काटजू : एक ही बात है। संजय दत्त और मुझमें क्या अंतर ..अरे, ये मैं क्या बोल ... मेरा मतलब था कि अब जब मामला मैंने उठाया है तो अधिकार भी तो मेरा ही हुआ। वैसे भी जो लोग ऐसा मानते हैं वे उसी नब्बे प्रतिशत में से होंगे जिन्हें मैं बेवकूफ समझता हूँ।

चंदू: लेकिन सर, संजय दत्त जी ने संवाददाता सम्मलेन करके बताया कि वे चूंकि सुप्रीम कोर्ट का बहुत आदर करते हैं इसलिए सज़ा भुगतने के लिए तैयार हैं। उन्होंने ये भी कहा कि वे कोई अपील फाइल नहीं करेंगे।

जस्टिस काटजू : संजय दत्त के कहने से क्या होता है? वे भी तो उसी नब्बे प्रतिशत ...उनके अन्दर अभी बहुत बचपना है। और फिर अपील मैं न फाइल कर रहा हूँ, उनके कहने से क्या होगा? मेरा मैसेंजर मेरी अपील राष्ट्रपति तक पहुंचा भी चुका है और मैं यहाँ संत मानिक दास को कोट करना चाहूँगा जिन्होंने कहा था कि ; "कमान से निकला तीर और संवैधानिक अधिकार वाले के हाथ से निकली अपील वापस नहीं आते।"

चंदू: आपके कहने का मतलब अब संजय दत्त जी को यह अपील स्वीकार करनी ही पड़ेगी?

जस्टिस काटजू : किस तरह का बेतुका सवाल है ये? अपील तो गवर्नर को स्वीकार करनी है। मैंने अपील की और गवर्नर ने स्वीकार की, इसमें संजय दत्त बीच में कहाँ से आ गए?

चंदू : आपके विरोधी यह भी कहते हैं कि आप इसलिए अपील कर रहे हैं क्योंकि संजय एक सेलेब्रिटी हैं।

जस्टिस काटजू : यह बकवास बात है। मैंने इसके पहले तमाम अपील की हैं। लोगों को पता नहीं कि मैंने गोपालदास के लिए भी अपील की है। मैंने सरबजीत के लिए भी अपील की है। मैंने बनवारी लाल, अशफाक चेम्बूरी और रामजतन के लिए भी अपील की है। वे तो सेलेब्रिटी नहीं है।

चंदू : वैसे सर, आप ये जो अपील कर रहे हैं, ऐसा क्यों कर रहे हैं? तमाम कोर्ट्स से निकल कर केस का फैसला हुआ है। अगर सब ऐसे ही माफी की अपील करते रहेंगे तो कोर्ट का क्या औचित्य रह जाएगा?

जस्टिस काटजू : यही तो समझने की बात है लेकिन आप कैसे समझेंगे? आप तो उसी नब्बे .... देखिये, ये जो अपील का रूट मैंने अपनाया है वह देश के लिए मेरी सेवा भावना से पैदा हुआ है। इतने वर्षों तक न्याय प्रक्रिया से जुड़े रहकर मैंने देखा कि कोर्ट्स में मुकदमों की भरमार है। जजों को समय नहीं मिलता। इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है। केस वर्षों तक लटके रहते हैं। वर्षों के बाद फैसले होते हैं। ऐसे में मुकदमों की संख्या कम करने का सबसे बढ़िया तरीका यह है कि जब फैसला हो तो उसके खिलाफ माफी की अपील फाइल करके मुजरिम को माफी दिला देनी चाहिए।

चंदू: इससे क्या हासिल होगा?

जस्टिस काटजू : थोड़ी देर पहले तो आपने कहा कि सोशल मीडिया वाले अभी तक बड़े बेवकूफ नहीं हुए हैं।

चंदू: मैंने समझा नहीं?

जस्टिस काटजू: मैं इसीलिए तो कह रहा हूँ कि अगर आप बेवकूफ नहीं हैं तो फिर मेरी सीधी बात आपकी समझ में क्यों नहीं आई? आपको क्यों समझ में नहीं आया कि जब सजा होने के बाद आपील की वजह से मुज़रिम को जेल नहीं जाना पड़ेगा तो लोग अदालत में यह सोचकर जाना बंद कर देंगे कि क्या फायदा वहां जाने से जब सज़ा ही नहीं होगी तो? यह होना शुरू होगा तो फिर मुक़दमे अदालत तक जायेंगे ही नहीं। ऐसा हुआ तो न्याय-प्रक्रिया में 'लिप्त' लोगों को राहत मिलेगी। अदालतों पर बोझ कम होगा।यहाँ मैं कवि कैलाश गौतम की कविता की पंक्तियाँ कोट करना चाहूँगा जिन्होंने लिखा था ;

कचहरी हमारी तुम्हारी नहीं है
कहीं से कोई रिश्तेदारी नहीं है
....................................

कचहरी की महिमा निराली है बेटे
कचहरी वकीलों की थाली है बेटे
................................................

खुले आम कतिल यहाँ घूमते हैं
सिपाही दरोगा चरण चूमते हैं
यहाँ झूठ की ही कमाई है बेटे
यहाँ झूठ का रेट हाई है बेटे

अब आपही बताइए कि मेरा प्लान क्या बुरा है? क्या मैं अपील इंडस्ट्री चलाकर देशसेवा नहीं कर रहा हूँ? वैसे आपने कैलाश गौतम के बारे में सुना था पहले?

चंदू: हाँ, सर गौतम जी के बारे में मैंने सुना है। उनकी कवितायें भी पसंद है।

जस्टिस काटजू : यह तो कमाल हो गया। हमारे बीच ऐसे संवाददाता भी हैं तो कैलाश गौतम के बारे में जानते हैं!!! अच्छी बात है कि आपने उनके बारे में सुना है। और शेक्सपीयर के बारे में भी सुना है क्या?

चंदू: हाँ सर, उनके बारे में भी सुना है। फिर आपने अपनी दलील में शेक्सपीयर जी को कोट करके उन्हें फेमस भी तो कर दिया है।

जस्टिस काटजू : वे मेरे कोट किये जाने से फेमस हुए, यह तो महज संयोग है। वैसे फेमस तो मैंने तुलसीदास को भी कर दिया है। मेरी इस अपीली प्रक्रिया की वजह से कबीर भी फेमस हो गए हैं। लेकिन मुद्दा माफी का है, ये कोट्स वगैरह तो महज तरीके हैं।

चंदू: लेकिन सर केवल लेखकों और कवियों को कोट करके अपील का माहौल बनाना ठीक है क्या?

जस्टिस काटजू : मैंने केवल कोट्स का सहारा तो नहीं लिया। मैंने तो यह खुलासा भी किया है कि संजय दत्त की अब शादी हो गई है। उनके बच्चे हो गए हैं। ऐसे में उनको ...

चंदू: लेकिन सर, शादी को कई मुजरिमों की होती है। बच्चे भी होते हैं। तो क्या इस तरह के सारे मुज़रिम सजा होने के बाद छोड़ दिए जायेंगे?

जस्टिस काटजू : लेकिन हर शादी-शुदा और बच्चों वाला मुज़रिम एक्टर तो नहीं होता न। दूसरी बात यह है कि संजय दत्त के पिता जी और माताजी ने समाज सेवा की है। वे सैनिकों का मनोरंजन करते थे। संजय दत्त ने खुद मुन्नाभाई जैसी फिल्म करके देश को गांधीगीरी का महत्वपूर्ण सिद्धांत दिया है। उन्होंने पूरी दुनियाँ में मेडिकल प्रोफेशन के लिए जादू की झप्पी जैसा एक पाथ-ब्रेकिंग इलाज दिया है जो हर मर्ज में फायदेमंद है।

चंदू : लेकिन सर, आप सबसे कहते फिर रहे हैं कि आपने पिछले चालीस वर्षों में एक भी फिल्म नहीं देखी। ऐसे में ये यह मुन्नाभाई जैसी फिल्म को आगे रखकर आप बात कर रहे हैं, यह कहाँ तक जायज है?

जस्टिस काटजू : यह किस तरह का बेहूदा सवाल है? यह तरीका है क्या अपने एल्डर्स से बात करने का? अगर इस तरह की बेवकूफी वाली बातें करनी है तो मैं इंटरव्यू छोड़कर चला जाऊंगा।

चंदू: माफ़ कीजिये सर ...

जस्टिस काटजू : ऐसे कैसे माफ़ कर दें? मैं माफी दिलवाता हूँ, माफ़ करता नहीं। और फिर मुन्नाभाई द्वारा प्रतिपादित सारे सिद्धांत क्या देशहित में नहीं हैं?

चंदू : आप कहते हैं तो यह सही ही होगा। वैसे मेरा एक सवाल यह है कि ये आपने जो अपील इंडस्ट्री खोली है, उसे क्या और व्यापक करेंगे? क्या आनेवाले समय में हम उसका फैलाव देखेंगे?

जस्टिस काटजू : जरूर देखेंगे, क्यों नहीं देखेंगे? अभी मेरे साथ मजीद मेमन जुड़े हैं। आनेवाले समय में और लोग जुड़ेंगे। मेरी इच्छा है कि अखिल भारतीय अपील महासभा का कार्यालय हर राज्य और हर महत्वपूर्ण शहर में हो ताकि आनेवाले समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को माफी दिलाई जा सके। मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि एक दिन इस देश के हर उस मुजरिम को, जो आतंकवादी न हो, किसी न किसी तरह की माफी मिलकर रहेगी।

चंदू : मेरा अगला सवाल इस केस से हटकर है सर। सोशल मीडिया में आपकी बहुत आलोचना हो रही है। आपने हाल ही में कहा था कि सोशल मीडिया को रेगुलेट किये जाने की आवश्यकता है। तो क्या आप ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार को भेज रहे हैं?

जस्टिस काटजू : जरूर भेजेंगे। और मेरा यह मानना कि सोशल मीडिया को रेगुलेट की आवश्यकता है, बिलकुल सही है। दूसरी बात यह है कि सोशल मीडिया के लिए कानून बने यह मैं इसलिए चाहता हूँ ताकि उस कानून के तहत सोशल मीडिया वालों को सज़ा मिले। जब तमाम लोगों को उस कानून के तहत सज़ा मिलेगी तो मैं उनको माफी दिल दूंगा। तो आप यह समझें कि मेरी इच्छा कानून बनवाकर सजा दिलाने की नहीं बल्कि कानून बनवाकर सजा दिलाकर माफी दिलवाने की है।

चंदू : आपने अपनी दलील में मर्चेंट ऑफ़ वेनिस से पोर्सिया को कोट किया। शाईलॉक को कोट किया। तुलसीदास को कोट किया। ऐसे में ....

जस्टिस काटजू : मैंने इनलोगों को इसलिए कोट किया कि आज की पीढी को संस्कृत का ज्ञान नहीं है। अगर होता तो मैंने संस्कृत के श्लोक कोट करता। अब आप ही समझिये कि कहा गया है; "येषां न विद्या, न तपो, न दानं, ज्ञानं न शीलं, न गुणो न ...."

चंदू: सर ये क्या कर रहे हैं आप? इस श्लोक का आपकी दलील से क्या लेना-देना है?

जस्टिस काटजू : मतलब ये कि आपको संस्कृत आती है? पहले क्यों नहीं बताया, मैं रेलीवेंट श्लोक कोट करता। क्या बेवकूफी है ये?

चंदू: सर, आपने शेक्सपीयर, तुलसीदास, कबीर वगैरह को कोट किया और जैसा कि आपने बताया कि वे फेमस हो गए, लेकिन आपने हमारे समय के किसी कवि को कोट नहीं किया। ऐसा क्यों?

जस्टिस काटजू : मैं तो चाहता था कि मैं कविवर अमर सिंह को कोट करूँ लेकिन तबतक वे जयाप्रदा के साथ गवर्नर से संजय दत्त की माफी के लिए मिलने चले गए। इसलिए मैंने डिसाइड किया कि मैं उनको कोट नहीं करूंगा।

चंदू : सर, आपने यह भी कहा है कि आप सलमान खान और सैफ अली खान को भी माफी दिलवाएंगे। क्या आप ऐसा करेंगे?

जस्टिस काटजू : बिलकुल करूंगा। अब मैंने अपना जीवन माफी और अपील इंडस्ट्री को समर्पित कर दिया है।

चंदू: लेकिन सर, सलमान खान तो शादी-शुदा नहीं है और सैफ अली खान के बच्चे नहीं हैं। इन दोनों ने मुन्नाभाई की तरह कोई महत्वपूर्ण सिद्धान्त भी नहीं दिया है।

जस्टिस काटजू : देखिये सलमान खान का गैर शादी-शुदा होना ही मेरी अपील का आधार रहेगा। कि सज़ा होने के डर से उन्होंने शादी नहीं की। उधर सैफ का शादी-शुदा होना मेरी अपील का आधार होगा। कि उन्होंने करीना कपूर से शादी की जो राजकपूर की के खानदान से हैं। और फिर सैफ अली खान ने एजेंट विनोद जैसी फिल्म की जिसमें उसने भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

चंदू: सर, आपने ही कहा कि आपने चालीस साल से कोई फिल्म नहीं देखी। ऐसे में एजेंट विनोद ...

जस्टिस काटजू : किस तरह का बेहूदा सवाल है ये? आपने फिर बेवकूफी शुरू कर दी। मैं ये इंटरव्यू करूंगा ही नहीं। मैं जा रहा हूँ। गेट आउट फ्रॉम हीयर।

इतना कहकर जस्टिस काटजू उठ गए और कमरे से बाहर जाने लगे। चंदू डर गया था फिर भी उसने उनके जाते-जाते एक सवाल दाग ही दिया। उसने पूछा; "सर, आप अभी तक शेक्सपीयर, तुलसीदास, कबीरदास, मानिक दास वगैरह को कोट कर चुके हैं। अगर इससे काम न बना तो?

जस्टिस काटजू जाते-जाते चिल्लाकर बोल गए कि ; "इन सबको कोट करने से काम न बना तो फिर मैं ऑस्कर वाइल्ड, बर्नार्ड शा, ओ हेनरी, ओसोलन मोशावा, कीट्स, ग़ालिब को कोट करूंगा। ये समझ लो कि चाहे मुझे रतिराम चौरसिया को कोट करना पड़े लेकिन मैं हारने वाला नहीं हूँ। मैं कोट्स के सहारे संजय दत्त को माफी ......."

13 comments:

  1. Sir Katju Rastriye dharohar hain, inko musium me rakhna chaahiye.

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  2. पोस्ट पढना शुरू करने और ख़तम करने के बीच आप कुछ नहीं कर सकते
    बिलकुल कसी हुई मजेदार पोस्ट .... चंदू भैया को साधुवाद ...कही न कही
    हम मेंगो जनता को कायदे से प्रतिनिधित्व करते हैं ...हमारे मन की भावना
    और सवालों को अलग अलग फोरम पर उठाते रहते हैं .

    एक लाइन कल ठेल दिए थे ट्विट्टर पर
    काटजू बाबा : बेगानी सजा में अब्दुल्ला घुस जाना

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  3. ब्रिलिएंट...। हिंदी में इसे क्या कहें... विलक्षण।
    वाकई आनन्द आ गया।

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  4. Lagta hai Katju ji ka bollywood mein paisa laga hua hai.....tabhi ye sab kr rahe hain..Bahut Mazedaar post :)

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  5. ज्ञानचक्षु खोलती पोस्ट, पर क्या करें माफी तो माँग ही ली है।

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  6. कट्टा कानपुरी को भी क्वोट कर सकते हैं :)

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  7. अचानक ही दिग्विजय सिंह‍ से बड़ा नाम बन गए है काटजू। काम करो तो ऐसा ही करो, जो सभी को पीछे छोड़ दे।

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  8. "अदालत की वजह से कभी-कभी बड़े लोगों को सज़ा भी होनी चाहिए" नामक सिद्धांत के तहत संजय दत्त को सजा हो गई। - दुखती रग पर हाथ रख दी है आपने.

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  9. To chanduji ne bhee justice Katju ko naraj kar hee diya. Kum kyun ho social media wale.

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  10. uttam vyang .sathiya gaye hai katju .aise log jab lathiyaye jayege tabhi akla aayegi ..

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  11. कोट के कोटधारी को भली प्रकार धो डाला ... शाबाश !!!
    सुपर्ब !!

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय