यह केवल एक पैरोडियात्मक और जुगाडू पोस्ट है. इसे किसी भी तरह से गोस्वामी तुलसीदास का अपमान न समझा जाय. इसलिए लिख रहा हूँ कि प्रशंसक कई बार नाराज़ हो जाते हैं.
यह दिल्ली-कांड का प्रथम भाग है. अगर पाठकों को अच्छा लगा तो फिर आगे का वर्णन दिया जाएगा.फिलहाल इसे बांचिये...
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एक भोर सब सहित समाजा, दस जनपथ परधान बिराजा.
सकल कुटिल मंत्री, नरनाहू, राहुल जसि सुनु अतिहि उछाहू.
राहुल रहहि कृपा अभिलाषे, चमचे करहिं प्रीति रुख लाखे.
एहि जुबराज बने अब राजा, दस जनपथ पे बाजहि बाजा.
पणियप्पन के वचन सुहाए, सुनि के सिबल हृदय अति भाये.
अब अभिलाषु एक मन मोरे, राहुल पूजि अनुग्रह तोरे.
कहइ प्रधान सुनिअ जननायक, राहुल हैं सब बिधि सब लायक.
दिग्गी सह परिवार ओ माई, करहिं छोह सब रौरिहि नाई.
सुनि परधानाहि बचन सुहाए, दंगल दोदि मूल मन भाये
जौं चमचौ मत लागहि नीका, करहु हरिष हिय राहुल-टीका.
हरषि जमाइ कहेउ मृदु बानी, नापेहु कूपहि केतना पानी.
सब पूजहि स्कैमहि देवा, बिनु पूजा न करहि कलेवा.
जेह बिधि होइ कुटुंब कल्याना, तंत्र, मन्त्र सब बिधि कर नाना.
बाजा बाजेहि बिबिधि बिधाना, सुनि सब चमचे गावहि गाना.
हरषित हृदय लिए महतारी, बिटिया संग जमाइ पुकारी.
सब बिधि होइ प्रसन्न सब नेता, देखि सबइ जुबराज प्रणेता.
रहि रहि होइ प्रसन्न सब भांती, सेवक मिलिहि बनावहिं पांती.
चमचे सब पूजत जुबराजा, उनको कहाँ अउर कछु काजा.
दरस लिए बेनी सलमाना, श्रीप्रकाश दिग्गी सह नाना.
हाथ जोडि दिग्गी तब बोले, मुख पे शबद शबद सब तोले.
कोहु नृप होहि हमहि का हानी, सूखा पड़इ कि बरसइ पानी.
जानत सभै सुभाऊ हमारा, राहुल ही हैं मोर करतारा.
वे प्रसन्न जबतक हे माई, जीयत करबि ताहि सेवकाई.
आग्रह मोर बस एक बिशेषा, यूपी ठहरौ कुटुंब प्रदेशा.
बाईस बरस भये करतारा, यूपी में नहिं राज हमारा.
उधर मुलायम माया नाचे, पुनि पुनि आपन नीयम बांचे.
मातु दीन्हि जदि मोहि अधिकारा, जाऊं यूपी लइ लस्कारा.
हायर करेहु साथ 'लिंटासा', जौ से बढौ विजय को आशा.
राजपाट यूपी में लाऊँ, राहुल जस जिनगी भरि गाऊं.
मोर मने उपजहु एहि चित्रा, मैं कलियुग को विश्वामित्रा.
दिग्गी बचन हृदय अति तारी, मगन हुई सुनि के महतारी.
हामी भरेहु साथ परधाना, ताहि संग चमचे सब नाना.
आज्ञा आज तोहि मैं दीन्हा, सकल उपाय विजय को कीन्हा.
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Tuesday, February 21, 2012
दिल्ली काण्ड...
@mishrashiv I'm reading: दिल्ली काण्ड...Tweet this (ट्वीट करें)!
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बढिया राहुलायन, जारी रखें :)
ReplyDeleteAti sundar, Misirji. Aage ka bhi likha jawe.
ReplyDeleteआपका टिकट तो पक्का, लेकिन अगर आपने इसे मंच पर पढ़ा होता तो. इस पुस्तक के कापीराईट मुझे दे दीजियेगा. सभी युकों के लिये अनिवार्य होने जा रही है ये किताब. और हां अपनी आत्मकथा भी लिख लीजिये, कोर्स में आ जायेगी।
ReplyDeleteजुबराज होने में एक ही घाटा है, जुबराज चार्ल्स का उदाहरण बताता है कि जुबराज बने बने जिन्दगी गुजर सकती है! :(
ReplyDeleteजय हो.. जय हो... जय हो...
ReplyDeleteजय हो.. जय हो... जय हो...
जुबराज की नहीं भय्या , आपके लेखनी की जय हो...
आगे कौन सा शब्द बोलूं जो ह्रदय के उदगार प्रतिबिंबित कर सकें, एकदम्मे नहीं बुझा रहा...
जियो...
यह क्रम जारी रहे, यही अनुरोध है...
अनुपम काव्य प्रतिभा और उसकी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसुपरहिट शिव भैया, सत्चित आनंद:)
ReplyDeleteजारी न रखेंगे तो प्रशंसक नाराज हो जायेंगे।
अत्युत्तम...!!
ReplyDeleteचुनाव जीतने के गुर....
धन, बल, भाग्य अरू बहु चमचे
आगु चुनाव परखिये चारि समझे
हा हा हा| दिल्ली का सम्पूर्ण वर्णन कर दिया आपने तो, सर|
ReplyDeleteएहि जुबराज बने अब राजा, दस जनपथ पे बाजहि बाजा.
ReplyDeleteजौं चमचौ मत लागहि नीका, करहु हरिष हिय राहुल-टीका
हरषि जमाइ कहेउ मृदु बानी, नापेहु कूपहि केतना पानी.
चमचे सब पूजत जुबराजा, उनको कहाँ अउर कछु काजा.
हा हा हा हा हा हा हा हा हा ...कमाल कमाल कमाल...आप नहीं न जानते आप क्या लिख दिए हैं...माने हद कर डाली है आपने...धन्य हैं आप...सच में...देख रहा हूँ गोस्वामी जी स्वर्ग से पुष्प वर्षा कर रहे हैं आप पर...(जिन्हें तुलसीदास जी के नाम से क्रोध आये वो गोस्वामी के आगे नीरज पढ़ें और स्वर्ग के स्थान पर खोपोली)
नीरज
हद है, हद है! गोस्वामी नीरज आपकी बेहद हद है!
Deleteऐसी हदतम टिप्पणी के लिये अतिशय धन्यवाद!
Best Lines: " हायर करेहु साथ 'लिंटासा', जौ से बढौ विजय को आशा. "
ReplyDeleteटिप्पणी का खांचा एम्बेडेड कर दिया है - कभी शिवकुमार मिश्र का मन टिप्पणी का Reply देने का हो जाये तो आलस्य न लगे! :-)
ReplyDeleteसुबेरे सुबेरे पूरी भक्तिभाव से गाएं है. पूण्य कमा लिये हैं हम भी.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है जी.
बहुत सही. बाबा तुलसी भी कहीं मुस्कुरा रहे होंगे.. :)
ReplyDelete"बाजा बाजेहि बिबिधि बिधाना, सुनि सब चमचे गावहि गाना."..... हा हा हा हा ...... शिव दत्त जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया बहुत आनंद आया आपकी रचना पढ़ के ....
ReplyDeleteWah....padne koi aur post bethi thi..is par nazar pad gai...Ramayan ka ek shlok yaad aa gya..Puni puni kitni ho suni sunaai, jir ki pyas bhujat na bhujaai....aapki posts k saath bhi aisa hi hai...ye aisi post hai jo baar baar padne aur sunne ka man karega. :)
ReplyDeletehaha... Hope k hamare politicians ye padhe.
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