नया साल आने को है. नया साल आने के लिए ही होता है. जाने का काम तो पुराने के जिम्मे है. काश कि ये बात पितामह और चाचा बिदुर जैसे लोग समझ पाते. सालों से जमे हुए हैं. हटने का नाम ही नहीं लेते. कम से कम आते-जाते सालों से ही कुछ सीख लेते. सीख लेते तो दरबार में बैठकर हर काम में टांग नहीं अड़ाते.
रोज नीतिवचन ठेलते रहते हैं. ये करना उचित रहेगा. वो करना अनुचित रहेगा. कदाचित ऐसा करना नीति के विरुद्ध रहेगा. कान पक गए हैं इनलोगों की बातें सुनकर. और इन्हें भी समझने की ज़रूरत है कि अब इनके दिन बायोग्राफी लिखने के हैं. दरबार में बैठकर हर काम में टांग अड़ाने के नहीं.
मैं तो कहता हूँ कि ये लोग पब्लिशर्स खोजें और अपनी-अपनी बायोग्राफी लिखकर मौज लें. पब्लिशर्स नहीं मिलते तो मुझसे कहें. मैं एक पब्लिशिंग हाउस खोल दूँगा. बस ये लोग राज-काज के कामों में दखल देना बंद कर दें. बायोग्राफी लिखने के दिन हैं इनके. ये उन कार्यों में अपना समय दें न. ये अलग बात है कि उनकी बायोग्राफी की वजह से तमाम लोगों की बखिया उधड़ जायेगी.
खैर, ये आने-जाने वाले सालों से कुछ नहीं सीखते तो हम कर भी क्या सकते हैं?
हमें तो नए साल का बेसब्री से इंतजार रहता है. आख़िर नया साल न आए और पुराना न जाए तो पता ही न चले कि पांडवों को अभी कितने वर्ष वनवास में रहना है? पड़े होंगे कहीं भाग्य को रोते. और फिर रोयेंगे क्यों नहीं? किसने कहा था जुआ खेलने के लिए?
जुआ खेला इसलिए वनवास की हवा खानी पडी. जुआ की जगह क्रिकेट खेलते तो ये नौबत नहीं आती. बढ़िया खेलते तो इंडोर्समेंट कंट्रेक्ट्स ऊपर से मिलते. लेकिन फिर सोचता हूँ कि वे तो क्रिकेट खेल लेते लेकिन हम कैसे खेलते? हम तो खेल ही नहीं पाते. आख़िर क्रिकेट इज अ जेंटिलमैन्स गेम.
दुशासन नए साल की तैयारियों में व्यस्त है. व्यस्त तो क्या है, व्यस्तता दिखा रहा है. कभी इधर तो कभी उधर. मदिरा का इंतजाम हुआ कि नहीं? नर्तकियों की लिस्ट फाईनल हुई कि नहीं? काकटेल पार्टी में कौन सी मदिरा का इस्तेमाल होगा? चमकीले कागज़ कहाँ-कहाँ लगने हैं? अतिथियों की लिस्ट रोज माडीफाई हो रही है. नर्तकियों का रोज आडीशन हो रहा है. इसकी तत्परता और मैनेजेरियल स्किल्स देखकर लगता है जैसे गुरु द्रोण ने इसे पार्टी आयोजन पर पी एचडी की डिग्री अपने हाथों से दी थी.
वैसे दुशासन को देखकर आश्वस्त भी हो जाता हूँ कि ये भविष्य में होटल इंडस्ट्री में हाथ आजमा सकता है.
कल उज़बेकिस्तान से पधारी दो नर्तकियों को लेकर आया. कह रहा था ये दोनों वहां की सबसे कुशल नर्तकियां हैं. पोल डांस में माहिर. उनकी फीस के बारे में पूछा तो पता चला कि बहुत पैसा मांगती हैं. कह रही थीं सारा पेमेंट टैक्स फ्री होना चाहिए. उनकी डिमांड सुनकर महाराज भरत की याद आ गई. एक समय था जब उज़बेकिस्तान भी महाराज भरत के राज्य का हिस्सा था. आज रहता तो इन नर्तकियों की हिम्मत नहीं होती इस तरह की डिमांड करने की. लेकिन अब कर भी क्या सकते हैं?
वैसे इन नर्तकियों की नृत्य प्रतिभा देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई. अब तो मैंने दृढ़ निश्चय किया है कि जब मैं राजा बनूँगा और अपने राज्य का विस्तार एक बार फ़िर से उज़बेकिस्तान तक करूंगा. केवल इसलिए कि वहां की नर्तकियां बहुत कुशल होती हैं.
शाम को कर्ण आकर गया. मैंने नए साल की तैयारियों के बारे में जानकारी देने की कोशिश की तो उसने कोई उत्सुकता ही नहीं दिखाई. पता नहीं कैसा बोर आदमी है. न तो मदिरापान में रूचि है और न ही नाच-गाने में. इसे देखकर तो नया साल भी बोर हो जाता होगा. मैंने रुकने के लिए कहा तो ये कहकर टाल गया कि सुबह-सुबह पिताश्री के दर्शन करने जाना है. रात को पार्टी में देर तक रहेगा तो सुबह आँख नहीं खुलेगी.
खैर, और कर भी क्या सकते है. कभी-कभी तो लगता है कि कितना अच्छा होता अगर कर्ण इन्द्र का पुत्र होता. इन्द्र के गुण इसके अन्दर रहते और इसके साथ नया साल मनाने का मज़ा ही आ जाता.
जयद्रथ भी बहुत खुश है. शाम से ही केश- सज्जा में लगा हुआ है. दर्पण के सामने से हट ही नहीं रहा है. कभी मुकुट को बाईं तरफ़ से देखता है तो कभी दाईं तरफ़ से. शाम से अब तक मोतियों की सत्रह मालाएं बदल चुका है. चार तो आफ्टरसेव ट्राई कर चुका है. उसे देखकर लग रहा है जैसे उसने आज ऐसा नहीं किया तो नया साल आने से मना कर देगा.
दुशासन ने अवन्ती से मशहूर डीजे केतु को बुलाया है. आने के बाद ये डीजे फिल्मी गानों की सीडी परख रहा है. कौन से गाने के बाद कौन सा गाना चलेगा. दुशासन और जयद्रथ ने अपनी-अपनी फरमाईश इसे थमा दी है. आख़िर एक सप्ताह से ये दोनों डांस की प्रक्टिस करते हलकान हुए जा रहे हैं.
कवियों ने भी नए साल के स्वागत में कवितायें लिखनी शुरू कर दी है. इन कवियों को भी लगता है कि ये कविता नहीं लिखेंगे तो नया साल आएगा ही नहीं. ऐसे क्लिष्ट शब्दों का इस्तेमाल करते हैं कि उनके अर्थ खोजने के लिए शब्दकोष की आवश्यकता पड़ती है. नए साल को नव वर्ष कहते हैं. एक कवि ने नए साल के दिनों को नव-कोपल तक बता डाला.
पता नहीं कब तक इन शब्दों और उपमाओं को ढोते रहेंगे? वो भी तब जब परसों ही हस्तिनापुर के सबसे वयोवृद्ध साहित्यकार ने घोषणा कर दी कि इस तरह की उपमाएं और साहित्य अब अजायबघर में रखने की चीजें हो गईं हैं. लेकिन इन कवियों और साहित्यकारों की आंखों पर तो काला चश्मा पड़ा हुआ है.
खैर, हमें क्या? कौन सा हमें कविताओं पर डांस करना है? हमारे लिए अवन्ती का डीजे फिल्मी गाने चुनने में सुबह से ही लगा हुआ है.
हम भी चलते हैं अब. जरा केश-सज्जा वगैरह कर ली जाय.
पुनश्च:
अच्छा हुआ आज शाम को सात बजे ही डायरी लिख ली. सोने से पहले लिखने की सोचता तो शायद आज का पेज लिख ही नहीं पाता. आख़िर आज तो सोने का दिन ही नहीं है. आज तो सारी रात जागना है.
Wednesday, December 31, 2008
दुर्योधन की डायरी - पेज २०८०
@mishrashiv I'm reading: दुर्योधन की डायरी - पेज २०८०Tweet this (ट्वीट करें)!
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दुर्योधन की डायरी
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बधाई हो जी आपका पूरा साल उजबक( उजबेकिस्तान वाली) नृतकियो के सानिध्य मे गुजरे जी :)
ReplyDeleteआने वाले साल की बधाई.
ReplyDeleteशानदार रहा यह पन्ना. मजा आया.
सुंदर !!
ReplyDeleteआपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
"नव वर्ष २००९ - आप सभी ब्लॉग परिवार और समस्त देश वासियों के परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
ReplyDeleteregards
लाक्षागृह से बच निकलने पर भीम का हिडिम्बा के साथ प्रणय नृत्य मैने देखा है - क्या सुपरलौकिक नृत्य था वह! हिन्दुकुश के पार की ये नर्तकियां क्या स्पर्धा करेंगी हिडिम्बा से! ब्राजील के पातालद्वीप का साम्बा नृत्य भी पाने भरता है हिडिम्बनृत्य के समक्ष!
ReplyDeleteमैं तो प्रत्यक्षदर्शी रहा हूं। महाभारत में लिख भर न पाया!
--- कृष्ण द्वैपायन व्यास।
आपको नववर्ष की शुभकामनाऐं!!
ReplyDeleteअगर जुए की बजाय क्रिकेट भी खेलते तो कौरव ही जीतते - अम्पायर तो शकुनी मामा ही होते ना!!
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनाएं॥
आप का दुर्योधन जीवित रहे नए साल में।
ReplyDeleteनया वर्ष मुबारक हो!
कभी-कभी तो लगता है कि कितना अच्छा होता अगर कर्ण इन्द्र का पुत्र होता. इन्द्र के गुण इसके अन्दर रहते और इसके साथ नया साल मनाने का मज़ा ही आ जाता.
ReplyDeleteवाह हमेशा की तरह लाजवाब डायरी दुर्योधन दादा की ! दादा दुर्योधन को भी नये साल की घणी बधाई !
आपको नये साल की घणी रामराम !
आपको नये वर्ष की शुभकामनायें.
ReplyDeleteश्रीमान जी मुझे तो ऐसा लग रहा है कि अगली बार आप दुशासन और दुर्योधन के रीयलिटी शो वाला पेज आम जन के सम्मुख प्रस्तुत करने जा रहे हैं? नही>?
ReplyDeleteहिन्दी ब्लोग जगत से जुडे सभी को ढेरोँ शुभकामना
ReplyDeleteआगामी वर्ष सुख शाँति दे
२००९ अब आया ही समझिये :)
और दुर्योधन की डायरी से नित नवीन पन्ने पढने को मिलते रहेँ यही आशा है शिव भाई :)
हे प्रभु यह तेरापथ के परिवार कि ओर से नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये।
ReplyDeleteकल जहॉ थे वहॉ से कुछ आगे बढे,
अतीत को ही नही भविष्य को भी पढे,
गढा है हमारे धर्म गुरुओ ने सुनहरा इतिहास ,
आओ हम उससे आगे का इतिहास गढे
happy new year, sirji
BLOG NAME:=:
HEY PRABHU YEH TERA PATH
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बढ़िया। अब वो काले चश्मे वाले बतायें कि इसे अजायबघर में रखें या कहां रखें? लेकिन ऊ बतायेंगे नहीं काहे से कि वे ब्लाग पढ़ते नहीं!
ReplyDeleteनमस्कार जी,
ReplyDeleteअजी क्या बात बताई है. आप हस्तिनापुर वाले राजमहल का लाइव प्रसारण कर रहे हो या डायरी लिख रहे हो. वैसे चिंता मत करो. पांडव तो वनवास में गए हुए है. मेरा नया साल भी "पिछले साल" हस्तिनापुर में ही मना था.
ये दुर्योधन साला कौन से टाइम में जी रहा है... डायरीया लिखते लिखते इसको डायरीया हो जाएगा.. इस से कहे की क्यो काग़ज़ बर्बाद करता है.. एक ब्लॉग बना डाल.. फिर बस वही पर ये सब लिखते रहना.. टिपनिया मिलेगी सो अलग.. कब तक वाया शिव कुमार मिश्रा टिप्पणी लेता रहेगा..
ReplyDeleteनया साल है.. नयी ब्लॉग बना ले प्यारे.. वरना मिश्रा जी तो तेरे नाम से टिप्पणिया बटोर रहे है..
हा हा हा हा हा .........बहुत बढ़िया......जबरदस्त ! एकदम सटीक ! परफेक्ट !
ReplyDeleteइतनी डांस पार्टी ओर ऐसे शानदार डी जे के बारे में लिख लिख कर आप खूब थक गए होगे.....उम्मीद है अब आराम भी मिल गया होगा....आज यहाँ बारिश है ...ठण्ड भी बढ़ गई है.....ओर कल से हम फ़िर छुट्टी पर जा रहे है...इसलिए सोचा आप की डायरी के पन्ने घुमा ले...क्या पता कोई काम का सबक मिल जाए.....कभी कर्ण पर भी लिखेयेगा .पर अच्छा सा....वे मेरे प्रिय पात्र है ......
ReplyDeleteacha post likhte hai aap click hare
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