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Tuesday, November 13, 2007

पिटाई की राह ताकता लेखक


@mishrashiv I'm reading: पिटाई की राह ताकता लेखकTweet this (ट्वीट करें)!


मैंने दुर्गा-पूजा पर एक 'रिजेक्टेड निबंध' लिखा तो ब्लॉगर मित्रों ने मुझे चेताया कि 'श्रध्दा और भक्ति' वालों से बचकर रहना, कहीं ऐसा न हो कि एक दिन धुनक कर धर दें. उसके बाद मैंने अपने राज्य में होने वाले बंद को लेकर लिखा तो भी लोगों ने मुझसे सहानुभूति दिखाई. ये कहते हुए कि "बंद वालों से संभल कर रहना, कहीं पिटाई नहीं कर दें तुम्हारी." लोगों से मिली सहानुभूति और चेतावनी ने मुझे और उकसा दिया है कि मैं तमाम लोगों के ख़िलाफ़ लिखूं.

Shivkumar

"आहा, क्या नजारा होगा. सुनील गंगोपाध्याय मेरे बगल में बैठे होंगे. ----- पत्रकार मेरी तस्वीर खीचेंगे. चेहरे पर दर्द की कमी रही तो मुझे फिर से दर्द पैदा करने के तरीके बताएँगे. अखबारों में फोटो. वाह. और क्या चाहिए एक 'लेखक' को?"

अब मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूँ जब कुछ लोग आकर मुझे धुनक देंगे. मुझे इन लोगों के ऊपर गुस्सा आ रहा है कि अभी तक किसी ने पिटाई क्यों नहीं की. मैं सोच रहा हूँ कब आयेंगे मेरे ये तारनहार और मेरी पिटाई करेंगे. मैं उस दिन के बारे में सोच रहा हूँ जब अखबार में ख़बर छपेगी, "लेखक पिट गया." कम से कम लोग मुझे लेखक कहकर सम्बोधित तो करेंगे. सपने देखने लग गया हूँ अब. लोग मुझे दो-चार झापड़ मारेंगे, लेकिन इसका फायदा भी तो होगा. मुझसे सहानुभूति दिखाने वाले मुझे लेखक कहेंगे. हमारे शहर के बुद्धिजीवी मेरे लिए आगे आयेंगे. सरकार को लानत भेजेंगे कि; 'राज्य में 'लेखक' सुरक्षित नहीं रहे अब.'


आहा, क्या नजारा होगा. सुनील गंगोपाध्याय मेरे बगल में बैठे होंगे. साथ में और बहुत सारे बुद्धिजीवी. पत्रकार मुझसे सवाल करेंगे. मैं जवाब दूँगा. चेहरे पर दर्द ले आऊँगा. पत्रकार मेरी तस्वीर खीचेंगे. चेहरे पर दर्द की कमी रही तो मुझे फिर से दर्द पैदा करने के तरीके बताएँगे. अखबारों में फोटो. वाह. और क्या चाहिए एक 'लेखक' को?


मुझे चंद्र मोहन की याद आ रही है कि कैसे इस कलाकार ने देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें बनाई, और पिटने का आमंत्रण दे डाला. पिटाई हुई, और बुद्धिजीवी उसके समर्थन में आगे आए. मोदी की जमकर आलोचना की. सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया. शबनम हाशमी ने कितना बलिदान दिया चंद्र मोहन के लिए. चंद्र मोहन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पहचान बन गए.


मुझे एक बात पर शक है. सोचता हूँ, 'मैंने देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें तो बनाई नहीं. क्या बुद्धिजीवी मेरे समर्थन में आगे आयेंगे?


लेकिन फिर सोचता हूँ कि अगर 'लेखक' के रुप में नहीं पिट सका तो पेंटर बन जाऊँगा.


फुटनोट:
रविवार को मैंने हमारे ब्लॉग की पचासवीं पोस्ट पब्लिश कर दी लेकिन आपको बताना भूल गया. क्या करें, भूल ब्लॉगर से ही होती है. कितना बड़ा घाटा हो गया, बाद में ख्याल आया. बहुत पछतावा हुआ. काश, ये बात आपलोगों को रविवार को ही बताई होती, तो कम से कम ३-४ कमेंट ज्यादा मिलते. आप में से कितने लोगों की बधाई मिलती. कितने लोग मुझसे बहुत जल्दी सौवीं पोस्ट लिखने के लिए कहते. कई तो जल्द से जल्द दो सौवीं पोस्ट लिखने के लिए कहते. लेकिन इसमें आपलोगों का कोई कसूर नहीं, मैं ही अभागा निकला.
जितने कमेंट्स की कमी रह गई थी, उतने ही लेने के लिए मैंने ये फुटनोट लिखा है. वैसे अगर कमेंट नहीं मिले तो मैं फिर ब्लॉग-गीरी 'छोड़ते' हुए एक पोस्ट लिख डालूँगा. फिर देखता हूँ, कमेंट्स कैसे नहीं मिलते.


12 comments:

  1. पचासवी पोस्ट की बधाई स्वीकार करें.

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  2. चलिऐ 50 न सही 51वीं की ही बधाई स्‍वीकार कीजिए, वैसे 51 ज्‍यादा शुभ संख्‍या है।

    विचारोत्‍तेजक लेख निश्चित रूप ये आज के दौर में सार्थक चिन्‍तन की जरूत है।

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  3. टिप्पणी लेने के लिये चन्द्रमोहन बनने का ब्लैक-मेल तो मत करो! अगर वही चाहिये तो मैं आज ही 10 फर्जी आईडी क्रियेट कर लेता हूं! :-)

    लेकिन जहां तक ब्लॉग लेखन का मामला है - मैं मुक्त कण्ठ से बधाई देना चाहूंगा। भले ही ज्वाइण्ट ब्लॉग पर नब्बे पर सेण्ट इक्विटी आपने झटक ली हो। आपका सटायर वास्तव में सूपर्ब है और दिनो दिन ब्लॉग जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप ढ़लता जा रहा है। यह पोस्ट उसी का प्रमाण है।

    खैर, इस पोस्ट पर जो भी वाहावाही मिले, 25% मेरी ओर शराफत से सरका देना! :-)

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  4. आपके अर्धशतक पर आपको बधाई! जल्दी शतक बनायें और बगैर पिटे ही और चर्चित हो जायें यही कामना.

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  5. भगवान् आपकी तमन्ना जल्द ही पूरी करें. और अगर साहब इसी ढंग से चलते रहे तो आपको पेंटर बनने की जरुरत भी नही पड़ेगी. इक्यवान्वी पोस्ट के किए आपको बधाई.

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  6. सबसे पहले तो आपको बहुत बहुत बधाई, कि पचास पार कर लिए, जल्द ही आप सठिआएं।

    ह्म्म, मुझे आपसे सहानूभूति है, कि आप पिटना चाहते हुए भी पिट नही सके, बहुत नाइन्साफी है ये। थोड़ा पीटने पर इनाम वगैरह रखिए, लोग आएंगे, चिंता मत करिए।

    टिप्पणी, ब्लॉगर का अधिकार है, मै सरकार से अपील करूंगा कि एक टिप्पणी मंत्रालय बनाएं और अपने सबसे नाकाबिल मंत्री को इसका मंत्री बनाए, ताकि चिट्ठाकारों को ज्यादा से ज्यादा टिप्पणियां मिले। वैसे एक पुराने ब्लॉगर ने कभी कहा है "टिप्पणी ब्लॉग की मांग मे बिन्दी के समान होती है, बिना टिप्पणी मांग सूनी सूनी लगती है, और टिप्पणी के साथ ब्लॉग सुहागिन जैसा लगता है।" , लेकिन एक और पुराने ब्लॉगर ने चोक ली, तो इसका मतलब जित्ती ज्यादा टिप्पणी उसके उतने ज्यादा सुहाग?

    अब जवाब जनता ही दे तो बेहतर, हम तो बस चुप ही रहेंगे।

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  7. बंधू
    ग़लत फ़हमी में जी रहे हैं आप. जनाब आप तो कब के पिट चुके होते, ये समझिए हम ही बचा रखें हैं आपको. हुआ यूं की जब पिटाई की योजना बनाई जा रही थी तब किसी ने कहा की" गुरु लेखक के साथ साथ टिप्पन्नी करने वालों की भी बखिया उधेड़ी जानी चाहिए क्यूंकि वे लोग भी परोक्ष में लेखक के साथ हैं". तभी उनमें से एक दुर्जन जो हमारी ग़ज़लें पढ़ पढ़ के जीवन सुधारने की कोशिश कर रहा था बोला की भाई टिप्पन्नी करने वाले पूरे हिंदुस्तान मैं फैले हैं किस किस को कहाँ खोजेंगे और उनमें से एक बुढाऊ नीरज भी है जो शिव की चालों में आ कर फंस गया है वो भी लपेटे में आ जाएगा और मारा जाएगा. मेरा नाम आते ही वो लोग पीछे हट गए.अगर मैं आपकी इसतरह की पोस्ट पर जब कभी टिप्पन्नी न करूँ समझ लेना आप के पिटने की शुभ वेला आ गयी.
    आपने ५० पोस्ट लिख डालीं? कमाल है पाठकों में सहने की असीम क्षमता को देखते हुए मुझे अपना भविष्य भी उज्जवल नज़र आ रहा है.
    नीरज

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  8. ये लो कल्लो बात, खुद तो शब्दों से धड़ाधड़ पीटे जा रहे हो और खुद ही पिटने की आकांक्षा भी रखे हो!!
    जे तो गलत बात है भाई साहब!!
    आप बस पीटे जाओ पिटने का सोचो भी नई!!
    बिना पिटे ही फ़ेमस होने का है आपको तो!!

    बधाई व शुभकामनाएं 50 पूरे कर लेने पर, ऐसे ही संख्या बढ़ती रहे!!

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  9. भाई पिटें आप के दुश्मन.. आप तो बधाई लीजिये..

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  10. बात सही है जी, व्यंग्यकार जब तक ठुके पिटे नहीं, व्यंग्यकार नहीं माना जाता। परम आदरणीय परसाईजी पर लगातार हमले होते थे। परस्पर हम दोनों यह काम दूसरे के लिए कर सकते हैं। बाडी पर हिट पड़ेंगे,तो ब्लाग के हिट बढ़ेंगे।
    बताइए कब करना है।

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  11. ब्लॉगर अस्सोसिएसन को फ़िर टू एक ओफ्फिसिअल डॉक्टर नियुक्त करना चाहिए. कभी भी किसी भी ब्लॉगर की पिटाई हो सकती है. अब ये बात अलग है की जैसी आपकी जिजीविषा है वैसी अभी औरों में नहीं है टू शुरुआत आपसे होने की प्रबल संभावना है.

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  12. :) ... ये एक दम तरो ताज़ा कर देने वाला है :)

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय