इलाहबाद में ब्लॉगर संगोष्ठी हो गई. जब संगोष्ठी का पता चला तो एक बार मन में आया कि; 'अगर मुझे निमंत्रण न मिला तो एक 'सॉलिड पोस्ट' लिखने का बड़ा सॉलिड बहाना हाथ लगेगा.' यह कहते हुए 'सॉलिड पोस्ट' लिख डालूँगा कि; 'जिन्हें निमंत्रण भेजा गया उनके चुनाव का क्राइटेरिया क्या था? क्यों उन्हें ही निमंत्रण भेजा गया और मुझे नहीं?'
एक पोस्ट लिखकर उन सारे चिट्ठाकारों को अपनी तरफ कर लूँगा जिन्हें निमंत्रण नहीं भेजा जाएगा. टिप्पणियां मिलेंगी सो मिलेंगी ही, आने वाले समय में एक गुट बना लूँगा जो मुझे हिंदी ब्लागिंग में अमर कर देगा. एक पोस्ट और न जाने कितने फायदे.
खैर, ऐसा हो न सका. आयोजकों ने मुझे भी निमंत्रण भेजकर मेरे इरादों पर पानी फेर दिया. फिर सोचा कि निमंत्रण मिल गया है तो यह कहकर ठुकरा दूँ कि; 'आप लोगों ने बड़े शार्ट नोटिस पर हमें निमंत्रण भेजा इसलिए मैं न आ सकूँगा.'
ऐसा भी नहीं कर सका. वो हुआ ऐसा कि जब ये विचार मन में आये तभी तबियत खराब हो गई. वैसे तबियत खराब होने के बावजूद भी इस विचार पर काम किया जा सकता था लेकिन मेरी गलती की वजह से ऐसा न हो सका. असल में मैं पहले ही दो-चार ब्लॉगर बंधु को अपने बीमारी के बारे में बता 'चूका' था. अगर यह बहाना बनाता तो वे लोग मेरी पोल खोल देते. बोलते; "फालतू का बहाना कर रहा है. तबियत खराब है और इस तरह का झूठा बहाना करके अपना भाव बढा रहा है."
ऐसा हो न सका. मतलब अपनी चालों से अपनी ईमेज न बना सका. इस मामले में तमाम ब्लॉगर बंधु बाजी मार ले गए. जिन्हें निमंत्रण न मिला था वे भी और जिन्हें निमंत्रण मिला वे भी.
वैसे इलाहबाद में अपने प्रचार का काम मैंने अनूप जी को आउटसोर्स कर दिया था. मैंने उन्हें एस एम एस भेजकर बता दिया कि अगर वे मेरी बीमारी की चर्चा कर देंगे तो मेरे 'सिम्पैथेक्स' (सहानुभूति का सूचकांक) में कुछ बढ़ोतरी हो जायेगी. स्वास्थ लाभ की कामना करते हुए ही कुछ टिप्पणियां मिल जायेंगी.
एक हिंदी ब्लॉगर को और क्या चाहिए? दस एक्स्ट्रा टिपण्णी और क्या. वो चाहे किसी भी वजह से मिलें.
खैर, संगोष्ठी के दूसरे दिन शाम को स्पानडिलाइटिस की वजह दर्द बहुत बढ़ गया. डॉक्टर को बुलाया गया. उन्होंने कहा; "कल तो लग रहा था कि काफी इम्प्रूवमेंट है. अचानक ऐसा क्या हो गया? क्या किया सारा दिन?"
मैंने कहा; "कुछ नहीं. आपने बेड पर लेटे रहने के लिए कहा था तो मैं लेटा था. हाँ लेटे-लेटे सेलफ़ोन पर इलाहबाद में हुई ब्लॉगर संगोष्ठी की रपट और फोटो देखता रहा."
उन्होंने पूछा; "आपको भी इनवाईट किया गया था क्या?"
मैंने कहा; "हाँ. मुझे भी इनवाईट किया गया था. लेकिन तबियत खराब होने की वजह से जा न सका."
बोले; "बात समझ में आ गई. वहां के आयोजन की रपट पढ़कर और बाकी ब्लॉगर की फोटो-सोटो देखकर ही दर्द बढ़ गया है. यह नए तरह का दर्द है. नाम देना हो तो दे सकते हो 'ब्लागर्स' जीलसी पेन'."
आगे बोले; "अगली बार निमंत्रण मिले तो ज़रूर जाना. चाहे जितना दर्द हो. वहां जाने से दर्द ठीक हो जाएगा. ये जो
स्पानडिलाइटिस हुआ है उसमें ब्लागिंग का ही हाथ है. हो सकता है जिसने दर्द दिया वही दवा भी दे दे. वैसे भी महान गीतकार लिख गए हैं कि; "तुम्ही ने दर्द दिया और तुम्ही दवा...."
तो अब तो डॉक्टर ने भी कह दिया है. अगली बार की तैयारी कर रहा हूँ. बस एक ही चिंता है. कहीं ऐसा न हो कि अगली बार निमंत्रण ही न मिले.
लेकिन फिर सोचते हैं कि अगली बार निमंत्रण न मिला तो फिर सॉलिड पोस्ट लिखने का विकल्प तो रहेगा ही. आखिर ब्लॉगर हैं तो हर स्थिति में अपना झंडा गडेगा ही.
Tuesday, October 27, 2009
आखिर ब्लॉगर हैं..हर स्थिति में अपना झंडा गडेगा ही.
@mishrashiv I'm reading: आखिर ब्लॉगर हैं..हर स्थिति में अपना झंडा गडेगा ही.Tweet this (ट्वीट करें)!
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ब्लागरी में मौज
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Jealousy ? ha..ha..क्या होती है एक आदर्श ब्लोग्गर मीट , कैसे करते हैं उसकी रिपोर्टिंग , कैसे वहां बैठना, चलना और फोटू खिंचवाना ‘चहिये ‘ , और भी बहुत कुछ ……देखें सिर्फ़ यहाँ — maykhaana.blogspot.com
ReplyDeleteआप ने अपनी पोस्ट भेज दी चुनी हुई १०० पोस्ट की किताब जो हिन्दी अकेडमी के सौजन्य से छपने वाली किताब के लिये , इसको जरुर भेजे । स्वास्थ्य लाभ तभी होगा ना जब पोस्ट छपने की बात पुष्ट हो जायेगी ।
ReplyDeleteसब शिवजी की कृपा है
ReplyDeleteहोइहै वहि जो शिव रचि राखा।
अब वो पोस्ट जो लगानी थी आपने
मेरे पास भेज दें तो मैं अपने नाम से लगा दूंगा
बाद में आप घोषित कर देना कि
यह तो मैंने तैयार की थी
चोरी हो गई
और चोरी पर ब्लॉगर तुरंत संज्ञान लेते हैं
क्यों ज्ञान देने वाले पांडेय जी
मैं सच कह रहा हूं हां।
sahi he... jnahda uncha rahe hamaaraa..
ReplyDeleteइलाहबाद में ब्लॉगर संगोष्ठी आह ! वाह !
ReplyDeleteशेष शुभ .
जल्दी से ठीक हो जाओ! ऐसी पोस्टें लिखने के अनेक मौके पांव चूमते रहेंगे।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है ......... इलाहाबाद मशहूर हो रहा है ब्लोगेर्स के बीच .......... कुछ ही दिनों में ब्लोगेर्स की श्रधा-स्थली बन जायेगी ये नगरी ..........
ReplyDeleteआप पोस्ट सॉलिड पोस्ट लिखने से चूक गए तो क्या...मैं हूँ न (मुझे निमंतर्ण नहीं मिला)
ReplyDeleteआप तो स्वास्थ्य का ख्याल रखिये, ये दुनियादारी और पोस्ट लिखने के बहाने तो रोज ही मौजूद रहेंगे.
ReplyDeleteरामराम.
जेलिसी तो ब्लोगर होने का मूल गुण है.. इसके बिना आप ब्लोगर नहीं बन सकते.. कुछ लोग तो खुले आम अपने इस गुण का प्रदर्शन कर रहे है.. वईसे उन्होंने मुझे न्योता भेज दिया था.. तो अपने भी अरमान खिसक लिए साईड में.. आप तो बस अपनी कमर का ख्याल रखिये.. दस क्या बीस एक्स्ट्रा टिपण्णी कर डालेंगे...
ReplyDelete'ब्लागर्स' जीलसी पेन' पेन के साथ 'पेन' (कलम) का भी काम करता है... देखिये एक पोस्ट निकल गयी इस पेन से. आप ठीक हो जाइए फिर झंडे तो गाड़ते ही रहेंगे उसे कौन उखाडेगा, उखाड़ दिया तो बगल में एक और गाड़ देंगे :)
ReplyDeleteआप सोच रहे होंगे की हम बीजी थे इसलिए टिपियाने नहीं आये...गलत सोचे...हम जेलेसी पेन से तड़प रहे थे...इलाहाबाद वालों ने हमें ब्लोगर समझा ही नहीं...बुलाना तो दूर की बात है...क्या शायरी और कविता लिखने वाले ब्लोगर की श्रेणी में नहीं आते ??? ब्लोगर की परिभाषा क्या है ये पूछना चाहते हैं हम इलाहबाद वालों से...आपको वहां कलकत्ते बैठे बुला लिया कुश को जयपुर बुलावा भेज दिया हमें मुंबई से बुलाने में लजा गए...धिक्कार है...चर्चा तो हम भी सुमे हैं उस ब्लोगर सम्मलेन की लेकिन वहां हुआ क्या ये जानकारी ठीक से नहीं है...सच तो ये है की हम जानकारी लेने के मूड में भी नहीं हैं...(इसे कहते हैं खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे)
ReplyDeleteआप जल्दी से ठीक हो जाईये फिर एक ईस्ट वेस्ट ब्लोगर मीट करेंगे और जिसे चाहेंगे उसे बुलाएँगे...ईंट का जवाब पत्थर टाईप अप्रोच है हमारी...
नीरज
पानीपत में एक 1 नवम्बर, 2009 को ब्लॉगर-महासम्मेलन का आयोजन है । आप सादर आमन्त्रित हैं ।
ReplyDeleteएक मैं, दूसरे आप, और तीसरे यहीं से योगेन्द्र मौद्गिल जी को पकड़ लेंगे । बस हो गया ब्लॉगर-महासम्मेलन का कोरम पूरा । और स्पॉण्डलाइटिस भी ठीक हो जाएगा । तो आना न भूलियेगा ।
- विवेक सिंह
ब्लागर्स' जीलसी पेन- ये बोनस बिमारी न पालो भाई..पहले ऊ जौन है उसी पर कनसेन्ट्रेट करो...जरा बाबा रामदेव के यहाँ पता करना..किसी को एकदम दुरुस्त होते सुना है इससे.
ReplyDeleteआपकी तो हर पोस्ट ही सॉलिड होती है। यह भी है। जल्द ठीक हो जाइए। हम यहाँ सम्मेलन करेंगे और आपको कतई नहीं बुलाएँगे। उस पोस्ट को अभी से लिखना शुरू कर दें।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
चिंतन तो तुम्हारा सटीक है,पर चिंता निर्मूल है....चाहे कितने भी दर्द में रहो,तुम्हे सम्मलेन में उपस्थिति का न्योता मिलेगा ही......तुम वरिष्ठ ब्लागर श्रेणी में आ चुके हो.....चूके नहीं हो...
ReplyDeleteसोचना तो हमें हैं......काश !! हम भी लघु वरिष्ठ ही होते......
वैसे सी डी मिला जाए तो मुझे भी भेजना...झलकियाँ देख जरा कृतार्थ तो हो लें..
जीलसी पेन हो रहा है. हमें बुलाया गया था, मगर भाव खा गए. कहा समय नहीं है. अब लगता है.... :) हम तो पेन कम करने को कुछ लिख भी नहीं सकते. :(
ReplyDeleteकोई हद ही नहीं शायद इलाहाबाद के फसाने की
ReplyDeleteसुनाता जा रहा है जिसको जितना याद आता है।
जीलसी पेन ..... waah waah . hamne to tippni se bora bhr liya
ReplyDeleteकल ही हड्डी वालो को बुलाता हूँ के बेटे नया रोग आ गया है बाज़ार में ...जरा रिसर्च कर लो .कलकत्ता वाले आगे निकल गए है
ReplyDelete"बीमारी के बारे में बता 'चूका' था"- आखिर चूक हो ही गई तो खामियाज़ा भी भुगतना पडेगा। रिपोर्टों में संगोष्टी की खींचातानी से जेलेसी पेन मे रिडक्शन तो आ ही गया हो- संगोष्टी क्या थी गोया शादी थी- जिसने किया बो भी परेशान और जिसने नहीं किया वो भी:)
ReplyDeleteब्लॉगर हैं तो हर स्थिति में अपना झंडा गडेगा ही.
ReplyDeleteभले झण्डा "वर्चुअल" ही क्यों न ..?
खैर अब तबीयत कैसी है गुरु
ओह तो जौन जौन लोग नहीं पहुंचे उ सब ब्लोगिंट्टाईटिस से ग्रस्त थे ..ऊपर से जेलसी का संक्रमण भी ...बताईये हम तो ओईसे ही हलकान हुए जा रहे थे ..चलिये अगिला बार के लिये ..वार्म अप टाईप हो गया है..दर्दवा ठीक हो तो कहियेगा..नयका आईडिया है एक ठो..
ReplyDeleteच्च् च्... मौका खोने का बुरा मत मानो .. ये तो शुरुआत है - आपका भी जुगाड सेट हो लेगा. बस सेटिंग-मेटिंग टाईप लोगों को प्रेमपूर्ण टिप्पणियां करते रहें!
ReplyDeleteअब जब ब्लॉगिंग नई विधा है तो बीमारीया भी नये नाम लेकर आएंगी ही :)
ReplyDeleteबढिया लिखा ।
एक एक्स्ट्रा टिप्पणी मेरी भी।
ReplyDeleteसभी ब्लॉगर साथियों को टिप्पणी के लिए धन्यवाद. हमें टिप्पणियां कम मिल रही थीं इसलिए इलाहबाद ब्लॉगर संगोष्ठी पर एक पोस्ट लिख डाली. आजकल ये विषय फैशन में है सो लिख डाला.
ReplyDelete@ ई-स्वामी जी,
सर, सेटिंग-मेटिंग लोगों को आज से ही प्रेम-पूर्वक टिप्पणियां देने का काम शुरू करता हूँ. वैसे भी प्रेम-पूर्वक टिप्पणियां न देने के लिए पहले भी लोग लताड़ चुके हैं....:-)
@ अजय कुमार झा
झा जी, बस आईडिया देते रहिये. मुझे विश्वास है कि आप आईडिया देंगे तो मैं टिका रहूँगा. मेरी ब्लागिंग अब आपके आईडिया से ही चलेगी. अभी तक आपके पास जो भी आईडिया है उसे अगर मेल कर दें तो अच्छा रहेगा. मेरा मेल पता है;
shiv2601@gmail.com
अजी जब झंडा गडना ही है तो काहे की जेलसी, खुश रहिये और इस जेलसी पेन से निजात पाले के लिये दस जगह और टिपियाइये ।
ReplyDeleteऊपर ही ऊपर देखिये इससे पीठ का दर्द ठीक होता है ।
ReplyDelete"एक हिंदी ब्लॉगर को और क्या चाहिए? दस एक्स्ट्रा टिपण्णी और क्या. वो चाहे किसी भी वजह से मिलें."
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10 टिपण्णी de di. Aur mangi ho ti to aur de data.
कहीं ऐसा तो नहीं कि बीमारी आपकी पुलिस के छापे की तरह पूर्वनियोजित थी?
ReplyDeleteHeh! Lagta hain ki Jhanda jhaadne ke liye aap kyoN naa Reddy BHAIYON PAR JHAADE?
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