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Saturday, December 1, 2007

साहब, एक छापा मार दो न, प्लीज!


@mishrashiv I'm reading: साहब, एक छापा मार दो न, प्लीज!Tweet this (ट्वीट करें)!



कहते हैं शेयर बाज़ार मानव-मन की दो भावनाओं से चलता है. एक है लालच और दूसरा है डर. किसी निवेशक के मन में अगर इन दो भावों की उपस्थिति उचित अनुपात में है तो वह बाज़ार से पैसा कमा सकता है. लेकिन अगर अनुपात ग़लत हुए तो पैसे खोने का चांस बढ़ जाता है. उदाहरण के तौर पर रिलायंस पेट्रोलियम के शेयर के दाम में पिछले महीने आई उछाल को देखिये.

'आम निवेशकों' के मन में ये बात भर दी गई कि इस कम्पनी के शेयर का दाम बढ़कर चार सौ रुपये तक हो जायेगा. ये ख़बर पूरे बाज़ार में तब फैलाई गई, जब इस कम्पनी के शेयर के दाम करीब २७५ रुपये तक पहुँच गए. बहुत सारे 'आम निवेशकों' ने इस शेयर में ये सोचकर पैसा लगाया कि चार सौ जाने पर बेंच कर मुनाफा कमा लेंगे. लालच बढ़ गया और डर कम हो गया था. कम्पनी के शेयर का दाम २९० रुपये तक जाकर वहाँ से लुढ़क गया. जब दाम २१० रुपये हो गया, तब रिलायंस के अम्बानी जी ने बताया कि उन्होंने अपनी इस कम्पनी के शेयर बाज़ार में बेंच दिए हैं. नतीजा ये हुआ कि शेयर का दाम २०० रुपये से भी कम हो गया.


सारा कुछ होने के बाद बाज़ार को रेगुलेट कराने वाली सेबी ने कहा कि वो इस कम्पनी के शेयर के दाम में होने वाले उछाल के बारे में जांच करेगी. सेबी की तरफ़ से किसी भी ऐसी जांच का नतीजा ये होता कि इस कम्पनी के शेयर के दाम घाट जाते, जैसा कि पहले बहुत सारी और कंपनियों के केस में देखा जा चुका था. लेकिन यहाँ हुआ ठीक उल्टा. रिलायंस पेट्रोलियम के शेयर के दाम बढ़ गए. जिन लोगों ने ये सोचकर शेयर बेंच दिए होंगे कि दाम घट जायेगा, उन्हें और नुकसान हुआ.


इस घटना से मेरे मन जो बात आई, वो मैं आपको बताता चलूँ :-

मुम्बई में डांस बार बंद कर दिए गए हैं. फिर भी आए दिन सुनने में आता है कि वहाँ फला बार में छापा पडा और लड़कियां बरामद हुईं. और ये कि वहाँ बार में डांस अब भी चलता था. मुझे लगता है कि इस तरह के छापे मारने के लिए बार के मालिक ख़ुद ही पुलिस से कहते होंगे. शायद पुलिस के पास जाकर कहते होंगे कि; "साहब कितने दिन हो गए, आपने छापा नहीं मारा. लोग मेरे बार को शक की निगाह से देखते हैं. आपस में खुसर-फुसर करते हैं कि यहाँ डांस अभी भी चलता है. आप एक बार छापा मार देते तो मैं निश्चिंत होकर धंधा करता."

बस, पुलिस छापा मारने निकल पड़ती होगी. छापा मार कार्यक्रम ख़त्म होने से बार के मालिक को कम से कम छः महीने आराम से डांस बार चलने का 'लाईसेन्स' मिल जाता होगा.

चलते-चलते:
कुछ दिन पहले मैंने सचिन तेंदुलकर के शतक न बनाने को लेकर देश भर के लोगों की चिंता पर एक पोस्ट लिखी थी. उसमें कुछ ज्योतिषियों द्वारा सुझाए गए टोटकों का भी जिक्र था. आप में से बहुत से लोगों ने उसपर टिपण्णी की थी. लेकिन बहुत दिनों बाद कल हरी ओम नामक सज्जन ने टिपण्णी की और मुझे बताया कि मेरी पोस्ट बहुत सेक्सी थी.


मैंने सोचा कि पहले मर्द औरत को सेक्सी कहते थे. हमने प्रगति कि और औरतों ने भी मर्दों को सेक्सी कहना शुरू किया. कालांतर में चीजों को भी सेक्सी कहा जाने लगा. इस उपमा से कारें, सड़कें, कपडे-लत्ते तक को सुशोभित होने का मौका मिला. अब लेख भी सेक्सी कहलाये जाने लगे हैं. मान गए फ्रायड को. तगड़े इंसान थे. नहीं?


10 comments:

  1. शेयर हर के बस की बात नही है। इसके लिये दीमाग और भाग्‍य दोनो जरूरी है।

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  2. हमने पहले ही कहा था की हमको शेयर वेयर पल्ले नही पड़ते है. लिहाजा आज की पोस्ट से भी यही अर्थ निकाल पाए हैं कि बार हो या शेयर बाज़ार दोनों ही जगह लोग नोट लूटाने जाते है.

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  3. भाई साहब ये शेयर का लोचा हमरी समझ मे तभै आता है जब कहीं किसी बात में या फ़ायदे मे हमरा भी शेयर होता/ मिलता है ;) !!

    हरिओम जी ताज़ा ताज़ा पीढ़ी के तो नही कहीं, यह मेरी शर्ट भी सेक्सी , मेरी पेंट भी सेक्सी वाले लोगों को ही हर अच्छी बात पे सेक्सी कहना सूझता है!!

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  4. आरपीएल में निवेश वित्तीय स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। सरजी नोएडा टोल ब्रिज और टाटा टेली इस भाव पर भी ले लीजिये। मौज रहेगी।

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  5. भाई,

    रिलायंस वाले अपने कारगुजारियों के लिए पहले से ही बहुत विख्यात (विख्यात?) हैं. डुप्लीकेट शेयर सर्टिफिकेट का मामला हो, या फिर अपने हिसाब से नियम-कानून बदलने का. तो रिलायंस पेट्रोलियम में उनकी कारगुजारी आश्चर्य की बात नहीं है.

    रही बात हरी ओम जी की टिपण्णी की, तो आपने फ्रायड साहब की बात याद दिलाकर सब कुछ कह दिया. उसमें और कुछ कहने की जगह नहीं बची.

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  6. १. काश इस आरपीएल के खेल के बारे में अक्तूबर में पता चलता। मजा आ जाता। :-)

    २. जहां तक सेक्सी की बात है तो भैया आपकी पोस्टें तो उत्तरोत्तर सैक्सियर होती जा रही हैं - फ्रॉयड ऑर नो फ्रॉयड! ऐसी छुटकी पोस्ट बनाते रहोगे तो मिनी स्कर्ट को बीट कर देंगी कुछ समय में। याद है जब तीन महीने में तीन पन्ने का एक घाघरा पोस्ट सिलते थे और फुरसतिया बार-बार ठेलते थे कि जल्दी लिखा करो नयी पोस्ट!

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  7. सेक्सी है जी।
    पहली वाली बात में राग दरबारी को याद करें। दरोगाजी से कहा जाता है- साहब साल में एक छापा का करार हुआ था। अभी तक छापा नहीं पड़ा। इलाके में बेइज्जती हो रही है।
    दूसरे में क्या कहें। आपकी पोस्टें सच-मुच सेक्सीयर होती जा रही हैं।

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  8. शिव जी एक लंबे अंतराल के बाद वापस आयी हूं अच्छा है कि आप ने शेयर्स के बारे में लिखना शुरु कर दिया है, हमारे जैसे छोटे निवेशकों के लिए बहुत ही कारागर सिद्ध होगा। हमने तो पहले ही अंबानी का विश्वास नहीं किया, मन में आया कि अभी प्रोडक्शन चालू नहीं हुआ फ़िर काहे दाम बढ़ रहे हैं। इस लिए बच गये। अब बताइए रिलायंस कम्युनिकेशन के शेयर्स लेने चाहिए या नहीं और किस दाम पर्। छोटे और मझोले शेयरस का भी जिक्र किजिए, पावर सेक्टर में किस में पैसा लगाये। इसे कहते है उंगली पकड़ाई और हाथ पकड़ लिया……:)

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  9. शिव भईया, ये रिलायंस पेट्रोलियम का दर्द देश भर में फैले रिलायंस के पेट्रोल पंप वालों से जाना जा सकता है उनके पास तो 'भई गति सांप छुछंदर केरी' वाली बात है, भारी भरकम निवेश के बाद फायदा सिफर ।

    सेक्‍सी का ज्ञान भईया नें वैष्‍णवी अर्थ सुझा दिया है अब टेंसन फ्री हो के सेक्‍सी पोस्‍ट लिखते रहें ।

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  10. अगर बूढ़ा होता तो कुछ ऐसा आशीष देता

    शिव तुम दिन दूने रात चौगुने अच्छे से अच्छा लिखो...बहुत चिंता न करो....मस्त रहो और लिखो...।
    अच्छा तो चल रहे हैं आप।

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय