टिप्पणीकार मेरे पसन्दीदा ब्लॉग/ब्लॉगर बनते जा रहे हैं। बावजूद इसके कि बेनाम हैं और बेनामियत की शख्सियत का पता लगाने को मैं बेताब हूं। फुरसतिया सुकुल से पूछा भी - पर उन्होने जवाब नहीं दिया। एक शक राजीव टण्डन पर जाता है; पर इल्जाम कैसे लगायें सीधे सीधे! वैसे उनके अंतरिम ब्लॉग पर अंतिम पोस्ट भी टिप्पणीशास्त्र विषयक है।
खैर कल की उनकी पोस्ट "भूत-चुड़ैल दिखाने वालों के पेट में दर्द : मोदी पतित कि पत्रकार" ने मुझे बहुत मजा दिया है! मित्रों; आप मेरी पोस्ट पढ़े, न पढ़े; पर यह पोस्ट जरूर पढ़ें।
और हां टिप्पणी मेरी पोस्ट पर करें!
यह टीवी वाले ब्लॉगरों और टीवी वालों मे गजब का नारसीसिज्म है। जनता ने भी इन्हे 'लार्जर देन लाइफ' चढ़ा रखा है। और गजब बिरादरी का एका है। मुझे आप गरियायें तो एक भी अफसर नहीं आयेगा तरफदारी को। शिवकुमार मिश्र भी शायद न आयें! पर एक टीवी वाले/वालों पर क्या कहा बेनामी भाई ने कि चिपट गये गुरु दिबांग (बतर्ज बाबा राम देव) के शिष्यगण।
ज्यादा लिखा तो अपने आप को और स्टूप डाउन (stoop down) कराना होगा।
आप तो टिप्पणीकार जी की पोस्ट देखें!
अभी कोम्युनिजम से/में उलझा हुआ हूँ और आप यह नारसीसिज्म ले आये :) अब यह क्या बला है?
ReplyDeleteशिव भाई
ReplyDeleteयह हुई न बात मैं आपके ठीक नीचे रहूँगा दिन भर । मीडिया की एकता चोर-चोर मौसेरे भाई की याद दिलाती है...।
@ संजय बेंगानी - नारसीसिज्म का शब्दकोष.कॉम में अर्थ है "आत्मकामिका"। यह उपयुक्त आशय नहीं है मेरा। मैं तो इसे प्रचण्ड ईगोइज्म/ईगोसेण्ट्रिज्म (आत्ममुग्धता या अहंकारिता) के अर्थ में ले रहा हूं।
ReplyDeletehttp://hindiblogdirectory.blogspot.com/
ReplyDeletesir
can you please see this blog and give your link here
thank you
तो आपको हमारा बेनामी पंगा पंसद तो आया..:)
ReplyDeleteजे बात् तो सई है जी, एका तो रैनी ही है ना इनके बीच, ऊ का है ना कि एक पत्तरकार को इधर से उधर जम्प मारना पड़ता रहता ही है नौकरी की खातिर, तब यही एका ही जगह बनाने में मदद करती है !!
ReplyDelete"मुझे आप गरियायें तो एक भी अफसर नहीं आयेगा तरफदारी को। शिवकुमार मिश्र भी शायद न आयें!"
ReplyDeleteअरे भैया,
जिसे गरियाना रहेगा, वो तो गरियाएगा. लेकिन जहाँ तक तरफदारी की बात है तो हम तो जरूर आयेंगे....आपकी तरफदारी भी करेंगे...उसके लिए निश्चिंत रहें....
लेकिन बेनामी जी की टिपण्णी मैंने भी देखी, सवाल किया बेचारे ने....लेकिन जिन्हें जवाब देना है उनका जवाब न देने का बहाना बड़ा रोचक लगा मुझे...बोले; "बेनामी डरपोक होते हैं, इसलिए उन्हें जवाब नहीं दिया जा सकता.."
जो भी हो, पंगा जारी है......
बेनाम टिप्पणी सारी ज्ञानदत्तजी करते हैं, ऐसा उन्होने बताया है, इस शर्त के साथ अगर यह बात सबको बतायी गयी, तो इसका खंडन कर देंगे। दरअसल बेनामी टिप्पणियां इत्ती समझदारी भरी, ज्ञान भरी होती हैं कि उनके अलावा और कोई नहीं कर सकता। उनसे कनफर्म ना करें, वे खंडन कर देंगे। बस आज की उनकी पोस्ट देख लें, जो उनके प्रेरणा स्त्रोत को समर्पित है।
ReplyDeletenarcissism: inordinate fascination with oneself; excessive self-love; vanity. प्रचण्ड ईगोइज्म/ईगोसेण्ट्रिज्म (आत्ममुग्धता या अहंकारिता) -यही ही सही है इस शब्द का असल रसास्वादन करने के लिये.
ReplyDeleteबाकि तो बेहतरीन कहा आपने-टिप्पणीकार जो भी हों कर तो सॉलिड काम रहे है. हम तो बड़ा मन लगा कर उनके दर पर जाते हैं. :)
आलोक भाई की बात विमर्श का विषय है. :)
achchha hai.
ReplyDeleteआलोक् पुराणिक् की बातें सही मालूम् होती हैं। आप् यह भ्रम् क्यों पाले हैं कि आपका साथ देने कोई न् आयेगा। आप् पंगा ले के तो देखें। :)
ReplyDeleteज्ञान जी, आपका शक ग़लत है वरना मैं खंडन न करता। यह बात और है कि यदि थोड़ा ध्यान दिया जाय और investigate करें तो आपकी इस पसन्दीदा शख्सियत का पता तो एक झटके में लग जायेगा।
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