जब से हमें श्री मनमोहन सिंह के रूप में एक ईमानदार प्रधानमंत्री मिला है, तब से देश में ईमानदारी का बड़ा बोल-बाला है. आम आदमी, ख़ास आदमी, पत्रकार, कलाकार, सलाहकार, लेखक, आलोचक, समाज सेवक, उजबक से लेकर बकबक तक अपनी बात के शुरू और अंत में यह बताना नहीं भूलते कि हमारे प्रधानमंत्री कितने ईमानदार हैं.
प्रधानमंत्री की ईमानदारी का असर उनके मंत्रियों पर भी साफ़ दिखाई दे रहा है. ऐसा नहीं कि उनके मंत्री पहले से ईमानदार नहीं थे. वे पहले से ही ईमानदार थे लेकिन कैबिनेट में आने के बाद उनकी ईमानदारी दिन दूनी रात चौगुनी के हिसाब से बढ़ी है.
कभी-कभी तो लगता है कि ईमानदारी जल्द ही खतरे के निशान से ऊपर बहने लगेगी.
अब थरूर साहब को ही देख लीजिये. उन्होंने पूरे देश के सामने यह राज खोल के रख दिया कि वे ईमानदार हैं. यह अलग बात है कि उन्होंने जो राज खोला उसको देखकर लोगों ने कहा कि; "यह तो कोई राज की बात नहीं है. हमें तो पता है कि आप ईमानदार हैं. आपको बताने की ज़रुरत नहीं थी."
यह बात सुनकर थरूर जी ने जनता को उसकी समझदारी के लिए धन्यवाद दिया और अपनी ईमानदारी को कांख में दबाये अपने घर की तरफ चल पड़े. अब वे घर में बैठे अपनी ईमानदारी में रोज कुछ ग्राम ईमानदारी और जमा कर ले रहे हैं. उनका मानना है कि एक दिन ऐसा आएगा जब उनके पास भारी मात्रा में ईमानदारी की सेविंग्स हो जायेगी. तब वे उस ईमानदारी को पूरे देश के सामने चमकाएँगे और देश उनकी ईमानदारी का लोहा मानेगा.
उधर राजा साहब, अरे अपने स्पेक्ट्रम राजा, वे भी ईमानदार बनकर उभरे हैं. उनकी ईमानदारी तो ढाई-तीन साल पहले टू-जी स्पेक्ट्रम के आक्शन के समय से थोड़ी-थोड़ी उभरने लगी थी लेकिन पूरी तरह से उभर कर हाल ही में सामने आई जब उनकी ईमानदारी को टैप करके टीवी चैनलों पर चला दिया गया. पता चला कि लोगों ने जितना सोचा था वे उससे कहीं ज्यादा और आगे तक ईमानदार हैं.
उनकी ईमानदारी का आलम यह है कि उनके नेता ने सीधा-सीधा कह दिया कि; "मेरे पास इससे ईमानदार आदमी और कोई नहीं है जिसे मिनिस्टर बनाया जा सके. चूंकि मिनिस्टर बने रहने से एक नेता की ईमानदारी में इजाफा होता है इसलिए मैं चाहूँगा कि राजा मिनिस्टर बने रहें जिससे अगले आम चुनाव तक वे देश के सबसे बड़े ईमानदार बन जाएँ और पूरा देश उनकी ईमानदारी पर नाज़ कर सके. देश के लोगों को यह शिकायत रहती है कि उनके सामने सिनेमा स्टार और क्रिकेटर छोड़कर और कोई रोल मॉडल नहीं है. मैं चाहता हूँ कि ऐंडीमुत्थु राजा देश के लोगों के लिए ईमानदारी का रोल मॉडल बनें. ऊपर से वे दलित भी हैं. ईमानदारी और दलितत्व का संगम राजा को महान बनाता है."
अभी कल की ही बात है, जयराम रमेश जी ने ईमानदारी का एक नया ही मोर्चा खोल दिया. पता चला उनकी ईमानदारी चायना-सेंट्रिक है. वैसे तो लोगों को इस बात पर शंका है कि इनकी ईमानदारी मज़बूत रह पाएगी या नहीं? कारण यह है कि अपनी ईमानदारी की वजह से वे प्रधानमंत्री जी से शाबासी पा चुके हैं. लिहाजा इनकी ईमानदारी चीनी सामानों की तरह जल्द ही टूट सकती है.
थरूर जी की ईमानदारी पर लोग काफी कुछ बोल चुके हैं. जयराम रमेश की ईमानदारी नेसेंट हाइड्रोजन की तरह अभी नेसेंट स्टेज में है, लिहाजा लोग अभी ज्यादा कुछ नहीं कह पा रहे. हाँ कुछ लोगों से जब स्पेक्ट्रम राजा की ईमानदारी पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने अपने वक्तव्य दिए.
हमारे ब्लॉग पत्रकार ने लोगों से सवाल किया कि; "स्पेक्ट्रम राजा के स्पेक्ट्रम टेप के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?"
तमाम लोगों ने जो कुछ कहा वो आपके सामने है.
प्रधानमंत्री जी: स्पेक्ट्रम का मुद्दा कोई मुद्दा है? महत्वपूर्ण है जीडीपी ग्रोथ रेट. इस दिशा में काम कर रहे हैं और आशा है कि फिनान्सिअल इयर टू थाऊजेंड टेन-एलेवेन से हम डबल डिजिट ग्रोथ अचीव कर लेंगे. इस ग्रोथ रेट को अचीव करने के लिए हमने वित्तमंत्री को चिट्ठी भेज दी है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही यह रेट अचीव कर ली जायेगी.
ममता बनर्जी: होम तो पाहिले ही बोला था कि स्पेक्ट्रोम बेचने का जोरूरोत नेहीं है. हामको मालूम था कि इंडोट्रीयोलिस्ट लोग पाहिले स्पेक्ट्रोम मांगेगा फीर ऊसी स्पेक्ट्रोम को राखने के लिये जोमीं मांगेगा. ई लोग होमेशा जोमीं लेने का पीछे रेहता है. होमने तो पाहिले ही कह दीया है, अगोर सोरकार जोमीं देगा तो होम कोइबिनेट छोड़ देगा.
शशि थरूर: देखिये चीप रेट में स्पेक्ट्रम देने में कुछ भी बुरा नहीं है. मैं इसे तब तक गलत नहीं मानता जब तक चीप रेट में स्पेक्ट्रम पाने वाली कंपनी किसी न किसी को स्वेट इक्वीटी अलोट करती रहे.
मुकेश अम्बानी: देखिये जैसे सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि गैस भण्डार रिलायंस का नहीं बल्कि पूरे देश का है वैसे ही स्पेक्ट्रम किसी कंपनी का नहीं बल्कि पूरे देश का है. जैसे देश की गैस मेरे पास है वैसे ही देश का स्पेक्ट्रम किसी और के पास होगा. इसको इतना सीरीयसली लेने की ज़रुरत नहीं है. देखा जाय तो जो उद्योगपति देश की गैस और देश का स्पेक्ट्रम अपने पास रख रहा है वह तो देश सेवा ही कर रहा है न. इसलिए इसको लेकर इतना हाय-हाय करने की ज़रुरत......
वित्तमंत्री: इयू सी, देयार हैज बीन प्राईस राइज ऑफ़ सो मेनी थिंग्स इन द कोंट्री डियुरिंग लास्ट टू ईयर्स.... उई आल शुड आप्रीसियेट द फैक्ट दैट गावरमेंट इज एबुल टू सेल सामथींग टू द सिटीजंस ऑफ़ दीस कोंट्री ऐट चीप रेट्स. पीपूल हूँ हैव गाट स्पेक्ट्रोम आर अल्सो सिटीजंस ऑफ़ दीस कोंट्री...
आमिर खान: हा.. आई एम टोटली ऐन अपोलिटिकल मैन...मुझे राजनीति में दिलचस्पी नहीं है. जो भी हुआ हो, हमें हमेशा यह कहना चाहिए कि; 'आल इज वेल...आल इज वेल...'
राम जेठमलानी: मैंने अभी तक टेप पूरी तरह से पढ़ा नहीं है. मैं जब तक टेप पढ़ नहीं लेता कुछ भी कमेन्ट नहीं करूंगा..
ब्लॉगर हलकान विद्रोही :ये स्पेक्ट्रम उस्पेकट्रंम में क्या आनी-जानी है...मदर्स डे के दिन उसकी बात करो.हा हा हा...हैपी मदर्स डे...हैपी मदर्स दे. मैंने आज ही माँ के ऊपर एक कविता लिखी है..सुनिए;
मैं तेरा बेटा हूँ और तू मेरी माँ
मांगता हूँ बस इक चोकलेट
झट से कह दे हाँ..
मेरी माँ...प्यारी माँ..
मेरी माँ..प्यारी माँ..
ललित मोदी : मैं चाहूँगा कि मामले की पूरी जानकारी लेने के लिए आप मुझे पांच दिन का समय दें. उसके बाद ही मैं कुछ बोल पाऊँगा.
लालू जी : संसद में हम कह दिए रहे...न्यूक्लीयर डील के समय अपना भाषन में बोल दिए रहे कि कम्यूनिस्ट लोग...वहां राजा जी भी थे..कि ; "तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं..हाँ..आ तुम अगर किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी..." का बोला..भक्क..ए राजा का बात कर रहा है?..हम तो सोचे कि डी राजा का बात कर रहा है...वोमेन रिजर्भेशन पर हम आ मुलायम सिंह जी...साथ हैं. का समझा?
एम करूणानिधि : थांबी राजवइ एल्लोरुम दलित एंगरदनालेइ कुट्रम चट्टराल. नान उरुदिआग~ सोल्लिगिरेंन अवरगल राजनामा सेईय~ वेंडीदूल्लाइ..
Tuesday, May 11, 2010
ईमानदारी की बाढ़
@mishrashiv I'm reading: ईमानदारी की बाढ़Tweet this (ट्वीट करें)!
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सबसे बढ़िया प्रतिक्रिया, ब्लॉगर हलाकान विद्रोही की लगी भैया अपने को तो… :) :)
ReplyDeleteक्योंकि बाकी के लोग तो वही बोले जो 5 साल पहले बोल रहे थे या 10 साल बाद बोलेंगे… जबकि ब्लॉगर ही ऐसा आध्यात्मिक प्राणी है जो "आज" की बात करता है। :)
:)
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा...
हाँ जब सारे सड़े हुए इमानदार हो तो किसी एक को इमानदार कहना ठीक बात नहीं /
ReplyDeleteकाश हमें भी प्रधान जी मौका दें "ईमानदार राजा" बनने का..
ReplyDeleteईमानदारी ही ईमानदारी भरी पड़ी है।
ReplyDeleteमुझे एक अफसर की कही याद आती है - क्या करें, इन बड़े लोगों की ईमानदारी को चाटें?
ईमानदारी की भी एक सीमा होती है । जितनी थी, सब की सब देश के प्रधानमन्त्री जी के पास है । बाकी लोगों को जब मिलेगी तो वे भी रख लेंगे । यह गलत हुआ, जब ईमानदारी इतनी कम थी तो उसका भी ऑक्शन होना चाहिये था । जिसके पास पहले से ही धन था, वह अधिक बिड करता ।
ReplyDeleteसचमुच बहुत जोर की ईमानदारी की बाढ़ आई हुई है भारतीय राजनीति में ...बेचारी आम जनता इस बाढ़ में बह बह के,फिसुल फिसुल के कहाँ से कहाँ पहुँच जा रही है...
ReplyDeleteभाई लोग ईमान को बेच बेच कर खूब इमानदारी खरीदने में लगे हैं.
ReplyDeleteबहुत ही इमानदार व्यंग है, मनमोहनजी के ईमान पर...
ईमानदारी बाढ़ का रूप ले रही है. उभर उभर कर बाहर आ रही है. थामना मुश्किल हो रहा है. पता नहीं कब यह देश इस ईमानदारी में डूब जाए....
ReplyDelete***
सब ईमानदार लोगन का बियान भी बहुते मजेदार रहा. हमको पता था मनमोहन की ईमानदारी से परेशान शिव बाबू का पोस्ट आएगा जरूर...तो आ गया..
पर उपदेश कुशल बहुतेरे....
ReplyDelete--------
कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
हाऊ डीस्ग्स.. नो डिस्कस..?
ReplyDeleteएनीवे हम ऐसे ही अपनी टिपण्णी चिपकाकर खिसक लेते है.. "आप बहुत ईमानदारी से लिखते है.. ब्यंग्य लेकन में आपखी जो सैली है वो नाजवाब है.. सोछ्ते है आपखो इश बार ईमालदार प्रधालमल्त्री से ईलाम दिलवा देते है.."
और अंत में...
हिंदी में अति विशिष्ट लेखन के लिए आप बधाई के पात्र है.. हिंदी की सेवा में आपका योगदान अविस्मरनीय है.. कृपया कुछ दिन विश्राम भी लिया करे हिंदी को इतनी सेवा की आदत नहीं है... कही गश खा के गिर पड़ी तो संभालना भारी पड़ जायेगा.. ?
एक रोचक पोस्ट
ReplyDeleteऔर
एक विचारणीय प्रश्न!
ये करूणानिधी वाला तो एकदम सरपटवा दिया है....तगड तगड धिन....एकदम रापचिक पोस्ट।
ReplyDeleteसभी लोगों का बहुत बारीक अवलोकन....जैसे कि पांच दिन का समय दो...टेप देखकर कुछ कहूंगा वगैरह...वगैरह... किसी की शख्सियत की बहुत बारीक सी बातें हैं जो बहुत ध्यान देने पर ही पता चलती हैं ।
मजेदार...रहा यह पोस्टवा तो।
"कभी-कभी तो लगता है कि ईमानदारी जल्द ही खतरे के निशान से ऊपर बहने लगेगी"
ReplyDeleteउफ़न रही है जी ईमानदारी की नदी।
आप पक्षपात कर गये, शिव भैया। गृह मंत्री का पद आपको ईमानदारी के उपयुक्त नहीं लगा? कित्ती ईमानदारी से आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम कस रखी है, और क्या सुबूत चाहिये, ईमानदारी का?
हमेशा की तरह लाजवाब।
आभार।
तनी करूणानिधि वाली बात पे टोर्च मारिये. बाकी त बुझा गया. करूणानिधि में दलित छोड़ के कुच्छो नहीं बुझाया.
ReplyDeletemanana padega..kya likhte sir..thoda spectrum humlog ko bhi dilwaiye naa
ReplyDelete:) बेहतरीन...कायदे का बयान करुणानिधि का रहा जो समझ में आ पाया. :)
ReplyDeleteईमानदारी खतरे के निशान से बहुत ऊपर बह रही है मिसिरा जी, सबूत हाजिर है
ReplyDeletehttp://www.thestatesman.net/index.php?option=com_content&view=article&id=326987&catid=38
हां मै ईमानदार हू क्योकि मुझे अभी तक बेईमानी का मौका नही मिला है
ReplyDeleteदेखो जी मेरे सभी प्रतिद्वंदी ब्लॉग लेखकों ने अपना मत व्यक्त कर आपके इस पोस्ट की भूरी भूरी प्रशंशा कर दी है अतः ब्लॉग लेखन के कायदे का निर्वाह करते हुए अब मुझे अपने प्रतिद्वंदियों ने जो टिपण्णी दी है उसके विरोध में ही लिखना चाहिए लेकिन क्यूँ के मैं इमानदार हूँ इसलिए ऐसा नहीं कर पा रहा हूँ और अपनी इमानदारी की भारी कीमत चुकाते हुए मजबूरी में मैं भी इस पोस्ट की प्रशंशा कर रहा हूँ....इमानदार होना कितनी बड़ी सजा है ये आज मालूम पड़ा...आप नहीं समझेंगे....करुणा निधि शायद समझ लें...उन्हें मेरा सन्देश पहुंचादें..." अप्पडिया नीर कुड़ी इमानम दारम इल्ले पो , वेंदु वडा सरी मिसरम्मा शिवम् एल्लू " :))
ReplyDeleteनीरज
I enjoyed reading the post.
ReplyDeleteQuite innovative !
jabardast!! laughter riot..
ReplyDeleteMy fav - blogger Halkaan ;) and a nice poem too :D
kya baat hai...atti utaam...abhineta, neta, lawyer..sabka spectrum utaar liya gaya hai...shudh hindi me padhne ka mazaa hi alag hai..sabse badhiya lagaa - amir kahn ki optimism, karunanidhi ki bakwaas aur lalu ki bhasha..
ReplyDeleteजबरदस्त बात खोल के रख दिए भइया... क्या कहने!
ReplyDeleteअब हम समझे कि हमारे यू.पी. में ई ससुरी ईमानदारी का टोटा क्यों पड़ा है? ई सेन्टर वाले सारी ईमानदारी अपनी ओर खींच के रख लिए हैं।
बहुत मस्त पोस्ट.
ReplyDeleteईमानदारी का पूरा असर पूरे देश में उपभोक्ता वस्तुओं की क़ीमतों पर एकदम भरभरा के दिखाई दे रहा है.
आनन्द फ्राई हो गया ।
ReplyDeleteimandari se maja aa gaya padhe ke ,aap na hote to hum log is duniya me taras jate acche wyang padne se
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