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Tuesday, January 15, 2008

भारत-रत्न का इतिहास- साल २००७


@mishrashiv I'm reading: भारत-रत्न का इतिहास- साल २००७Tweet this (ट्वीट करें)!






पिछले कुछ दिनों में भारत-रत्न नामक पुरस्कार लेने-देने की काफी चर्चा है. पता नहीं ये पुरस्कार किसे मिलेगा. लेकिन आज से सौ साल बाद अगर कोई छात्र 'भारत-रत्न का इतिहास' नामक पुस्तक पढ़ेगा तो साल २००७ के भारत-रत्न पुरस्कार के बारे में शायद ऐसा कुछ पढने को मिले. अब आए दिन हम सुनते हैं कि इतिहास की किताब में लिखी गई फला बात सच नहीं है. ऐसे में इस किताब में भी ऐसा कुछ हो सकता है जो सच नहीं हो.
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देश में मौसम बदल चुका था. अभी चुनाव का मौसम कूच कर ही रहा था कि भारत-रत्न का मौसम आ गया. सचिन, नारायण मूर्ति वगैरह की दावेदारी पर टीवी पैनल डिस्कशन का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हो चुका था. अभी टीवी कीर्तन शुरू ही हुआ था कि विपक्ष के तत्कालीन नेता और 'प्रधानमंत्रित्व कैंडीडेट' आडवानी जी ने सरकार को चिट्ठी लिख दी. वे चाहते थे कि उनकी पार्टी के अटल बिहारी बाजपेई जी को भारत-रत्न मिलना चाहिए. अब लेफ्ट वालों की चिट्ठी होती तो बात और थी. लेकिन बीजेपी वालों की चिट्ठी थी इसलिए सरकार ने इसे सार्वजनिक करने में देर नहीं की. बस, फिर क्या था. चिट्ठी लेखन और मीडिया संबोधन का राजनैतिक कार्यक्रम शुरू हो गया. कांशी राम जी का नाम आया तो दूसरी तरफ़ से करूणानिधि का नाम आया. ज्योति बसु का नाम भी कहाँ पीछे रहने वाला था, वो भी आया. जब सब राहत की साँस ले ही रहे थे कि और किसी नेता का नाम नहीं आएगा ठीक उसी समय महान नेता चौधरी देवीलाल का नाम आगे आया.

कुछ इतिहासकार मानते हैं कि भारत-रत्न के लिए और भी नेताओं, अभिनेताओं, अभिनेत्रियों और कलाकारों के नाम भी आए. जहाँ एक और राखी सावंत, हिमेश रेशैम्मैया और उस समय के महान गायक मीका का नाम आया वहीं दूसरी ओर सुभाष घिसिंग, रामदास अथावले और तिलंगाना पार्टी के चंद्रशेखर राव और 'कर-नाटक' के प्रसिद्ध सेकुलर नेता एच डी देवेगौडा के नाम सामने आने की अटकलें भी लगीं. साथ में उनके पुत्र एच डी कुमारस्वामी ने अपने लिए 'मिनी भारत-रत्न' की मांग भी कर डाली थी.

(नोट: कुछ इतिहासकार तो ये भी मानते हैं कि आई बी द्वारा ट्रैक किए गए संवाद के अनुसार पाकिस्तान के तत्कालीन शासक परवेज़ मुशर्रफ भी भारत-रत्न पाने की फिराक में थे. जब किसी अफसर ने उन्हें बताया कि ये पुरस्कार तो केवल भारत के नागरिकों के लिए था तो मुशर्रफ साहब ने कहा कि; भारत में किसी बाहरी आदमी के लिए राशनकार्ड बनवाना बहुत आसान था लिहाजा वे राशनकार्ड आसानी से बनवा लेते और साबित कर देते कि वे भारत के ही नागरिक थे.)

राजनैतिक कद-काठी वाले लोगों के नाम आने शुरू ही हुए थे कि वोटर जाग गया. देश के किसी शहर में रमेश वोटर ने सुरेश वोटर से पूछा; "सरकार नेता लोगों को ही क्यों भारत रत्न बनाने पर अमादा हैं?"

सुरेश वोटर ने बताया; "भारत का सारा रत्न नेताओं के कब्जे में हैं. ऐसे में कोई नेता ही भारत-रत्न बनने लायक है."

रमेश वोटर ने दूसरा सवाल दागा; "लेकिन अगर इन नेताओं को भारत-रत्न नहीं मिला तो इसका परिणाम क्या हो सकता है?"

सुरेश वोटर ने अपने ज्ञान का खुलासा करते हुए कहा; " परिणाम यही होगा कि सरकार गिर सकती है. जो पार्टियां सरकार को अपने एमपी गिफ्ट कर चुकी है वो अपना गिफ्ट वापस ले लेंगी."

रमेश वोटर के ज्ञान-चक्षु अचानक खुल गए. उसने कहा; "लेकिन एमपी लोग तो हमारे वोट से ही एमपी बनते हैं. ऐसे में ये कहाँ तक उचित है कि हमारा वोट लेकर वे अपने नेता को भारत-रत्न बनवायें. वोट हमारा और भारत-रत्न इनका, ये बात तो ठीक नहीं है."

सुरेश वोटर ने हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा; "हाँ यार, बात तो तेरी ठीक है. जब हमारा वोट है तो भारत-रत्न भी तो हमें ही मिलना चाहिए. क्यों न हमलोग भी अपना-अपना नाम भारत-रत्न के लिए सरकार को दें. क्या बोलता है? कैसा है मेरा आईडिया?"

रमेश वोटर बोला; "एक दम धाँसू आईडिया है. हम सरकार को चिट्ठी लिखेंगे कि वो हमें भारत-रत्न दे नहीं तो हम आनेवाले चुनाव में उसे वोट नहीं देंगे."

करीब दो महीने बाद भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय से एक रिपोर्ट गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय पहुँची. रिपोर्ट में लिखा था:
ज्ञात हो कि मंत्रालय को अब तक करीब सत्तर करोड़ चिट्ठियां प्राप्त हुई हैं. देश का हर वोटर चाहता है कि उसे ही भारत-रत्न दिया जाय. सब ने सरकार को धमकी दी है कि अगर भारत-रत्न उन्हें नहीं मिला तो वे आनेवाले चुनाव में सरकार को वोट नहीं देंगे.चूंकि सरकार आनेवाले चुनाव के बाद गिरना नहीं चाहती, इसलिए सरकार ने फैसला किया है कि सरकार एक आयोग बनाएगी जो ये रिपोर्ट देगा कि इतनी भारी मात्रा में भारत-रत्न पुरस्कार का वितरण कैसे किया जाय.


ये पोस्ट मैंने कल लिखी थी. लिखने के बाद मेरे मन में विचार आया कि कहीं इस पोस्ट की वजह से ऐसा न लगे कि भारत-रत्न पुरस्कार का मजाक उड़ाया गया है. इसीलिए मैंने इस पोस्ट को पब्लिश नहीं किया. लेकिन आज के समाचार पत्रों में जिस तरह से कुछ और लोगों के नाम सामने आए, मुझे लगा कि भारत-रत्न पुरस्कार का असम्मान इनलोगों की वजह से हो रहा है. फिर भी मैं कहना चाहता हूँ कि पुरस्कार के प्रति मेरे मन में कोई असम्मान नहीं है. ऐसे पुरस्कार किसी तरह के लेख और व्यंग के ऊपर हैं. ठीक वैसे ही, जैसे राष्ट्रपति का पद.

16 comments:

  1. bhai,hans hans kar yah halat hai ki kya comment likhun??????bahut badhiya.ek dam jhakkasssssss

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  2. bahut acchey....ya kahana chahiye shayaad....gazab hai

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  3. आपकी इस पोस्ट को देखकर हम भी सरकार से आपको भारत रत्न देने की मांग करते हैं. वैसे बीजू पटनायक और राम मनोहर लोहिया का नाम भी लिया जा रहा है.

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  4. आने वाले समय मे गली कूचो के छुटभैये नेता भी भारत रत्न क़ी माँग करने लगेंगे कि हमने कुलिया कि नली सड़क बनवाई थी . अभी तक यह दिया जाता था अब सीनाजोरी कर माँगा जावेंगा . अब लोग खुद अपने क्रातित्व ऑर व्यक्तिव का बखान कर यह उपाधि माँगेंगे | बहुत बढ़िया आलेख के लिए आभार

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  5. आप अपने व्यंग्य लिख कर रोका मत करिये, बहुत बढिया व्यंग्य.
    दीपक भारतदीप

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  6. आपलोग नाहक ही परेशां हो रहे है. कितने अनमोल रत्न तो हमारे ब्लॉग जगत मे ही है. हमे कुछ विचार करना चाहिए.
    और कुछ नही तो साल दर साल अन्य महत्वपूर्ण पुरस्कारों (जो अभी-अभी सम्पन्न हुए है ) के अलावा ब्लॉग रत्न , मिनी ब्लॉग रत्न, स्पेशल ब्लॉग रत्न आदि आदि शुरू कर सकते है.
    तुम्हारी पोस्ट बहुत ही अच्छी बनी है. और ना पब्लिश करने जैसी खतरनाक बात मन मे लाना उचित नहीं है.
    रही बात भारत रत्न के अपमानित होने कि सो तो अब इसका भाग्य है कि जैसे लेनेवाले और जैसे देने वाले होंगे वैसा ही होगा.

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  7. बहुत खूब. आपकी ही तरह मेरे दिमाग में भी विचार आया था की इस विषय पर कार्टून बनायें जायें या नही. फिर ये खींचतान देखकर बना ही डाले. वैसे भी मुद्दा भारत रत्न नहीं "भारत रत्न मांगने वाले" है .

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  8. बहुत सटीक - बहुत मजेदार

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  9. बोले तो झकास!!
    क्या आईडिया दिएला है गुरु, अपन जा रेला है अपन अपना नाम किसी चेले को बोलता है कि आवारापन के लिए हमरा नाम आगे बढ़ाए। और कौनो नई है अपन के मुकाबले तो इस फील्ड मा।

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  10. बहुत बढ़िया ।
    घुघूती बासूती

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  11. गनीमत है कि अभी रमेश और सुरेश वोटर ही अपने लिये भार (भारत रत्न) मांग रहे हैं।
    वास्तविक जगत में लोग किसी अन्य का नाम ले रहे हैं सम्मान के लिये।
    खुद को नॉमिनेट करने का दिन अभी देखना बाकी है।

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  12. ये पक्का है किसी भी हिन्दी ब्लॉगर को नहीं मिलेगा भारत रत्न।

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  13. बंधू
    जब इतना महान लोग आप की पोस्ट की इतनी प्रशंशा कर दिए हैं तो हमरे पास कहने को बचता ही क्या है? सोचते हैं आप की पोस्ट देश के गली कूचों में पोस्टर की तरह चिपका दें ताकि देश का हर नागरिक अपने मूल अधिकारों के लिए लड़ सके उनको समझ सके. आप जो लिखते हैं वो व्यंग नहीं है हकीकत है.
    समझिए की देश का दुर्भाग्य है की ये जो भी रत्न है उसको देने का अधिकार हमरे पास नहीं है वरना सच मानिये आप को हम कब का दे दिए होते.
    बहुत...बहुत...बहुत....बहुत...इन्फिनिटी तक.... बढ़िया ( इन्फिनिटी समझते हैं? नहीं समझते तो "बहुत" शब्द को तब तक लिखते रहें जब तक है जान....उसके बाद ये काम किसी और को दे कूच करें और ये कह जायें की ये सिलसिला चलता रहे अनवरत...इसे कहते हैं इन्फिनिटी.)
    नीरज

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  14. सारा सत्यानाश कर दिया जी आपने ..गला घोट दिया हमारे अपमानो का..सरकार ने हमे भारत रत्न देने की हामी भी भर ली थी पर आपकी पोस्ट देख कर पीछे हट गई है..इसी भरोसे तो हमने अपने आपको पंगारत्न पुरुस्कार से बाहर कर लिया था..आपने ठीक नही किया जी हमसे ये पंगा और इस वक्त लेकर..आप दो चार हफ़्ते बाद नही डाल सकते थे इस पोस्ट को..?

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  15. गला घोट दिया हमारे अरमानो का पढे..

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  16. यार मिश्राजी, आप हरिद्वार आइये। लिस्‍ट लेकर। यहां 'भारत रत्‍न केन्‍द्र' है। जो जो रत्‍न कहेंगे, जिस जिस के लिये कहेंगे उसे दिलवा देंगे।

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय