"हें हें ..तो मानते हैं न कि कोई न कोई योजना है?"; प्रभु चावला जी ने हलकान भाई से अपने चिर-परिचित अंदाज़ में पूछा.
हलकान भाई ने शायद सीधी बात का अक्षय कुमार एपिसोड देख रखा था. उन्होंने अक्षय कुमार 'ईस्टाइल' में दांत चियारते हुए कहा; " हे हे ..नहीं-नहीं, ऐसी कोई बात नहीं. हमारी पार्टी ने अभी तक कुछ फैसला नहीं किया है. जब चुनाव परिणाम आयेंगे तो फिर देखा जाएगा. हमारा मानना है कि राजनीति में विचारों का विरोध होता है, लोगों का नहीं. "
अपने हलकान भाई यानी ब्लॉगर हलकान 'विद्रोही' राष्ट्रीय ब्लॉगर दल के महासचिव की कैपेसिटी में सीधी बात नामक कार्यक्रम में प्रभु चावला जी से 'सीधी बात' कर रहे थे. सोलहवीं लोकसभा के चुनाव सम्पन्न होने और नतीजे आने के बीच एक रविवार पड़ गया था. चावला जी ने हलकान भाई को उस रविवार में फिट कर दिया था.
चुनावों में हमसब के दल राष्ट्रीय ब्लॉगर दल यानि 'राब्लाद' का बहुत जोर प्रचार करने की वजह से हलकान भाई को समय नहीं मिला था. वे कुछ थके हुए भी थे लेकिन प्रभु चावला जी द्वारा कई दिनों की कोशिश के बाद वे कार्यक्रम में जाने के लिए तैयार हो गए थे.
"धनबाद ब्लॉगर एशोसियेशन का विलय झारखण्ड ब्लॉगर एशोसियेशन में जब पिछले साल हुआ, उसी से आभास हो गया था कहीं न कहीं यह राजनीतिक महत्वाकांक्षा अब केवल राज्य स्तर की नहीं रही. अब यह राष्ट्रीय हो गई है."; प्रभु चावला जी ने फिर से चार-पांच अदाओं में अपना सिर हिलाते-घुमाते हुए कहा.
अब हलकान भाई को लगा कि अक्षय कुमार 'ईस्टाइल' में बात को टाला नहीं जा सकता. वे अचानक राग दरबारी के लंगड़ की तरह आध्यात्म मोड में आते हुए बोले; "हमारी लड़ाई तो सत्त की लड़ाई है चावला जी. आप पत्रकार हैं न. आप नहीं समझेंगे. आपलोग कहीं न कहीं कहीं नामक जुमला बोलकर पता नहीं क्या-क्या कह जाते हैं. वैसे भी महत्वाकांक्षा कोई बुरी बात नहीं है. "
"हें हें..लेकिन बातें तो हो रही हैं न. आठ महीने पहले रायपुर में जो सम्मलेन हुआ, खबर है कि उसी में यह निर्णय ले लिया गया था कि हाई कमान के फैसले को न मानते हुए प्रदेश ब्लॉगर एशोसियेशन वहां की सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगा"; प्रभु चावला जी ने अपने किसी विश्वस्त सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी को साझा किया.
"देखिये सम्मलेन के निर्णय पहले ब्लॉग पर लिख दिए जाते थे. फोटो-सोटो छप जाया करती थी तो पता चलता था कि क्या हुआ है. जितने लोग सम्मलेन में जाते थे, उतनी पोस्ट आती थी. अब तो सम्मेलनों के निर्णय गुप्त रखे जाते हैं. ऐसे में आपको कहाँ से जानकारी मिली?"; हलकान भाई ने बड़े सर्द लहजे में कहा. इतना कहकर वे हँसने लगे.
उनकी हँसी से प्रभावित प्रभु चावला बोले; "हें हें...कुछ न कुछ तो बात होगी..बिना आग धुंआ नहीं उठता. अच्छा चलिए एक बात बताइए. अगर कांग्रेस को इन चुनावों में कुछ कम सीटें मिलीं तो आपकी पार्टी उसे समर्थन देगी?"
चावला जी की बात सुनकर हलकान भाई ने उनसे उल्टा सवाल किया; "आप यही सवाल कांग्रेस पार्टी से पूछिए. मेरा मतलब अगर आर. बी. डी. को कुछ कम सीटें मिलीं तो कांग्रेस समर्थन करेगी क्या?"
उनका सवाल सुनकर प्रभु चावला सकपका गए. खैर, फिर से दो-तीन बार अपना सिर इधर-उधर करते बोले; "कोलीशन पोलिटिक्स में तो आपको समर्थन देना ही पड़ेगा."
"क्यों देना पड़ेगा? अगर हम सबसे बड़े दल बनकर उभरे जो कि हम उभरेंगे तो फिर तो कांग्रेस समर्थन करेगी हमारी पार्टी को"; इतना कहते हुए हलकान भाई सीरियसता की एक और सीढ़ी चढ़ गए.
उनका आत्मविश्वास देखकर प्रभु चावला की टाई ढीली हो गई. हें हें करते हुए बोले; "अच्छा, आपको क्या लगता है? आपकी पार्टी देश को चला पाएगी? जिस राजनीति की ज़रुरत है कोलीशन को चलाने में आपलोगों को वह राजनीति आती है?"
"बहुत अच्छे ढंग से. बहुत अच्छे ढंग से चलाएगी देश को हमारी पार्टी. चावला साहब हमें राजनीति में नौसिखुआ मत समझिये...... आज की तारीख में पूरे देश में सत्य, अहिंसा, इंसानियत, मुरौव्वत, वगैरह-वगैरह अगर किसी समाज में है तो वह है ब्लॉग समाज. हम एक दिन इस देश में सरकार बनायेंगे यह बात हमें पांच साल पहले से ही पता थी"; हलकान भाई ने जानकारी दी.
"आपकी पार्टी के पास कोई प्लान है देश को चलाने का? मेरा मतलब आपने कोई खाका खींचा है कि आप देश को कैसे चलाएंगे? क्या बदलाव लायेंगे?"; प्रभु चावला जी ने सीधा सवाल पूछा.
"देश को चलाने के लिए हमने पहले से ही प्लान बना रखा है. हमारा प्लान पुराना है........ हम बिना प्लान के कुछ नहीं करते. हमारा प्लान है कि हम पहले समाज को बदलेंगे. फिर देश को बदल डालेंगे. फिर हम विश्व को बदलेंगे. उसके बाद अगर वैज्ञानिकों का, वैसे हमारे ब्लॉग जगत में भी बहुत वैज्ञानिक हैं, फिर भी अगर वैज्ञानिकों का साथ मिला तो हम ब्रह्माण्ड को बदल डालेंगे. आज देखने की बात है कि क्यों हमें लोगों का इतना बड़ा समर्थन मिल रहा है? आज की तारीख
में..."; हलकान भाई बहुत जोश में बोलते जा रहे थे.
मैं टीवी देखते-देखते उन्हें चीयर-अप कर रहा था; "कम्मान, हलकान भाई, कम्मान... आज प्रभु चावला को पहली बार कोई मिला है. आज उनको पता चलेगा कि असली पोलिटिशियन क्या होता है...अब हमारी सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता..."
अचानक लगा जैसे कोई बार-बार पीठ पर थपकी दे रहा है. आँखें खुल गईं. देखा तो पत्नी सामने खड़ी थीं. बोलीं; "सरकार बन गई हो तो अब चाय पी ली जाय?'
मैंने कहा; "क्या हुआ?"
वे बोलीं; "क्या हुआ वो तो तुम बताओगे."
अब कैसे बताता कि सपने में क्या देखा. बता देता तो भद्द पिट जाती.
सुबह से सोच रहा हूँ. इस तरह का सपना? कहीं ये सम्मेलनों, एसोशियेशनों का असर तो नहीं है?
Friday, May 28, 2010
राष्ट्रीय ब्लॉगर दल?
@mishrashiv I'm reading: राष्ट्रीय ब्लॉगर दल?Tweet this (ट्वीट करें)!
Labels:
ब्लागरी में मौज,
ब्लॉगर हलकान 'विद्रोही',
राजनीति
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हें हें हें हें… यानी अब आप भी ब्लॉगर सम्मेलनों को सीरियसली लेने लगे?
ReplyDeleteअब इसमें संदेह नहीं है कि आने वाले समय में केन्द्र में सरकार राब्ला दल की ही बनेगी
ReplyDeleteजैसे सपने वे देख रहे हैं, कभी ढपोर शंख, कभी कुमार जलजला कभी कोई फलां जला, कभी कोई फलां बुझा , आप भी देखने लग ही गए। सच ही कहा है कि जो नेट पर होता है उसकी नॉट (गांठ) बाकी हिन्दी ब्लोगरों के दिमाग और आंख पर लग जाती है। उसी पर सोचने लगते हैं, सपने देखने लगते हैं। मतलब अभी अवीनाश वाचस्पती जी ने जो इंटरनेशनल दिल्ली हिन्दी ब्लोगर मिलन किया है उसी का असर लग रहा है।
ReplyDeleteहँसते हँसते लौटपोट हुआ जा रहा हूँ, क्या लिखा है जी आपने कि देश में सत्य, अहिंसा, इंसानियत, मुरौव्वत, वगैरह-वगैरह अगर किसी समाज में है तो वह है ब्लॉग समाज. साधू साधू मि. शिवकुमार साधू.... :) :) :) ब्रह्माण्ड बदल देंगे, लोग अनामियों की ताकत नहीं जानते.
ReplyDeletewoh kehtey haen naa om namah shivaaye
ReplyDeletebina aap ko dandvat kiyae sangathan
mushkil hi nahin naa mumkin haen
चलो अच्छा है ब्लॉगरों की सरकार बन गई तो हमें काम निकलवाने में आसानी रहेगी। वैसे बता दें कि कौन कौन से ब्लॉगर खड़े होंगे, हम उन्हीं के यहाँ टिप्पणी किया करेंगे। :-)
ReplyDeleteमस्त ढिंचैक पोस्ट है जी.....और दल का नाम भी बडा अलग तरह का रखा है।
ReplyDelete:)
इस कशमकश में आपने निर्दल ब्लॉगरों को कुछ कम अहमियत दे दिए हैं, इस कारण से आप को सदन के भीतर ताकत दिखाई जाएगी। आप ने समझ क्या रखा है....माईक का स्टैण्ड माईक टाईसन की तरह उठा कर न फेंका तो कहिएगा और बेंचें....सलामती चाहते हैं तो सदन में जाने से पहले बेंचे हटवा दें।
जब तक हमारी मांगे न मांग ली जायंगी, हम लोग 'सिट डाउन ऑन भुईंया' आंदोलन चलाएंगे।
निर्दल एकता - अमर.......तगड रहे :)
ब्लागर संगठन बन जाय तो कितना अच्छा हो ! हम तो पक्ष में हैं !
ReplyDeleteहलकान 'विद्रोही' जी के निर्मल हास पर आपका ये परिहास पसंद आया. इत्तेफाक से कल ही हम भी इहाँ NRI अंतर्राष्ट्रीय निर्गुट अद्रोही ब्लोगर संस्था खुद ही बनाकर पूर्ण बहुमत से खुद ही उसके अध्यक्ष, संरक्षक, खजांची और अकेले सदस्य चुन लिए गए हैं.
ReplyDeleteआठ महीने पहले रायपुर में जो सम्मलेन हुआ, खबर है कि उसमें यह निर्णय लिया गया है कि हाई कमांड के फैसले को न मानते हुए प्रदेश ब्लॉगर एशोसियेशन वहां की सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगा
ReplyDeleteगलती से मैं उस सम्मेलन में उपस्थित नहीं था फिर भी हमारी उम्मीदवारी पक्की समझी जाए, राज्य सभा के लिए तो इस समय विहिप कोटे से भारी जोड तोड के बावजूद हमें राज्यसभा की सीट नहीं मिल पाई.
इसमें विभाजन होने के बाद सपोर्ट लेने के लिए पर एमपी कितनी टिपण्णी देनी पड़ेगी :)
ReplyDeleteभोटिंग का तो नियम रखबे करिएगा न ?
ReplyDeleteओह एक बार वयस्क हो जाएं तो हम भी सोचें कि भोट किसको देना है ? तब तकले चुनाव रिजल्ट देखेंगे ......
बहुत दिनों के बाद दिखे और साथ में नयी सोच राष्ट्रीय ब्लागदल के साथ। बहुत तरीके से आप अपनी बात कह गए।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
राष्ट्रीय ब्लॉगर दल यानि राब्लाद । जरा इनका पता या ईमेल एड्रेस दीजिये । मैं भी इसका सदस्य बनना चाहता हूं । आज कल खाली हूं और राजनैतिक महत्वकांक्षा बल्लियों उछाल मार रही हैं ।
ReplyDeleteहर जोर जुल्म की ट्क्कर पर संघर्ष हमारा नारा है
ReplyDeleteराब्लाद जिन्दाबाद
ब्लागराग की तान कब तब छिड़ी रहेगी, ब्लाग की तुच्छ राजनीति कब बंद होगी।
ReplyDeleteकब लोग सार्थकता की ओर जायेगे
इत्ता बडा राष्ट्रीय दल! हमारे जैसा व्यक्ति भला टिकट मिलने की उम्मीद भी कैसे कर सकता है...हमारे पास न तो किसी की सिफारिश, न सिर पर किसी बडके ब्लागर का वरदहस्त...उम्मीद करें भी तो कैसे ? हाँ जिन्दाबाद! जिन्दाबाद! के नारे लगाने से तो रहे....सो अपण तो दूर ही भले...कभी मूड बना तो कोई क्षेत्रिय ब्लागर दल खडा करने पर विचार कर लेंगें :-)
ReplyDeletekya lapeta hai boss chha gaye tussi ekdam.
ReplyDeleteupar se niche aur dayein se bayein pura lapet liya ekdam.
maja aa gaya...
ये भी खूब रही... :)
ReplyDeleteवैसे मेम्बरशिप फीस कितनी है इस पार्टी की??
राष्ट्रीय ब्लॉगर दल ऐसा यूनिक दल होगा कि इसका गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम आना तय होगा...हर चुनाव में इसके हर प्रत्याशी की हार सुनिश्चित होगी...क्योंकि एक ब्लॉगर जीते, ये और किसी को हो न हो लेकिन दूसरे ब्लॉगर्स को कतई बर्दाश्त नहीं होगा...वो उसे हराने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देंगे...
ReplyDeleteजय हिंद...
mahilaon ke liye reservation to zaroor hoga is party me ....
ReplyDeleteब्लोगर हलकान विद्रोही को हमने ब्लॉग लिखते कम और सम्मलेन करते ज्यादा देखा है.. वईसे सोच रहे है एक दल सब ऑरकुट वाले बना ले.. एक ट्विटर वाले.. एक फेसबूकवाले.. एक माय स्पेस वाले.. याहू वालो का अलग दल.. गूगल वालो का अलग दल.. फिर ई बे और अमेज़न के भी दल बन जाए.. और इन दलों के दलदल में बेचारा आम आदमी डूब जाए..
ReplyDeleteवईसे आपके बिलाग पर नए चेहरे देख रिया हूँ.. बात क्या है मियां..?
aadrniy shiv ji , paande ji aaadaab hm bhi aapke raashtriy blogr men shaamil honaa chaahte hen hmaaari chaaht svikaar kren. akhtar khan akela kota rajathan mera blo akhtarkhanakela.blogspot.com he
ReplyDeleteतय हो जाय प्रधान मंत्री कौन बनेगा- दलित ब्लोगर , महिला ब्लोगर , दलित महिला ब्लोगर, अल्पसंख्यक ब्लोगर .जो भी हो उसमें गुट बनाने, ब्लोगर मीट आदि करने की क्षमता होनी चाहिए, भले ही उसने एक भी अच्छी पोस्ट न लिखी हो.
ReplyDeleteमिश्र जी की जय हो!!!!!!!!!
ReplyDeleteमस्त भी ....ढिंचैक भी....... है जी......डबल रोल वाले कित्ते वोट डालेगे ......ये क्लियर नहीं किए पार्टी ने ?
हे भगवन ...ये का सुन रहे हैं! हमारा भी वोटर कार्ड बनवा दो! महिलाओं का कुछ रिज़र्वेशन है की नाही इस सरकार में...?
ReplyDelete'राब्लाद' .. हीहेहेहेहे
ReplyDeleteमस्त पार्टी है जी. मुझे धाँसू...धाँसू चुनाव चिन्ह के आईडिये भी आ रहे हैं
:D
राब्लाद.......
ReplyDeleteइसमें महिलाओं को तैंतीस प्रतिशत आरक्षण निश्चित मिलना चाहिए,नहीं तो हम महिलाएं आन्दोलन करेंगी....
हम देख रहे हैं कि आप जानबूझकर हमारे अवदानों का जिक्र नहीं कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं है तो फ़िर आपने इलाहाबाद सम्मेलन का जिक्र क्यों नहीं किया?
ReplyDeleteबताइये, बताइये।
आप ब्लॉगर दल बनाइये उसके बारे में बताइये ताकि उसको तोड़ने वाले सक्रिय हो सकें ,उनका खाना पचे।
आपकी पोस्ट का स्नैपशाट लेने का तरीका अभी तक आता नहीं है लेकिन धर लिये उसको ताकि वक्त-जरूरत काम आये।
बाकी पोस्ट में ऐसा कुछ नहीं है जिसके लिये अलग से कुछ हलकान हुआ जाये। अच्छी है हमेशा की तरह। रूटीन बना रखा है अच्छी पोस्ट लिखने का। हद्द है। कोई वैराइटी नहीं। लोग क्या कहेंगे?
सच ! अभी पुरुष में इतनी ताकत नहीं, जो मेरा सामना करे, किसमें है औकात ? http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_31.html मुझे याद किया सर।
ReplyDeleteआपके सपनों का हलकानी सत्य । पढ़कर आनन्द और सोच कर महा आनन्द आया ।
ReplyDeleteso deep analysis with very positive entertainment . Such dreams must be welcomed.
ReplyDelete१.खोपोली में जो बैठे हैं
ReplyDeleteनज़र उन पर भी कुछ डालो
अरे औ राब्लाद वालो...
२. मुझको अपना सदस्य बना लो औ मेरे हमराही...
तुमको क्या बतलाऊं राब्लाद के तुमसे किता प्यार है...
३. अकेले अकेले कहाँ जा रहे हो, हमें साथ लेलो जहाँ जा रहे हो...अकेले अकेले...
बंधू जब से राब्लाद का नाम सुना है कमबख्त ये लफ्ज़ दिल में समां गया है...इस लफ्ज़ की बदौलत देखिये जहाँ आपको दस से पंद्रह टिप्पणियां मिला करती थीं वहीँ अब तीस से अधिक मिल रही हैं...याने तीन गुना फायदा हुआ है...क्या धाँसू आइडिया लाये हो बॉस...मान गए...इसी लिए आज कल हम जैसे अलग थलग पड़े ब्लोगर के यहाँ नहीं आते जाते...आखिर हमें ही जूतियाँ रगड़ते आना पड़ा...संगठन में शक्ति है...मान गए...
नीरज
एक बात और ये जो फोटू आप अपने ब्लॉग पर चिपकाएँ हैं ये किसका सजेशन है...? बहुत डिप्रेशन होता है इसे देख कर...वो ही लगाइए ना हँसता हुआ नूरानी चेहरे वाला...जो पहले लगाये थे...अरे वोही जिसे हम खींचे थे...गुम हो गया तो एक ठो कापी भिजवाएं...
ReplyDeleteनीरज
3 saal pahele padh ke jitna maza aaya tha utna hi aaj bhi padh ke aaya...kya ise hi kaaljayi rachna kehte hain ?:-)
ReplyDelete