Show me an example

Thursday, April 21, 2011

सीडी सीडी सब करें सीडी सुने न कोय...


@mishrashiv I'm reading: सीडी सीडी सब करें सीडी सुने न कोय...Tweet this (ट्वीट करें)!

पिछले कई दिनों से सीडी काण्ड चल रहा है. प्रेस कान्फरेंस की जा रही हैं. सीडी जारी की जा रही हैं. पप्पू के पापा की खोज हो रही है. ऐसे में ब्लागरीय धर्म यह है कि सीडी पर कुछ लिखा जाय. तो पेश हैं कुछ सीडीयात्मक धोये..सॉरी दोहे.



सीडी सीडी सब करें सीडी सुने न कोय,
जो कोऊ सीडी सुने मन भीतर ही रोय

सीडी उतनी ही भली जा में बात समाय
इधर-उधर एडिट करे मुद्रा लेव कमाय

सीडी को कर दे 'अमर' नेता की कांफ्रेंस
कल तक जिनसे दुश्मनी कहाँ आज डिफरेंस

सीडी देती है दिशा राजनीति को आज
इसे उसे बदनाम कर बनता जाए काज

सीडी चमके जहाँ पर वहीँ उजाला होय
दो सीडी चमकाय के निज चरित्र को धोय

सीडी जो जारी करे उसको बड़ा गुमान
उसकी सबसे दोस्ती उड़ा रहा पकवान

सीडी चली बाज़ार में बढ़ता चला बवाल
पप्पू के पापा कहाँ चहुँ दिश एक सवाल

सीडी अन्दर कैद हैं नेता और वकील
इक दूजे में गाड़ते लम्बी-लम्बी कील

सीडी ही शाश्वत यहाँ बाकी मायाजाल
बातचीत को टेप कर बना उसे कंगाल

सीडी ही करवा रहा राजनीति में न्याय
करे धुलाई इस तरह जैसे लाइफबॉय

सीडी की आकृति हमें बता रही यह भेद
जिस थाली में खा रहे उसमें कर दो छेद

सीडी उल्टी ना चले उल्टा चले दिमाग
कभी-कभी यूँ जार दे जैसे जारे आग

सीडी जो जारी करे सदा उड़ाये मौज
डील करे कानून से है चमचों की फौज

सीडी नेता के लिए जैसे हो ब्रह्मास्त्र
और सजाये आधुनिक राजनीति का शास्त्र

सीडी तो सस्ती यहाँ सस्ता साथ विचार
लगे टेस्टी इस कदर जैसे कोई अचार

सीडी सुविधा दे रही छेड़-छाड़ कर देउ
प्रश्न अगर उठ खड़ा हो शरण लैब की लेउ

सीडी देखन से लगे जैसे पहिया गोल
पर रहता उसमें सदा किसी ढोल की पोल

सीडी बिके बाज़ार में जैसे लेमनचूस
खोल कभी षड्यंत्र और कभी किसी का घूस

सीडी की बातें यहाँ सदा निराली होय
कभी फंसे नेता कभी बैरिस्टर भी रोय

सीडी का फ्यूचर सदा ब्राइट बीच बाज़ार
कभी काम है कलम का और कभी तलवार

सीडी तो घूमे यहाँ महिमा लिए अनंत
हर मौसम में हिट रहे बारिश, शरद, बसंत

21 comments:

  1. हा हा ... I can only say: लाइफ बॉय है जहाँ तंदुरुस्ती है वहां!!

    ReplyDelete
  2. samajh nahi aa raha.....CD...bole to
    .....corruption detective.........ya
    .....corruption devloping......ye 1mt
    ki tukbandi se bhi nahi sulajh raha..

    pranam.

    ReplyDelete
  3. बार बार देखो हज़ार बार देखो
    ये देखने की सीडी है सुनने की नहीं :)

    ReplyDelete
  4. आधुनिक सीडी पर आधुनिक कबीर.... जै हो.

    ReplyDelete
  5. पूरा धर्म निर्वाह हुआ है, सीडी महिमा की इस गाथा में.

    ReplyDelete
  6. बहुत जोरदार और सामयिक....

    ReplyDelete
  7. एक पंक्ति और जोड़ें :
    जबसे आई बजार में सीडी, बेचारे एबी गए लुकाय.
    एन्ने-ओन्ने झांकि लियो, तब मलकिन से बतुआए.

    ReplyDelete
  8. आपका व्यंग पढ़ के समझ नहीं आता हँसे की रोये.
    कहीं कोई चैनल पढ़ ले तो पूरा एक slot dedicate कर दे आपके CD वचन पे!
    पर ऐसा चैनल जो व्यंग के सच को समझ के हँसे न की टटोले, हैं कहाँ?
    CD में कबीरा खोया!

    ReplyDelete
  9. राजनीति की घातें और प्रतिघातें।

    ReplyDelete
  10. सीडी सीडी जाप के, बना दीस इक पोस्ट
    कौन यहां पर होस्ट है, कौन यहां पर घोस्ट...

    ReplyDelete
  11. सीडी नहीं सीढ़ी है यह राजनीति की इमारत के शिखर पर पहुंचने की...

    ReplyDelete
  12. जबरदस्त सीढ़ी धोये हैं, सॉरी सीडी दोहे हैं।

    ReplyDelete
  13. सी डी दोहे गजब के हैं। जय हो टाइप!

    ReplyDelete
  14. हा हा. 'जिस थाली में खा रहे उसमें कर दो छेद' सीडी से इतना बड़ा ज्ञान भी मिलता है. इस एंगल से कभी देखा ही नहीं :) वाह वाह. जय हो.

    ReplyDelete
  15. सीडी चमके जहाँ पर वहीँ उजाला होय
    दो सीडी चमकाय के निज चरित्र को धोय

    सीडी जो जारी करे उसको बड़ा गुमान
    उसकी सबसे दोस्ती उड़ा रहा पकवान

    सीडी अन्दर कैद हैं नेता और वकील
    इक दूजे में गाड़ते लम्बी-लम्बी कील
    हर एक दोहा अमर हो गया। इस अपार महिमा की क्या कहने। बधाई सभी दोहे एक से बडःा कर एक।

    ReplyDelete
  16. अमरा खड़ा बजार में, ले सीडी कंखियाय।
    इत्र लगाये टीन भर, गोबर सा गन्न्हाय।

    ReplyDelete
  17. hire jaisi post pe.....gyan dadda ka
    marink jaisa comment...

    pranam.

    ReplyDelete
  18. सीडी की आकृति हमें बता रही यह भेद
    जिस थाली में खा रहे उसमें कर दो छेद

    वाह वाह वाह...बंधू इस दोहे पर स्वर्ग से कबीर दास जी और रहीम मियां दोनों दे दना दन तालियाँ पीट रहे हैं...उनकी परम्परा को आगे बढाने वाला जो उन्हें नज़र आ गया है...विलक्षण दोहे.
    नीरज

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय