बहुत हो चुका. मुन्नी की बदनामी अब और बर्दाश्त नहीं होती. पिछले एक महीने से मुन्नी है कि उठते-बैठते बदनाम हुई जा रही है. बार-बार लगातार. सुबह हुई नहीं कि रेडिओ पर बदनामी का नगाड़ा पीट दिया. दोपहर में टीवी पर बदनामी की ढोलक पीट दी. रात को, इंटरटेनमेंट चैनल पर, फ़िल्मी चैनल पर, म्यूजिक चैनल पर, न्यूज चैनल पर, बदनामी की शहनाई बजा दी. कल तो सड़क पर बदनाम हो गई. मैंने देखा कि एक रिक्शावाला अपने रिक्शे में रेडिओ टाँगे रिक्शा चलाते जा रहा था कि अचानक मुन्नी 'रिश्के' पर बदनाम होने लगी. आस-पास के लोग चौंक करके मुन्नी की बदनामी सुनने लगे. कुछ ने ऐसी भाव-भंगिमा बनाई जिसे देखकर लगा कि बन्दा सोच रहा है कि कहीं मुन्नी ने उसी को तो डार्लिंग नहीं कहा? कहीं उसी के लिए तो बदनाम नहीं हुई?
कोई जगह नहीं बची है जहाँ मुन्नी बदनाम नहीं हो रही. ऊपर से तुर्रा ये कि; 'मैंने बदनामी का यह कार्यक्रम तो डार्लिंग तेरे लिए किया है." जैसे कह रही हो कि; "बदनाम होने का मेरा कोई प्लान नहीं था लेकिन हे डार्लिंग तुम मुझे इतने क्यूट लगे कि कि मैंने नाम को छोड़कर बदनाम होने का फैसला कर डाला."
मुन्नी का डार्लिंग मुन्नी के साथ जहाँ-तहाँ बदनामी का कार्यक्रम आयोजित कर ले रहा है. होड़ सी लगी है लोगों में.देखकर लगता है जैसे आक्शन सिस्टम के तहत बोली लग रही है और मुन्नी और उसके डार्लिंग से भाई लोग सिफारिश कर रहे हैं कि; "डार्लिंग जी, आज अगर मुन्नी को हमारे चैनल पर बदनाम कर देते तो बहुत बढ़िया होता. हम बड़ी आशा लेकर आये हैं कि मुन्नी जी पहले हमारे ही चैनल पर बदनाम होंगी. ना मत कहियेगा."
या फिर इसका उल्टा भी हो सकता है यानि डार्लिंग जी चैनल वालों से कह रहें हों कि; "भाई साहब, आप इजाजत दें तो मैं अपनी मुन्नी को आपके चैनल पर प्राइम टाइम पर बदनाम कर लूँ."
कहीं-कहीं तो वे भाई भी मुन्नी को अपने चैनल पर बदनाम कर लेना चाहते हैं जिनके चैनल पर छोटे-छोटे बच्चे गाने में अपनी किस्मत और आवाज़ आजमा रहे हैं. उधर बच्चे स्टेज पर गाना गाने के लिए तैयार हुए और इधर डार्लिंग अपनी मुन्नी को लिए पहुँच गए उसे बदनाम करने के लिए. बच्चे भी मुन्नी की बदनामी की सरगम सुन ले रहे हैं ताकि अपने गाने में कभी फिट कर सकें.
एक चैनल पर देखा कि मुन्नी को बदनामी के गुर सिखाने वाली जज के रूप में बैठी थी. बस फिर क्या था, मुन्नी अपने डार्लिंग जी को पर्स की तरह दबाये पहुँच गई और फटाफट बदनाम हो ली. बदनामी का गुर सिखाने वाली फारहा जी ने भी साथ दिया तो बदनामी में चार चाँद लग गए. डार्लिंग जी भी खुश. मन ही मन सोच रहे होंगे कि; "आज तो बढ़िया बदनामी हुई. ऐसी बदनामी पिछले चैनल पर नहीं हो पाई थी."
हाँ, कभी-कभी यह ज़रूर लग रहा है जैसे मुन्नी इतनी भारी मात्रा में बदनाम होकर समाज में डिवाइड क्रियेट कर रही हैं. आखिर मुन्नी जी को भी सोचना चाहिए कि इतनी बड़ी मात्रा में बदनाम होकर वे न जाने कितनों को इन्फिरियारिटी कम्प्लेक्स दे रही होंगी और उनकी बदनामी देखकर न जाने कितने अपने भाग्य को कोस रहे होंगे कि; "हे भगवान, हमने क्या गुनाह किया था जो हमें बदनामी से महरूम रखा? मुन्नी जितनी न सही लेकिन उतनी बदनामी तो दे ही सकते थे कि हमें भी बदनाम होने पर गर्व होता."
शायद इसी इन्फिरियारिटी कम्प्लेक्स का नतीजा है कि कोई मुन्नी जी से पूछ नहीं रहा है कि; "क्या ज़रुरत है इतना बदनाम होने की? वह भी इस स्टाइल से बदनाम हुई हो कि ग्रेस पूरी तरह से एब्सेंट है. बदनाम होना है तो हो लो लेकिन ग्रेसफुली बदनाम हो. क्या तुम्हें यह नहीं पता कि बदनाम होने के बाद जब तुम झंडु बाम हो रही हो तो बहुत चीप लग रही हो? उस समय बदनामी रसातल में चली गई है?"
वैसे भी एक-दो बार कहीं बदनाम हों लें वह ठीक है लेकिन रोज-रोज हर दो घंटे पर बदनाम होना कहाँ तक जायज है? बदनामी की कोई लिमिट है कि नहीं? देखकर लगता है जैसे आपकी बदनामी ही भारत की प्रगति पर चार चाँद लगाएगी? अरे चैनल वालों का क्या है? उनके चैनल तो बदनामी पर ही चल रहे हैं. आज आपकी बदनामी है कल किसी और की होगी. हर न्यूज चैनल पर कोई न कोई नीलाभ, रोहित और अमिताभ बैठे हैं जो हर घंटे आपकी बदनामी पर विशेष झाड़े जा रहे हैं. कई बार तो लगता है जैसे चलता हुआ प्रोग्राम बंदकर ब्रेकिंग न्यूज दिखाना न शुरू कर दें कि मुन्नी पाँच मिनट पहले शाबाश चैनल पर एक बार फिर से बदनाम हो गई हैं.
तो हे मुन्नी जी, माना कि आपके हिसाब से आपने बदनामी की दुनियाँ में नया रिकार्ड बना डाला है लेकिन आप बदनामी के हथौड़े से हमारे सिर पर कितनी बार चोट करेंगी? हम आपको बताना चाहते हैं कि अब सिर तो क्या आपके बदनाम हथौड़े की चोट से हमारी आँखें भी सूज गई हैं. अब आपकी बदनामी बर्दाश्त के बाहर हो गई है. इसलिए अपनी बदनामी पर लगाम लगायें. इस बात को ध्यान में रखें कि बदनामी क्या है कल कोई और आएगा और वह आपसे भी ज्यादा बदनाम होकर दिखा देगा. कोई भी बदनामी आख़िरी नहीं होती.
Wednesday, September 8, 2010
मुन्नी जी, कोई भी बदनामी आख़िरी नहीं होती.
@mishrashiv I'm reading: मुन्नी जी, कोई भी बदनामी आख़िरी नहीं होती.Tweet this (ट्वीट करें)!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अजी मुन्नी ही तो है दो चार दिन बदनाम हो लेगी तो कौन तूफ़ान आ जायेगा.. हो लेने दो जी आप तो पीछे ही पड़ गए.. सब के सब मुन्नी के पीछे ही पड़े है.. बेचारी बदनाम नहीं हो तो क्या हो.. दुनिया मुन्नी को और कुछ होने भी तो नहीं देती.. आपको क्या लगता है मुन्नी खाली बदनाम और झंडू बाम ही हुई थी..? जी नहीं! मुन्नी हिन्दुस्तान भी हुई थी पर एक साहब ने यह कहकर आरोप लगा डाला कि मुन्नी जैसी लडकिया हिन्दुस्तान हो ही नहीं सकती तब मुन्नी के देवर ने सारे आम माफ़ी मांगकर मुन्नी के हिन्दुस्तान होने पर माफ़ी मांगी..
ReplyDeleteआप कहना ही चाहते है तो देश के उन लोगो से कहिये जो मुन्नी के हिन्दुस्तान होने पर याचिका दायर करते है और बदनाम होने पर सीटिया बजाते है.. बताइए फिर भला मुन्नी बदनाम ना हो तो क्या हो..?
बाय द वे गणेश चतुर्थी की अग्रिम शुभकामनाये तो देना भूल ही गया था..
ReplyDeleteहम आपको बताना चाहते हैं कि अब सिर तो क्या आपके बदनाम हथौड़े की चोट से हमारी आँखें भी सूज गई हैं
ReplyDeleteआजकल तभी इतना आई-फ्लू फैल रहा है। बहुत ही अच्छा व्यंग्य। इस देश की शायद यही नियति है।
मुन्नी आजाद है जी.... और मुन्नी की इच्छा सर्वोपरि है..
ReplyDeleteअब देखिये शिव बाबू मुन्नी को बदनाम होने का डर तो रह नहीं गया सो सीना ठोक { छाती ठोक कहूँ तो बेहतर हिंदी अभिव्यकि हैं क्यूँ ?? !!} चॅनल चॅनल बैंड { अफ ऍम } बैंड घूम रही हैं । कुछ साल पहले घुमती थी और कहती थी "गली मोहलो मारो महरो घाघरो जो घुम्यों " अब घाघरा है ही नहीं सो बदनामी का डर भी उसी घाघरे के साथ ही छुट गया । अब रही बात "डार्लिंग तेरे लिये" तो शिव बाबू कलयुग हैं इस से पहले कि डार्लिंग चिल्लाये "मुन्नी बदनाम हुई बीलोग पे मेरे लिये " लेडीज फर्स्ट " का फायदा उठा मुन्नी बोली डार्लिंग तेरे लिये । कुछ साल बाद ये मुन्नी आती तो कहती मुन्नी ब्लॉग हुई डार्लिंग तेरे लिये ।
ReplyDeleteकुश तुम बहुत रुढ़िवादी हो !!!!!!!! जब देखो बधाई बधाई गाते हो । बधावे बजवाओ तो माने , डार्लिंग को नचवाओ तो जाने ""
मुन्नी बाई बदनाम हो गई . बड़ी फेमस हो गई हैं ... हा हा हा जोरदार व्यंग्य ....आभार ... हा हा हा जोरदार व्यंग्य ....आभार
ReplyDeleteअर्ज़ किया है:
ReplyDeleteमुन्नी को बदनाम करे
मुन्नी को.. बदनाम करे
दाद दीजियेगा..
मुन्नी को बदनाम करे, जमाने में दम नहीं
मुन्नी को बदनाम करे, जमाने में दम नहीं
..
साहिबानो शेर आपके दिल तक पहुँचे तो तालिओं से सूचित करना..
मुन्नी को बदनाम करे..
मुन्नी को बदनाम करे, जमाने में दम नहीं ।
मुन्नी को बदनाम करे, जमाने में दम नहीं ।
मुन्नी पै बम है, जमाने पै बम नहीं ??
आदाब अर्ज़ है..
बदनाम मुन्नी हो रही है तो क्या? होने दो...आप तो मज़े लो...हम भी ले रहे हैं...यहाँ तक के एक दिन पलंग पे खड़े हो कर मुन्नी के बदनाम होने पे नाचने लगे, क्या करते ऐसी बदनामी पे कंट्रोल ही नहीं हुआ, बाद में मुंह के बल गिरे वो अलग बात है....क्या धाँसू बदनाम हुई है...ऐसी बदनामी इश्वर सबको दे...मुन्नी के बदनाम होने के बाद लोग सोच रहे हैं...काश हम भी बदनाम होते..मुन्नी ने बरसों पुरानी कहावत " बद अच्छा बदनाम बुरा " की वाट लगा कर रख दी है...
ReplyDeleteओमकारा के चूल्हा जलईले.. और नमक इश्क का... के बाद अब कहीं जाकर दुबारा मज़ा आया है, पूरे हिन्दुस्तान को,
मैंने मुन्नी को देखने के लिए अपने आदमी को टिकट की लाइन में खड़ा होने को भेज दिया है अब वो कायर निकलेगा या दबंग उसके आने के बाद ही मालूम पड़ेगा...
नीरज
पुनश्च: टिकट नहीं मिली तो उसे बोला है झंडू बाम लेता आएगा...वो ही मस्तक पे लगा धन्य हो लेंगे. मुन्नी कहती है झंडू बाम में भी वो ही है...
जो है नाम वाला, वही तो बदनाम है।
ReplyDeleteये मुन्नी कौन है, बिना नाम सुने बदनाम सुन लिया।
ये क्या कर डाला प्रवीण जी ने, सीधे ही पूछ लिया ये मुन्नी कौन है. लोग क्या कहेंगे. जी एस में फेल ही कर देंगे. खैर, प्रवीण जी मुझे भी दो-चार दिन पहले ही अकारण पता लगा कि यह कोई जोरदार 'दबंग' टाइप कुछ लोक वोक गीत जैसा फिल्मी मामला है.
ReplyDeleteमुन्नी बदनाम भले हुयी है मगर है झक्खास ,बोले तो बिंदास -मगर यहाँ तो की "बद " और बदनीयतें मुखौटा लगाकर शरीफ होने की ढोंग में लगी हैं -बेचारी मुन्नी ,नहीं मालूम उसे की बद अच्छा बदनाम बुरा !
ReplyDeleteअब सिर तो क्या आपके बदनाम हथौड़े की चोट से हमारी आँखें भी सूज गई हैं
ReplyDeleteवो एक कोई ब्रांडेड बाम का ज़िक्र भी था। देखिएगा आजमा कर।
देसिल बयना-खाने को लाई नहीं, मुँह पोछने को मिठाई!, “मनोज” पर, ... रोचक, मज़ेदार,...!
आपको भी शायद यही जलन सता रही है कि ’हाय, हम क्यूँ न हुये बदनाम?’ ये सबके बस का है भी नहीं जी। ऐसी बदनामी भी किस्मत वालों को मिलती है।
ReplyDeleteधाँसू लपेटा है शिव भैया, वाह।
ऐसी बदनामी जिसे देख कर सबको होने का मन करे, और क्या चाहिए. !
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
तो हे मुन्नी जी, माना कि आपके हिसाब से आपने बदनामी की दुनियाँ में नया रिकार्ड बना डाला है लेकिन आप बदनामी के हथौड़े से हमारे सिर पर कितनी बार चोट करेंगी? हम आपको बताना चाहते हैं कि अब सिर तो क्या आपके बदनाम हथौड़े की चोट से हमारी आँखें भी सूज गई हैं. अब आपकी बदनामी बर्दाश्त के बाहर हो गई है. इसलिए अपनी बदनामी पर लगाम लगायें.
क्या लिखा है!... एकदम खोल के रख दिया सब कुछ...बदनाम हथौड़े की चोट से हमारी आँखें भी सूज गई हैं...कसम से !... ;))
...
kya lapeta hai boss, majaa aa gayaa, munnibai ke bahane sab nipat gaye idhar to.....mast
ReplyDeletevuvujela ka arkshan blogwood ke liye hona tha...pathakon ke hisse se 1 mera nam hona tha....nahi hua..khair.
ReplyDeleteis bich munni badnam hone ki mairathan dour me lagi huee hai....
sochta hoon itti badnami me se kuchh to lok kalyan me lagaye aur punya kamaye....
lekin halat aise lagte nahi...o to kitti bhi badnami legi...lekin sirf
apne darling ke liye.....
to pakarta hoon uske darling ko ....sayad sahanubhuti me kuch badnami de...dilwade...
pranam.
डा. अमर कुमार जी की ई-मेल से प्राप्त टिप्पणी;
ReplyDeleteभई वाह, क्या चिन्तन है.. क्या राबचिक मुन्नी है.. लोकहिताय बदनाम होती घूम रही है, ज़्यादा लिखूँगा तो कहीं यह न लगे कि मुन्नीवा आगे यहू जोड़ दें.. बदनाम हुई बिलाग्गर तेरे लिये...मुन्नी की दूरदर्शिता का कायल होना पड़ता है, वह एक विकल्प साथ लेकर चल रही है, मुन्नी झँडू बाम हुई ओ मूरख तेरे लिये, मारकेटींग देखिये.. उसके बदनामी से आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, सँभावित सिरदर्द के लिये वह आपको झँडु-बाम होने का भरोसा दिलाती है...
मुन्नी ने बहुतों को विषय दे दिए पोस्ट बनाने के ...
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग
लपेटन लाजवाब रहा...मुनिया जी, दबंग जी और टी वी जी...सबको एकसाथ लपेट के पटक डाला...
ReplyDeleteइश्तिहार का जमाना है भाई...बदनामी ज्यादा जल्दी और जोर से चमकता है,इसलिए इसे तलवार की धार पर ही हमेशा सान चढ़ाया जाता है..इसकी चमक कभी फीकी न पड़े इसका ख़ास ख़याल रखा जाता है..
तैयार रहो,अगली मुन्नी बदनामी के नए आयाम तलाशती कानो को सुन्न करने जल्दी ही अवतरित होने वाली है..
तभी तो .... तभी तो... सोच रहे थे मुन्नी को गुस्सा क्यों आता है :)
ReplyDeleteआलोक पुराणिक का कोई स्टूडेण्ट इस लेख की संदर्भ सहित व्याख्या कर दे तब समझ में आये!
ReplyDeleteयह मुन्नी कोई फिल्मी हीरोइन लगती हैं - दक्खिन से ट्रांसप्लांटेड?
कौन है यह मुन्नी, जिसे अपनी फिकर तो है ही नही अगले की भी नही ।
ReplyDeleteaaj kal to aisee badnaami ki bahut demand hai. bahut achchha sira pakda hai.
ReplyDeleteMUNNI ka badnaam hona n apki aankh sujhna is directly proportional to the money being offered to MUNNI n CO. jageh jageh badnaam hone ke lie.MUNNI ko apni badnami kahi charity karne ko kaho us din se MUNNI laapata ho jayegi. by :ANUPAM SINGH SISODIA
ReplyDelete