दिल्ली से संवाददाता चंदू चौरसिया, चेन्नई से आर राजारामन और मुंबई से रजत सावंत
कल लगातार सत्रहवें दिन सड़क जाम, हड़ताल और हिंसा से देश भर में जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा. हालाँकि देश के कुछ प्रमुख शहरों में जनता द्वारा निकाले गए ज्यादातर जुलूस शांतिपूर्ण रहे परन्तु कुछ छोटे शहरों में स्थिति पहले जैसी बनी रही. जहाँ एक तरफ इलाहाबद में प्रदर्शनकारियों ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस के तीन डिब्बे आग के हवाले कर दिए वहीँ आगरा में जनशताब्दी एक्सप्रेस के गार्ड और ड्राईवर को किडनैप कर लिया गया. मेरठ में जनता और पुलिस के बीच जमकर झड़पें हुईं जिनमें करीब सैतीस लोगों के घायल होने की खबर है. चंडीगढ़, जालंधर, जयपुर, वाराणसी, पटना, रायपुर, भोपाल, इंदौर, गुवाहाटी, औरंगाबाद, बंगलौर, हैदराबाद और कई महत्वपूर्ण शहरों में हिंसा की घटनाओं की वजह से जाना-माल को भारी क्षति पहुँची है.
उधर दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों में भी हिंसा की खबर है. जहाँ चेन्नई में स्थिति कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रही वहीँ मदुरै और कोयंबटूर में पुलिस और जनता के बीच संघर्ष में करीब सत्तर लोगों के घायल होने की खबर है. आज एक संवाददाता सम्मलेन में केन्द्रीय गृहमंत्री ने देशवासियों से अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता त्यागकर सरकार के साथ बातचीत करें जिससे हिंसा के अलावा एक और रास्ता निकाला जा सके. उधर आज अपनी सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर एक स्वागत समारोह में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर से दोहराया कि देश में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं.
प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य की आलोचना करते हुए अखिल भारतीय जनता महासभा के अध्यक्ष श्री मानेक राव बाबू राव पाटिल ने मुंबई में एक संवाददाता सम्मलेन में कहा; "प्रधानमंत्री का यह बयान बेहद बचकाना है जब वे कहते हैं कि देश में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है. अभी हमारे कार्यकर्ताओं ने कल ही कोल्हापुर, सतारा और वर्धा में हिंसा की है. इससे यह साबित होता है कि हमेशा की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री को देश के बारे में कोई जानकारी नहीं है."
उधर चेन्नई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय जनता महासभा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष श्री रंगनाथन एम श्रीनिवास ने कहा; "जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी हम तमिलनाडु में हिंसा करते रहेंगे. केंद्र सरकार की तरफ से टेलीकम्यूनिकेशन मिनिस्टर ने लोकसभा में अपने एक भाषण में देश को विश्वास दिलाया था कि फोर-ज़ी स्पेक्ट्रम के ऑक्शन में उनकी तरफ से बहुत बड़ा घोटाला किया जाएगा और देश को करीब तीन लाख चौहत्तर हज़ार करोड़ रूपये का चूना लगेगा परन्तु जब हमने आर टी आई के थ्रू जानकारी हासिल की तो हमें पता चला कि यह मिनिस्टर पूरी तरह से निकम्मा है और इसके निकम्मेपन की वजह से देश को केवल एक लाख सत्तर हज़ार करोड़ का नुकशान हुआ. आपको अगर याद हो तो टू-ज़ी स्पेक्ट्रम में ही देश को कुल एक लाख सतहत्तर हज़ार करोड़ का नुकशान हुआ था. ऐसे में हम यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि फोर-ज़ी में किया गया घोटाला टू-ज़ी घोटाले से छोटा हो. मिनिस्टर के इस निकम्मेपन की वजह से पूरी दुनियाँ में भारतवर्ष की साख को भारी धक्का पहुँचा है."
ज्ञात हो कि सरकार और जनता के बीच हिंसा की वारदातें उस दिन से शुरू हुई हैं जब देश भर में जुलूस निकालकर जनता ने सरकार के ऊपर आरोप लगाया कि अपने दो वर्ष के अभी तक के शासनकाल में इस सरकार की तरफ से उतना भ्रष्टाचार नहीं किया जा सका जितना सरकार ने देश की जनता से वादा किया था. जनता के प्रतिनिधियों का यह आरोप है कि यह सरकार भ्रष्टाचार के मामले में किसी भी मंत्रालय के अपने टारगेट पूरा नहीं कर सकी है.
कल इंदौर में बोलते हुए अखिल भारतीय जनता महासभा की मध्यप्रदेश इकाई के महासचिव शिवभंजन सिंह ने कहा; "वर्ष २०१४ के लोकसभा चुनावों के अवसर पर इस सरकार के घोषणा पत्र पर भरोसा करते हुए हमने इसे एक बार फिर से सत्तासीन करवाया परन्तु यह सरकार अपने घोषणा पत्र में किये वादों में से कोई भी वादा ढंग से पूरा नहीं कर पाई है. एक मिनट..एक मिनट..आज आपके समक्ष मैं इस सरकार के घोषणा पत्र की एक कॉपी लेकर आया हूँ. इस घोषणा पत्र के पेज चार पैराग्राफ तीन में सरकार ने वादा करते हुए लिखा था कि अगर इसे सत्ता में पुनः वापस लाया गया तो सरकार रक्षा सौदों में करीब साठ हज़ार करोड़ रूपये का घोटाला करेगी. आप को जानकारी दूँ कि दो वर्ष हो गए इस सरकार को काम करते हुए लेकिन सी ए ज़ी की रिपोर्ट के अनुसार अभी तक केवल इक्कीस हज़ार करोड़ के घोटालों की ही जानकारी मिल पाई है. मैं पूछता हूँ जब अपने वादे के मुताबिक पाँच साल में केवल साठ हज़ार करोड़ के छोटे-मोटे घोटाले करने के अपने वादे को इस सरकार के मंत्री नहीं पूरा कर पा रहे हैं तो हम इस सरकार से क्या उम्मीद करें? ऐसे में हम चाहते हैं कि यह सरकार जल्द से जल्द इस्तीफ़ा दे जिससे देश इससे भ्रष्ट सरकार चुन सके."
उधर मध्यप्रदेश इकाई की अध्यक्षा सुश्री रेवती पटेल ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा; "यह सरकार बेशर्म हो गई है. सात महीने पहले जब हमने अपनी मांग रखते हुए यह कहा था कि सरकार जल्द से जल्द पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी करे तो सरकार ने हमें आश्वासन दिया था कि हमारी इस मांग को मानते हुए सरकार पंद्रह दिन के भीतर पेट्रोल की कीमत १८० रूपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत १६० रूपये प्रति लीटर करे देगी. लेकिन आज सात महीने बीत गए और अभी तक सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढाने की हमारी मांग को नहीं माना है. हम एक बार फिर से इस सरकार को आगाह करना चाहेंगे कि अगर अगले तीन दिन के भीतर पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढाई नहीं गईं तो हमारा आन्दोलन और हिंसक हो जाएगा."
जब वित्तमंत्री से इस बाबत सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया; "जनता की मांग जायज नहीं है. ऐसा नहीं है कि हम पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाना नहीं चाहते. हम अपने वादे पर अभी भी टिके हुए हैं. मामला इस बात पर आकर अटक गया कि कीमतों में कितनी बढ़ोतरी की जाय? हम चाहते थे कि पेट्रोल की कीमत केवल बारह रूपये साठ पैसे और डीजल की केवल आठ रूपये दस पैसे बढें वहीँ जनता के प्रतिनिधि इस बात पर अड़े थे कि पेट्रोल की कीमत कम से कम सत्रह रूपये अस्सी पैसे और डीजल की कीमत कम से कम बारह रूपये पचास पैसे बढाई जाय. हम जनता के प्रतिनिधियों से बात कर रहे हैं और जल्द ही एक समझौता करके पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ा दी जायेंगी. इस बीच हम जनता से अपील करते हैं कि वह अपना आन्दोलन वापस ले ले. सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाने के लिए वचनबद्ध है."
करीब पंद्रह दिनों से ज्यादा समय से चल रहे इन आन्दोलनों में रोज नई कड़ियाँ जुडती जा रही है. कल दोपहर नागपुर में विदर्भ किसान महासभा और पुलिस के बीच हुई झड़प में बारह पुलिस वाले और सत्रह किसान घायल हो गए. ज्ञात हो कि सरकार विदर्भ के किसानों को फर्टीलाइज़र सब्सिडी, लोन-माफी और बाकी की सहूलियतें देना चाहती है मगर किसान लेने के लिए राजी नहीं हैं. महाराष्ट्र के सबसे कद्दावर नेता श्री जवार ने सरकार की तरफ से किसानों से बातचीत करने की कोशिश की थी परन्तु किसानों ने उन्हें फटकार के भगा दिया था. श्री जवार चाहते थे कि विदर्भ के किसान करीब दो लाख करोड़ रूपये की सराकरी मदद लेने के लिए राजी हो जायें वहीँ किसान इस बात पर अड़े रहे कि उन्हें किसी सरकारी मदद की जरूरत नहीं है. अब करीब दस दिन पुराने मामले ने इतना तूल पकड़ लिया है कि किसान हिंसा पर उतारू हो गए हैं.
ज्ञात हो कि पिछले दिनों वर्तमान सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर पी सी मेल्सन और बाउटलुक पात्रिका द्वारा किये गए सर्वेक्षण में जो तथ्य सामने आये थे उनके अनुसार भ्रष्टाचार के मामले में वर्तमान सरकार पूरी तरह से विफल रही है. सर्वे के अनुसार देश की करीब सत्तासी प्रतिशत जनसँख्या यह मानती है कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में किये गए भ्रष्टाचार संबंधी वादे पूरे नहीं किये. वहीँ तेरह प्रतिशत लोगों का यह मानना था कि इस सरकार को भ्रष्टाचार फ़ैलाने के अपने टारगेट को अचीव करने के लिए एक चांस देना चाहिए. ऐसे लोगों का मानना था कि भ्रष्टाचार को फ़ैलाने के अपने वादे पूरे करें के लिए केवल दो वर्ष का समय काफी नहीं है. इसलिए सरकार को और समय देना चाहिए.
आज इस अखबार के सम्पादक से बात करते हुए महान भ्रष्टाचार विशेषज्ञ श्री प्रमोद मेहता ने बताया; "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस सरकार को पाँच साल के लिए चुना गया है. ऐसे में केवल दो सालों के भ्रष्टाचार के रेकॉर्ड्स देखकर उसे नाकारा बता देना उचित नहीं होगा. हमें धीरज रखना चाहिए. मुझे पूरा विश्वास है कि अगले तीन वर्षों के अपने शासनकाल में यह सरकार भ्रष्टाचार की स्पीड बढ़ाएगी और अपना टारगेट ज़रूर अचीव करेगी. भ्रष्टाचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में प्रधानमंत्री से मुलाकात की है और उन्हें भ्रष्टाचार के कुछ नए तरीकों को ट्राई करने की सलाह दी है. मेरे सोर्स बताते हैं कि प्रधानमन्त्री जल्द ही उन सलाहों को लागू करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो वे कैबिनेट रि-सफल भी करेंगे. आज जरूरत है कि देश की जनता द्वारा धैर्य न खोने की. आज ज़रुरत है कि देश की जनता प्रधानमंत्री में अपने विश्वास को कायम रखे."
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार सरकार जल्द ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने देने वाली वर्तमान कैबिनेट कमिटी को रद्द कर देगी. सूत्रों का ऐसा मानना है कि प्रधानमंत्री इस हाइ-पावर्ड कैबिनेट कमिटी के कार्यों से संतुष्ट नहीं हैं. प्रधानमंत्री चाहते हैं कि इस कैबिनेट कमिटी की अध्यक्षता अब वित्तमंत्री नहीं बल्कि गृहमंत्री करें. खबर यह भी है कि अध्यक्ष बदले जाने के बाद जल्द ही यह कैबिनेट कमिटी हायती, इराक, उज्बेकिस्तान, बांग्लादेश और सूडान के दौरे पर जायेगी ताकि भ्रष्टाचार के नए तरीकों पर काम किया जा सके. ऐसी खबर भी है कि इस कमिटी के कुछ सदस्य ऐसे देशों में जाने से बच रहे हैं क्योंकि ऐसे देशों के दौरे में मज़ा नहीं आता. हाल ही में प्रधानमंत्री ने ऐसे सदस्यों को लताड़ लगाई है क्योंकि प्रधानमंत्री का मानना है कि सरकार की भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की प्राथमिकता मंत्रियों के मौज-मजे से ऊपर है.
हाल ही में संसद को दिए गए अपने बयान में प्रधानमंत्री ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था; "भ्रष्टाचार और घोटालों का अपना टारगेट न अचीव करने की वजह से जिस तरह से हमारी सरकार की किरकिरी हुई है वह किसी भी हालत में मान्य नहीं है. हम कोशिश करेंगे कि अगले वित्तवर्ष में हम घोटालों और भ्रष्टाचार के हमारे टारगेट पूरे करें. हम स्वीकार करते हैं कि इस वित्तवर्ष के दौरान हमारे मंत्रालयों में घोटालों की संख्या कुल ३६५ रही जो पिछले वित्तवर्ष के मुकाबले केवल तीन प्रतिशत ज्यादा है. ऐसे में हमारी कोशिश यह रहेगी कि घोटालों की ग्रोथ कम से कम जी दी पी ग्रोथ से तो ज्यादा रहे. आज मैं न सिर्फ संसद को बल्कि देश की जनता को भी विश्वास दिलाना चाहूँगा कि हमारी सरकार घोटालों में वांछित वृद्धि न होने की वजह से आहत है और हम कोशिश करेंगे कि अगले वित्तवर्ष में कुछ ज्यादत घोटाले करें जिससे इस वर्ष कम हुए घोटालों की भरपाई हो जाए."
अखिल भारतीय जनता महासभा ने प्रधानमंत्री के इस वादे पर विश्वास करने से मना कर दिया है. महासभा का मानना है कि देश की सरकारें किये गए वादे कभी पूरा नहीं करती इसलिए इस बार महासभा ने सरकार को सबक सिखाने के लिए हिंसा का सहारा लिया है. कल देश के कुछ गणमान्य व्यक्तियों से हस्तक्षेप की अपील करते हुए सरकार ने कहा है कि बुद्धिजीवी, पत्रकार और महान लोग़ आगे आयें और जनता को समझाएं. कुछ बुद्धिजीवियों ने कल राजघाट पर एक सभा की और हारमोनियम, तबले और झांझ की धुन पर प्रसिद्द भजन रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम गाकर देश की जनता को समझाने का प्रयास किया.
वैसे जनता इन बुद्धिजीवियों की बात मानेगी इस बात की संभावना कम ही है.
Monday, May 16, 2011
नई दिल्ली, ५ जून, २०१६
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जनता में मचे घमासान को शांत करने के लिए सरकार हिन्दी ब्लॉगरों की सहायता भी ले सकती है... सबसे बडे "राड़ाकार" तो यही कौम है. :)
ReplyDelete1st time on your blog thru twitter...Brilliant Sir.
ReplyDeleteऐसा करें तो भी नहीं मानेंगे वैसा करें तो भी न मानेंगे..
ReplyDeleteसरकार हैं, खायेंगे भी तो अपने तरीके से.
भविष्य दिखा दिया गुरुदेव! वो नए टार्गेट बना लेंगे और हम आपस में लढते रहेंगे, मन किया तो भजन-वजन गा लेंगे.
भयानक!
many time on your blog thru rss feed...extreme Brilliant Sir.
ReplyDeleteआशा है आप अपने संवाददाताओं को सही तनखा देते हैं, और वे भी आपको सही समाचार पहुंचाते हैं!
ReplyDeleteई रपटवा में सब ठीक-ठाक है,खाली रपट की तारीख बढ़ी है और कमाऊ-रकम.बकिया रपट तो आज की ,हर दिन की ताज़ा खबर जइसन पढ़ी जा सकति है !
ReplyDeleteरिपोर्ट से देश की प्र(दुर्)गति का सहज अनुमान लगाया जा सकता है।
ReplyDeleteअध्यक्ष श्री रंगनाथन एम श्रीनिवास ने कहा;
ReplyDeleteजेय सीव कुमारन, अम तुम को बोलता कि अमारा नाम सई लिखना जी... ये अमारा ना श्रीनिवासन जी- अमारा अनादर करेगा तो कोरट को कीचेगा जी....:)
भविष्य की अगरबत्ती जल चुकी है, यही सुगन्ध फैलेगी अब तो।
ReplyDeleteहिंसा के अलावा वैकल्पिक रास्ता खोजने का सुझाव जबर है जी। :)
ReplyDeleteye meri tippani kyon bhratachar ka
ReplyDeleteshikar ho raha hai.......
pranam.
एकदम सही तस्वीर खैंची है भविष्य की...
ReplyDeleteआज ही तो यह हालत बन गयी है कि कुछ हजार या लाख के घूस घोटाले की खबर पर लोग हंस देते हैं..."बस इतना ही"..इसमें कौन सी बड़ी बात हो गयी...कहकर...
तो आगे तो भष्टाचार सहज स्वीकार्य हो ही जाएगा...
कोई अतिशयोक्ति नहीं इस चित्र में जो तुमने खींची है.
...
Brilliant as always Sir. :)
ReplyDeletebadiya
ReplyDeleteवाह मजा आ गया, देश के भविष्य पर विचार करने के लिए बाध्य करने वाला लेख, आपके लेख ने तो डर पैदा कर दिया, कि यदि कहीं भ्रष्टाचार को सामाजिक मान्यता प्राप्त हो गई तो क्या होगा, नही ऐसा भविष्य हम आने वाली पीढ़ी को कदापि नही देना चाहेंगे...
ReplyDeleteभविष्य दर्शन आपकी कलमसे निकला है तो सिर्फ व्यंग न रहकर गहरा कटाक्ष बन गया है, खुद भी थोडा शर्मसार महसूस होते है कि हमने खुद ही ये कौन सी राह चुनी है...वैसे आपके ब्लोगसे हमेशा नये भारतको जाना है जो कहीं मनमें अपने ही दंभ तले कहीं छुपा है..
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