श्री बशीर बद्र से क्षमा याचना सहित ये ब्लॉग-गजलें पेश कर रहा हूँ. ब्लॉग ग़ज़ल क्या होती है, कृपया यह न पूछें. मैं जवाब नहीं दे पाऊँगा.
हँसी-मजाक की बातें हैं. कृपया इसे सीरियसली न लें. केवल हल्की-फुल्की पैरोडी है.
ब्लॉग ग़ज़ल न.१
दिखला के यही मंज़र ब्लॉगर चला जाता है
चुटकी में शाश्वत लेखन कैसे किया जाता है
उस पोस्ट की लाइन पर झगड़े बहुत वे दोनों
जिस पोस्ट की बातों को सड़ियल कहा जाता है
दोनों से चलो पूछें उसको कहीं देखा है
जो टिप्पणी देने को आता है न जाता है
दुनियाँ में जो कुछ शाश्वत, ब्लागों पे लिखा है वो
अखबार में जो कुछ है, घर में पढ़ा जाता है
मिल जाए गर फालोवर तो नाम हुआ समझो
गर न मिले कभी तो दिल डूबता जाता है
ब्लॉग ग़ज़ल न.२
खुश रहे न कभी उदास रहे
पोस्ट लिक्खा औ बदहवाश रहे
आज टिप्पणियां मिलें कम ही सही
कल बढेंगी यही बस आस रहे
नामवाले तो आते रहते हैं
कोई बेनामी आस-पास रहे
बढ़िया, रोचक, बधाई खूब सुनी
कभी तो गालियों की बास रहे
मिली जो टिप्पणी तो खूब हँसे
नहीं जब भी मिली, उदास रहे
Wednesday, September 15, 2010
दिखला के यही मंज़र ब्लॉगर चला जाता है
@mishrashiv I'm reading: दिखला के यही मंज़र ब्लॉगर चला जाता हैTweet this (ट्वीट करें)!
Labels:
कविता,
ब्लागरी में मौज
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हँसी-मजाक की बातें हैं. कृपया इसे सीरियसली न लें.
ReplyDeleteयह लिख कर "मेटर सिरियस" कर दिया, वरना हम तो बस यूँ ही लेने वाले थे.
उदासी भगाओ अभियान के तहत टिप्पणी किये दे रहे हैं, बेसी सिरियसली न लें. :)
अंतिम पंक्तियाँ, गौर फरमाईयेगा...
ReplyDeleteखूद ही पसन्द चटकाए जाते है,
एग्रीगेटर में अपना चिट्ठा खास रहे.
मजेदार!!!
ReplyDeleteमंज़र रह जाएगा ब्लागर चला जाएगा :)
ReplyDeleteयह कौन है हमारा जोड़ीदार
ReplyDeleteहम देखते रहे, वह कालजयी लिखे जाता है! :)
उस पोस्ट की लाइन पर झगड़े बहुत वे दोनों
ReplyDeleteजिस पोस्ट की बातों को सड़ियल कहा जाता है
वाह...कितनी सच्ची बात कहें हैं आप...धन्य हैं...ग़ज़ल के माध्यम से ब्लॉग जगत की पोल खोलने वाले ऐ महान शायर तेरा जवाब नहीं...कोई तुझसा नहीं हजारों में...
बशीर साहब अपने आपको धन्य मान रहे होंगे...उनकी ग़ज़ल आपकी पोस्ट लिखने के काम आई...
नीरज
आम को ऐसे ढाला लफ्जों में
ReplyDeleteबात टुच्चे न बचे अब तो ख़ास हुए...
:) मजेदार.
ReplyDelete@ उस पोस्ट की लाइन पर झगड़े बहुत वे दोनों
ReplyDeleteजिस पोस्ट की बातों को सड़ियल कहा जाता है
हों लाख चाहे टंटे, कितने भी पड़े डंडे
हटता नहीं यहां से अड़ियल कहा जाता है।
~@ ब्लॉग ग़ज़ल न.२
ReplyDeleteउनका भी नाम हो गया ब्लॉग जगत में
कुछ ‘खास’ लोगों के जो बहुत खास रहे।
कुछ अपनी कुछ उनकी सुनने सुनाने में दिन बीत गए
ReplyDeleteब्लागिंग में बदनाम होके भी हम कुछ नामदार तो हुए
ब्लॉगिंग, लगता है परमहंसत्व सिखा जायेगी।
ReplyDeleteवाह ....मजेदार, जानदार, शानदार ...इत्यादि इत्यादि
ReplyDeleteचूंकि आप धन्यवाद अग्रिम ही दे रहे हैं, इसलिये अग्रिम टिप्पणी देना अपना कर्तव्य हो जाता है.
ReplyDeleteअब पढ़कर लिख रहा हूं कि क्य़ा खूब बजल लिखी है.. अब बजल क्या होती है, इस पर एक पोस्ट टांचने के लिये चलता हूं... :)
ultimate boss, dil khush ho gaya, ekdam stik mara hai, itna satik ki bashir badr sahab bhi padhkar yun hi muaafi de denge. ;)
ReplyDeleteतालियाँ भेज रहा हूँ मिले तो खबर दीजियेगा :)
ReplyDeleteहे भगवान् मैंने तो सोचा ही नहीं था टी और जी कीबोर्ड में आस पास ही होते हैं. ब्लॉग्गिंग में बहुत लोग टी के बदले जी दबा जाते हैं लगता है !
सड़ियल सी पोस्ट लिख भला कैसे इतराता है
ReplyDeleteसहिष्णुता की बात कर अड़ियल हुआ जाता है
मजेदार!!!
इन टिप्पणियों की पैरोडी नहीं बन पा रही सो वैसे के वैसे बिना पैसे दुहरा देते हैं:
ReplyDeleteहँसी-मजाक की बातें हैं. कृपया इसे सीरियसली न लें.
यह लिख कर "मैटर सीरियस" कर दिया, वरना हम तो बस यूँ ही लेने वाले थे.
उदासी भगाओ अभियान के तहत टिप्पणी किये दे रहे हैं, बेसी सीरियसली न लें. :)
अंतिम पंक्तियाँ, गौर फरमाईयेगा...
खूद ही पसन्द चटकाए जाते है,
एग्रीगेटर में अपना चिट्ठा खास रहे.
वाह! वाह!!
अच्छी है पैरोडी ...!
ReplyDeleteछोटी बहर में बड़ी ऊंची बात कह दी सिरीमान जी ने।
ReplyDeleteक्यू ना आप अपनी गजलो की एक किताब छपवा देते है.. और उसका नाम रखिये.. "फैले हुए.."
ReplyDeleteनहीं नहीं जाने दीजिये कुछ और नाम रखिये.. फैलने फैलाने पे अच्छे अच्छे फ़ैल जाते है.. आप तो कोई और ही नाम ढूंढ लो जी
ब्ल्ज़लें(ब्लLog ghaज़्लें) दोनों मज़ेदार।
ReplyDeleteबेनामी महात्म्य आपने भी मान ही लिया,
जो है नाम वाला, वही तो बदनाम है,
जो है बेनामी, उसीका बस नाम है
ऐतराज भी है हमें आपसे
"हँसी-मजाक की बातें हैं. कृपया इसे सीरियसली न लें"
यही तो सीरियसली लेने की चीज है जी, काहे न लें?
kya kya hota hai yahaa...matlab khud ko bewaqoof bhee bana jate hain bloggers?
ReplyDeleteकाव्य में अपने समय का हल्का-फुल्का ही सही सच, और सच तो सच है.
ReplyDeleteबढ़िया, रोचक, बधाई खूब सुनी
ReplyDeleteकभी तो गालियों की बास रहे
jai shiv shankar bhole kailashpati...
jai ho.
pranam.
.
ReplyDeletegreat poetry ! accolades !
I believe the posts must contain some significant stuff in it, useful for readers and society. One must not bother about the comments on it.
Sometimes people do personal attack on fellow bloggers and leave them disheartened and dejected. Such an attitude should not be encouraged.
Regards,
.
मिल जाए गर फालोवर तो नाम हुआ समझो
ReplyDeleteगर न मिले कभी तो दिल डूबता जाता है
और
आज टिप्पणियां मिलें कम ही सही
कल बढेंगी यही बस आस रहे
वाह बहुत ही बढिया रही ये ब्लॉग गज़ल
कितनों के दिल के खिला गई ये कंवल ।
@ सड़ियल सी पोस्ट लिख भला कैसे इतराता है
ReplyDeleteसहिष्णुता की बात कर अड़ियल हुआ जाता है
हा हा हा
क्या बात है .... शानदार पोस्ट
तौबा तेरी पोस्ट, तौबा तेरा ब्लाग...
ReplyDeleteतेरा गजलात्मक अत्याचार....
श्री बशीर बद्र और श्री शिवकुमार मिश्र दोनों से क्षमायाचना सहित (खास तौर पर मिसिर जी से. शेर उनके लिये नहीं, उनकी ओर से है)
ReplyDeleteयूं ही बेसबब ना लिखा करो, कोई शाम चुप भी रहा करो.
वो जो दूसरों के बिलौग हैं, कभी जाके उन्हें भी पढ़ा करो.