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Friday, October 16, 2009

एक पैनल डिस्कशन की तैयारी


@mishrashiv I'm reading: एक पैनल डिस्कशन की तैयारीTweet this (ट्वीट करें)!

- प्रहलाद कक्कर को बुला लो.

- वे नहीं आ सकते. कह रहे थे कल ही बाल छोटा करवाया है उन्होंने. ईमेज से हटकर लगेंगे.

- तो अलीक पदमशी को बुला लो.

- मैंने फोन किया था. पता चला वे पिछले तीन दिन से लक्स के नए ऐड के बारे में सोच रहे हैं. पेन और पैड लेकर बाथरूम में घुसे थे, अभी तक नहीं निकले. फैसला नहीं कर पा रहे कि आसिन को पानी में बाए से उतारें कि दाएं से. लेकिन शायद यह असली बहाना नहीं है. बात कुछ और ही है.

- और क्या बात हो सकती है?

- शायद पिंक शर्ट धुलने के लिए गया है. या फिर येलो टाई पर पेन से कोई आईडिया लिख लिया होगा.

- तब फिर और क्या कर सकते हैं? अब तो केवल सुहैल सेठ ही बचे हैं. बुला लो.

- और ऐकडेमिक कौन होगा?

- दीपांकर गुप्ता कैसे रहेंगे?

- आजकल ज्यादा नहीं दिखाई देते. जे एन यू के किसी और को खोजना पड़ेगा. कोई और प्रोफेसर. सोसल स्टडीज वाला.

- मीरा सुन्दर को बुला लो.

- हाँ, वो खाली होंगी.

- और पॉलिटिक्स से?

- पॉलिटिक्स वालों को बुलाना ज़रूरी है?

- क्यों? बिना उनके पैनल पूरा कैसे होगा?

- तो फिर रविशंकर प्रसाद को बुला लेते हैं.

- उस पार्टी से बी पी सिंघल भी आ सकते हैं.

- नहीं-नहीं. वो केवल वेलेंटाइन डे के लिए बने हैं.

- तो फिर दूसरी पार्टी से?

- मनीष तिवारी. और कौन?

- जयन्ती...

- नहीं-नहीं. वो मुझे भी बोलने नहीं देतीं.

- तब तो मनीष को ही बुलाना पड़ेगा. सिबल साहब को तो अब प्रोटोकॉल का ध्यान रखना पड़ता है.

- एम् एन सिंह को भी बुला लें?

- क्या ज़रुरत है? डिस्कशन आतंकवाद या कानून व्यवस्था पर थोड़े न करनी है. कुछ बुद्धि है कि नहीं?

- तब फिर टॉपिक क्या है?

- ग्लोबल वार्मिंग.

असिस्टेंट चला जाता है. बुदबुदाते हुए कि; "एम एन सिंह भी तो क्वालीफाई करते ही हैं. फालतू में डांट पिला दिया मुझे."

23 comments:

  1. डिस्‍कशन कहीं के लिये रेफरी बुलावा लीजिए, पहलवानी होने पर रेफरी काम आयेगा।

    दीपवावली की बहुत बहुत बधाई

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  2. ये सारे बन्दे कहां के हैं? ब्रोबिडिंगेन्ग के या लिलीपुट के!

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  3. अरे भाई एक ठो हमको बुलवा लिए होते. पैनल पूरा हो जाता.
    :)

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  4. भईया, क्या कभी हमारा भी लम्बर लगबाईयेगा ना?

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  5. s3Ca24Fnjdnv9QShB.afn2mdGE6A7JDi4oMo0UWdCdXkOPI जी,

    ब्लागिंग पर पैनल डिस्कशन होने दीजिये. सुहैल सेठ, मनीष तिवारी, रविशंकर प्रसाद, ब्रह्म चेलानी, हलकान 'विद्रोही' और आपको बुलाया जाएगा....:-)

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  6. दीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
    आपकी लेखनी से साहित्य जगत जगमगाए।
    लक्ष्मी जी आपका बैलेंस, मंहगाई की तरह रोड बढ़ाएँ।

    -------------------------
    पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।

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  7. जो भी मिले बुला लो, डिस्कशन का टोपिक भी बदला जा सकता है. क्या फर्क पड़ता है. तीस मिनट गुजारनी है, विज्ञापन पहले ही ले रखे है.

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  8. बताइये फालतू में डांट पड़ गयी बेचारे को ! क्रिएटिविटी का तो ज़माना ही नहीं रहा.

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  9. नोबल पुरस्कार विजेता पचौरी जी (हा हा हा हा हा हा हा हा) को चैनल वाले पकड़ नहीं पाये, या फ़िर इस चैनल की औकात इतनी नहीं थी कि पचौरी इन्हें "कंसिडर" या "अफ़ोर्ड" करें… :) भई मामला ग्लोबल वार्मिंग (बड़ा डरावना शब्द है भाई) का है ना इसलिये कहा…

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  10. इलाहाबाद के ब्लॉगरी पर पैनल डिस्कसन में आप आ रहे हैं न? पैनल पूरा करने और कराने में आपकी सख़्त जरूरत है।

    सच में जी, मजाक मत समझिएगा।

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  11. हमें बुला लिए होते...हम क्या इतने गए गुज़रे हैं की पैनल डिस्कशन में ना आ पायें...हद हो गयी...हमारा नाम कोई कंसीडर ही नहीं करता...आप भी नहीं...क्या कहें....इस घर को आग लग गयी घर के चिराग से...
    चलिए कोई बात नहीं...दीपावली की शुभकामनाएं लीजिये अपने और अपने पूरे परिवार के लिए...फिर ना कहियेगा की दिवाली पर कुछ दिया नहीं...
    नीरज

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  12. इस दीपावली में प्यार के ऐसे दीए जलाए

    जिसमें सारे बैर-पूर्वाग्रह मिट जाए

    हिन्दी ब्लाग जगत इतना ऊपर जाए

    सारी दुनिया उसके लिए छोटी पड़ जाए

    चलो आज प्यार से जीने की कसम खाए

    और सारे गिले-शिकवे भूल जाए

    सभी को दीप पर्व की मीठी-मीठी बधाई

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  13. कुछ तो ऐसे हैं कि किसी भी विषय पर कितना भी बोल सकते हैं । बुला तो लें पर निष्कर्षों की अपेक्षा न करें ।

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  14. देखिये शिवकुमार भाई आपसे एक ठो रिक्वेस्ट है। आप कहीं हमको न बुलवा लीजियेगा। रास्ता तो स्टूडियो से हमरे घर का पांचै मिनट का है लेकिन एक महीने पहिले अगर हमको बुलाया गया तो भैये हम तो आ पायेंगे। आपको बता दिया काहे से कि अगर आप कहेंगे तो उसई दिन भाग के आना पड़ेगा लेकिन आपसे अनुरोध है कि आप बीच में न पड़ियेगा। किनारे से ही मौज लीजियेगा।

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  15. This comment has been removed by the author.

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  16. कोरम हमारे बिना कैसे पूरा होगा मिसिर जी

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  17. अतिसुन्दर!

    दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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  18. क्वालिफाई तो खैर हम भी करते हैं..बुलवा नहीं रहे हो यह अलग बात है. :)

    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल 'समीर'

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  19. अरे भाई, डिस्कशन शुरू तो हो.....:)

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  20. अब ,इन ससुरों को कौन समझाए दिन भर ए ०सी० में रहने वाले लोग जिन्हें स्वच्छ हवा लग जाए तो सर्दी हो जाती है . वो ग्लोबल वार्मिंग पर डिस्कस करेंगे ? वैसे यार बुराई नहीं है डिस्कस तो कोई भी कर सकता है . डिस्कस हीं तो करना है .दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग का वरदान देने वाले देश अमेरिका आदि भी तो डिस्कस ही कर रहे है . डिस्कस एक ऐसा तरीका है जिससे मानव हर समस्या का समाधान खोजने का अभिनय करके मन को संतुष्ट करता है . दुनिया भी उसके इस स्वांग में मज़े लेती है . अरे ,भारत में तो लगभग सारे काम डिस्कस पर हीं टिके हैं .

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  21. अच्छा व्यंग्य है ।

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  22. रोचक..
    कभी कभी बिना दिमाग लगाए भी बहुत कुछ करना पड़ता है.

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  23. पैनल डेस्कासन की लिस्ट शायद छोटी पड़ गयी...लेकिन लिस्ट अछी है..

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय