रिकार्ड्स बहुत लुभाते हैं. और अगर बात गिनीज बुक के रिकार्ड्स की हो तो फिर क्या कहना. गिनीज बुक में नाम दर्ज करवाने के लिए न जाने क्या-क्या चिरकुटई चलती रहती है. कोई नाखून बढ़ा लेता है तो मूंछ. अभी हाल में सुना कि एक एक्टर अपना नाम गिनीज बुक में डलवाना चाहते थे. गिनीज बुक वालों ने मना कर दिया.
अब कल खबर आई कि मदुराई में डॉक्टर साहब लोग सबसे कम समय में सबसे ज्यादा ऑपरेशन करने का रिकार्ड बनाने पर तुल गए. पता नहीं नाम गिनीज बुक में गया या नहीं लेकिन उनके इस कर्म से बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया. अब बताईये, तीन घंटे में चौदह ऑपरेशन? वो भी कैंसर का. क्या बात है? वाह! रोगी रहे या चल बसे, हॉस्पिटल को अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज करवाने से मतलब है.
इतना भी क्या है? और फिर गिनीज बुक में नाम दर्ज ही करवाना चाहते हैं तो और भी तो रस्ते हैं. मैं कहता हूँ कि गिनीज बुक वालों से लड़ जाओ. सीधा-सीधा बोल दो कि; "मेरे हॉस्पिटल का नाम गिनीज बुक में दर्ज करवाइए."
अगर वे लोग पूछे किस कैटेगरी में तो बोल डालो कि; "हमारा हॉस्पिटल विश्व का सबसे गन्दा हॉस्पिटल है. आपको इस कैटेगरी में हमारे हॉस्पिटल का नाम डालना ही पड़ेगा."
अपने देश में सरकारी हॉस्पिटल या प्राइवेट हॉस्पिटल में क्या केवल ऑपरेशन ही होता है? और भी तो कर्म होते हैं. सरकार से मिली दवाइयाँ ब्लैक में बिक जाती हैं. उसी कैटेगरी में अपना नाम गिनीज बुक में डलवा लो. अस्पतालों में देख-भाल के अभाव में मरीज लोग धरती छोड़कर निकल लेते हैं. उस कैटेगरी में नाम डलवा लो. यह कहते हुए कि; "पिछले एक साल में हमारे हॉस्पिटल में कुल तीन हज़ार रोगी मर गए. हमने पता लगाया है. यह अभी तक का विश्व रिकार्ड है.आपको हमारी इस उपलब्धि के लिए हमारे हॉस्पिटल का नाम गिनीज बुक में डालना ही पड़ेगा."
भ्रष्टाचार के मुद्दे को पकड़ कर गिनीज वालों से भिड जाओ. कह दो कि; "हमारा हॉस्पिटल विश्व का सबसे भ्रष्ट हॉस्पिटल है. हमारे हॉस्पिटल का नाम गिनीज बुक में डालना ही पड़ेगा."
क्या-क्या रस्ते नहीं हैं. इसी बात पर गिनीज बुक से लड़ जाओ कि; "हमारे हॉस्पिटल में केवल चार सौ बेड हैं लेकिन हम हमेशा कम से कम सोलह सौ मरीज भर्ती कर के रखते हैं. आप इस कैटेगरी में हमारे हॉस्पिटल का नाम गिनीज बुक में डालिए."
गिनीज बुक वाले अगर नहीं सुनें तो उनके ऊपर मुकदमा कर डालो. मुकदमा अपने भारतीय कोर्ट में दायर करो. कोर्ट वाले भी गिनीज बुक के नाम से प्रभावित होंगे तो हो सकता है वे भी खड़े हो जाएँ. गिनीज बुक वालों से कहें कि; "जानते हैं, हमारे कोर्ट में एक मुकदमा एक सौ सत्रह सालों से चल रहा है. आपको इसके लिए हमारे कोर्ट का नाम गिनीज बुक में डालना ही पड़ेगा."
कभी सुना था कि नेता जी लोगों का नाम भी गिनीज बुक में दर्ज हो जाता है. सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीतने के लिए. क्या पता वही नेता अगली बार अपना रिकार्ड तोड़ सके या नहीं. लेकिन गिनीज बुक में नाम रखना है तो और कटेगरी में अप्लाई कर सकता है. कह सकता है; "मेरे ऊपर भ्रष्टाचार के कुल चार सौ तेरह मुकदमें चल रहे हैं. आप मेरा नाम गिनीज बुक में डालिए. मैं केवल यह चाहता हूँ कि मेरा नाम गिनीज बुक में रहे. अब जीवन का केवल एक ही लक्ष्य है कि मैं अपने नाम से गिनीज बुक को सुशोभित करूं.
वैसे ढेर सारे और लोग हैं जो ट्राई कर सकते हैं. कल को कोई कवि गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करवा सकता है. यह कहते हुए कि; "मैंने आज कुल तीन सौ सात कवितायें लिखी हैं. मेरा नाम भी गिनीज बुक में आना चाहिए."
किसी राज्य की सरकार गिनीज बुक में अपने राज्य का नाम डलवाने के लिए कमर कस सकती है. गिनीज बुक वालों से कह सकती है कि; "हमारे राज्य की सड़कें सबसे खराब हैं. आपको इस कैटेगरी में हमारे राज्य का नाम गिनीज बुक में डालना पड़ेगा."
न जाने कितनी और कैटेगरी खोजनी पड़ेंगी गिनीज बुक वालों को. हो सकता है वे भारत का ही नाम गिनीज बुक में यह कहते हुए डाल दें कि "भारत वालों की वजह से गिनीज बुक में कुल अस्सी हज़ार नई कैटेगरी डालनी पड़ी. नई कैटेगरी डलवाने का रिकार्ड भारत के नाम किया जाता है."
Saturday, August 29, 2009
'ऑपरेशन-गिनीज बुक'
@mishrashiv I'm reading: 'ऑपरेशन-गिनीज बुक'Tweet this (ट्वीट करें)!
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अस्पताल में तो अधिकतम मरीजों के मौत का रिकार्ड सबसे असानी से बन जाता .. डाक्टरों को इतने आपरेशन करने की क्या जरूरत थी !!
ReplyDeleteगरम क्यों हो रहे हैं ?
ReplyDeleteठण्ड रखिए,
धुलाई का विश्व रिकॉर्ड तो आपके नाम होने ही वाला है,
ऐसे ही जिसको चाहा पकड़के धो दिया करिये :)
अस्पताल में प्रति बैड चार व्यक्ति!! कमाल का रेकोर्ड है, जो भारत वाला ही तोड सकेगा. इसी पर दावा करना चाहिए. ऑपरेशन-वॉपरेशन तो ठीक है...
ReplyDeleteRogiyon ka bhi record banaa hoga, sidhaarne ka.
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )
ताऊ होस्पीटल में इस रिकार्ड को बनाने की कोशीश करते हैं जो कभी किसी से टूटॆगा ही नही?:)
ReplyDeleteरामराम.
इसे ही कहते है.. रिकोर्ड तोड़ लेखन.
ReplyDeleteगिनीज बुक जो न करा दे कम है।
ReplyDeleteबावले हो गये गिनीज बुक वाले भी... कहीं भी मुहँ मारने लगते है..
ReplyDelete300 वीं पोस्ट!
ReplyDeleteयह कौन रिकार्ड बुक में दर्ज होगी!
अस्सी हज़ार केटेगरी ? ये कहाँ से गिन ली आपने? इसके लिये भी एक रिकार्ड हो सकता है ।
ReplyDeleteवाह!... सुन्दर. मन प्रसन्न हो गया पढ़ कर ..तीन सौवीं पोस्ट पर बधाई स्वीकारिये.
ReplyDeleteआदरणीय गुरु जी,
ReplyDeleteतिहरे शतक के लिए चेले की ओर से भी विनम्र बधाई स्वीकारें,
कृपया सूचित हों :आपका नाम भी गिनीज बुक में दर्ज करवा दिया गया है,
क्योंकि आप ही एकमात्र ऐसे ब्लॉगर मिले जिसके ब्लॉग की संख्या 0.537037037037037037....... है :)
जब हम आपकी पोस्ट पढ़े तो बहुत गज़ब का कमेन्ट लिखने वाले थे..अचानक एक दुर्जन आ कर बैठ गए और वातावरण इतना दूषित कर गए की लिखने का मूड ही ख़राब हो गया...इसके बावजूद हम टिपिया रहे हैं क्यूँ की हम आपकी पोस्ट को पसंद करते हैं...वातावरण जरा शुद्ध हो जाये तो दुबारा टिपियाने आयेंगे...ये क्या आपकी तीनसौ वीं पोस्ट है...सबको पता चल गयाहम ही पीछे रह गए ऐसा कैसे हुआ...ये सूचना आप कहाँ दिए हैं...हमें तो नज़र नहीं आयी...
ReplyDeleteनीरज
"पिछले एक साल में हमारे हॉस्पिटल में कुल तीन हज़ार रोगी मर गए. "
ReplyDeleteएक गांव में यह प्रथा थी कि डॊ. जितने मरीज़ मारता उतने बल्ब उसके दरवाज़े पर चमकते। एक मरीज़ ने देखा कि कई डॊक्टरों के दरवाज़े पर कई बल्ब जल रहे हैं पर एक के दरवाज़े पर एक ही बल्ब जल रहा था। उसने सोचा कि यह तो अच्छा डॊ. है और उसके पास पहुंचा। कौतुहलवश उसने पूछा आपने अब तक एक ही मरीज़ मारा है तो डॊ. ने कहा - मैंने तो अभी ही यह डिस्पेंसरी खोली है!!:)
आजादी के ६२ वर्षों के बाद भी हम सुधरे नहीं हैं और फिर भी अपना देश महान है, गिनीज़ बुक में तो रिकार्ड इस बात का दर्ज होना चाहिये ।
ReplyDeleteसोचता हूँ टिप्पणी करने में रिकार्ड के लिए अपना नाम आगे सरका दूँ..कोई पहचान हो तो बतायें.
ReplyDeleteकलकत्ता का नाम तो हड़ताल के लिए होगा ही. वैसे फल-फूलों का नाम भी डालते हैं गिनीज बुक वाले तो. बढावा तो वही दे रहे हैं, उनपर तो केस कर ही देना चाहिए. नहीं तो उनके नाम पर एक दिन की हड़ताल तो बनती ही है.
ReplyDelete३०० वीं पोस्ट के लिये बधाई! ज्ञानजी द्वारा इस तरह की बात सरे आम बताना क्या निजता का उलंघन न माना जायेगा?
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉग के माध्यम से सर्वाधिक गुदगुदी फैलाने का रिकार्ड आपके नाम दर्ज कर लिया गया है। कृपया गिनीज बुक का अगला संस्करण सुरक्षित करा लें।
ReplyDelete300 सौवीं पोस्ट के लिये बधाई शिवजी । जल्दी ही 500 सौंवी पोस्ट की भी बधाई देने का सौभाग्य हमें प्राप्त होगा ।
ReplyDeleteअगर कोई रिकार्ड एक नं0 के थल्ड क्लास व्यंग्य लेखन पर भी मिलता हो कृपया मेरे ब्लाग का नाम कोई गिनिज बुक वालों को सुझा दे । न गिनिज बुक तो लिम्का बुक आफॅ रिकार्ड, थम्सअप, फ्रूटी और स्लाइस वाले भी चलेंगे ।
ReplyDelete300 पोस्ट ?
और लोग आपको पढ़ते रहे ?
क्या आपको गैस की शिकायत है ?
सोनी टीवी वाले ने बिना अग्रिम भुगतान आपकी तरफ़ कैमरा मोड़ने से मना कर दिया ?
धत्त तेरे की जय हो, शायद मैं किसी दूसरे ब्लाग पर आ गया !
तीन शतक...वाह....
ReplyDeleteबबुआ ढेरों आर्शीवाद ........ऐसे ही गुदगुदाकर लोगों को जागते रहो...सार्थक लेखन के लिए अनंत शुभकामनायें...
घबराइए मत! गिनीज़ बुक में अगला नाम शायद आप ही का होगा.
ReplyDelete३०० वीं पोस्ट के लिये बहुत बहुत बधाई...सोच रहा हूँ मैं भी आप के सुझाव पर अमल करूं और अपना नाम....
ReplyDeleteVAAH KYA RICORD HAI .... PICHLA RICORD AGLA RECORD HI TODEGA ...
ReplyDeleteगिनीज बूक का विश्लेषण पसंद आया। धन्य हैं गिनीज बूक वाले भी!! इसी बहाने देसी हालचाल की कलई भी खुल गई। ३०० वीं पोस्ट के लिये बधाई।
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