ब्लॉग चलाने में तमाम दिक्कतें आती हैं. कुछ भी हुआ नहीं कि पंद्रह मिनट बैठे और उसपर एक पोस्ट ठेल दिया. कल रात को पता चला कि कामनवेल्थ गेम्स विलेज में एक एथलीट की खाट टूट गई. अजीब चीज है ये खाट भी. जहाँ रहेगी, कुछ न कुछ करवा कर छोड़ेगी. उधर कामनवेल्थ गेम्स की खड़ी है और इधर एथलीट की टूट गई. अब कल रात को जैसे ही पता चला कि एथलीट की खाट टूट गई, उसी समय मेरे एक मित्र ने मुझसे कहा कि आप अपने ब्लॉग पत्रकार चंदू चौरसिया को भेजकर इस एथलीट का इंटरव्यू लीजिये. आखिर खाट का तो इंटरव्यू ले नहीं सकते, कम से कम एथलीट अखिल कुमार का इंटरव्यू लीजिये. मैंने उन्हें बताया कि आज रविवार होने की वजह से चंदू चौरसिया ज़ी छुट्टी पर रहेंगे. ऐसे में अखिल कुमार ज़ी का इंटरव्यू लेने मुझे खुद दिल्ली जाना पड़ेगा.
आज सुबह दिल्ली जाने की तैयारी कर रह था कि टीवी पर 'राज तक ' चैनल पर अखिल कुमार ज़ी का इंटरव्यू दिखाया जा रह था. मुझे लगा कि बावला ज़ी जब अपने चैनल पर अखिल कुमार ज़ी का इंटरव्यू दिखा ही रहे हैं तो मुझे क्या ज़रुरत है दिल्ली जाकर अखिल कुमार का इंटरव्यू लेने की? भाई मैं ब्लॉग चलाता हूँ वे चैनल चलाते हैं लेकिन सवाल तो एक ही होंगे न. उनके संवाददाता सवाल पूछ रहे हैं. उसके बाद मैं भी वही सारे सवाल पूछकर अखिल कुमार ज़ी को क्यों बोर करूं?
मेरे मन में आया कि राजतक चैनल पर अखिल कुमार का जो इंटरव्यू हुआ उसी को आपलोगों तक पहुँचा देता हूँ. आप बांचिये कि चैनल ने क्या दिखाया.
राजतक न्यूज चैनल का स्टूडियो. सुबह के करीब ८:५८ मिनट होने वाले हैं. राजतक वालों ने पिछले १२ घंटों में न्यूज दिखा-दिखा कर इस बात को साबित कर दिया है कि मुक्केबाज अखिल कुमार की खाट टूटने की घटना भारतीय इतिहास की इस सदी की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण घटना है. पहली गाँव पीपली के नत्था दास की आत्महत्या थी. चैनल वालों ने तमाम लोगों को इस महत्वपूर्ण घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने एक लिए अपने स्टूडियो बुला रखा है. यह एक विशेष कार्यक्रम है जिसका शीर्षक है "टूट गई खाट, लग गई वाट".
चूंकि यह पीपली गाँव के नत्था दास की आत्महत्या के मामले के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण घटना है इसलिए स्टूडियो में फिल्म के प्रोड्यूसर आमिर खान आये हैं. यह खेलों का मामला है इसलिए फॉर्मर क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू हैं. यह मामला खाट से जुडा हुआ है इसलिए दिल्ली के बाहरी इलाके नजफगढ़ से झिंगुरी लोहार को स्टूडियो में बैठाया गया है. एक मुक्केबाज के बैठने की वजह से खाट टूटी थी इसलिए एक बॉक्सर को भी स्टूडियो में बुलाया गया है. और दिल्ली कामनवेल्थ गेम्स के रास्ते में शुरू से ही तमाम अड़चने आ रही हैं इसलिए ग्रहों के चक्कर वगैरह की बात करने के लिए ज्योतिषाचार्य नंदू प्रकाश महाराज को बुलाया गया था.
कार्यक्रम का संचालन राजतक चैनल के स्पोर्ट्स एडिटर सुशांत कर रहे हैं. उधर गेम्स विलेज में चैनल के संवाददाता रंदीप सोनवलकर मौजूद थे. इधर स्टूडियो से सुशांत ने शुरुआत करते हुए आवाज़ लगाई; "ज़ी हाँ, टूट गई खाट. लग गई वाट. जैसा कि आप ब्रेकिंग न्यूज में ब्रोकेन खाट के बारे में देख रहे हैं. क्यों टूटी खाट? कौन है जिम्मेदार इस टूटी खाट के लिए? आइये आपको लिए चलते हैं गेम्स विलेज जहाँ हमारे संवाददाता रंदीप सोनवलकर मौजूद है. रंदीप क्या है ये मामला? कैसे टूटी ये खाट? कौन जिम्मेदार है इस खाट को तोड़ने के लिए?"
उधर से आवाज़ आई; "ज़ी हाँ सुशांत. जैसा कि आप देख रहे हैं यह खाट टूट चुकी है. हम आपको दिखाने कि कोशिश कर रहे हैं... अगर हमारा कैमरा यहाँ से तस्वीर ले ..हाँ, अब आप देख सकते हैं कि खाट टूट गई है. कहीं न कहीं यह लापरवाही का नतीजा है सुशांत. एक बार फिर से देश को छला गया है."
"रंदीप आप की किसी से बात हुई है इस घटना पर? मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का क्या कहना है इस टूटी खाट के बारे में?"; सुशांत ने सवाल दागा.
"सुशांत मैंने कल रात से ही मुख्यमंत्री से बात करने की कोशिश की है लेकिन उन्होंने खाट के ऊपर बात करने से मना कर दिया. उनका स्टाफ कहता है कि मुख्यमंत्री इस समय मीटिंग में हैं. हाँ, हमारे साथ इस समय अखिल कुमार हैं जिनकी खाट टूट गई थी. आइये उनसे पूछते हैं"; यह कहते हुए रंदीप अखिल कुमार से मुखातिब हुए.
अखिल से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहना शुरू किया; "अखिल ज़ी ये बताइए कि..."
अभी उन्होंने यह बोलना शुरू ही किया था कि अखिल कुमार ने उन्हें रोकते हुए कहा; "एक मिनट-एक मिनट. पहले मैं कुछ कहना चाहता हूँ. वह ये है कि खबरदार अगर यह सवाल पूछा कि खाट टूटने के बाद आपको कैसा लग रहा है. अगर ऐसा सवाल पूछा तो मैं फोड़ डालूँगा. बता दे रहा हूँ. मैं बॉक्सर हूँ. ऊपर से कल रात से ही फ्रसट्रेटेड भी हूँ."
अखिल कुमार की बात सुनकर रंदीप बोले; "मैं यह सवाल पूछने ही वाला था. अच्छा हुआ आपने मुझे बता दिया नहीं तो मेरा जबड़ा टूट जाता. चलिए मैं आपसे यह सवाल नहीं पूछता. मैं आपसे यह पूछता हूँ कि आप पूरी घटना के बारे में बताइए. क्या हुआ कल?"
अखिल कुमार बोले; "बस, हमलोग आये. हम मुक्केबाजों को जो रूम मिला है उसमें घुसे और मैं आराम करने के लिए जैसे ही खाट पर बैठा कि वह टूट गई."
"तो आपको कैसे यह लगा कि खाट टूट चुकी है?"; रंदीप ने पूछा.
उसका सवाल सुनकर अखिल कुमार भड़क गए. वे बोले; "अरे बता तो रह हूँ कि मैं उसपर बैठा और वह टूट गई. मैं खाट की प्लाई के साथ फर्श पर गिर गया."
तभी स्टूडियो में बैठे आमिर खान ने सुशांत को इशारा किया कि वे अखिल कुमार से सवाल पूछना चाहते हैं. सुशांत ने रंदीप से कहा कि आमिर खान सवाल करना चाहते हैं. रंदीप ने आमिर के सवाल को सुना और अखिल कुमार के सामने वही सवाल दोहरा दिया. बोले; "अखिल ज़ी, इस समय हमारे स्टूडियो में आमिर खान बैठे हैं. वे आपसे सवाल करना चाहते हैं कि जब आप खाट पर बैठे तो क्या आप सीधा नाइंटी डिग्री पर बैठे या फिर अस्सी डिग्री पर."
सवाल सुनकर अखिल कुमार थोड़े चिढ़ गए. बोले; "वैसे तो में आमिर खान ज़ी का फैन हूँ लेकिन इतना कहना चाहता हूँ कि वे परफेक्शन के पीछे इतने क्यों पड़े रहते हैं? कोई खाट पर बैठते समय यह थोड़े न देखेगा कि कितने डिग्री पर बैठ रहा है."
उनकी बात सुनकर आमिर खान मुस्कुरा दिए. बोले; "मैं केवल यह देखना चाहता था कि जब अखिल कुमार खाट पर बैठे होंगे तो उसपर कितना भार पड़ा होगा. खैर, जाने दीजिये. उन्होंने बैठते समय एंगल नहीं मापा होगा."
तभी सुशांत ने बीच में बात शुरू की. बोले; "रंदीप, अखिल ज़ी से पूछिए कि कामनवेल्थ गेम्स वालों ने यह अफवाह फैला रखी है कि शायद अखिल कुमार का वजन कुछ बढ़ गया है. ओर्गेनाइजिन्ग कमिटी का कहना है कि वह खाट अखिल कुमार के लिए सपेसिअली बनवाई गई थी. यह सोचते हुए कि अखिल कुमार ५६ केजी वर्ग के बॉक्सर हैं. तो कहीं ऐसा तो नहीं कि अखिल कुमार का वजन कुछ बढ़ गया है? मेरा मतलब दो-ढाई सौ ग्राम उनका वजन बढ़ गया हो. ऐसा भी तो हो सकता है."
उनका सवाल सुनकर अखिल कुमार बिदक गए. बोले; "मेरा वजन जरा भी नहीं बढ़ा है. यह जो है सरासर गलत इल्जाम है. सच तो यह है कि खाट प्लाईवूड की थी ही नहीं. जैसे टूटी उसे देखते हुए लगा कि मोटे कागज़ की बनी थी."
उनकी बात सुनकर सब एक साथ हँस पड़े. सुशांत बोले; "यहाँ मैं झिंगुरी ज़ी को लाना चाहूँगा और उनसे पूछूंगा कि क्या ऐसा हो सकता है कि खाट बनाने के लिए क्या मोटे कागजों का इस्तेमाल किया जा सकता है. क्या प्लाईवूड की जगह मोटे कागज़ लगाये जा सकते हैं?"
उनकी बात सुनकर झिंगुरी ज़ी बोले; " हा हा हा. क्यों नहीं? आप पैसा खर्च नहीं करना चाहते तो किसी भी चीज से बेड तैयार हो जाएगा."
"लेकिन पैसा न खर्च करना चाहते हैं से क्या मतलब? कामनवेल्थ गेम्स के लिए इतना पैसा खर्च हुआ. मैं यहाँ सिद्धू ज़ी से पूछूँगा कि उन्हें क्या लगता है? क्या कलमाडी को उनके पद से हटाया नहीं जा सकता?"; सुशांत ने इस बार सिद्धू ज़ी से पूछ लिया.
सुशांत की तो जैसे शामत आ गई. सिद्धू ज़ी बोले; "देख सुन ले गुरु, उबले अंडे से कभी ऑमलेट नहीं बनाया जा सकता. दिल्ली में राजपथ से कुल्फी के ठेले उठवाये जा सकते हैं लेकिन इंडिया गेट नहीं उठावाया जा सकता. किसी सियासत वाले बन्दे से कभी रिजाइन नहीं करवाया जा सकता और जिन्हें चश्का हो सिर्फ चूरन चाटने का, उन्हें शहद नहीं चटाया जा सकता."
अब सुशांत की समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें? अकबका कर वे आचार्य चंदू प्रकाश को बीच में लाये. बोले; "आपको क्या लगता है आचार्य ज़ी? यह कामनवेल्थ गेम्स में इतनी दिक्कतें क्यों आ रही हैं?
आचार्य ज़ी बोले; "सुशांत ज़ी आप अखिल कुमार ज़ी से यह पूछिए कि खाट किस दिशा से किस दिशा में रखी हुई थी? क्या वह उत्तर से दक्खिन दिशा की तरफ थी?"
जब उन्हें यह पता लगा कि खाट उत्तर से दक्खिन नहीं बल्कि पूरब से पश्चिम दिशा की ओर रखी गई थी तब उन्होंने कहना शुरू किया; "सुशांत ज़ी यही समस्या है. दरअसल गेम्स विलेज में चीजें वास्तु के अनुसार नहीं रखी हैं. अखिल कुमार ज़ी ने खाट पर बैठने का जो समय बताया उस समय चंद्रमा राहु के घर में प्रवेश कर चुका था. मंगल और शनि की टक्कर बुध की अनुपस्थिति में हो रही थी और यही कारण है की उस समय चीजें कमज़ोर हो जाती हैं और उनके टूटने का भय रहता है......कामनवेल्थ गेम्स के बारे में मैंने मार्च २००७ में ही भविष्यवाणी कर दी थी कि गेम्स के ऊपर काला साया मंडरा रहा है. आपको अगर याद हो तो जब ये गेम्स भारत को मिले थे उनदिनों अटल ज़ी प्रधानमंत्री थे और बहुत कम लोगों को पता होगा कि अटल ज़ी का वृहस्पति हमेशा से कमज़ोर रहा है....जहाँ तक कलमाडी के शनि की बात है तो वह...."
अभी वे बोल ही रहे थे कि अचानक उधर से रंदीप ज़ी ने बोलना शुरू किया कि; "सुशांत अभी-अभी प्राप्त जानकारी के अनुसार एक अफ्रीकी एथलीट के कमरे में सांप घुस आया है. मैं वहां जाकर उस खबर को लाइव दिखाता हूँ..."
उधर रंदीप ने कनेक्शन काटा और इधर सुशांत ज़ी ने प्रोग्राम ही ख़त्म कर दिया. जिस फोर्मेर बॉक्सर को बुलाया गया था वह गरम हो गया. बोला; "हमसे सवाल ही नहीं पूछना था तो हमें बुलाया क्यों? आपलोग इतने लोगों को बुला लेते हैं और उन्हें बोलने का मौका नहीं देते. मुझे यह बात याद रहेगी....मैं आइन्दा आपके प्रोग्राम में कभी नहीं......"
वो बोलता जा रह था और इधर सुशांत ने पर्दा गिराते हुए कहा; "तो ये था हमारा विशेष कार्यक्रम टू गई खाट, लग गई वाट. आगे की खबरें देखने के लिए देखते रहिये राजतक."
Sunday, September 26, 2010
आप देख रहे हैं हमारा विशेष कार्यक्रम, "टूट गई खाट, लग गई वाट"
@mishrashiv I'm reading: आप देख रहे हैं हमारा विशेष कार्यक्रम, "टूट गई खाट, लग गई वाट"Tweet this (ट्वीट करें)!
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ReplyDeleteमैं शालीनता पर हाथ रख कर शपथ ल्रेता हूँ कि
टिप्पणी में जो लिखूँगा वह मॉडरेशन की सीमा में लिखूँगा ।
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खाट के ऊपर गुज़री किसी घटना पर टिप्पणी करने से मॉडरेशन की सीमा मुझे मना करती है, इसलिये मेरी उपस्थिति पर कोई टिप्पणी न की जाये ।
किसने कहा कि खबरों को मनोरंजक नहीं होना चाहिए, बल्कि मनोरंजन ही होना चाहिए काम की खबर तो मोबाइल पर आ जाती है. एक (नहीं नहीं दो) आप हैं, जो किसी भी बात का मजाक बना देते है.
ReplyDeletekhatia khadi bistra gol :))
ReplyDeleteRofl! Ab main soch raha hu, kahin boxer ne ek do camere na tod diye ho, hmmmm nahi tode honge, aise koi breaking news nahi aayi! :p
ReplyDeleteअब हम जैसे दिहाती ब्लोगर का बताय.
ReplyDeleteबस इ है कि खटिया टूटे रही.......... और शीला मैया सोये रही..........
मैया को सोचने चाहिए था, कि पहलवान टाइप लोग आवेंगे, प्लाई बढिया लगवाती.
चलिये बच गये। कम से कम यह तो नहीं कहा कि हर खाट पर देश छला जा रहा है।
ReplyDelete`एथलीट के कमरे में सांप घुस आया है
ReplyDeleteअरे.......... ये तो ‘खतरों कि खिलाड़ी’ हो गया:)
इस बात की खैर मनानी चाहिये कि अभी सर्दी शुरू नहीं हुई है। अगर कहीं ये गेम्स सर्दियों में होते तो ’सरकाय लो खटिया’ के चक्कर में बहुवचन में खाटें टूटतीं।
ReplyDeleteदो तीन दिन पहले टी वी पर देखा था, छह हजार रुपये की एक थाली है, दिन में चार बार खाना सर्व होना है, लगभग चार हजार मेहमान हैं शायद।
बैठे हैं जी करके दिल दरिया और ......।
पोस्ट तो धांसू है।
ReplyDeleteलेकिन मैं सोच रहा हूँ कि एक और फिल्मी अंदाज में गोविंदा फेम खटिया टाइप गाना बन सकता है....सरकाय लो खटिया, आड़ा लगे....तिरछा है कोना...भाड़ा लगे :)
राप्चिक पोस्ट।
मैं भी सांप के बारे में लिखने आया था। यहां पहले से ही है।
ReplyDeletekya lapet to ho bhai sahab aap, matbal je ki media ki band bajni hi chahiye....
ReplyDeletehan mai is se sehmat hu ki desh me media, khastaur se Electronic media jo bhumika nibhaa rahaa hai use dekhte hue uska band bajna hi chahiye...
आधे घंटे पहले पढ़ा था... भूल गया क्या टिपियाना है :)
ReplyDeleteटूट गयी है खटिया पाए बिखर गए
ReplyDeleteकलमाड़ी को ढूँढो जाने किधर गए
सरकारी तोप; छड़ी हो गई।
ReplyDeleteखटिया टूटी, खड़ी हो गई!
हमारी टिप्पणी की प्रतिक्षा की जाए. हमें बिना पढ़े टिप्पियाने में माहरत है नहीं और यहाँ खाट खड़ी हो रखी है. काम-धाम निपटा कर आते है.
ReplyDeleteपढने के बाद दस मिनट तक सोचती रही कि क्या टिपण्णी करूँ...
ReplyDeleteमन भर आशीर्वाद दिया और बिना कुछ कहे चली गयी...
लेकिन फिर लगा कि कुछ न कुछ तो कहना ही चाहिए उत्साह वर्धन और सुन्दर लेखन के लिए...तो इतना ही कहूँगी...
जियो !!!!
SUKAR HAI KI KHATIYA TOOTI...
ReplyDeletePAHLWAN BACH GAYA ..... YE KYA KAM
HAI....
YSE...CHOTI...CHOTI BATON PAR DHYAN
NAHI DETE...LEKIN KYA KARE...
PRANAM
mast post... sad news!!!
ReplyDeleteचैनल वालों की तो सही में वाट लगा दी आपने ।
ReplyDeleteक्या धोया है, खटिया ही तोड डाली ।
ReplyDeleteहाँ जी अब पूरा पढ़ लिया है. अन्य कामों को छोड़ स्क्रीन पर आँख गड़ाए मुस्कुराते देख साथीगण अच्छा "फील" नहीं कर रहे. मेरी बला से. अपन तो दिन की शरूआत विनोदपूर्ण कर रहे है :)
ReplyDeleteवैसे खाट क्यों टूटी इस पर ऐसा वैसा पढ-अने आए थे... मगर... चलो कोई नहीं पहलवान रिंग में गुस्सा उतारेगा तो गोल्ड पाएगा. बस रिंग न टूटे...
खाट बेचारी सोच रही होगी कि कहां लाकर डाल दिया नामुरादों नें। जाने कौन-कौन आकर फ़ोटू खींचकर ले जा रहा है।
ReplyDeleteगज़ब किये हैं आप...क्या लिखते हैं वाह...बुजुर्ग हमेशा जमीन पर सोने का आग्रह इसीलिए किया करते थे...राजा महाराजा सोने चांदी के पाए वाले पलंगों पर सोया करते थे...गरीब की रेखा के अत्यंत नीचे और बहुत ऊपर रहने वाले लोग कभी नहीं गिरते क्यूँ की उनका खाट से कोई सरोकार नहीं होता...गिरते हमेशा माध्यम वर्गीय हैं जो न जमीन पर सो पाते हैं और जिनके पास पलंगों पर सोने की औकात नहीं होती...इसीलिए वो ही गिरते आये हैं गिरते रहेंगे...
ReplyDeleteसमझे आप...वाट हमेशा माध्यम वर्ग वाले की ही लगती है...
देखा आपके लेख को क्या गज़ब का सामाजिक ट्विस्ट दिया है हमने...
नीरज