शिव कुमार मिश्र ने पश्चिम बंगाल में दुर्गा-पूजा पर साम्यवादी दल द्वारा पूजा उत्सव में शरीक होने का वर्णन किया है। ऐसा ही दिल्ली में होने जा रहा है।
बिजनेस स्टेण्डर्ड ने कल एक न्यूज आइटम में लिखा है कि दिल्ली में दुर्गा पूजा के दौरान चीन के सामान - टॉर्च से ले कर जलशोधकों (वाटर प्यूरीफायर) तक की स्टॉलें लगेंगी। उनमें पूजा छूट भी उपलब्ध होगी। "मार्क्स और लेनिन दुर्गा के दरवाजे पर आयेंगे"। यही नहीं कम्यूनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के किताब के स्टोर भी लगेंगे पूजा पण्डालों में|
ऐसे एक स्टोर का उद्घाटन चित्तरंजन पार्क दुर्गा-पूजा मेला ग्राउण्ड में 17 अक्तूबर को बृन्दा कारत करेंगी (यानी कर चुकी होंगी)। वे सीपीएम की अकेली पॉलितब्यूरो मेम्बर हैं जो दिल्ली में रहेंगी। ये स्टॉल लाल रंग में रंगे होंगे। ऐसे चार स्टॉल प्लॉन किये हैं पार्टी ने दिल्ली में।
"दास केपीटल" कैपेटल में आ रहा है - पूजा पण्डालों में!
चलिये अब हमें बंगाल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
ReplyDeleteसही है-दिल्ली वाले दुर्गा पूज में चीन का आनन्द उठायेंगे. अगर उनका राज हो जाये तो पूरा भारत उठाये.
ReplyDeleteसही है जी नेता लोग सता के लिए जो करें वो कम है।
ReplyDeleteसही है।
ReplyDeleteयही तो बात है। राजनीति भले ही चंद सालों में बदल जाए, लेकिन संस्कृति को बदलने में युगों लग जाते हैं। राजनीति लोहार का हथौडा है तो संस्कृति सुनार की महीन कमानी...
ReplyDeleteक्यों कुठाव पर मार रहे हैं.....बहुत लगेगी.....
ReplyDeleteसोचता हूँ, अमरीका से देश को खतरा है, तो क्या चीनी सामानों से भारतीय उद्योग खतरे में नहीं है? कहाँ है वामपंथी? जवाब दें.
ReplyDeleteचीन के साम्राज्यवाद को लेकर आपको चिन्ता हो सकती है। हमारे कामरेड तो हमेशा इसका स्वागत करते हैं!
ReplyDeleteवास्तव में इसे भारत में कम्युनिज्म की पराजय के रूप में देखा जाना चाहिए। धर्म को अफीम मानने वाले कम्युनिस्ट लगातार अपनी भूलें सुधार रहे है। कम्युनिस्टों ने गांधी को पूंजीपतियों का एजेंट कहा, सुभाष चन्द्र बोस को तोजो का कुत्त्ता, जयप्रकाश नारायण को बुर्जुआ का दलाल। अब मजबूरी में इन सभी को अपना आदर्श मानने में लगे है। इन्होंने देख लिया है कि 85 साल के बाद भी जनता कम्युनिज्म की विचारधारा को स्वीकार नहीं कर रही है। अब ये वन्दे मातरम के नारे भी लगा रहे है और राष्ट्रवाद की बात भी कर रहे है। लेकिन यह समझना भारी भूल होगी कि वे बदल गए है। यह इनका छदम रूप है। समय आने पर ये अपने राष्ट्रविरोधी आदतों से बाज नहीं आएंगे।
ReplyDeleteचार वोट और नोट कमाने के लिए कुछ इधर-उधर करना पड़ जाये, तो काहे परेशान करते हैं। किस को कमाने-खाने देंगे या नहीं।
ReplyDeleteराजनीति मे सब जायज़ है!!
ReplyDeleteकम्युनिस्टों का गीत
ReplyDelete"दुर्गा मैय्या लाल सलाम
माओ का बस लेकर नाम
देख सुबह की लाली को हम
कहते हैं लो आयी शाम "