राखी सावंत हार गईं. उनकी देखा-देखी कांग्रेस भी हार गई. दोनों वोटिंग की शिकार हुईं. अब दोनों का कहना है कि वे नहीं हारीं बल्कि लोकतंत्र हार गया. राखी सावंत ने हारने के बाद बताया कि आयोजकों ने उनसे वादा किया था कि वे ही जीतेंगी लेकिन इन आयोजकों ने अपना वादा नहीं निभाया. कांग्रेस ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं कहा है. कांग्रेस को शायद किसी ने वादा नहीं किया था. या किसी ने किया भी था तो ये बेहद जी निजी तौर पर किया था, जो सार्वजनिक करने लायक बात नहीं है.
हारने के बाद राखी सावंत ने बताया कि उनके साथ नाइंसाफी शुरू से हुई. उन्हें मिलने वाले वोट रजिस्टर नहीं किए गए. उन्होंने अब कभी भी रियलिटी शो में हिस्सा न लेने की कसम खा ली है. उन्होंने ये भी बताया कि अगर ऐसी ही बेईमानी होती रही तो आने वाले दिनों में भारत में रियलिटी शो का भविष्य खतरे में है. हारने के बाद कांग्रेस पार्टी ने भी बताया कि 'पार्टी के हारने से भारत में लोकतंत्र पर ख़तरा मंडराने लगा है.' जी हाँ, वीरप्पा मोइली ने यही कहा. कांग्रेस का जीतना जरूरी था क्योंकि भारत में लोकतंत्र का जिंदा रहना ज्यादा जरूरी है. कांग्रेस ने हारने के कारणों में सबसे प्रमुख कारण गुजरात में ध्रुवीकरण को बताया. लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आई. ध्रुवीकरण होने के बाद दो ध्रुव बनते हैं. अब ऐसे में एक ध्रुव तो कांग्रेस के पास था ही. मोदी दोनों ध्रुवों पर तो कब्जा नहीं कर सके थे. फिर मैंने सोचा कि दक्षिणी ध्रुव पर बरफ की मात्रा शायद ज्यादा थी. साथ ही साथ वहाँ के शिलाखंडों पर अभी तक ग्लोबल वार्मिंग का असर उतना बड़ा नहीं था जितना कांग्रेस के कब्जे वाले उत्तरी ध्रुव पर था. शायद इसलिए मोदी जीत गए.
राखी सावंत को लोग घमंडी मानते हैं. उन्हें शायद इस बात का घमंड है कि उनसे बढिया ड्रामा करने वाला भारत में और कोई नहीं. उन्हें अपने ड्रामे पर बड़ा विश्वास था. उनकी नज़र में संजीदगी का कोई महत्व नहीं है. उन्हें अपने नाचने की कला पर भी कम घमंड नहीं है. इसलिए उनका मानना था कि वे ही जीतेंगी. जहाँ तक कांग्रेस के घमंड की बात है तो मुझे कांग्रेस भी एक दो बातों में घमंडी कम नहीं लगती. जैसे कांग्रेस को सेकुलर होने का घमंड है. अब इसे घमंड नहीं तो और क्या कहेंगे कि चार महीने पहले तक जो लोग मोदी के साथ रहते हुए साम्प्रदायिक थे, वही कांग्रेस के साथ होने पर सेकुलर मान लिए जाते हैं. कांग्रेस पार्टी ख़ुद को गंगा की भांति पवित्र मानती है. शायद इस सोच के साथ जीती है कि कोई कितना बड़ा साम्प्रदायिक हो, अगर कांग्रेस में चला अता है तो सेकुलर हो जाता है. ये घमंड नहीं तो और क्या है? घमंड इस बात का भी लगता है कि अगर कोई पार्टी इस देश में राज करने लायक है तो वो कांग्रेस पार्टी है. अन्य पार्टियां केवल खाना-पूर्ति के लिए बनाई गई हैं जिससे ये कहा जा सके कि भारत में लोकतंत्र है. इसके अलावा इन पार्टियों का कोई ख़ास महत्व नहीं है. अगर ऐसी सोच नहीं होती तो ये बात होती ही नहीं कि कांग्रेस के हारने से देश में लोकतंत्र ख़त्म हो जायेगा.
वैसे गुजरात चुनावों और नाच बलिये के नतीजे की वजह से केवल रखी सावंत और कांग्रेस ही दुखी नहीं है. कल मैं बाल किशन जी के ब्लॉग पर उनकी पोस्ट पढ़ रहा था. उनके मुताबिक कुछ टीवी वाले भी दुखी हैं. कुछ न्यूज़ चैनल और पत्रकार इस बात से दुखी हैं कि उनकी मेहनत के बावजूद गुजरात चुनावों में कांग्रेस की हार हुई. वहीं दूसरी तरफ़ राखी सावंत के हारने से कुछ टीवी चैनल भी दुखी हैं. ये सोचकर कि नच बलिये चलता था तो राखी के बहाने सप्ताह में २-३ घंटे का प्रोग्राम बन जाता था, लेकिन अब क्या करेंगे?
वैसे मुझे पूरी आशा है कि राखी सावंत भविष्य में भी रियलिटी शो में भाग लेंगी. टीवी चैनल वालों को राखी के ऊपर प्रोग्राम बनाने का मौका मिलेगा. साथ में देश में लोकतंत्र भी जिंदा रहेगा. चुनाव भी होंगे और कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से चुनाव लड़ेगी. भले ही ध्रुवीकरण के बीच में लड़ना पड़े.
चलते-चलते:
गुजरात चुनावों के ऊपर टीवी पर दिखाए गए लगभग सभी एग्जिट पोल में बताया गया कि बीजेपी ही जीतेगी. पता नहीं ऐसा क्यों हुआ कि रिजल्ट आने से ठीक दो दिन पहले अचानक ये बात फैला दी गई कि कांग्रेस के जीतने के चांस बहुत बढ़ गए हैं. ऐसी बात फैलाने के लिए सट्टेबाजों का सहारा लिया गया. मुझे नहीं पता कि ऐसा किसने और क्यों किया, लेकिन एक बात जो मेरे मन में आई वो मैं कहता चलूँ.
कहीं ऐसा तो नहीं कि सट्टेबाजों ने जान-बूझ कर इस तरह की अफवाह उड़ाकर लोगों को कांग्रेस की जीत पर पैसा लगाने का लालच दिया और लोगों को नुकसान हुआ.
Tuesday, December 25, 2007
राखी सावंत और कांग्रेस - हार में समानता है क्या?
@mishrashiv I'm reading: राखी सावंत और कांग्रेस - हार में समानता है क्या?Tweet this (ट्वीट करें)!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सही कह रहे हो बंधु....राखी जी के हार जाने से रियलिटी शो नहीं बंद होगा...और कांग्रेस के हारने से चुनाव नहीं बंद होंगे...ये सब आगे भी चलता ही रहेगा.
ReplyDeleteमस्त और जबरदस्त!
ReplyDeleteमेरी पत्नी कह रही थीँ कि क्या अलग मूड़ी गड़ाये पड़े रहते हो; टीवी पर देखो - कैसे पिपिँया रही है वह मेहरारू (रा.सां.)। और यह पोस्ट पढ़ कर लग रहा है कि बहुत सही कह रही थीं वह। निश्चय ही वह कांग्रेस/खबरिया चैनलों/एक बिरादरी के ब्लॉगरों जैसे पिंपियां रही होगी!
इतने एसएमएस करते हो - कभी यह नहीं हुआ कि टीवी देखने के लिये भी कर देते!
बाकी, आप के दुख के मूल में क्या है? कहीं राखी सावंत जी पर सट्टा तो नहीं लगा बैठे थे?! :-)
ज्ञानजी को राखी सावंतजी का लिंक भिजवाइयेजी।
ReplyDeleteये ज्ञान की बातें ज्ञानजी को पहले बताया कीजिये जी
मस्त पोस्ट है जी।
मुझे दोनों पर तरस आता है।
ReplyDeleteCongress पर, जो गुजरात में केवल अब हारे हैं लेकिन केंद्र पर रोज हारते हैं (वामपंथियों से)।
राखी की बातों पर मत जाइए। "Kiss" किस्से का क्या हुआ?
इस बार हारने के बाद भी publicity के लिए वह कुछ भी कर सकती है। वह इतनी भोली नहीं है। एक दिन राखी भी चुनाव लड़ेगी और मुझे लगता है वह जीत सकती है!
आप से सहमत हूँ। चुनाव होते जाएंगे। Reality shows भी होते जाएंगे। राखी भविष्य में भी इन में भाग लेंगी। उसे limelight बहुत पसन्द है। उसके बिना वह जी नहीं सकती।
G विश्वनाथ
क्या कनेक्शन जोड़ा जी...राखी और कॉंग्रेस, दोनो ही हाय तौबा मचाते...
ReplyDeleteमजेदार और जोरदार विश्लेषण।
ReplyDeleteजहाँ राखी हों वहाँ ड्रामा तो होना ही है।
गज़ब!!
ReplyDeleteइ लोचा का है, पहले आठ दस दिन मे एक पोस्ट आता था आपका, जबकि आजकल तो एक दिन में ही दो पोस्ट और दोनो ही धांसू!! राशन दुकान बदलने का असर है या आटा चक्की बदल लिए हो !! खुराक बदली और पोस्ट बढ़ गए लगता है :)
मस्त है।
बहुत मस्त लेख लिखा है गुरु. बधाई. लेकिन हो सके तो एक बात और जोड़ लीजिये. वह यह कि इसका नेता सिर्फ एक ही खानदान में पैदा हो सकता है और वह है नेहरू खानदान. चाहे भले वह वाहन कहीं से इंपोर्ट करके ही क्यों न लाया गया हो.
ReplyDeleteऔर हाँ! ज्ञान भोई को कहने दीजिए वो जे कुछ भी कहते हैं. बाकी आप तो राखी सावंत पे सट्टा लगाए जाइए.
क्या बात है
ReplyDeleteगजब कर दिया
पहले राखी सांवत ने
फिर मोदी ने
और अब आपने
वाह वाह
क्या बात दादा आपको किसने मना किया है किस के लिये पहले ये बताये..? वरना आप खामखा दोनो की खटिया एक साथ क्यॊ खडी करने पर आये...?
ReplyDeleteअभी अभी की खबरो से पता चला है की आपके उपर भी केस करने की तैयारी चल रही है कि आप इस सबमे शामिल हो अब ये देखने की बात है कि दोनो मे पहले कौन करता है सिंघवी/सिब्बल या सांवत..डरिये ये सा राशि वालो से...:)
संजीत;
ReplyDelete"इ लोचा का है, पहले आठ दस दिन मे एक पोस्ट आता था आपका, जबकि आजकल तो एक दिन में ही दो पोस्ट और दोनो ही धांसू!! राशन दुकान बदलने का असर है या आटा चक्की बदल लिए हो !! खुराक बदली और पोस्ट बढ़ गए लगता है :)"
@ संजीत,
हमरी गलती है नाही....पाहिले तुम्हई तो एक दिन शिकायत किए रहे कि हम जो है, कम लिखता हूँ...अब ई में हमरी कौनौ गलती नाही है....अब भुगतो...काहे उकसाया हमें लिखने का वास्ते.
बहुत ही मस्त लिखे हो जी…।मुझे ऐसा लगता है जी इसमें पूरा श्रेय राखी को जाता है, जिसने उसका ध्यान किया उसी की पोस्ट मस्त हो ली……।:) भला हो संजीत का जी जिसने आपको उकसाया ऐसी पोस्ट तो जी आप एक दिन में दो क्या चार ठेलिए, हम हैं तैयार, आप को राखी और संसेक्स में कोई समानता नहीं नजर आयी…।:)
ReplyDelete