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Wednesday, December 26, 2007

आयोजक? मैं तो चीफ गेस्ट हूं!


@mishrashiv I'm reading: आयोजक? मैं तो चीफ गेस्ट हूं!Tweet this (ट्वीट करें)!


इलाहाबाद से आई-नेक्स्ट (i-next) अपना प्रकाशन शुरू करने जा रहा है। कल यह मार्केट में आयेगा। एक रुपये का नयी पीढ़ी का अखबार जिसमें २४ में से ९ पन्ने इलाहाबाद से सम्पादित होंगे।

इसके तैयारी के लिये मेरे बहनोई श्री राजीव ओझा कई दिनों से लखनऊ से यहां डेरा डाले हैं। पिछले एक सप्ताह से भी अधिक हो गया उनकी टीम को इलाहाबाद में अपनी तैयारी करते। कल वे हमारे घर में दोपहर में आये थे। उन्होंने एक रोचक वाकया बताया।I Next

उनके रिपोर्टर अल्लापुर में हुये एक फ्लावर शो को कवर करने गये थे। पर वापस आ कर उन्होने कोई रिपोर्ट नहीं की। जब उन नये और उत्साही रिपोर्टर से जवाब-तलब किया गया तो उसने कहा कि बड़ा ’खतम’ कार्यक्रम था। वह समय से पंहुच गये थे कैमरे के साथ। पर वहां कोई नहीं था। तम्बू में एक मेज पर एक सज्जन सो रहे थे। उन्हे उठा कर रिपोर्टर ने पूंछा कि क्या वे फ्लवर शो के आयोजक हैं? शो पोस्टपोन तो नहीं हो गया है? सज्जन ऊंघते हुये बोले - "आयोजक? मैं तो चीफ गेस्ट हूं। शो के बाद यहां कवि सम्मेलन भी होने जा रहा है। उसमें मुझे कविता पाठ भी करना है।"

शो बहुत देर बाद शुरू हुआ।

हमने इस फ्लावर शो की खबर अखबार में पढ़ी। पांचवे पन्ने पर फूलों और देखने वालों के कलर फोटो और शो में आने वाले दर्जनों नामों के साथ। उस खबर से कहीं नहीं लगता था कि इतना ’खतम’ शो होगा!

पिछली पोस्ट: बापी दास का क्रिसमस विवरण


8 comments:

  1. चीफ गेस्ट बनना एक बीमारी है. लग जाए तो छूटती नहीं. चीफ गेस्ट बनने वाला ये नहीं देखता की उसे कहाँ के लिए चुना गया है बस वो चीफ गेस्ट है यही सोच के चल देता है. ये अखबार जो एक रुपईये में मिल रहा है क्या सिर्फ़ इलाहबाद वालों के लिए ही है? मुम्बई में क्या सारे धनाड्य लोग रहते हैं? पूछियेगा ना अपने बहनोई साहेब से.अगर वो हाँ कहते हैं तो हम से मिल्वाईये ना उनको.

    नीरज

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  2. इलाहाबाद को मिलने वाले सस्ते अखबार के लिए आपको बधाई। बढ़िया संस्मरण था।

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  3. वाकई॰! बहुत से आयोजनों में ऐसा ही होते हमने भी देखा है, पहुंचते थे समय से कवरेज के लिए, पाते थे कि इक्का दुक्का सज्जन ऊंघ रहे हैं कुर्सियां जम रही हैं, चीफ़ गेस्ट भी आकर बैठ गए हैं!! भेजा खराब हो जाता है ऐसे में।

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  4. रोचक वाकया !!

    आज जहाँ मीठा पान तक नही मिलता एक रूपये मे , वहां २४ पन्ने का अखबार वो भी एक रूपये मे।

    एक रुपये के अखबार के लिए बधाई।

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  5. सस्ते अखबारों का तो हम भी खुब मजा लुट रहे हैं, बाकि किसी ने अभी तक चीफ गेस्ट नहीं बनाया :) बनते तो समय की पाबन्दी आ जाती :)

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  6. मुझे तो लगता हॆ,वह सज्जन अपनी कविता सुनाने के लालच में तो चीफ गॆस्ट नहीं बने?

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  7. शिवकुमार जी
    औ बढ़िया बात ई है कि 1 रुपय्ये वाले अखबार के पत्रकारों को सुन रहे हैं पैसा 3 रुपय्ये वाले अखबारों से ज्यादा मिल रहा है। खैर, अच्छा है इलाहाबाद में एक और अखबार शुरू होने के लिए। आगे की खबर ये है कि जागरण के iNext के मुकाबले अमर उजाला का compact भी जल्दी ही आने वाला है।

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  8. बहुत बड़िया ये 1रुपये वाला 26 पन्नों का अखबार बम्बई में भी आने लगे तो क्या बात है, जरा अपने बहनोई जी से सिफ़ारिश कर दिजिए

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय