Show me an example

Tuesday, April 22, 2008

मुझे सीधा बताकर मेरी बदनामी न करें, प्लीज


@mishrashiv I'm reading: मुझे सीधा बताकर मेरी बदनामी न करें, प्लीजTweet this (ट्वीट करें)!

कल शाहरुख़ खान जी को टीवी पर देखा. वही शाहरुख़ जो सवाल पूछते हैं और जिन्होंने खिलाड़ी खरीद लिए है. वैसे बहुत से लोगों ने खिलाडी खरीदे हैं लेकिन शाहरुख़ जी की बात अलग है. अलग इसलिए कि उन्होंने खिलाडी नहीं गुंडे खरीद रखे हैं. मैं कल तक सोच रहा था कि उनकी टीम में खिलाड़ी हैं लेकिन कल उन्होंने बताया कि; "नहीं ऐसी बात नहीं है. मेरी टीम में पूरे ग्यारह गुंडे हैं." मुझे लगा बड़े आदमी हैं. बड़ा आदमी हमेशा कुछ न कुछ खरीदने की ताक में रहता है. शाहरुख़ भी चिप्स, पेप्सी, घर, अवार्ड्स वगैरह खरीदने से बोर हो गए होंगे. लिहाजा इस बोरियत को दूर करने के लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता है कि गुंडों को खरीद लिया जाय.

समय बदल रहा है. इस बात का इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है कि कोई सार्वजनिक रूप से स्वीकार करे कि उसने गुंडे खरीद रखे हैं. ऐसा नहीं है कि पहले बड़े लोग गुंडों की खरीद-फरोख्त नहीं करते थे. करते थे, लेकिन ये काम चोरी-छुपे होता था. अब ऐसा नहीं है. अब ऐसी खरीद-फरोख्त को छुपाना मतलब समाज में अपनी इज्जत कम करना. ऐसी बात अगर स्वीकार कर ली जाय तो इज्जत बढ़ती है. खिलाडियों का परिचय अगर केवल खिलाड़ी के रूप में करते तो बाकी लोगों से अलग कैसे रहते?

मैंने ख़ुद कई लोगों को देखा है जो गुंडों से अपने सम्बन्ध बड़े गर्व के साथ बताते हैं. एक शादी में गया था. वहाँ घर के बुजुर्ग तीन-चार लोगों को बड़े गर्व के साथ बता रहे थे; "अरे आपको नहीं मालूम, फलाने जी से मेरे बड़े अच्छे सम्बन्ध हैं. अरे भाई आज उनकी तूती पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बोलती है. बच्चन की शादी में पर साल आए थे. आठ-आठ बाडीगार्ड साथ में थे. सब स्टेनगन लिए हुए. दरोगा से लेकर एसपी तक सलाम ठोकते हैं. कम से कम तीस तो कत्ल के मुकदमे चल रहे हैं." सुनकर लगा कि कहाँ चला जाऊं?

मुझे याद है. तीन साल पहले की बात है. मेरे एक मित्र की बहन की शादी के लिए मैं और मेरा मित्र लड़का देखने गए. साथ में एक और मित्र थे. हमलोग लड़के से मिले. पढ़ा-लिखा सुंदर लड़का था. सीए पास. बंगलौर में नौकरी करता था. स्वभाव का बहुत अच्छा. बातचीत में शालीनता. घर वाले भी अच्छे. हमें सबकुछ अच्छा लगा. मिलने के बाद जब हम लोग लौट रहे थे आपस में बात शुरू हुई. मेरे मित्र ने कहा; "लड़का तो अच्छा है."

मैंने कहा; "हाँ. मुझे पसंद है. इसके साथ बहन का रिश्ता बहुत अच्छा रहेगा." मेरी बात सुनकर हमारा तीसरा मित्र, जो अभी तक चुप था, उसने कहा; "लेकिन एक समस्या है."

मैंने पूछा क्या? तो बोला; "लड़का बहुत सीधा है." उसकी बात सुनकर मेरे मुंह से निकला; "तो क्या हमलोग यहाँ किसी टेढ़े लड़के को देखने की मंशा लेकर आए थे?"

मेरी बात सुनकर मित्र हंसने लगा. मुझे लगा हमलोग किस तरह की सोच को बढ़ावा दे रहे हैं? क्या सचमुच समाज में सीधे लोगों के लिए जगह नहीं बची है?

25 comments:

  1. main bhi bahut sidhaa hun..
    mujhse bach kar rahiye.. :P

    ReplyDelete
  2. मैं भी सीधा हूँ, एकदम जलेबी की तरह :)

    ReplyDelete
  3. हालात संगीन है मित्र!

    ReplyDelete
  4. जमाये रहियेजी।

    ReplyDelete
  5. चिंता जायज है!!

    ReplyDelete
  6. सीधा होना out of dated माना जाता है,मेरे collage में भी लड़के और लडकियां सीधे साधे स्टूडेंट्स को बेवकूफ के खिताब से नवाजते हैं...क्या करेंगे...यही है ज़माना

    ReplyDelete
  7. अरे ऐसा तो एक बार मैंने भी देखा है... एक बार हमारे जान-पहचान के एक लड़के के पिता ने कहा की भाई हमारा लड़का थोड़ा सीधा-साधा है, लोगो ने बाद में उन्हें बहुत डांटा कि ऐसा क्यों कहते हैं लोग समझेंगे कि लड़का पागल-वागल है :-) मुझे तो लगता था कि सधा-साधा होना प्रसंसा कि बात है, पर यहाँ तो माज़रा ही कुछ और है.

    ReplyDelete
  8. भाई लोग चाहे जो समझें...लेकिन सीधा होकर रहना ही ठीक है.
    वैसे तुम कौन से बहुत सीधे हो...:-)

    ReplyDelete
  9. सीधी सी बात है कि समस्या बड़ी टेढ़ी है

    ReplyDelete
  10. अजीब बात है शाहरुख से आपको परेशानी हो रही है.. ज़्यादा चांसेस हैं उसकी इन्‍हीं अदाओं पर बहुत सारी लड़कियों को वह स्‍टेडियम, और बाहर, क्‍यूट और कूल लगा हो.. ?

    ReplyDelete
  11. हमारे पास तो जी जिले के एस एस पी और डी एम ,तथा जिला जज का लिखा हुआ प्रमाण पत्र है जिस पर हमने अभी पिछले दिनो मुख्यमंत्री हरियाणा के हस्ताक्षर भी करा लिये है ,कि हम बिलकुल सीधे सरल आदमी है जिले और परदेश मे हमारे रहने से सरकार को कोई दिक्कत नही है,हमे हमरे सीधे पन के कारण कोई तंग ना करे इसलिये चार ए के ४७ वाले गार्ड भी दिये है, अब आप भी मान ले कि हम सीधे सरल व्यक्ती है वरना हमे आपको समझाने गार्डो के साथ कलकत्ता आना पडेगा
    :)

    ReplyDelete
  12. बात तो सही कही, पर बताया नही कि ऐसा क्युँ है।

    ReplyDelete
  13. सीधा बोले तो लल्लू। और इसी लल्लू पने से ग्रस्त रहे हैं हम तो।
    शाहरुख की बात करो या माफिया डॉन की। अब क्या खाक बदल पायेंगे हम!:)

    ReplyDelete
  14. ओह यहां तो हर कोई अपने को सीधा साबित करने मे लगा है। :)

    ReplyDelete
  15. Naam ho jaye ,esi kari koshish bahut,
    na hua to socha, kyun na badnam hua jaye..
    it's a true that u have published..

    ReplyDelete
  16. कल सेशन्स न्यायालय में एक लड़के की जमानत जज ने खारिज कर दी वह बाहर आने के बजाय जेल में ही रह गया. उस का पिता जज से निवेदन कर रहा था कि सर, लड़का बहुत सीधा है, न जाने कैसे चक्कर में आ गया। आज उस की सगाई थी वह तो पोस्टपोन कर दी है, पर लड़की वाले उस से मिलना चाहते हैं। इतनी कृपा हो जाए कि जेल वाले उसे लड़की वालों से मिल लेने दें।
    अब इस सीधेपन की जाँच कैसे हो?

    ReplyDelete
  17. @ दिनेशराय द्विवेदी

    अगर लड़की के घर वाले इस नौजवान से जेल में मिलने के राजी हैं तो सीधेपन की जांच करने की जरूरत ही क्या है....:-)

    ReplyDelete
  18. समाज में सीधे लोगों के लिए बिल्कुल जगह नहीं बची है

    ReplyDelete
  19. सीधा होना बबाल है!

    ReplyDelete
  20. बंधू
    हम तो एक शेर ही लिखे थे की
    भोला कहने से अच्छा है
    देदो मुझको गाली प्यारे
    और आप ने इस पर एक पूरी पोस्ट ही ठेल दी..पायरेसी का केस न कर दें आप पर या कापी राईट का? किसी समझदार वकील को तलाशते हैं.
    शाहरुख़ ग़लत बोल गए अगर उनकी टीम में सिर्फ़ गुंडे ही होते तो हमें और आप को तो पहले लेना चाहिए था अपनी टीम में. नहीं?
    नीरज

    ReplyDelete
  21. अब तो खैर सीधे -टेड़े का वक़्त चला गया .....आप किस्मत वाले है आपको इस युग मे कोई सीधा देखना नसीब हुआ ...ज़माने गुजर गए हमे....अब ये लुप्त प्रजाति है ......

    ReplyDelete
  22. बड़ी सीधी पोस्ट है भई - वैसे बेस्ट पोलिसी है सीधे के साथ सीधे, टेढ़े के साथ घोर चंट . इसी लिए तो कलियुग है - [:-)]..

    ReplyDelete
  23. बड़ी सीधी पोस्ट है भई - वैसे बेस्ट पोलिसी है सीधे के साथ सीधे, टेढ़े के साथ घोर चंट . इसी लिए तो कलियुग है - [:-)]..

    ReplyDelete
  24. maana ki seedhe ka jamana nahi,par jaise sursa ke munh si badhti aabadi aur uske aage bouni padti khadya vastuon ki kami anaaj ki keemat badhaye ja rahi hai,usi tarah yah umeed rakh sakte ho bhai ki kya pata seedhe logon ki keemat bhi kisi din pahchani jaye.Waise sach poocho to aaj ka sase safal tedha aadmi bhi apne sahyogi/razdaar ke roop me ek seedha,sachcha aadmi hi chahta hai.

    ReplyDelete
  25. शिव जी मुझे लगता है 'सीधा'किसी भी मूर्ख का वो सम्बोधन है जो सिर्फ उसके घरवालों की तरफ से काम में लिया जाता है!!!!

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय