पेश हैं कुछ पियाजी अशआर. बांचिये.
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खुश रहे न कभी, उदास रहे
दाम देखा औ बदहवाश रहे
आज सत्तर में बिक रही देखो,
कल गनीमत गर सौ के पास रहे
आज उतनी भी मयस्सर न किचेन-खाने में
जितनी झोले से गिरा करती थी आने-जाने में
काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब
घर में जब पाव भर पियाज नहीं
वो पूछते हैं हमसे कब सस्ती होगी
कोई हमें बतलाये हम बतलायें क्या
मिले जो प्याज देखने को औ छाये रंगत
वे सोचते हैं मिडिल क्लास का हाल अच्छा है
आदतन दाम बढ़ गया उसका
आदतन हमने खाना छोड़ दिया
दिल पे रखा हैं प्याज-ओ-खिश्त, कोई उसे गिराए क्यों
रो रहे हैं हम बिना छीले, कोई भला छिलवाए क्यों
प्याज का बस्ता कहीं आज अगर उतरता है
मन हो बेचैन उसे देखने से डरता है
दर्द सीने से उठा आँख से आँसू निकले
प्याज का दाम सुना था कहाँ छीला उसको
पूछिए मिडिल क्लास से लुफ्त-ए-प्याज
ये मज़ा हाई-क्लास क्या जानें
घर में आज एक भी पियाज नहीं
कहीं कोई मेहमां न आज आ धमके
आ जाए किचेन में अगर फ़रहत ही मिलेगी
फेहरिस्त में अब प्याज इक हीरे की तरह है
(फरहत = ख़ुशी)
Tuesday, December 21, 2010
प्याज का बस्ता कहीं आज अगर उतरता है...
@mishrashiv I'm reading: प्याज का बस्ता कहीं आज अगर उतरता है...Tweet this (ट्वीट करें)!
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वैसे मेरा एक आईडिया है कि खाने वाले एक महीने को बन्द कर दें, देखिये जमाखोरों का क्या हाल होता है..
ReplyDeleteवैसे पियाजियो (मामला इटालियेन बना दिया) सारी पियाजिया शे’र बढ़िया हैं>..
ReplyDeleteइस प्याजी पोस्ट को पढके मन सचमुच प्याज-प्याज हो गया...
ReplyDeleteकमाल है बड़ी इज्ज़त दी इस प्याज को :-)
ReplyDeleteआज टी वी पर भी प्याज ही प्याज ...
ये प्याज़ है मुल्ला दोपियाज़ा नहीं...जेब कटते ही आंख में आंसू आ जाते हैं :)
ReplyDeleteहा हा. एकदम मस्त. एकदम मजेदार. दो सौ रुपये पियाज वाले टेस्ट के माफिक.
ReplyDeleteप्याज के मंहगे होने का दुख कम हो लिया। मन प्याज-प्याज हो गया।
ReplyDeleteये वाला सबसे ज्यादा जमा:
आज उतनी भी मयस्सर न किचेन-खाने में
जितनी झोले से गिरा करती थी आने-जाने में
अच्छी परोडी
Deleteआज उतनी भी मयस्सर नहीं मयखाने में
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में
बडाई मारने की आदत गई नहीं, मिसेज सिन्हा को देखा? मुँह खूला रख कर घूम रही थी ताकि सबको पता चले कि उन्होने प्याज खाया है! :) :)
ReplyDeleteयही हाल है जी, समझ नहीं आया रोयें कि हँसे...
प्याज़ के दामों के बढ़ने की वजह से अभी नए मुल्लों की भर्ती भी रुक गयी होगी :)
ReplyDeleteकितना रुलाओगी,
ReplyDeleteखाना कम करें,
या
स्वयं कम हो जाओगी।
वाह, बहुत खूब। गालिब के शब्दों में प्याज का दुखड़ा पढ़कर मजा तो आया, दुख औऱ गहरा हो गया।
ReplyDeleteबडाई मारने की आदत गई नहीं, मिसेज सिन्हा को देखा? मुँह खूला रख कर घूम रही थी ताकि सबको पता चले कि उन्होने प्याज खाया है! :) :)
ReplyDeleteयही हाल है जी, समझ नहीं आया रोयें कि हँसे...
kuch kahte bana nahi jo jama o udhar
lekar chep diya.....
pranam.
दिल पे रखा हैं प्याज-ओ-खिश्त, कोई उसे गिराए क्यों
ReplyDeleteरो रहे हैं हम बिना छीले, कोई भला छिलवाए क्यों
सच मे प्याज के दाम पे रो रहे हैं या प्याज के बहाने? अच्छा है न रहेगा प्याज न आँसू गिरेंगे। जब तक प्याज सस्ता नही होता तब तक मेहमानो को मेल कर दें कि अभी न आयें। शुभकामनायें।
आँखों से अश्रुधारा बह चली ये पढकर तो..आपने तो प्याजाना जख्म और गहरा कर दिया..:)
ReplyDeleteभावुक!
ReplyDeleteवैसे युवराज ने आशावसन दिया है कि प्रधान आमात्य प्याज की कीमतें काबू कर लेंगे। हम प्रतीक्षा करें।
यूँ तो सभी शेर प्याज से ही अनमोल हैं,पर ये वाला नायाब लगा....
ReplyDeleteआज उतनी भी मयस्सर न किचेन-खाने में
जितनी झोले से गिरा करती थी आने-जाने में...
प्याज सौ रुपये ,लहसुन तीन सौ रुपये....
असल में सरकार जनता को सात्विक आहार वादी बनाना चाहती है...
कलम ऐसे ही बुलंद रहे...लाजवाब चलाया है...शाबाश !!!!
अजी इस बदबूदार चीज को खाना बन्द करो, सारे भाव एकदम से कौडियों के भाव हो जाएंगे।
ReplyDeleteइसके भाव तो जी.डी.पी. से भी ज्यादा तेज गति से उठ रहे हैं। बिना छिले ही ये हाल है, अगर छिलके उतार देते आप तो क्या होता।
ReplyDeleteदीवान-ए-गालिब का प्याजी संस्करण बहुत प्याजी-प्याजी लगा।
बंधू एक एक अशआर खून में डुबो के लिखा लगता है...सीधा दिल पर असर करता है और पढ़ने वालों की आँखों से खून टपकने लगता है...
ReplyDeleteआज से आपको "शायर-ऐ-आज़म का खिताब अता किया जाता है.
प्याज देता है बुरी बास,गलत है लेकिन
दिल के बहलाने को नीरज ये ख्याल अच्छा है
नीरज
प्याज रानी या प्याजो की जवानी
ReplyDeleteप्याजो बदनाम हुई
लहसुन तेरे लिए
गिरीश बिल्लौरे और अविनाश वाचस्पति की वीडियो बातचीत
प्याज बापू "ग़ालिब"हो गए ..मज़ा आ गया ..
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