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Tuesday, January 1, 2008

बेनजीर की हत्या हो गई - आपके पास भी कोई वीडियो है क्या?


@mishrashiv I'm reading: बेनजीर की हत्या हो गई - आपके पास भी कोई वीडियो है क्या?Tweet this (ट्वीट करें)!



बेनजीर भुट्टो की हत्या हो गई. हत्या हो गई? नहीं-नहीं हत्या नहीं, मौत हुई है. पहले दो दिन तक तो यही बताया गया कि उनकी हत्या हो गई. बाद में पता चला कि असल में मौत हुई. भुट्टो की पार्टी वालों का मानना है कि हत्या हुई है. सरकार का मानना है कि मौत हुई है. आम जनता को केवल यही पता है कि बेनजीर नहीं रहीं. सरकार ने वीडियो देखकर बताया कि कार के लीवर से उनकी मौत हुई. पार्टी वालों ने बेनजीर को देखकर बताया कि गोली लगने से हत्या हुई. कुछ चश्मदीदों का मानना है कि बम ब्लास्ट करके उन्हें मारा गया.सरकार हमारे यहाँ भी है. सरकार पाकिस्तान में भी है. हमारी सरकार बम ब्लास्ट के महीनों बाद भी पता नहीं लगा पाती कि बम ब्लास्ट किसने किया. पाकिस्तान की सरकार ने एक दिन में पता लगा लिया कि बेनजीर की मौत तो कार के लीवर से टकराने की वजह से हुई. साथ में ये भी पता लगाया कि बम ब्लास्ट किसने करवाया. सरकार की तरफ़ से बयान आने के बाद हर घंटे एक नया वीडियो जारी किया जा रहा है. जिस रफ़्तार से वीडियो निकल रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि वारदात की जगह उपस्थित हर व्यक्ति के पास एक एक वीडियो है. हर वीडियो में हत्यारों की संख्या अलग-अलग बताई जा रही है. किसी में दो तो किसी में तीन. किसी वीडियो में गोली दाहिने तरफ़ से चली है तो किसी में बाएँ तरफ़ से. हर वीडियो में किसी एक आदमी के चेहरे को एक सर्किल में डालकर बताया जा रहा है कि यही हत्यारा है. हालत ये है कि वहाँ उपस्थित लोगों में से दो तिहाई को हत्यारा बताया जा चुका है.

इतने सारे वीडियो के बारे में सुनकर लगता है जैसे रावलपिंडी में एक दोस्त दूसरे दोस्त से मिलता होगा तो तुरंत पूछता होगा; "तुम्हारे वीडियो में कितने हत्यारे थे?"

दूसरा बोलेगा; "मेरे में तो तीन थे. तुम्हारे में कितने हैं?"

पहला बोलेगा; "मेरे वीडियो में चार हैं."

हो सकता है पहला वाला बोले कि तेरे पास तो केवल एक वीडियो है. मेरे पास दो हैं. माँ अगर किचेन में है तो बेटे को टीवी के सामने बैठा दिया है. हर आधे घंटे पर उससे पूछ लेती है; "कोई नया वीडियो आया क्या?" तमाम तरह के वीडियो. तमाम तरह के दावे. अब तो केवल ये सुनना बाकी है कि बेनजीर की मौत असल में मलेरिया की वजह से हुई.

पाकिस्तान में जम्हूरियत लाने का ठेका अमेरिका ने लिया था. बाद में उसने ये ठेका बेनजीर भुट्टो को आउटसोर्स कर दिया. ये अमेरिका वालों को भी आउटसोर्सिंग के अलावा और किसी बात की समझ नहीं है. अजीब करतूत है अमेरिका की भी. जो काम ख़ुद नहीं कर सकता तो उसे लेता ही क्यों है? और फिर अमेरिका साल में तीन-चार बार पाकिस्तान को पैसा वगैरह देता है. दो-चार नेता भी दे देता जो पाकिस्तान में जम्हूरियत ले आते. या फिर जिसे पैसा दे रहा है उसी को कहता कि मैं तुम्हें पैसा दे रहा हूँ तुम मुझे जम्हूरियत दो. लेकिन नहीं, पैसा किसी और को दे और जम्हूरियत लाने का काम किसी और को.

हो सकता है आनेवाले दिनों में और भी वीडियो सामने आयें. और भी लोगों को हत्यारा करार दिया जाय. ये भी हो सकता है कि चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने के लिए नेता भी मिल जाए. देखना केवल ये है कि जिस बात के लिए सारी कवायद हो रही है, यानि जम्हूरियत, वो आती है कि नहीं.
चलते-चलते
अपने इरफान भाई पिछली दो-तीन पोस्ट से बहुत दुखी हैं. उनका कहना है कि बेनजीर का जाना और मोदी का जीतना दोनों ऐसी घटनाएं हैं जिनकी वजह से वे दुखी हैं. अपने दुःख को वे गाने सुनकर दूर कर रहे हैं.

इरफान भाई, मेरा मानना है कि दोनों घटनाएं एक सी नहीं हैं. जहाँ मोदी के केस में डेमोक्रेसी जीती है वहीं बेनजीर के केस में हारी है.

10 comments:

  1. वीडियो तो नहीं है - वहां जा नहीं पाये थे। पर मेरे पास उन मच्छरों का वीडियो है जिन्होने बेनजीर को काटा था और जिनसे उन्हें मलेरिया हो गया था।
    उसका कोई उपयोग है?!

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  2. अभी तक तो रोड-रेज वाली थ्योरी ज्यादा ठीक रही है । बन्दा खुंदक में था, साईड नहीं मिली घर पर बीवी की काँय काँय कान में गूँज रही थी, आ गया गुस्सा चल गयी गोली । दूसरे वाले ने कहा कि हम क्यों पीछे रहें उसने भी बत्ती उडा दी । (याद नहीं रोड-रेज वाली थ्योरी किस ब्लाग पर पढी थी )

    एक और एंगल है, अगर पाकिस्तान में आठ के ठाठ वाली व्हिस्की मिलती होती तो इस हादसे को टाला जा सकता था । आठ के ठाठ का वीडियो देखें (हर टेंशन से मुक्ति)

    http://youtube.com/watch?v=DRE2wa687Ck

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  3. अब तो केवल ये सुनना बाकी है कि बेनजीर की मौत असल में मलेरिया की वजह से हुई.
    --इस लाइन दा जवाब नहीं है जी।
    वैसे मुशर्ऱफ ने इस डैथ में इंडिया का हाथ बताया है। बताया गया है कि कार में घुसते ही बेनजीरजी ने सास बहू सीरियल टीवी पर देखना शुरु कर दिया था कि मारे बोरियत के सर उछल गया और कार के टाप पर टकरा गया। या साजिद खान के चुटकुले और राखी सावंत के चेहरे को देखकर बोरियत अटैक में चल बसीं।

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  4. अब वहाँ की सरकार ने पता लगा ही लिया है तो क्या कहें. नहीं तो सुझाव देते कि हमारे देश के किसी भी राज्य की पुलिस वालों को ले जा सकते हैं.

    वैसे पुराणिक जी का कथन भी विचारणीय है. सास-बहुत के सीरीयल और रखी सावंत को देखकर भी ऐसा होने का चांस है.

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  5. अब तो केवल ये सुनना बाकी है कि बेनजीर की मौत असल में मलेरिया की वजह से हुई.

    क्या बात है!

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  6. वाह शिव जी वाह! मैं सोच रही थी कि बुश चचा के पास आपका नाम रेकोमंड करूँ कि यदि वे बेनजीर के हत्या के असली कारन और कारक तक पहुँचना चाहते हैं तो आपकी निहशुल्क सेवा ले सकते हैं. जैसे आप यहाँ बैठे वहाँ की उस तह तक पहुँच गए जहाँ अपने देश के किसी का पहुँचना इतना दुष्कर है, बड़ा दम है भाई ,आपके जासूसी मे.वैसे आपकी ख़बर एकदम पक्की है,बेनजीर जी का मलेरिया के वजह से ही इंतकाल हुआ है. मुस्सराफ जी इस बात को बताना इसलिए नही चाह रहे हैं कि बुश चाचा बाकी और जो भी चाहे बर्दास्त कर सकते हैं पर मच्छरों से उन्हें शख्त नफरत है और हो सकता है मच्छरों को पनाह देने के इस इतने भीषण अपराध पर मुस्सरफ जी का वही हाल करें जो उन्होंने इराक का किया.

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  7. पाकिस्तानी सरकार की प्रशंसा करनी ही होगी.

    ईशा के नए साल की ढ़ेरों शुभकामनाएँ.

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  8. बंधू
    आप नहीं जानते आप ने इतिहास रच दिया है. खोजी पत्रिकारता की जब भी बात की जायेगी आप के इस ब्लॉग का उल्लेख स्वर्ण अक्षरों में किया जाएगा. क्या बेधि दृष्टि पायी है आपने. पूरा केस ही इंसान से हट कर मच्छर पर जा टिका है...वाह वाह वाह ... नमन करते हैं हम आप की विलक्षण प्रतिभा को.
    नीरज

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  9. गज़ब!!

    नया साल आपको पहले से और भी बेहतर कुछ दे जाए! नए वर्ष की शुभकामनाएं

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  10. वे मच्छर भारत से ही सीमा पार गए थे । ये हिन्दुस्तानी हैं कि अपना हाथ मानने को तैयार नहीं ।
    नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
    घुघूती बासूती

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टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद। --- शिवकुमार मिश्र-ज्ञानदत्त पाण्डेय