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Monday, December 13, 2010

चंदू-राडिया संवाद


@mishrashiv I'm reading: चंदू-राडिया संवादTweet this (ट्वीट करें)!

लगता है टेप्स बनानेवाली कोई कंपनी जल्द ही नीरा राडिया को अपना ब्रांड एम्बेसेडर नियुक्त कर लेगी. दरअसल नीरा ज़ी केवल टेप बनानेवाली ही नहीं बल्कि किसी टेलिकॉम कंपनी द्वारा भी चुनी जा सकती हैं. वैसे कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे कि एक पी आर वाली ने अपने पी आर का काम मुझे तो नहीं सौंप दिया? खैर, इससे पहले कि आप ऐसा सोचें, मैं खुद ही बता देता हूँ कि ऐसी बात नहीं है. नीरा ज़ी के आठ सौ और टेप्स के बाहर आने की वजह से मैं ऐसा कह रहा था. वैसे इसका एक और कारण है.

कल अपना चंदू यानि चंदू चौरसिया मेरे पास आया. आकर कुछ देर खड़ा रहा. जब उसने कुछ नहीं कहा तो मुझे ही बात शुरू करनी पड़ी. मैंने कहा; "क्या बात है? कुछ कहना चाहते हो क्या?"

चंदू बोला; "हाँ, लेकिन हिम्मत नहीं हो रही."

मैंने कहा; "मेरे सामने कुछ कहने के लिए हिम्मत की क्या ज़रुरत? जो भी मन में है, बस कह डालो."

वो बोला; "तो सुनिए. इससे पहले कि आपको दूसरों से पता चले मैं खुद ही बता देता हूँ कि नीरा राडिया ज़ी से मेरी भी बात हुई है. ऐसा नहीं है कि केवल वीर, बरखा, इंदरजीत और प्रभु चावला के साथ ही उन्होंने बात की है. दरअसल नए टेप्स में जो बासठ नंबर टेप है और जिसके बारे में आऊटलुक ने यह कहा है कि नीरा के साथ दूसरी तरफ से कौन बात कर रहा है, यह आवाज़ कोई नहीं पहचान सका, दरअसल वह मैं ही हूँ."

मैंने कहा; "क्या बात कर रहे हो? वैसे क्या बातचीत हुई है तुम्हारी नीरा राडिया के साथ?"

वो बोला; "अब ये रहा लिंक. आप खुद ही सुन लीजिये."

मैंने क्लिक करके नीरा और चंदू की बातचीत सुनी. मैं अपने ब्लॉग पर वह बातचीत छाप रहा हूँ. आपलोग़ भी बांचिये.

....................................................................................

किर्र किर्र किर्र किर्र किर्र किर्र किर्र

नीरा : हाय.

चंदू : नमस्ते मैडम.

नीरा : ये हमस्ते हैडम क्यों कह रहे हो?

चंदू : नहीं-नहीं मैंने वह नहीं कहा. मैंने कहा नमस्ते मैडम.

नीरा : हाँ, अब तुम्हारी आवाज़ ठीक से आ रही है.

चंदू : वो आपका फ़ोन आया तो मैं दाल-भात खा रहा है. मुँह में खाना था इसलिए आपको हमस्ते हैडम सुनाई दिया होगा.

नीरा : ही ही ही ..वैसे मैंने बीस मिनट पहले भी फ़ोन किया था. कितनी घंटी बजी लेकिन तुमने उठाया ही नहीं.

चंदू : वो मैडम क्या है कि उस समय चूल्हे पर दाल पक रही थी. उसकी आवाज़ में टेलीफोन की घन्टी सुनाई नहीं दी होगी.

नीरा : क्या बात कर रहे हो? तुम खुद खाना बनाते हो?

चंदू : अरे मैडम मैं ठहरा हिंदी का पत्रकार. मैं वीर भाई की तरह थोड़े न हूँ कि दिल्ली के फाइव स्टार रेस्टोरेंट में घूम घूम कर खाना खाऊं और छ महीने बाद किसी सन्डे को चालीस पेज का एक सप्लिमेंटरी एडिशन निकाल कर उन रेस्टोरेंट की रैंकिंग कर दूँ. खाना का खाना और हाई क्वालिटी जर्नलिज्म अलग से.

नीरा : लेकिन वो भी तो जर्नलिज्म ही है.

चंदू : अब वो कैसा जर्नलिज्म है मैडम, उसपर मेरा मुँह मत खुलवाइये.

नीरा : खैर, मैंने तुमको यह बताने के लिए फ़ोन किया था कि कल रात ढाई बजे मेरी एम एम से बात हुई.

चंदू : क्या मैडम? ये ढाई बजे टाइम है किसी के साथ बात करने का? आपलोग सोते कब हैं?

नीरा : वो सब छोड़ो, और जो मैं कह रही हूँ उसको सुनो. एम एम तुमसे नाराज़ हैं.

चंदू : क्यों नाराज़ हैं मैडम?

नीरा : अरे नाराज़ नहीं होंगे तो क्या होंगे? ये तुमने क्या स्टोरी लिखी है? और स्टोरी का टाइटिल भी कितना गन्दा; "ये गैस किसकी है?" एम एम ने कहा कि द होल स्टोरी वाज स्टिंकिंग..."

चंदू : अब मैडम गैस की बात है स्टोरी में इसलिए उनको स्टिंकिंग लग रही होगी. वैसे वे किस बात से नाराज़ हैं?

नीरा : अरे नाराज़ होनेवाली बात ही है. तुमने लिखा कि..एक मिनट मेरे सामने ही है वो पेज. मैं पढ़कर सुनाती हूँ..हाँ, तुमने लिखा है; "बड़ा भाई इस बात से स्योर था कि गैस उसकी है लेकिन छोटा भाई अचानक दावा करने लगा है कि गैस उसकी है. अब यह गैस किसकी है, यह तो सुप्रीम कोर्ट ही बता पायेगा. लेकिन जिस गैस पर बड़े भाई का अधिकार है उसी गैस पर छोटा भई अपना अधिकार कैसे बता सकता है? अब यहाँ तो बड़ा भाई कह ही सकता है कि छोटा भाई अपनी गैस खुद खोज ले. मेरी समझ में यह नहीं आता कि छोटा भाई अपनी गैस खुद प्रोड्यूस न करके बड़े भाई की गैस के पीछे क्यों पड़ा है?..." और ये क्या है? ये क्या है? जिस तरह से तुमने स्टोरी ख़त्म की है..ये क्या लिखा है तुमने कि; "युद्ध के मैदान में सेनायें आमने-सामने हैं. अब देखनेवाली बात यह है कि युद्ध का शंख बजता है या शांति की मुरली?'' क्या है ये?

चंदू : इसमें गड़बड़ क्या है मैडम?

नीरा : एम एम इस बात से नाराज़ हैं कि तुम अपनी स्टोरी में पेट्रोलियम मिनिस्टर का नाम क्यों ले आये?

चंदू : पेट्रोलियम मिनिस्टर? मैंने तो अपनी स्टोरी में उनका नाम ही नहीं लिया?

नीरा : तो वो क्या है? वो मुरली?

चंदू : अरे मैडम वो मुरली की बात पर कन्फ्यूज मत होइए. वो तो उपमा अलंकार का प्रयोग है रिपोर्टिंग में.

नीरा : ये उपमा अलंकार क्या लफड़ा है?

चंदू : अब मैडम हम हिन्दी वालों की यही समस्या है. हम कैरीड-अवे हो कर पत्रकारिता में भी साहित्य रचने लगते हैं. दरअसल मैडम हिंदी का लेखक हो या पत्रकार वो बेसिकली फिलोस्फर होता है. न्यूज आर्टिकिल लिखते-लिखते कब उसके कलम से दर्शनशास्त्र का झरना फूट पड़े कोई कह नहीं सकता. खैर, यह सब जाने दीजिये. आप कहें तो मैं कल ही एक क्लेरिफिकेशन पब्लिश कर दूंगा कि मुरली शब्द का इस्तेमाल पेट्रोलियम मिनिस्टर के लिए नहीं है. आगे बोलिए.

नीरा : आगे क्या बोलूँ? वो मैंने तुमसे कहा था टूज़ी पर एक स्टोरी लिखने के लिए. उसमें भी तुमने ये क्या कर डाला? मैंने तुमसे टूजी पर लिखने को कहा और तुमने टाइटिल दे डाली "टु ज़ी विद लव" और उसमें दिल्ली यूनिवसिटी की उन स्टुडेंट्स का स्टेटमेंट्स छाप दिया जिन्हें राहुल गाँधी और उनके डिम्पल क्यूट लगते हैं और जो उनके साथ शादी करने का सपना देखती हैं. मैंने तुमसे क्या करने को कहा और तुमने क्या कर दिया.

चंदू : अरे ये तो भारी ब्लंडर हो गया. मैंने सोचा कि टूज़ी का मतलब आप चाहती हैं कि मैं बारी-बारी से दोनों गाँधी पर एक-एक स्टोरी कर दूँ. इसीलिए मैंने पहले राहुल गाँधी पर की और सोचा कि मैडम के उप्पर...

नीरा : तुमको पता है न कि उन लोगों का पी आर अकाउंट मैं मैनेज नहीं करती. फिर भी इतनी बड़ी बेवकूफी कर दी तुमने. और हाँ, वो मैंने कहा था कि दादरी पॉवर प्लांट पर स्टोरी लिखो कि वहाँ के किसान अपनी ज़मीन वापस चाहते हैं. ये पॉवर प्लांट नहीं आ सकता अब. और तुमने अभी तक वो स्टोरी नहीं की...

चंदू : अरे मैडम वो स्टोरी मैं कैसे करता? मैं दादरी गया तो वहाँ मैंने देखा कि वहाँ किसान मस्त हैं. उन्हें ज़मीन की कीमत जो मिली है उससे वे मस्त हैं और वही पैसा कमोडिटी मार्केट में लगा रहे हैं और लॉस जनरेट कर रहे हैं. ऊपर से कई किसान कह रहे थे कि अगर प्लांट वाले और ज़मीन ले लेते तो...

नीरा : किसने तुमसे कहा दादरी जाने के लिए? दिल्ली में रहकर स्टोरी लिखी जाती है कि दादरी जाकर? कैसे पत्रकार हो तुम? दिल्ली में रहकर स्टोरी किखने लायक नहीं हो तो जर्नलिज्म में तुम्हारा फ्यूचर कुछ नहीं है.

चंदू : छोड़िये मैडम. हमारी आपकी नहीं पट सकती. वैसे भी अब मैं प्रिंट मीडिया छोड़कर वेब मीडिया में जा रहा हूँ. मेरी एक ब्लॉगर से बात हो गई है. मैं उसको ज्वाइन कर रहा हूँ. ये दलाली करें लायक नहीं हूँ मैं.

नीरा : अरे सुनो तो....

पी पी पी की आवाज़ आ रही थी. टेलीफोन कट हो चुका था.

चंदू ने मेरी तरफ देखा और कुछ नहीं कहा. तुरंत वहाँ से उठ और चल दिया. कह कर गया है कि....



नोट: टेप नंबर सतहत्तर में भी इन्ही दोनों की बातचीत है. उसे छापने पर भी विचार किया जा रहा है:-)

18 comments:

  1. बहुत सही रही बातचीत। नीरा ने शायद गलत फोन लगा दिया। हिंदी वालों से तो उसकी कंपनी का सबसे निचले स्तर का कर्मचारी बात करता है.

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  2. 'नीरा : अरे सुनो तो....

    पी पी पी की आवाज़ आ रही थी. टेलीफोन कट हो चुका था.'
    गुस्ताखी माफ़ हो लेकिन मुझेसे रहा नहीं जा रहा कहे बिना .... 'अभी न जाओ छोडके की दिल अभी भरा नहीं' :)

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  3. joradar samayik vyangy abhivyakti...abhaar

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  4. आखिर चंदू जी ने नीरा जी को चटनी चटा ही दी...
    वाह !!!!

    कृपया टेप नंबर सतहत्तर भी जल्द से जल्द पब्लिश करें..

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  5. मुरली और संख की आवाज़ पर तो मन हुआ कि नगाड़े बजा दिए जाए.. पर अभी वो नहीं करके हम सिर्फ ताली बजा रहे है..
    चंदू भाई अब जब ब्लॉग जर्नलिस्ज्म में आ ही रहे है तो लगे हाथ हिंदी के उत्थान वाले एक सम्मलेन भी अटेंड करवा दिजिये..

    वैसे टेप नंबर सतहत्तर भी लाया जाए तो मज़ा आ जाये..

    प्रणाम और क्रिसमस की अग्रिम शुभकामनाये

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  6. सुन्दर! गैस प्रकरण की CBI (Cylinder Bureau of Indigestion) से जांच होनी चाहिये।

    चंदू जी के सारे टेप सार्वजनिक किये जायें।

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  7. नीराजी और टेप्स का वही सम्बंध है तो नीरा और धूप का होता है... जैसे जैसे धूप चढ़ती है नीरा में भी नशा आ जाता है, ठीक उसी नीराजी का और टेप का...:)

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  8. चंदू जी ने गलत फोन काट दिया.. वैसे आगे आने वाले टेपों में मामला खुल जायेगा...

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  9. मैं तो नीरा मैडम का फैन हो चला हूँ। गजब का कौशल है जी...। एक साथ कितनों को साध लेती हैं।

    देश की इस बेहतरीन प्रतिभा का समुचित सदुपयोग न कर पाने के लिए आगे की पीढ़ियाँ हमें माफ़ नहीं कर पाएंगी।

    आप अपने हाथ लगे टेप खंगालते रहिए। चंदू का पता पुलिस वालों को मत बताइएगा।:)

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  10. अहा हा हा!
    एक सांस में पठनीय हास्य से भरपूर इस व्यंग्य को पढक्रर मन तृप्त हो गया।
    अब तो आगे चंदू ब्लोग पर क्या गुल खिलाते हैं वह देखना है।

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  11. गैस और अलंकर... मस्त. टेप नंबर सतहत्तर भी छापिये जल्दी से.

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  12. कहाँ चन्दू और कहाँ नीरा,
    कहाँ लौकी, कहाँ खीरा।

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  13. तो शिव भैया, चंदू जी ऑफ़िशियली आपको ज्वायन कर रहे हैं न? हिंदी पत्रकारों की उमड़ती घुमड़ती दार्शनिकता, वल्लाह:)
    टेप न. सतहत्तर का बेसब्री से इंतज़ार।

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  14. tape no.77 discode ki jaye...tabhi bakaya tippani...ka hisab hoga....

    pranam.

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  15. चंदू तो नासमझ निकला नीरा का चाँदी का चम्मच ठुकरा कर ब्लाग की दस पाँच टिप्प्णियों से अधिक क्या पायेगा। लेकिन इस आलेख से ब्लाग की अहमियत पता चल गयी,चंदू राडिया क्या पूरी दुनिया ब्लाग के आगे नतमस्तक है। चंदू का स्वागत ह। लेकिन भईया उस से कह देना टिप्पणी के मामले मे उदार रहे।
    बहुत अच्छा व्यंग । शुभकामनायें।

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  16. मामले की जाँच चल रही है. "माननीय न्यायालय" के द्वार तक बात पहुँच गई है अतः पता नहीं किस बात पर अवमानना हो जाए, क्यों टिप्पणी-सिप्पणी करें?

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  17. टेप नम्बर 72 का इंतजार है।

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  18. नीरा: ये गैस किसकी है.
    चंदू: जिसने मूली खाई उसकी.

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय