जैसे ही शेव करना शुरू किया, वैसे ही टीवी पर चल रहे एक गाने के बोल सुनाई दिए; "जाने वो कैसा चोर था, दुपट्टा चुरा लिया."
कैसा तो गाना है. मन में आया कि अगर नायिका का दुपट्टा चोरी काण्ड फेमस हो जाए तो क्या होगा?
फ़र्ज़ कीजिये कि जिस नायिका का दुपट्टा चोरी हो गया वह अगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दे तो अपनी इन्वेस्टीगेशन के बाद थानेदार क्या रिपोर्ट दे सकता है? शायद कुछ ऐसी;
"नायिका द्बारा दुपट्टे चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद हमने मामले की विस्तृत और समग्र तहकीकात की. दुपट्टा चोरी की ऐसी कोई घटना हमारे थाने के इलाके में इससे पहले कभी नहीं हुई है. यह नए किस्म का चोर है जो केवल दुपट्टा चुराता है. नायिका भी चोर के इस कर्म से हैरान है. नायिका के द्बारा इस घटना के ऊपर एक गाना भी गया गया है. गाने की पहली लाइन सुनकर ही लग रहा है कि नायिका भी इस बात से आश्चर्यचकित है कि यह कैसा चोर है जो दुपट्टा चुराता है. तहकीकात के दौरान ही यह पता चला कि नायिका ने दुपट्टे के साथ अपने सलवार और कमीज़ भी धोकर सूखने के लिए डाला था. लेकिन चोर ने सलवार और कमीज़ में कोई इंटेरेस्ट नहीं दिखाया. उसका टारगेट केवल दुपट्टा चोरी करने का था. चूंकि दुपट्टा चोरी की यह पहली घटना है इसलिए हम पास्ट रिकार्ड्स देखकर और पहले से सॉल्व किये गए किसी केस का रेफेरेंस लेकर चोर को पकड़ सकें, इसका भी कोई चांस नहीं है. लिहाजा हम सरकार से दरख्वास्त करते हैं कि यह केस सीबीआई की उस शाखा को सौंप दिया जाय जो कपड़ों की चोरी के मामले हैंडल करता है."
थानेदार रिपोर्ट तो लिख देगा. लेकिन तब तक मामला अखबार में छप चुका होगा. दुपट्टे की चोरी की ऐसी सनसनीखेज घटना को कवर करने के लिए टीवी वाले पहुँच जायेंगे. इस घटना पर टीवी वाले शायद कुछ इस तरह का कवरेज करें;
स्टूडियो में विशेष कार्यक्रम "चोरी हुआ दुपट्टा" का संचालन कर रहे एंकर, नीलाभ जी बहुत एक्साइटेड रहेंगे. आखिर यह विशेष कार्यक्रम बिलकुल नए विषय पर है. स्टूडियो में खड़े-खड़े नीलाभ जी कहेंगे;
"जी हाँ. चोरी भी किस चीज की? दुपट्टे की. दुपट्टे की चोरी की घटना शायद ही पहले हुई हो. आज हम आपको इस सनसनीखेज घटना पर विशेष दिखाने जा रहे हैं. कहीं न कहीं दुपट्टे की चोरी की यह घटना बहुत ही गंभीर है. आखिर किसने की दुपट्टे की चोरी? कौन है वह जो सोने-चांदी चोरी करने के बजाय दुपट्टा चोरी कर रहा है? कौन है वह चोर?..... यह जानने के लिए चलते हैं हमारे संवाददाता सुधीर विनोद के पास.....सुधीर आपको हमारी आवाज़ आ रही है?"
"जी हाँ. नीलाभ मुझे आपकी आवाज़ आ रही है"; सुधीर विनोद जी बोलेंगे.
"सुधीर क्या है यह पूरा मामला? दुपट्टे की इस चोरी के पीछे किसका हाथ हो सकता है? क्या कहती है वह नायिका जिसका दुपट्टा चोरी चला गया है?" नीलाभ जी पूछेंगे.
"नीलाभ दुपट्टे के चोरी चले जाने के बाद उस नायिका को इतना गहरा सदमा लगा है कि उसने पिछले दो दिन से कुछ खाया नहीं है. लिहाजा इस घटना पर बात करने के लिए वे हमारे साथ नहीं है"; सुधीर विनोद जी बोलेंगे.
इतना सुनकर नीलाभ जी आश्चर्यचकित रह जायेंगे. वे कहेंगे; "लेकिन सुधीर खबर है कि दुपट्टा चोरी की घटना के बाद नायिका ने एक गाना भी गाया कि; "जाने वो कैसा चोर था, दुपट्टा चुरा लिया." ऐसे में नायिका के सदमे वाली बात कहाँ तक सही है?"
नीलाभ की बात सुनकर सुधीर बोलेंगे; "नीलाभ इस गाने की बाबत मैंने नायिका के पड़ोसियों से सवाल दागा था. लगभग सभी का कहना था कि नायिका ने वह गाना सदमा लगने की वजह से ही गाया था. उसने गाना खुश होकर नहीं गाया था. पडोसियों का कहना है कि नायिका का पास्ट रिकार्ड्स बताता है कि जब उसे सदमा लगता है, वह गाने गाती है."
नीलाभ जी बोलेंगे; "सुधीर, क्या अभी वहां पर नायिका का कोई पड़ोसी मौजूद है?"
सुधीर जी बोलेंगे; "नीलाभ पड़ोसियों को और काम ही क्या है? टीवी कैमरा देखकर सब अपना-अपना घर छोड़कर सड़क पर आ गए हैं. आप देख सकते हैं, मेरे आजू-बाजू, पीछे-आगे पड़ोसी ही पड़ोसी मौजूद हैं. चलिए इनमें से कुछ के साथ बात करते हैं....हाँ क्या नाम है आपका?"
"पप्पू. जिनका दुपट्टा चोरी हुआ है, मेरा घर उनके घर के बायें तरफ है"; पप्पू जी बोलेंगे.
"जी ये बताइए कि आपको कब पता चला कि नायिका का दुपट्टा चोरी चला गया?"; सुधीर विनोद सवाल दागेंगे.
"देखिये मैं आपको शुरू से बताता हूँ. मैं सुबह उठा. बिना ब्रश किये मैंने नाश्ता किया. माँ ने बाज़ार से सब्जी लाने के लिए कहा तो मैंने मना कर दिया. फिर मैं टीवी पर डब्लू डब्लू ऍफ़ देखने लगा.........फिर..."; पप्पू जी
"संक्षेप में बताइए. हम आपको इतना फूटेज नहीं दे सकते"; सुधीर विनोद बोलेंगे.
"नहीं. मैं संक्षेप में ही बता रहा था. आपने मुझे बीच में क्यों रोका? वैसे भी आपलोग कभी कोई बात संक्षेप में नहीं करते तो हम कैसे करें?"; पड़ोसी पप्पू बोले.
इतना कहने के बाद पप्पू जी को लगा कि संवाददाता उनके हाथ से माइक छीन न ले. वे डर गए. फिर बोले; "ओके ओके...ठीक है मैं संक्षेप में बताता हूँ. मुझे करीब दोपहर के बारह बजे तब पता चला जब उन्होंने गाना शुरू किया कि; "जाने वो कैसा चोर था, दुपट्टा चुरा लिया"; पप्पू जी बोलेंगे.
"नीलाभ जैसा कि आप देख सकते हैं. नायिका के पड़ोसी पप्पू जी को गाने की वजह से करीब बारह बजे पता चला कि दुपट्टा चोरी चला गया है. इसका मतलब करीब दस बजे की घटना होनी चाहिए. चोर ने करीब दस बजे दुपट्टा चोरी किया होगा. ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि दस बजे दुपट्टा चोरी गया होगा तो नायिका को इस बात का पता करीब ग्यारह बजे चला होगा. उसके बाद दस मिनट तक वो सदमे में होगी. फिर करीब सवा ग्यारह बजे से उसने गाना लिखना शुरू किया होगा. करीब पंद्रह मिनट में गाना लिखा गया होगा. फिर एक्स्ट्रा कलाकारों और सखियों को इकत्र करने में और ऑर्केस्ट्रा के प्रबंध करने में करीब आधा घंटा लगा होगा. फिर जाकर बारह बजे से नायिका ने गाना शुरू किया होगा....हमारा तो यही मानना है...जी... नीलाभ"; सुधीर विनोद जी जवाब देंगे.
उनकी बात सुनकर नीलाभ जी बोलेंगे; "जी हाँ. सुधीर, धन्यवाद. आप इस घटना पर अपनी नज़र बनाये रखें. आप अगले तीन दिन तक वहीँ जमे रहिये. प्रोग्राम एडिटर से आर्डर है कि अभी अगले पॉँच दिन तक हमें इस घटना पर रोज एक विशेष दिखाना है. तो ये था हमारा विशेष कार्यक्रम "चोरी हुआ दुपट्टा." आगे की खबरों के लिए देखते रहिये परसों तक..."
अब बात टीवी तक पहुँच गई तो समाज के बाकी तपके भी टूट पड़ेंगे. समाजशास्त्री इस घटना की व्याख्या करते हुए लिखेंगे;
"कई सौ वर्षों से भारतीय समाज में दुपट्टा इज्ज़त का प्रतीक माना जाता रहा है. जैसे पुरुष के केस में पगड़ी को इज्ज़त का प्रतीक माना जाता है ठीक उसी तरह महिलाओं के केस में दुपट्टे को इज्ज़त का प्रतीक माना जाता रहा है. लेकिन आज तक किसी नायक ने ऐसा कोई गाना नहीं गाया जिससे पता चले कि किसी चोर ने किसी पुरुष की पगड़ी चोरी की हो. आजतक ऐसा कहीं नहीं सुना गया कि पगडी चोरी चली जाने से किसी पुरुष ने गाना गाया हो कि; 'जाने कैसा चोर था, जो पगड़ी चुरा गया'. इससे यह सिद्ध होता है कि दुपट्टा चोरी करके एक बार फिर से महिलाओं को नीचा दिखाने की कोशिश की गई है. सदियों से चली आ रही समाज पर पुरुष की पकड़ का प्रतीक है दुपट्टा चोरी की यह घटना. आज एक बार फिर से यह साबित हो गया कि महिलाओं को आदर देना भारतीय पुरुष कभी नहीं सीखेगा"
जहाँ समाजशास्त्री इस तरह का वक्तव्य देगा वहीँ इतिहासकार शायद ऐसा कुछ लिखे;
"इतिहासकारों का मानना है कि दुपट्टा चोरी की घटना आधुनिक भारतीय इतिहास में पहली बार हुई थी. हालांकि इससे पहले चोर काजल, नज़र वगैरह चुराता रहा है लेकिन ज्यादातर इतिहासकारों का मत है कि नब्बे के दशक के मध्य में समाज में चोरी की घटनाओं में जो इजाफा हुआ, उनमें से साठ से सत्तर प्रतिशत घटनाएं हलाँकि कपडों की चोरी की हुई थी. लेकिन ज्यादातर केस में धोती-कुरता और लुंगी चोरी हुई थी. इतिहासकार इस बात से एकमत हैं कि कुछ विदेशी तस्कर भारतीय संस्कृति से जुड़े शिलालेख, मूर्तियाँ, और हस्तकला की चीजें चोरी करवा कर बोर हो चुके थे लिहाजा उन्होंने कपड़ों की चोरी करवानी शुरू कर दी. इस घटना से एक बात और प्रकाश में आती है कि इस दशक में जितने भी लोग चोरी के पेशे से जुडे उनमें से ज्यादातर कपड़े की चोरी के पेशे में आये......"
मन भी कितना तेज दौड़ता है. ये सब युधिष्ठिर जी की वजह से...
Tuesday, June 23, 2009
जाने वो कैसा चोर था, दुपट्टा चुरा लिया
@mishrashiv I'm reading: जाने वो कैसा चोर था, दुपट्टा चुरा लियाTweet this (ट्वीट करें)!
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आपने सही पहचाना-रियल कल्प्रिट तो युधिष्ठिर जी ही है..वैसे इतनी बड़ी घटना हो गई और हमें पता भी न चला.
ReplyDeleteचलिए आप सँभालिए मैं सबको बता देता हूँ कि गुरु जी के घर से दुपट्टा चोरी हो गया है :)
ReplyDeleteरामखेलावन पंसारी का आधा किलो का बट्टा भी चोरी चला गया है। उसका वास्तविक वजन ०.४३१ किलो था।
ReplyDeleteवह बट्टा फैंक किसी की हत्या भी हो सकती है।
उसके बाद रामखेलावन शेर छाप बीड़ी फूंकते पाया गया।
इसपर टीवी कार्यक्रम नहीं बना। अफसोस! :)
ये तो बवाल हो गया जी,अब क्या होगा? ......रोचक प्रस्तुतिकरण .
ReplyDeleteहुई दुपट्टे की चोरी चला व्यंग का तीर।
ReplyDeleteदुखी हुई जब नायिका कितने लोग अधीर।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
हमने तो एक लोकगीत में ऐसे चोर के बारे में सुना था जो आंखों का काजल चुराता था। वह तो दुपट्टेवाले चोर के लिये आदर्श हो सकता है। वैसे भी २१वीं सदी की कोमल काया वस्त्रों का बोझ कहां सह पाती है? इसलिये दुपट्टेवाला गीत ज्यादा दिनों तक प्रासंगिक रहने के आसार कम दिखते हैं। अगर इस चोर को अप्पना धंधा बचाना है तो कोई और टारगेट खोजना शुरू कर देना चाहिये, नादान को पता नहीं कि शहरीकरण के दौर में देश में कितने लघुउद्योग दम तोड़ चुके हैं!
ReplyDeleteकल तो आपने लेख भेजा ही था ...आज दुबारा पढ़कर भी बड़ी हंसी आई
ReplyDeleteहे प्रभू।दुपट्टा न हुआ द्रौपदी की साड़ी हो गया।गज़ब लिखा आपने शिव भैया,छा गये।
ReplyDeleteहमने तो सुना था कि दुपट्टे के साथ साथ कुछ और भी चोरी हुआ था? मिला कि नही?:)
ReplyDeleteरामराम.
कल से ही टीवी पर दुप्पटा पूराण सुन रहे हैं. भारी सनसनी है. महिलाएं अपने दुपटे सम्भाल कर सुखाने डाल रही है. बैंक लोकरों में दुपटे जमा करवाए जा रहें है. अरे रूको भई चिंतन तो आपका काम है, मैं क्यों उलझ गया?
ReplyDeleteइस्माइली रह गई. ये लो :)
ReplyDeleteवाह आपने तो टीवी न्यूज चैनलों को क्या जूते भिगो भिओ कर सूता है।
ReplyDeleteएक प्रश्न की कमी खली कि "नायिका अपना दुपट्टा चोरी होने के बाद कैसा महसूस कर रही है"।
पहले पगडी और दुपट्टे दोनो का महत्व था .. गीत में दुपट्टे छीने भी जाते थे .. 'इन्हीं लोगों ने , इन्ही लोगों ने छीना दुपट्टा मेरा ' .. अब दुपट्टे होते ही नहीं .. छीनने का सवाल ही नहीं .. इस कारण बात भी नहीं बढनी चाहिए .. पर आपका प्रस्तुतीकरण अच्छा लगा।
ReplyDeleteदुपट्टे के कोने को
ReplyDeleteमुँह मेँ दबा के
शरमाने वाली नाज़नीन
तो अब शायद
अरबस्तान मेँ ही मिले -
भारतीय नारी आज के समय मेँ ,
फास्ट फोरवर्ड ट्रेक मेँ है
..युधिष्ठिर जी अब
"नरोवा कुँज रोवा "
भले ही जोरोँ से पुकार लेँ ,
कोई प्रोब्लेम नही
& Nice satire on Journalists :)
- लावण्या
अजी चोर से कह दीजिये धंधा ज्यादा chalne वाला नहीं है....अब कौन लेता है दुपट्टा....अरे कहीं ये चोर ही तो नहीं ले गया सबके.....उससे कहिये..आज कल जींस टॉप का जमाना है..उसे चुराए...
ReplyDeleteबेवकूफ है सारे !! किसी मनोचिकित्सक को बुलाकर टी.वी पर डिबेट होनी चाहिए थी .ये एक साइकोसेक्सुअल डिसऑर्डर है
ReplyDeleteबेचारा चोर।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अगर नायिका की जगह नायक हो तो दुपट्टे
ReplyDeleteकी जगह चोरी क्या होगा ?? ये हमेशा नायिका
का की कुछ क्यूँ चोरी होता हैं ?? क्या नायक
इतना दीन हीन हैं की उसके पास कुछ नहीं हैं
जिसे कोई चुरा सके ?? स्मायली की जगह !!
समझ ले .
अजी हम नही मानते, क्योकि हम ने तो यह दुपट्टा फ़िलमो मै कई सदियो से नही देखा, ओर जो दुपट्टा नायिका की दादी का चुराया गया तो उस समय रिपोर्ट क्यो नही लिखाई गई? ओर दो पीडीया बिना दुपट्टॆ के रही. तो अब क्या इस मुये पुराने दुपट्टॆ की जरुरत पड गई, हो ना हो दुपट्टॆ के कोने मै दादी मां के कीमती गहने बंधे होगे??
ReplyDeleteवेसे आज दुपट्टॆ की बात छोडो ! दुपट्टॆ जितना कपडा भी इन नायिका के शारीर पर नही होता.
राम राम जी
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
बाप रे बाप......व्यंगकार के आगे से कोई भी ऐसे नहीं गुजर सकता....लाजवाब !!!
ReplyDeleteवैसे केस में जाऊं तो मुझे लगता है मामला सचमुच बड़ा ही गंभीर है....संभवतः यह चोर भारतीय परिधानों से घृणा करता होगा/होगी...और उसकी मंशा यह होगी कि बिना दुप्पट्टे के तो सलवार कमीज की खूबसूरती नहीं रहेगी और फिर नायिका हिन्दुस्तानी परिधान छोड़ पाश्चात्य परिधान पहनने लगेगी...इसलिए दुपट्टा चुरा लिया जाय...
अहहाहा...वो कैसा समय था बंधू जब लोग चुराया नहीं करते थे ले लिया करते थे...वो हमारा युग था जब नायिका कहती थी "इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा...." याने नायिका ने दिया और लोगों ने दिया...अहहाहाहा कितना उत्तम व्यापार था.... हमसे भी पहले वाली पीढी में तो व्यापार भी नहीं था...दान हुआ करता था...नायिका बता देती थी" हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुपट्टा मलमल का...." याने जिस किसी को मलमल का लाल रंग का दुपट्टा चाहिए वो हवा थमने पर लेले...ये सूचना प्रसारित की जाती थी...अब आपके युग में दान की तो बात ही छोडिये...न कोई अपने मन से देने वाला है और ना कोई लेने वाला इसलिए चोरी करनी पढ़ रही है...क्या दिन आ गए हैं...नायिका चोरी की रिपोर्ट लिखवा रही है...सिर्फ इसलिए की लोग जान लें की उसके पास भी एक अदद दुपट्टा था...
ReplyDeleteबहुत जोर पोस्ट लिखें हैं आप और अंत में युधिष्टर का जिक्र कर के जो कहानी में ट्विस्ट दिए हैं उसका तो कोई जवाब ही नहीं है....अगली किस्त के इंतज़ार में...
नीरज .
गजब लिखा है सर जी जवाब नहीं आपका
ReplyDeleteसबको लपेट लिया है आपने एक दुप्पटे में
ये दुप्पटा था या श्री करिशन जी की द्रोपदी वाली साड़ी
हा हा हा
ReplyDeleteहम भी देखते है हमारा तो कुछ नही गया :)
दुपट्टे के हर एक कोने पर आपकी पकड़ बहुत ही सालिड है........ और डर इस बात से हो रहा है के कहीं आपने लहंगा टाइप का कोई चीज पकड़ ली होती तो क्या होता? भाई गजब का लिखते हो.
ReplyDeleteअजी सुनती हो जी...! यह टूटी-फूटी पर हम ब्लॉगरों की फजीहत करना छोड़ो, कम्प्यूटर बन्द करता हूँ। चलो टीवी खोलकर देखते हैं- दुपट्टा चोरी काण्ड पर पैनेल डिस्कसन चल रहा है। अभी अभी शिव भैया के ब्लॉग पर रिपोर्ट छपी है। चलो-चलो...॥॥
ReplyDeleteआपने तो कितने सारे लोगों को नौराई/नौस्टेल्जियाई लगा दी। कितने तो लोग जीवन से गए दुपट्टे के लिए दुखी हो गए।
ReplyDeleteआह कोई लौटा दे उन्हें दुपट्टे वाले दिन!
घुघूती बासूती
इसका सम्बन्ध कानपुर के ड्रेस कोड वाली घटना से जोड़ कर ब्रेकिंग न्यूज़ आ रहा है जी. और चोर तो गजबे है ! इ क्लाइमेक्स में युद्धिष्ठिर जी क्या कर रहे हैं :)
ReplyDeleteकिस्साये दुपट्टा चोरी क्या हुआ द्रोपदी का चीर हरण हो गया -चोर द्रष्टि दोनों में एक ही है !
ReplyDeleteइतनी बड़ी घटना हो गयी और किसी ने यह नहीं कहा कि यह विरोधी दल की साजिश है । चोरी हुये दुपट्टे का रंग अमुक था और रंगों पर बड़ी बड़ी सियासतें हो जाती हैं । या किसी ने यह नहीं कहा कि यह पब्लीसिटी स्टंट है हीरोईन का पिछली कई फिल्में फ्लाप होने के बाद । नहीं तो छोटे से दुपट्टे के लिये इतना बड़ा बवंडर ? या शायद दुपट्टा ’गले पड़ने’ का प्रतीक है, कोई गले पड़ गया होगा ।
ReplyDeleteसुधीर जी को ज्ञान दें । यह विषय १० दिन से अधिक पोटेन्सियल का है, दुपट्टे का दाम कितना भी हो ।
छोरी बेवजह परेशान हो रही है । आज कल तो वैसे भी दुपट्टा पहनने का फैशन नहीं रहा । हवा से कहीं उड़ गया हो गा इधर-उधर । उसको रिपोर्ट लिखावने की जगह ये गाना गाना चाहिए ”हवा में उड़ता जाये मोरा लाल दुपट्टा मलमल का जी हो, जी हो ।
ReplyDeleteआपका दुपट्टा अध्ययन काफ़ी आधुनिक है। हमको तो दुपट्टा घराने के दो गाने ही याद हैं- इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा और हवा में उड़ता जाये मेरा लाल दुपट्टा मलमल का। जय हो।
ReplyDeleteदुसरे चैनल वाले तो इस खबर को सिरे से खारिज कर रहे अहि.. उनका कहना है की ये नायिका द्वारा उडाई गयी महज एक अफवाह है.. क्योंकि नायिका को पिछले कई समय से किसी ने दुपट्टा ओढे देखा नहीं है.. जब नायिका के पास दुपट्टा ही नहीं है तो चोरी कैसे हो सकता है.. भारतीय नैतिक मूल्य पार्टी ने इसे विपक्ष की चाल बताई है..
ReplyDeleteलगता है कि आप भी बकलोला गए हैं टीवी के एंकर जी की तरह. ऐसा बुझाता है कि आपने अपने जबाने में कुछ किय ही नहीं है. या फिर अपनी भलमनसाहत देखाने के लिए अतिरिक्त बकलोलपना देखा रहे हैं भौजाई को. दुपट्टा कितनी कीमती चीज है ई बकलोल से बकलोल आदमी भी जानता है. उसकी चोरी की परम्परा हमारे भारतीय समाज मे तो तबसे है जबसे कि दुपट्टा है. यक़ीन न हो तो प्राचीन इतिहास के किसी प्रोफेसर से पूछ के देख लीजिए. फिर भी यक़ीन न आए तो एक पुराना फिल्मी गाना सुन लीजिए : इन्हीं लोगों ने ले लीना..... ! यूं हैरत की बात यह है कि इसमें मामला दुपट्टे की चोरी का नहीं बल्कि लूट या छीनाझपटी (अब पक्के तौर पर क्या है ई तो इस बात पर डिपेंडेंट है न कि कितने आदमी थे) का है. इससे भी ज़्यादा हैरतांगेज बात ये है कि ये दुपट्टा सिपहिया ने कीना था. भला बताइए, ऐसा कहीं होता है. क़ायदे से तो उसे नौकरी से निकाल देना चाहिए. ई कैसा सिपहिया है जो दुपट्टा छीनने के बजाय कीनने का काम करता है. उसके तो सिपहिया होने पर ही सन्देह होता है. तो असल बात ई है कि ई मामला बहुत पुराना है. कौनो नई बात नहीं है.
ReplyDeleteशुक्रिया अभिशेक ओझा का कि इस अनूठे व्यंग्य से मुलाकता हो पायी....
ReplyDeleteलाजवाब!
hahaha :) "Gyandutt Pandey said... रामखेलावन पंसारी का आधा किलो का बट्टा भी चोरी चला गया है। उसका वास्तविक वजन ०.४३१ किलो था।
ReplyDeleteवह बट्टा फैंक किसी की हत्या भी हो सकती है।
उसके बाद रामखेलावन शेर छाप बीड़ी फूंकते पाया गया।
इसपर टीवी कार्यक्रम नहीं बना। अफसोस! :) "
क्या ऐसा कोई विषय है जिसपे आपने व्यांगिक नज़र ना डाली हो?
ReplyDeleteइस दुपट्टा काण्ड के भी हर सिरे को पूरी डिटेल में कवर किया है और क्या कवर किया है.. की चोरी हुआ दुप्पट्टा तो माध्यम मात्र रह गया..
समय समय पर आपके ब्लॉग पे घुमते रहेंगे और ऐसे ही entertain होते रहेंगे.
धन्यवाद!
PS: युधिष्टिर जी वाला एंगल समझ नहीं आया. थोडा और जाचना पड़ेगा.