जैसा कि मैंने अपनी एक पोस्ट में लिखा था, मनोरंजन के लिए मुझे सबसे ज्यादा भरोसा हिन्दी टीवी न्यूज़ चैनल पर है. थियेटर में जाकर सिनेमा देखना इस मंहगाई के जमाने में बड़ा कठिन काम है. शाम को घर पहुंचकर खाना खाते समय न्यूज़ चैनल देख लेता हूँ. मन में सोच लेता हूँ की सिनेमा हाल में बैठा पॉपकॉर्न खा रहा हूँ. टीवी न्यूज़ चैनल पर मनोरंजन भी सिनेमा से बेहतर ही मिलता है.
कल रात अवार्ड्स की हैट्रिक करने वाले सर्वश्रेष्ठ न्यूज़ चैनल, आजतक पर मनोरंजन कर रहा था. विशेष दिखाया जा रहा था. कार्यक्रम की भूमिका बाँधने वाला बड़े जोर-जोर से (करीब ३०० डेसिबल कैपसिटी में) आवाज लगा रहा था; "जी हाँ. उसने दे डाली है धमकी. कर देगा वो यूरोप और अमेरिका को तबाह. कौन है वो? जी हाँ, वो है ओसामा बिन लादेन का अट्ठारवां पुत्र, हमजा बिन लादेन. देखिये मासूम सा दिखने वाला सोलह साल का ये लड़का कितना खतरनाक है. जी हाँ, उसने लिख डाली है आतंकवाद पर एक खतरनाक कविता."
सुनकर लग रहा था जैसे हमजा बिन लादेन ने अपने विज्ञापन के लिए इस अनाऊंसर पर सबसे ज्यादा भरोसा किया होगा. शायद लोगों को आतंकित करने के लिए इससे बढ़िया रास्ता नहीं दिखा हो उसे. पूरा समाचार देखने के बाद पता चला कि ये विशेष कार्यक्रम हमजा बिन लादेन को लेकर हैं. ये ओसामा बिन लादेन जी के साहबजादे हैं. सोलह साल के हैं. तस्वीर में बहुत सुंदर दिख रहे थे. देख कर मन में बात आई कि ये बंबई में रहते तो अब तक किसी स्कूली प्रेम कहानी वाली फिलिम में हीरो बन चुके होते. लेकिन इस बात का भी डाऊट था कि ये हीरो बनने जैसा टुच्चा काम उन्हें भाता?
खैर, अनाऊंसर बहुत प्रभावित दिखा ओसामा के इन साहबजादे से. अनाऊंसर के अनुसार; "ये बिन लादेन कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केवल सोलह साल की उम्र में ही इसने लिख दी है एक खतरनाक कविता. जी हाँ, ये वही शख्स है जिससे बेनजीर भुट्टो ने अपनी जान को खतरा बताया था." सुनकर मुझे लगा; अच्छा हुआ कि ये कविता वाली बात अब जाकर पता चली नहीं तो पाकिस्तान सरकार बेनजीर के मरने को लेकर एक थ्योरी ये भी दे सकती थी कि; "ओसामा बिन लादेन के साहबजादे ने बेनजीर को कविता सुनाई जिससे बेनजीर की मौत हो गई."
आप उस खतरनाक कविता को पढ़ना चाहेंगे? ठीक है, मैं कविता यहाँ छाप रहा हूँ. लेकिन ऐसी खतरनाक कविता पढ़ने के बाद आपको कुछ हो जाए तो आप मुझे दोष न दें. इस 'कुछ होने' के जिम्मेदार हमजा साहब को ही मानें. ये रही वो खतरनाक कविता;
या खुदा मुस्लिम देश के नौजवानों को रास्ता दिखाओ
या खुदा जो जेहाद के रास्ते पर जाना चाहते हैं, उनकी मदद करो
या खुदा तालिबानियों को विजयी बनाओ
या खुदा उन्हें पकड़ने वालों को अँधा बना दो
कविता सुनकर मुझे लगा कि अब आतंकवादी भी आतंक फैलाने के लिए कविता का सहारा ले रहे हैं! लेकिन ऐसा क्या हो गया कि ओसामा के साहबजादे को कविताई की शरण लेनी पड़ी? क्या ये भी इस बात को मान चुके हैं कि एके ५६ और बम वगैरह फोड़कर जितना आतंक नहीं फैलाया जा सकता, उससे ज्यादा आतंक कविता लिखकर फैलाया जा सकता है? खैर, बहुत सोचने के बाद मुझे लगा कि शायद ऐसा कुछ हुआ हो;
एक दिन जब ओसामा जी अपनी खटिया पर लेटे बन्दूक, बम और गोलियों का हिसाब कर रहे थे तो ये साहबजादे दरवाजे पर पधारे. दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोले; "अब्बा हुज़ूर हम अन्दर आ सकते हैं?"
उसे देखकर ओसामा जी खुश होते हुए बोले; "आओ आओ, बरखुरदार. आओ मेरे नज़र के नूर, मेरे लख्त-ए-जिगर. मेरे..."
"बस-बस. बस कीजिये अब्बा हुज़ूर. और नीचे मत जाइये"; हमजा ने कहा.
"क्यों बेटा? क्या हुआ? मैं तो तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ"; ओसामा जी ने बड़े प्यार से अपने साहबजादे को देखते हुए कहा.
उनकी बात सुनकर पुत्र ने मुंह बिचकाते हुए कहा; "प्यार-व्यार तो ठीक है. लेकिन मुझे डर था कि कहीं नज़र के नूर और लख्त-ए-जिगर कहने के बाद आप मुझे अपनी किडनी के टुकड़े न कह बैठें. इसीलिए मैंने आपको रोक दिया. आपकी किडनी ख़राब है न."
ओसामा जी को याद आया कि उनकी किडनी ख़राब है. खैर, पुत्र को देखते हुए बोले; "और कहो बेटा, कैसे आना हुआ?"
"अब्बा हुज़ूर, वैसे तो मुझे विश्वास है कि आपने मुझे सबकुछ सिखा ही दिया है लेकिन और कोई गुर है जो आप बताना भूल गए हैं? अगर ऐसा है तो आप बताएं"; हमजा जी ने अब्बा हुज़ूर से कहा.
ओसामा जी ने चेहरे पर सोच के भाव लाते हुए कहा; "क्या बाकी है...क्या बाकी है? हाँ, एक बात मैं बताना भूल गया तुमको. और वो बात है कविता लिखना. बेटा बहुत सी बातों को कविता के द्बारा सही ठहराया जा सकता है. ये बात मुझे भी पता नहीं थी लेकिन ,जब से हिंद में एक पुलिस अफसर ने अपनी कविता में मेरी बात कही मुझे कविता की ताकत का पता चला. तुम भी कविता लिखना सीख लो."
पुत्र ने आश्चर्य भाव से अब्बा हुज़ूर को देखा. बोले; "ये आप क्या कह रहे हैं? अरे बम फोड़ने के लिए कहते, दो-चार हज़ार लोगों को मारने के लिए कहते. ये सब काम मेरे बस का है. लेकिन कविता?"
"देखो, एक बार ट्राई मारो. अगर कविता लिखना सीख जाओगे तो एक ऐडेड एडवांटेज हो जायेगा"; ओसामा जी ने समझाते हए बताया.
बात आई-गई हो गई. एक दिन जब साहबजादे ने नमाज़ पढ़कर खुदा को अपना आप्लिकेशन थमाते हुए कहा; या खुदा मुस्लिम देश के नौजवानों को रास्ता दिखाओ..या खुदा जो जेहाद के रास्ते पर जाना चाहते हैं, उनकी मदद करो या खुदा तालिबानियों को विजयी बनाओ...या खुदा उन्हें पकड़ने वालों को अँधा बना दो"
उनके आस-पास बैठे चमचे बोल पड़े; " क्या कविता है. क्या भाव है."
साहबजादे के कान तक बात पहुँची तो उन्होंने पूछ लिया; "अरे किस बात का भाव बढ़ गया भाई? एके ५६ मंहगी हो गई या उसकी गोलियां?"
उनकी बात सुनकर चमचों को हंसी आ गई. ये सोचते हुए कि मृग को ही नहीं मालूम रहता कि उसके अन्दर ही कस्तूरी बसती है, उन्होंने कहा; "नहीं-नहीं जनाब, हम तो कह रहे थे कि क्या कविता पढी है आपने. वाह!"
"कविता? मैंने कब कविता पढ़ी?"; आश्चर्य से साहबजादे ने पूछा.
"अरे, यही जनाब, ये जो आपने अभी कहा. या खुदा वाली...ये कविता ही तो है"; चमचों ने समझाया.
"क्या बात कर रहे हो! ये कविता है? अरे इसमें न छंद हैं, न अलंकार है"; साहबजादे ने अपनी शंका दर्ज करवाई.
"यही तो असली कविता है जनाब. जो सीधे मन से निकले. वो छंद-वंद का ज़माना गया अब"; चमचों ने जानकारी देते हुए बताया.
"अरे, अगर ऐसा है तो कल से नमाज के बाद मैं खुदा को जो अर्जी लगाता हूँ, उसे नोट कर लिया करो. इस तरह से अगर चालीस दिन भी नोट कर लिए तो फिर काबुल के किसी प्रकाशक के यहाँ से काव्य-संग्रह छपवा सकते हैं"; ओसामा जूनियर खुश होते हुए बोले.
"और; आपकी इस पहली कविता का क्या करें, जनाब?"; चमचों ने पूछा.
कुछ सोचने के बाद ओसामा जूनियर बोले; "एक काम करो. ये कविता अल-ज़जीरा चैनल को भेज दो. उन्हें बता देना कि ये खतरनाक कविता है." वही कविता अल-ज़जीरा पर प्रसारित होने के बाद दुनिया भर के टीवी न्यूज़ चैनल पर धूम मचा रही है.
दूसरे दिन से चमचों ने नमाज के बाद हमजा साहेब की खुदा को दी जाने वाली अर्जी को नोट करना शुरू कर दिया. जब वे नोट करते हैं तो हमजा बिन लादेन साहेब बैठे हुए सोचते रहते हैं; "कोई कवि बन जाए, सहज संभाव्य है"
Thursday, July 10, 2008
बिन लादेन की कविताई
@mishrashiv I'm reading: बिन लादेन की कविताईTweet this (ट्वीट करें)!
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वैसे भी जबसे इंडिया टी वी की रंकिंग टी आर पी में ऊपर आई है (खुदा जाने कैसे )सबसे तेज चैनल ने साईं का विज्ञापन सा शुरू कर दिया है....तो जैसे हिन्दी के टुच्चे सनसनी खेज अख़बार जो कई शहरों में निकलते थे ओर बलात्कार ओर नंगी अभिनेत्रियों के फोटो लगते थे .सारे चैनल ऐसे ही हो गये है ... जी न्यूज़ ने दिखया की डॉ तलवार क़त्ल की रात होटल में थे.....mrs तलवार सीबीआई के पास पहुँच गई.....बेचारी सीबीआई को सफाई देनी पड़ी ?जी न्यूज़ ने आज तक अपनी ख़बर पर माफ़ी नही मांगी...इससे पहले भी ऐसा हुआ की एक भांजी ने अपने मामा पर बलात्कार का आरोप लगाया सारा दिन चैनल उसे बताता रहा ..दो दिन बाद मामा ने आत्महत्या कर ली फ़िर मालूम चला मामा तो वैसे भी नपुंसक था ओर भांजी अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी इसलिए मामा पर इल्ज़ाम लगा रही थी......चैनल ने चुप्पी साध ली ?कौन जिम्मेदार ?आप पर कोई कारवाही नही ?क्या वे समाज से ऊपर है ?
ReplyDeleteतो मिश्रा जी डर के रहिये कही लादेन का फोन आप पर न जाये
परसाई की एक लाइन है... "कवि की बात समझ में आ जाय तो कवि कहे का!" सियारों का वर्णन करते हुए लिखी गई थी, हुआँ-हुआँ को कोरस.
ReplyDelete"कोई कवि बन जाए, सहज संभाव्य है" ये लाइन पढ़ कर याद आ गई.
बंधू
ReplyDeleteपोस्ट तो हम पढ़ लिए लेकिन एक बात आप ठीक नहीं लिखे हैं "ये हीरो बनने जैसा टुच्चा काम उन्हें भाता? "ये बताईये की इस पोस्ट में हीरो को घसीटने के क्या जरुरत थी? और उसे घसीटना ही था तो उसके काम को टुच्चा कहने की क्या जरूरत थी?आप भी बहुत सारी गोपनीय बातों को सार्वजनिक कर देते हैं ये बहुत बड़ी खराबी है आपमें. आप को क्या है की वाम पंथीओं की तरह पंगा लेने की बहुत आदत है...खुराफाती बुद्धि है आपकी. बैठे ठाले चाहे जिस से पंगा ले लेते हैं, आख़िर ये बताएं की आप ये सब किसकी शे पर करते हैं? बालकिशन की????
अब बात पोस्ट की: बंधू क्या है की ओसामा बहुत पढ़े लिखे समझदार इंसान हैं(उनका अपना कोई ब्लॉग नहीं होना इसका प्रमाण है) उन्होंने पढ़ लिया है की "जहाँ ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि" इसके अंतर्गत वे अपने पुत्र को उन दूर दराज कोनो में पहुँचाना चाहते हैं जहाँ अभी तक अँधेरा है. आप उनकी दूरदर्शिता को समझे नहीं और लिख डाली पोस्ट.
अनुराग भाई ने आप को चेता दिया है...समझिये वहां से फोन अब आया की आया फ़िर ना कहना भईया अपने डॉन से कह कर हमें बचाओ... बचा भी लेते आपको लेकिन आप ये सब हमारी शे पर कहाँ करते हैं...???
नीरज
एक बात तो आप से कहना ही भूल गए...आप ऊखली में हमेशा सर दे देते हैं और फ़िर चाहते हैं की मूसल भी न पड़ें...एक आधी बार तो ऐसा हो सकता है लेकिन हमेशा....???कभी नहीं.
ReplyDeleteनीरज
एक बात तो आप से कहना ही भूल गए...आप ऊखली में हमेशा सर दे देते हैं और फ़िर चाहते हैं की मूसल भी न पड़ें...एक आधी बार तो ऐसा हो सकता है लेकिन हमेशा....???कभी नहीं.
नीरज
आप की टी.आर. पी बढ़ाने के चक्कर में हमें हमेशा दो दो बार कमेन्ट करने पढ़ रहे हैं...इस कुर्बानी की क्या कीमत अदा करेंगे आप?
अरे आप तो सोच में पढ़ गए...आप सोचते हुए अच्छे नहीं लगते...बहुत सिंपल है अगर हम दो बार टिप्पणी करें तो आप हमारी पोस्ट पर तीन बार करो..बस...ज्योत से ज्योत जलाते चलो टिप्पणी की गंगा बहाते चलो....
ReplyDeleteनीरज
हमजा बिन लादेन का पूरा प्रोफाइल चाहिये। एक फोटो भी। उनका नाम अगले साल के नोबल शांति पुरस्कार के लिये भेजना है। और अगर शांति पुरस्कार न मिला तो साहित्य का तो मिल ही जायेगा।
ReplyDelete(ओसामा बिन लादेन के कितने छोरा-छोरी हैं, बाइ-द-वे?)
जरा बतइयो भइया,निशाना कवि पर है,आतंकवादियों पर है,टी वी खबरों पर या किसी और पर.ज्यादा पंगे मत लियो,वरना अपने बचाव को भी ऐ के चौआलिस ही रखना पड़ेगा.
ReplyDeleteवैसे बहुते बढ़िया लिखे हो........लिखते रहो ऐसेही.
ये ऐ के ० से लेकर इनफिनिटि तक की राइफलें क्या हमें डराने को कम थीं कि अब ओसामा जी ने अपने पुत्र की कविताएँ भी वाया हमारी खबरिया चैनल्स वाया हमारे ब्लॉगियों के यूरोप, अमेरिका और अमेरिका के नए नए दोस्त हमें धमकाने को भेजनी शुरू कर दीं ?
ReplyDeleteघुघूती बासूती
Gyanji
ReplyDeleteKoi bata raha tha ki Osama ke 24 bachche hain 10 wife se. Humare Laloo ji ke 6 hain 1 wife se. To Laloo ji average behtar kahlaya.
Shiv Bhai
Abhi ek phone aaya tha Satelite phone se, Afganistan me kavi sammelan aur mushaira hai, usme bulwaya hai. Aapka number bhi mang rahe the, Shayad nimantran dene ke liye hi mang rahe honge..isliye maine de diya. Aata hi hoga nimantran.
Shubhkamnayen. :)
अब बताओ जिसे देखो वो कवि बन जा रहे हैं। लादेन लल्ला के बारे में जब लिखा जायेगा कहा जायेगा- इनको कविता के संस्कार कलकतिया शिवबाबू से मिले।
ReplyDeleteजय टीवी, जय व्यंगकार, जय ब्लागर,
ReplyDeleteबना दें किसी को भी कवि हलाहलकर।
इसे कहते हैं खोजी खबर… क्या दूर की कौड़ी लेकर आये हैं मिसिर जी। अच्छी छौंक लगाये हैं। मजा आ गया।
ReplyDeleteलगता है ओसामा जी हिन्दी ब्लॉग पढने लगे हैं.
ReplyDeleteलेकिन ओसामा लल्ला की कविता है प्रभावी.
लेकिन एक चिंता है. ओसामा जी से बचकर रहना.
:)
ReplyDelete"कोई कवि बन जाए, सहज संभाव्य है"
हा हा हा. अब हँसी आ रही है तो करें, कारण क्यों बताएं. :)
वाह वा! क्या बात है .
ReplyDeleteअब तो एक डॉ. सिन पादेन भी हैं जो गज़ल में हाथ आजमा रहे हैं.जब गोली चलाने का मन न हो तो कविता या गज़ल चला दो .क्या कहने भाई !
साहित्य की मारक क्षमता में होता इजाफ़ा देख-देखकर आखें गीली और तबियत ढीली हो रही है .
भैया जी,
ReplyDeleteडॉक्टर पादेन गजल में हाथ नहीं बल्कि पाँव आजमा रहे हैं. उन्हें भी गोली से प्यार है. लेकिन आजकल गजलों की मिसाईल और रॉकेट छोड़ रहे हैं.
पंडित जी,
ReplyDeleteअपनी कविता की मारात्मक शक्ति से यह लड़का अच्छी तरह परिचित है,
यह तो साबित हो चुका है । जैसे किसी देश द्वारा टेस्ट मिसाइल छोड़े जाने
पर बाकी देश चीत्कार कर उठते हैं, वही इसके साथ भी दिख रहा है ।
एक और मज़ेदार लंतरानी...., अपनी शैली का कायल बनाते जा रहे हैं, आप ।
कविता पर अपना हक ना जताये
ReplyDeleteखबरदार जो कभी हमारे आफ़िस मे आये
खुद ही क्या कविता पर डोरे डालने को कम थे ?
जो लादेन के बेटे को भी साथ ले आये.
कविता हमारी रोजी समीर भाई की सेकेटरी है
दुबारा अगर ये नाम आपकी पोस्ट मे दिये दिखाई
तो समझ लो तुम्हारे लिये हम ही लादेन है शिव भाई
इसमे नही चलेगी कोई अगर मगर
तुम बदलो या हम बदले अपनी डगर
कवि जगत में एक और तारा उदय हो गया...बताने के लिए धन्यवाद. इनकी और भी कवितायें उपलब्ध करवाइए!
ReplyDeleteअब तो आतंकवादियों से लोग इसलिए भी डरेंगे कि वो पकड़कर कहीं दो चार कविताएं न सुना दें।
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