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Wednesday, February 25, 2009

रांची ब्लॉगर मीट.....आगे का हाल


@mishrashiv I'm reading: रांची ब्लॉगर मीट.....आगे का हालTweet this (ट्वीट करें)!

आदरणीय बलबीर दत्त जी बोलकर चले गए. नीलू जी भी चले गए. अखबार वाले हैं. लिहाजा व्यस्तता तो रहती ही है.

भारती कश्यप जी ने भी सभा को संबोधित किया. उन्होंने अपने संबोधन के शुरू में ही प्रेमचंद के हवाले से बताया कि; "एक अच्छे समाज की उत्पत्ति के लिए विचारों का टकराना बहुत ज़रूरी है." प्रेमचंद जी की बात ठीक ही है. बकौल परसाई जी, "समाज अगर द्वंद्वहीन रहता तो हम अभी भी जंगल में रहते और वनबिलाव को बिना भूने खा रहे होते."

यह बात और है कि इतिहास के आचार्य को इस बात को साबित करने के लिए पुरस्कार मिलता है कि आदिकाल ही स्वर्णकाल था.

लेकिन मेरे मन में जो बात आई वो भी बताता चलूँ. मुंशी प्रेमचंद ने जब यह बात कही होगी उस समय उन्होंने नहीं सोचा होगा कि विचारों का टकराव चलाने वाले जब विचारों को लड़ाकर बोर हो जाते हैं तो खुद लड़ने लगते हैं.

वैसे प्रेमचंद जी ने तो ब्लॉग की कल्पना भी नहीं की होगी.

खैर, वापस आते हैं भारती जी के संबोधन पर. उन्होंने ब्लॉग को एक सशक्त माध्यम बताते हुए ब्लागिंग में अपनी रूचि के बारे में बताया. उन्होंने ब्लागिंग के उज्जवल भविष्य पर भी बहुत कुछ कहा. उनका मानना था कि ऐसे ही ब्लागिंग का विकास होता रहा तो हमें एक दिन एक बेहतर समाज अवश्य मिलेगा.

घनश्याम जी कार्यक्रम का संचालन कर रहे थे. उन्होंने ब्लागिंग के अपने अनुभव के बारे में बताया कि किस तरह दिल्ली में रहते हुए उन्होंने ब्लागिंग की शुरुआत की. उन्होंने पत्रकारिता के अपने अनुभवों को अपने ब्लॉग पर लिखने के बारे में बताया.

उनके संबोधन के दौरान ही हमें पता चला कि अविनाश जी कभी उनके जूनियर रह चुके हैं. यह बात सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ. शायद इसलिए कि अविनाश जी की जूनियर वाली छवि के बारे में मैं कभी कल्पना ही नहीं कर सकता. ये सोचना भी मुश्किल है कि वे भी कभी किसी के जूनियर हो सकते हैं.

उनके संबोधन के बाद शैलेश भारतवासी जी ने ब्लागिंग की उत्पत्ति, उसके विकास और अनवरत चल रहे सफ़र के बारे में बताना शुरू किया. शैलेश जी के पास आंकड़ों की भरमार है.

किसने कब ब्लागिंग शुरू की? ब्लॉग को क्यों ब्लॉग ही कहा जाता है? कितने ब्लॉग हैं? एशिया में कितने ब्लॉग हैं? किस महाद्वीप के ब्लॉगर सबसे ज्यादा कमाऊ हैं? साल के शुरू में हिंदी के कितने ब्लॉग थे? साल के अंत में कितने हैं? अगले साल तक कितने हो जायेंगे?

शैलेश जी से इन तमाम बातों की जानकारी लेते हुए हम बहुत खुश हुए. उन्होंने इन्टरनेट पर हिंदी कैसे लिखी जाय, इसकी खूब जानकारी दी.

मुझसे भी कुछ बोलने के लिए कहा गया. मैंने अपने संक्षिप्त विचार रखे. मेरे बाद मनीष जी से बोलने के लिए कहा गया. मनीष जी ने ब्लागिंग के अपने अनुभव के बारे बताया. ढेर सारे शुरुआती ब्लागर्स के योगदान की सराहना की. मनीष सीनियर ब्लॉगर हैं. ऐसे में उनके पास बोलने के लिए बहुत कुछ था. वे खूब बोले.

हाँ, एक बात और. अपने संबोधन की शुरुआत से पहले उन्होंने हाल का दरवाजा बंद करवा दिया.

वे शायद इस बात को भांप गए कि पत्रकारों की बात तो ब्लागर्स ने ध्यान से सुनी लेकिन जब ब्लॉगर के बोले की बारी आई तो पत्रकार बंधु निकल लिए. कारण यह भी था कि तबतक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वाले कैमरा थामे आ चुके थे.

ऐसे में सुनना छोड़कर दिखना नीतिगत सही कर्म है. कार्यक्रम के आयोजक से लेकर प्रायोजक तक टीवी कैमरा देखने चले गए.

वे जब बोलकर खाली हुए तो खाना खाने का समय हो गया था. सबने खाना खाया. बढ़िया इंतजाम था खाने का. खाने के दौरान अनौपचारिक बातें हुईं. सब एक-दूसरे को सराह रहे थे.

लग रहा था जैसे कविताओं पर टिप्पणियों की बौछार हो रही हो.

खाने के बाद भी कई लोग बोले. लवली बोली. प्रभात जी बोले. संगीता पुरी जी बोलीं. जब घनश्याम जी ने रंजना दीदी से बोलने के लिए कहा तो उन्होंने श्यामल सुमन जी को बोलने के लिए कहा. श्यामल जी बोले. उन्होंने अपनी ताजा गजल सुनाई. तरन्नुम में. बहुत ही उम्दा गजल लगी. सबने वाह-वाह किया. तालियाँ बजाई.

श्यामल जी के बाद पारुल जी बोलीं. उन्होंने एक गजल गाकर सुनाई.

मीत जी ने अपनी गजल पढ़ी.गजल पढने से पहले और बाद में भी वे बताते रहे कि उनकी याददाश्त खराब है. इस बात को साबित करने के लिए वे गजल का एक शेर भूल गए.

ब्लागिंग के बारे में उत्सुक लोगों ने शैलेश जी कई प्रश्न पूछे. उनमें से सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न था; "ब्लागिंग करके कमाई कैसे की जा सकती है?"

शैलेश जी ने जवाब दिया.

घनश्याम जी ने हमसे मिलकर बताया कि वे जाना चाहते हैं. रविवार होने के बावजूद अखबार की जिम्मेदारी ऐसी है कि उन्हें जाना ही पडा. जिम्मेदार पत्रकारों की हमारे समाज को बहुत ज़रुरत है. ऐसे में उन्हें रोके रहना ठीक नहीं रहता.

मीट ख़तम होने वाली थी तो भारती कश्यप जी वापस आ चुकी थीं. उन्होंने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि उन्हें ब्लागिंग बहुत पसंद है. व्यस्तता के बावजूद जब भी उन्हें मौका मिलता है तो वे ब्लाग्स देख लेती हैं. जब देखने का मौका नहीं मिलता या समय कम रहता है तो वे स्टाफ को बोलकर ब्लॉग खुलवा लेती हैं और पढ़ती हैं.

ब्लागिंग के प्रति उनकी रूचि से सारे ब्लॉगर बहुत उत्साहित हुए.

उन्होंने यह भी बताया कि कई सेलेब्रिटी ब्लॉगर से उनके परिवार वालों के बहुत अच्छे सम्बन्ध हैं. वे चाहती तो उन सेलेब्रिटी ब्लॉगर को भी बुला सकती थीं लेकिन समय के अभाव में ऐसा नहीं हो सका. उन्होंने किये गए इंतजाम की पूरी जानकारी दी कि किस तरह से बहुत ही कम समय में उन्होंने सारा इंतजाम करवाया. उन्होंने यह भी कहा कि अगले वर्ष वे इससे भी बड़ा सम्मलेन करवा सकती हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनके स्टाफ के मेम्बेर्स ने इस आयोजन को सफल बनाने में मेहनत की. बातचीत के दौरान ही उन्होंने बताया कि कम ब्लागर्स के आने की वजह से उनका ढेर सारा खाना बच गया. अस्पताल के कर्मचारियों को खाना बटवाने के बावजूद अभी तक खाना बचा हुआ था.

हमें यह सुनकर बहुत दुःख हुआ. एक बार के लिए लगा कि समय होता तो हमलोग शाम तक रुक जाते और बचा हुआ खाना खाकर उसे ख़तम कर देते.

इस दुःख के साथ हमने उन्हें और उनके स्टाफ मेम्बेर्स को धन्यवाद दिया.

धन्यवाद देने के बाद हमें लगा कि कुछ और फोटो-सोटो हो जाना चाहिए. अस्पताल के सामने खड़े हम लोग फोटो लेन-देन में बिजी हो लिए. जब फोटो लेते-लेते बोर हो गए तो वहां से चलने का काम शुरू हुआ. मनीष जी ने सबसे कहा कि क्यों न हम कहीं बैठकर एक-एक कप चाय पी लें.

हम सभी चाय पीने के लिए एक रेस्टोरेंट में इकठ्ठा हुए. चाय पीते-पीते ब्लागिंग के तमाम अनुभव बाटें गए. अनुभव भी अजीब चीज होती है. खाली यही एक चीज है जो बंटवारे के लिए हमेशा तत्पर रहती है.

ब्लाग्स की बात हुई. ब्लागर्स की बात हुई. शैलेश जी से वहीँ पता चला कि वे कोलकाता में महाश्वेता देवी का इंटरव्यू अपने लैपटॉप में कैद कर लाये हैं. सुनकर अच्छा लगा.

महाश्वेता जी के इंटरव्यू के बारे में सुनकर मीत जी ने शैलेश जी की न सिर्फ प्रशंसा की बल्कि मुझसे सवाल पूछ बैठे कि; "इतने सालों से कोलकाता में रहते हैं, कभी नाम भी सुना है महाश्वेता जी का?"

हमने उन्हें बताया कि हमने महाश्वेता जी का नाम सुना है. इतना बताने के बावजूद वे हमसे प्रभावित नहीं दिखे.

मीत जी ने मुझे बताया कि वे मेरा लिखा हुआ नहीं पढ़ते. उन्होंने यह भी बताया कि वे कविताओं वाले ब्लाग्स ज़रूर देखते हैं. मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि वे मेरा ब्लॉग भी पढें, इसके लिए मैं जल्द ही कविता लिखना शुरू कर दूंगा. ये बात सुनकर वे डर गए.

ब्लागिंग के बारे में बात करते हुए हमें आस-पास के लोग देख रहे थे. शायद यह अनुमान लगाने की कोशिश कर रहे थे कि हम कौन सी जमात के लोग हैं?

तबतक चाय ख़त्म हो चुकी थी. हमसब रेस्टोरेंट से बाहर आये और अपने-अपने स्थान के लिए रवाना हो गए.

28 comments:

  1. ब्लागर मीट की अच्छी जानकारी के साथ यह जानकारी दुखदायी रही कि भारतीजी सेलेब्रेटी ब्लागर्स को बुला सकती थी, अर्थात, जो आये वे सेलेब्रेटी नहीं न थे!!

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  2. सेलिब्रिटी के नाम पर, अखबार में चर्चा के नाम पर, एडसेंस से आय के नाम पर बहुत टाइम खोटा होता दीखता है।
    गुड, कम्यूनिकेटिव और वैल्यू-ऐडेड पोस्ट ठेलने के बारे में ज्यादा बात नहीं होती क्या?!

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  3. ishwar kare aap aise hi blogger's meet me bloggaryate rahen, baaki bloggerron ke saath, kabhi khana jyada bana ho baaki bloggeron ko nyota bhej dijiyega (nahin bhejenge to bhi chalega)

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  4. दिलचस्प जानकारी....पूरी रवानी के साथ...ऐसा लगा जैसे हम भी वहीँ मौजूद हों..

    नीरज

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  5. बहुत ज़ोरदार रिपोर्टिंग की है. आगे के ब्लॉगर्स मीट्स में ब्लॉगिंग पर सरकारी पहरे यानी सेंसर की बात भी उठनी चाहिए और इसके विरोध का पूरा माहौल बनाया जाना चाहिए.

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  6. एक बात और जिन ब्लॉगरों की आपने चर्चा की है उनका लिंक देना चाहिए था और साथ ही वे आंकडे भी किसी तरह प्रस्तुत किए जाने चाहिए जिनका जिक्र आपने रिपोर्ट में किया है. संभव हो तो इस पर अलग से कुछ काम हो जाए.

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  7. बहुत रोचक रही यह जानकारी . हर बात का खूब अच्छे से आपने वर्णन किया .आंकडे .खाने से ले कर कविता तक :) शुक्रिया

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  8. बडा आंखों देखा सजीव चित्रण किया है आपने.
    बहुत धन्यवाद.

    रामराम.

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  9. मीत जी ने हमें बताया कि वे मेरा लिखा हुआ नहीं पढ़ते. उन्होंने यह भी बताया कि वे कविताओं वाले ब्लाग्स ज़रूर देखते हैं. मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि वे मेरा ब्लॉग भी पढें, इसके लिए मैं जल्द ही कविता लिखना शुरू कर दूंगा. ये बात सुनकर वे डर गए.

    उक्त पंक्ति को मैं अपने आप में संपूर्ण एक पोस्ट के रूप में देख रहा हूं। बहुत आनंदित किया इन वाक्यों ने। वाकई आप सच्चे व्यंग्यकार हैं। बाकी ब्लागर मीट के बारे में तो सभी कुछ न कुछ कह चुके हैं।
    शुक्रिया ...

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  10. ब्लोग मीटिंग के वर्तांत को आपके चुटकुलों ने मजेदार बना दिया... आप कुछ फ़ोटो वोटो भी साथ में चेप देते तो मजा ही आ जाता.. कम से कम हम जिन्हें नहीं जानते उनसे मुलाकात हो जाती

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  11. Ranchi ke bloger meet ki khasm khas jaanki aap se mili ... puri rawani thi ... sahi me miss kiya ... rahata to maza aata aap sab se mil ke ..


    arsh

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  12. मजा आ गया. सरस विवरण.


    लगा वहीं है और खा-पी रहें है :)

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  13. तय जानो,अब न कोई तम्हें बुलाने वाला......इसके बाद भी अब अगर कोई तुम्हे अपने किसी कार्यक्रम/ समारोह में बुलाये.......तो पक्का जान लो कि बंदा बहुत बहुत बड़े जिगर वाला है.....

    व्यंगकार.....बाप रे बाप....

    वैसे इस विवरणी ने इतना हंसाया कि आँखों से बहुत देर तक आंसू बहते रहे और सामने वाले को समझ ही नहीं आ रहा था कि यह हँसना है या रोना....

    बस एकदम झक्कास,लाजवाब......

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  14. सुंदर विवरण, बिलकुल आप की काबिलियत जैसा। हमें आप की कवि्ताओं का इंतजार रहेगा। बड़ी दिलचस्प होंगी।

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  15. जीवंत रपट शिव भाई -कुछ फोटू सोटो तो भी लगाएं !

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  16. आपकी बस एक ही बात है जो मैं यहाँ दोहराना चाहती हूँ, यह आपने ब्लोगर मीट के बाद कही थी "प्रसिद्धि ठीक है, पर दूसरों की समय की कीमत पर नहीं ." क्यों कुछ लोग यह बात नहीं समझते.हम ब्लोगरों को किसी और प्लेटफोर्म की जरुरत नहीं. इन्तिज़ार है तो इस बात का की इंटरनेट सर्वसुलभ हो जाये.

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  17. ज्ञानदत्त / लवली कुमारी दोनो कि बात मे दम है, तो चिन्तन का विषय भी है।
    रही बात भारती कश्यप, सेलेब्रेटी ब्लागर्स को बुला सकती थी, तो उससे हिन्दि ब्लोगिग कि कहॉ तकदिर बदलने वाली थी। आपको थोक बन्द सेलेब्रेटी मै भेजवा सकता हु। किन्तु ब्लोगर मिटस मे उसकी सार्थकता सन्धिगद थी।

    अब आते भाई शैलेश भारतवासी जी पर। शैलेशजी बास्तव मे हिन्दी जगत एवम ब्लोग जगत मे सहरानिय योगदान देते आ रहे है। मै कभी उनसे मिला तो नही किन्तु फोन से आधा आधा घन्टे मुम्बई से दिल्ली बात करता रहता हु ।हमेशा ही उन्होने हिन्दी के प्रसार प्रचार पर कर रहे कार्यो कि चर्चा कि एवम देश बिदेश मे बैठे हिन्दि भाषीयो कि धार्मिक, साहित्यक जरुरतो को पुरा करने का कार्य कर देश सेवा मे बडा योगदान अपने विभीन्न ब्लोगस द्वारा दे रहे है।
    हमे हिन्दि ब्लोग जगत के विकास के लिये छोटे मोटे अवतार का भेद मिटा कर कार्य करना होगा। अन्यथा जो नाम चिन्ह है वो तो ऐसे मीट से अपनी वाहा वाहाही करवाकर आ जाते है छोटे जो प्रख्यात नही है वो उदास चेहरे लिये लोट पटते है। किसी ब्लोगरस कि बजाय ब्लोग जगत पर ध्यान देना चाहीये ऐसा मेरा मत है और सन्देह भी।

    शिवकुमारजी आपने महाभारत के सजय कि भुमिका का निर्विवाद निर्वाह किया है. आपके इस योगदान कि भी मे कद्र करते हुये बधाई देता हु।
    मीट कि तस्वीर लगा लेते तो शायद चार चान्द हिन्दी ब्लोग के विकास मे और लग जाता।

    घणी खमा घणी क्षमा।

    [हे प्रभु यह तेरापन्थ, के समर्थक बनिये और टिपणी देकर हिन्दि ब्लोग जगत मे योगदान दे]

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  18. "उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनके स्टाफ के मेम्बेर्स ने इस आयोजन को सफल बनाने में मेहनत की. बातचीत के दौरान ही उन्होंने बताया कि कम ब्लागर्स के आने की वजह से उनका ढेर सारा खाना बच गया. अस्पताल के कर्मचारियों को खाना बटवाने के बावजूद अभी तक खाना बचा हुआ था.

    हमें यह सुनकर बहुत दुःख हुआ. एक बार के लिए लगा कि समय होता तो हमलोग शाम तक रुक जाते और बचा हुआ खाना खाकर उसे ख़तम कर देते."

    यह पढ़कर तो मेरी हँसी रूकी ही नहीं। दो भागों में बहुत बढ़िया विवरण दिया है आपने। मैं भी अपने अनुभव लेकर आनेवाला हूँ।

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  19. @शैलेश भारतवासी- मैं भी अपने अनुभव लेकर आनेवाला हूँ।

    जरुर सरकार लेकर आये हम सभी सचित्र ब्योरा पढने को लालायत है।

    वैसे लगता नही है शिवकुमार जी ने ब्योरे मे कोई बात छुपाई हो ।

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  20. मीत जी ने हमें बताया कि वे मेरा लिखा हुआ नहीं पढ़ते. उन्होंने यह भी बताया कि वे कविताओं वाले ब्लाग्स ज़रूर देखते हैं.मीतजी के धीर-गंभीर मुखमंडल से मुझे किंचित ऐसा आभास हो रहा था कि वे धीर-गंभीर लेखन ही, लिहाजा कविता ही, पसंद करते होंगे। आपके लेखन से इस बात की पुष्टि हुई। लेकिन आपसे अनुरोध है कि आप कविता मत लिखने लगियेगा। कविता को, आपको और हम भी कष्ट होगा। आप ऐसे ही ठीक हो!

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  21. बढिया चल रहा है आपका "ब्लोगरमीट विवरण" शिव भाई
    पढकर हमेँ भी वहीँ होने का आभास हो गया !
    स -स्नेह,
    - लावण्या

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  22. आपने हम सबको उस मीटिंग हॉल में पहुँचा दिया जो सशरीर उपस्थित होने से बचे रह गये थे। वाह! मजा आ गया। यह मीट जगह बदलकर बराबर होती रहे तो क्या कहने?

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  23. आदरणीय ज्ञानदत्त पाण्डेयजी, मैं ने केवल उस मुद्दे पर बात छेडी थी जो प्राय: ऐसे कार्यक्रमों में सेलेब्रेटीस को बुलाने पर चर्चा है। वैसे इस चर्चा की उत्तमता के लिए मैंने तारों में बात कह दी:)

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  24. पोस्ट तो इतनी लम्बी और फोटो एको नहीं - इसी को कहते हैं नाम बड़े और दर्शन (फोटो) छोटे!

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  25. खाने के दौरान अनौपचारिक बातें हुईं. सब एक-दूसरे को सराह रहे थे.
    लग रहा था जैसे कविताओं पर टिप्पणियों की बौछार हो रही हो.
    हाँ कुछ ऐसा ही दृश्य था. वैसे दो शब्द मैंने भी कहे थे. आप लोगों की चाय पार्टी में शामिल न हो पाने का अफ़सोस रह गया.

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  26. आपकी रिपोर्ट पढकर लाइव टेलीकास्‍ट जैसा अहसास हुआ, जानकारी के लिए आभार।

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  27. आपकी रिपोर्ट पढकर लाइव टेलीकास्‍ट जैसा अहसास हुआ, जानकारी के लिए आभार।

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय