........आगे का हाल
रविशंकर प्रसाद बोले; "मैं माननीय लालू जी से पूछना चाहता हूँ कि प्राचीन भारत के समय से ही गुझिया के मसाला में जो गरी काटकर डाली जाती थी वह रंगी नहीं जाती थी। यहीं देख लीजिये कि इन्होने जो मसाला यहाँ रखा है उसमें इस्तेमाल होने वाली गरी को इन्होने हरे रंग में रँग दिया है।"
रविशंकर प्रसाद की बात पर लालू जी बोले; "आ जो हरे रंग से रंगी गरी देख रहे हैं, ऊ रंगी नहीं है। उसको कहते हैं सेकुलर गरी ... आपका निगाह ही हरा हो गया है। आ अंधे को सब जगह गरी की हरियाली ही दिखाई देती है।"
लालू जी की बात पर जोर का ठहाका लगा।
अपनी पार्टी के एम पी को समर्थन देने आये प्रकाश करात बोले; "यह बात केसरिया गुझिया बनाने वालों को समझ कैसे आएगी लालू जी?"
रविशंकर प्रसाद कुछ कहते उससे पहले मोदी जी बोल पड़े; "मित्रों केसरिया रंग ही नहीं, केसरिया गुझिया भी भारतीय राष्ट्रखाद्य का प्रतीक है। और यही कारण है कि माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी के नेतृत्व में हमारी पार्टी ने मित्रों पांच वर्षों में उतनी गुझिया बनाई जितनी बाकी की पार्टियों ने पचास वर्षों में नहीं बनाई थी। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी यह मानता है .... और फिर प्रश्न यह है मित्रों ....."
वे बोल ही रहे थे कि तभी कांग्रेस पार्टी को रिप्रेजेंट करनेवाले राहुल गाँधी बोल पड़े; "प्रश्न वह नहीं जो आप कह रहे हैं मोदी जी। महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि भारत में गुझिया कौन लाया? और फिर आप अपनी पार्टी की गुझिया की बात कर रहे हैं। हमारी पार्टी ने पिछले नौ वर्षों से देश में जिस मात्रा में गुझिया बनाया है ...."
राहुल गाँधी के प्रश्न पर कि "देश में गुझिया कौन लाया?" पैवेलियन में बैठे किसी दर्शक ने कहा; "राजीव जी लाये। और कौन ला सकता है?"
उनको काटते हुए मोदी जी ने कहा; "राहुल जी कि मैं इज्ज़त करता हूँ लेकिन ये यह भूल रहे हैं कि जिन मसालों का इस्तेमाल करके इनकी पार्टी ने गुझिया बनाया, मित्रों वे सारे मसाले आदरणीय अटल जी के नेतृत्व में हमारी पार्टी ने भारी मात्रा में खरीदे थे। अगर हमारी पार्टी ने उन मसालों का भारी मात्रा में स्टॉक नहीं किया होता तो राहुल जी की पार्टी इतनी गुझिया का निर्माण नहीं कर सकती।"
उधर अपनी पार्टी की तरफ से मुलायम जी आये थे। गुझिया बनाने के लिए सारा सामान साइकिल पर ले आये थे ताकि जमीन से जुड़े प्रतियोगी लगें। मोदी जी की बात सुनकर बोले; "आपएं मासाला खईदा था तो गोईया भी बआं एते।"
उनकी बात पर रविशंकर प्रसाद बोले; "मैं माननीय मुलायम सिंह जी से कहना चाहूँगा कि लोकतान्त्रिक गुझिया ऐसे ही बनती है। मसाला कोई और खरीदे और गुझिया कोई और तले, ऐसा हो ही सकता है।"
तभी अचानक अरनब ने देखा कि डीएमके की तरफ से आये एलेंगोवन जी बड़ी अजीब आकार की गुझिया बना रहे थे जो कुछ-कुछ तिकोनी थी और श्रीलंका के आकार से मिलती-जुलती थी। अरनब ने पूछा; "आई हैव अ डायरेक्ट क्वेश्चन टू यू मिस्टर एलेगोवन। ह्वाई आर यू मेकिंग गुझियाज व्हिच रेजेम्बेल श्रीलंकाज शेप ऑन वर्ल्ड मैप?"
उनके इस डायरेक्ट सवाल के जवाब में एलेंगोवन जी बोले; "सी यारनाब, आवर ल्यीड्डर, डाक्टर कलयैङ्गार सार वास यगेंस्ट्स आवर पार्टिसिपेशन यिन दिस्स गुजिया क्याम्पीटीशन यैज यिट्ट यिज्ज टाटली यागेंस्ट्स आवर द्रविड़ काल्चार। बाट ऐट लास्ट ई याग्रीड़ टू यिट्ट यान द क्यान्डीश्यान दैट हूयेव्वर वुड रिप्रेसेन्ट द पार्टी वुड्ड कुक गुजिया याफ द शेप याफ़ श्रीलंका येन्ड यीट दोज गुजियास देन्न यैंड देय्यर। आवर ल्यीड्डर डाक्टर कलैङ्गार सार टोल्ड दैट डूइंग दिस्स वुड येसटेब्लिशड आवर येट पार श्रीलंका येण्ड यिट्स प्रेजिडेंट। यिन्न पैक्ट यिट्ट यिज्ज आवर वे ऑफ़ प्रोटेयेस्ट यगेंस्ट्स ह्वाट श्रीलंकन गावंमेंट ड्यिड्ड टू आवर तामिल ब्रेदार्न।"
एलेंगोवन जी को चीयर करने आये एम्डीएमके के वाईको ने ताली बनाई।
एलेंगोवन जी की तरफ मुखातिब होते हुए लालू जी बोले; "आ आपलोग सेकुलर रसोई में एतना बरस से हमलोग का साथ मिलकर गोझिया बनाए आ खाए, बाकी आज खाली ई बात पर छोड़कर चले गए कि कांग्रेस जो है सो आपको छोहाड़ा खाने नै दिया? आपलोग को नहीं बुझाया कि ई सेकुलर रसोई का अपमान है?"
लालू जी की बात पर नितीश कुमार बोले; "अभी भी रसोई का याद नहीं गया है? आ सही भी है, देश को गोझिया का पहिला किचेन कैबिनेट देने वाला सब याद नहीं रक्खेगा त कौन याद रक्खेगा?"
नितीश कुमार की किचेन कैबिनेट वाली बात पर राहुल जी को लगा कि शायद उनके घर के बारे में कुछ कहा गया। वे क्या करते, उनका दिमाग जहाँ तक दौड़ा वहां तक वे सोच लिए। अचानक कुर्ते की बांह चढाते हुए बोले; "नितीश जी, सार्वजनिक जगह पर व्यक्तिगत बातें नहीं करनी चाहिए। देखिये हमने पिछले कई वर्षों से इतना गोझिया बनाया। अगर आप चाहें तो हम कुछ गोझिया स्पेशल कूरियर से आपके प्रदेश पहुंचवा देंगे।"
नितीश कुमार बोले; "आ आपकी पार्टी लगातार गोझिया नहीं बनाएगी तो कौन बनाएगा? और फिर कितना बना लिए है? पहले जिस रफ़्तार से बना रहे थे, अब तो वह रफ़्तार भी नहीं रही। ऊपर से गोझिया का सामान और मसाला लाने के लिए आपके पास सीबीआई है। जब चाहें आप उनसे मसाला मंगवा लेते है। तेल ख़तम हो जाए तो सी बी आई ला देती है। मैदा ख़तम हो जाए तो भी .... ऐसे में आप गोझिया नहीं बनायेंगे तो कौन बनाएगा?"
मुलायम जी को लगा कि यहाँ उन्हें सी बी आई का पक्ष लेने की ज़रुरत है। बोले; "एखिये, ऐसी बात नई ऐ। हअबाअ सी बी आई जो ऐ मासाआ नई लाती। असोई चअती अहे, उसके लिए दूकानदाअ कई बाअ खुदै मसाआ पौंचा जाता ऐ। हमयें खुद अपई आँखों से जो ऐ सो देखा ऐ।"
पास खड़े रविशंकर प्रसाद बोले पड़े; "माननीय मुलायम सिंह जी फर्स्ट हैण्ड इनफार्मेशन दे रहे हैं। उनसे बेहतर कोई नहीं जानता कि कई दुकानदार खुद गुझिया का मसाला कांग्रेस पार्टी को दे जाते हैं। लेकिन अरनब, मैं ये भी कहना चाहता हूँ कि सी बी आई कुछ दुकानदारों को परेशान भी करती है। इसबात के लिए कि वे अगर मसाला नहीं पहुंचाएंगे तो फिर उनकी दूकान पर छापा भी ......"
राहुल जी बोले; "लेकिन सी बी आई के बारे में कहीं गई बात से मैं सहमत नहीं हूँ। दुकानदार स्वतंत्र हैं इसबात के लिए कि वे चाहें तो मसाला दें और न चाहें तो न दें। हम किसी न किसी तरीके से मसाला ले ही लेंगे।"
मोदी जे बोले; "मित्रों राहुल जी एकबात भूल रहे हैं और वह ये कि मुद्दा दुकानदारों की स्वतंत्रता का नहीं बल्कि सी बी आई की स्वतंत्रता है।"
मोदी जी की बात पर पास ही खड़े नारायणसामी बोले;"लेट मी रिमाइन्ड एवरीबॉडी प्रेजेंट हीयर दैट सी बी आई ईज्ज मोस्ट यिंडीपेंडेंट गाब्म्येंट बाड़ी।"
सबने एकसाथ ठहाका लगाया। राहुल जी को समझ नहीं आया कि सब लोगों ने एकसाथ ठहाका क्यों लगाया। वे कुछ पूछने ही वाले थे कि अचानक अरनब की निगाह उनकी बनाई गुझिया पर गई जिन्हें देखकर अरनब चौंक गए। सबने देखा कि राहुल जी ने गुझिया में सारे मसाले डाले तो हैं लेकिन उन्होंने एक भी गुझिया बंद नहीं की है।
सब हंसने लगे। सब मन ही मन राहुल जी का मजाक उड़ा रहे थे। अरनब ने पूछा; "राहुल, आपने इतनी सारी गुझिया बनाई लेकिन एक को भी बंद नहीं किया। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? ह्वाट कैन बी द रीजन बिहाइंड दिस स्ट्रेटेजी?"
राहुल कुछ एक्सप्लेन करते उनसे पहले केतकर जी बोल पड़े। जिस चपलता के साथ उन्होंने सफाई देनी शुरू की, देखकर लगा कि उन्हें वहां हाईकमान की तरफ से भेजा गया था। शायद यह कहकर कि कुछ गड़बड़ हो तो संभाल लीजियेगा।
वे बोले; "इन खुली हुई गुझिया के पीछे क्या कारण है वह मैं समझाता हूँ अरनब। मैं यहाँ केवल एक जज ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी के शुभचिंतक की हैसियत से भी आया हूँ। दरअसल राहुल जी ने जो बनाया है वह कांग्रेसी गुझिया है। इसे बंद नहीं किया जाता। बंद न करके पार्टी बताना चाहती है कि वह जब भी चाहे गुझिया में से कोई एक मसाला निकालकर दूसरा मसाला फिट कर सकती है। यहाँ मसालों को छूट है कि वे जब चाहें गुझिया छोड़कर जा सकते हैं। हाँ यह बात अलग है कि पार्टी गुझिया छोड़कर जाने वाले मसालों को ही फ्राई कर देती है। अभी हाल में आपने देखा होगा कि चेन्नई में किस तरह से स्टालिन के घर की रसोई में ......"
उनकी एनाल्यसिस से सभी प्रभावित थे। लालू जी बोले; "आ खाली टीभी पर समाचार पढने से नै न होता है अरनब। आ, जिस तरह से केतकर जी एनेलाइसिस किये हैं कंग्रेस का गोझिया का, उससे बुझा ही गया होगा कि केतना फरक है आपका औउर केतकर जी का कैपेभिलिटी में। अनुभव का बड़ी महत्व है।"
अरनब ने लालू जी के साथ हामी भरी।
रविशंकर प्रसाद बोले; "मित्रों, अनुभव का तो महत्व है ही। केतकर जी कांग्रेसी गुझिया का स्वाद आज से नहीं ले रहे हैं, वे तो इमरजेंसी के जमाने से कांग्रेसी गुझिया खा रहे हैं। ऐसे में अनुभव तो बोलेगा ही।"
किसी ने पास ही कड़ी ममता जी से पूछा; "दीदी, आपकी पार्टी ने किसी को गुझिया बनाने के लिए नहीं भेजा? क्या आपकी पार्टी चुनाव से पहले अपनी गुझिया नहीं खोलना चाहती?"
उसके इस सवाल पर लालू जी बोले; "आ इनका पार्टी अभी बांगाल में लपसी बना रही है। गोझिया बनाने के लिए ई लोग के पास समय कहाँ है?"
दीदी को यह बात अच्छी नहीं लगी। उन्होंने कहा; "आइसा बात नेही है लालू जी। हामारा पार्टी भी गोझिया बनाने सोकती है किन्तु बनाना नेही चाहती। एही बास्ते कि हामसोब मीलकर जो गोझिया बनाएगा, सोब वालमार्ट ख़रीद लेगा ऊ भी आधा दाम में। हामारा पार्टी को एही बात मोंजूर नही है। औउर जे बात है कि हामारा बेंगोल में गुझिया नही बनता है। उहाँ पे पीठे बनता है। कोभी पीठे बनाने का कोम्पीटीशोन होगा तोब हामलोग सोचेगा।"
पता नहीं कहाँ से पास खड़े वाड्रा जी को दीदी की बात "हामारा पार्टी गुझिया बनाना नेही चाहती" धंस गई। वे फट से बोले; "बनाना की जो बात ममता दीदी आज कह रही हैं वो मैंने तो पहले ही ...."
उनकी बात को लालू जी कटते हुए बोले; "आ चुप रहो, ई गोझिया का बात हो रहा है। ई तुम्हारा रीयल एस्टेट नै न है कि जहाँ चाहो ओहीं बोल ...."
खैर, सारी कलाएं दिखाने के बाद जुरी ने सबकी गुझिया चेक की। जुरी के अध्यक्ष कुमार केतकर जी बोले; "अरनब, मैंने सबकी गुझिया चेक की। मुलायम सिंह जी और लालू जी की गुझिया अच्छी लगी मुझे। नरेन्द्र मोदी की गुझिया कुछ ख़ास नहीं लगी। मुझे तो यह समझ नहीं आता कि अगर मोदी की गुझिया अच्छी है ही, तो गुजरात में में बच्चों में इतना कुपोषण क्यों है? वे गुझिया क्यों नहीं खा रहे? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब शायद तीश्ता जी दे पाएं। एलेंगोवन जी की गुझिया मैं चेक नहीं कर सका क्योंकि प्रोटेस्ट रजिस्टर करने के चक्कर में वे सारी गुझिया खा गए। हाँ, जो सबसे ज्यादा पसंद आई मुझे, वह राहुल जी की गुझिया है। क्या गुझिया बनाया है उन्होंने। स्वादिष्ट, मीठी और पूरी तरह से सेक्युलर गुझिया। मुझे यह लगता है कि राहुल जी बहुत बड़े अंतर से जीते हैं इस कम्पीटीशन में।"
दूसरे दिन अखबारों में छपा;"राहुल गांधी ने गुझिया कम्पीटीशन जीता। नौजवानों में आशा का नया संचार"
Tuesday, March 26, 2013
नेताओं का गुझिया कम्पीटीशन - पार्ट २
Saturday, March 23, 2013
टाइम्स नाऊ का मास्टर शेफ इंडिया - नेताओं का गुझिया कम्पीटीशन
"आ हम गोझिया कम्पीटीशन में तभिये आयेंगे जब ई बात किलियर हो जाएगा कि बीजेपी का तरफ से कोई आएगा या एनडीए का तरफ से"; लालू जी ने अपना दो टूक फैसला अरनब गोस्वामी को फ़ोन पर सुना डाला।
उनकी बात सुनकर अरनब गोस्वामी बोले; "लालू जी, आप अपने पार्टी को रिप्रेजेंट कीजिए न। आपको इससे क्या कि बीजेपी से कोई आएगा या एनडीए से? फिर तो मैं कहूँगा कि आर जे डी की बजाय केवल यूपीए से कोई आये।"
"ऐसा नै न होता है। आ यूपीए अलग है औ आरजेडी अलग। उप्पर से ई ..."
"लेकिन लालू जी, मेरा आपसे एक डायरेक्ट सवाल ये है ....."
अभी अरनब ने इतना ही कहा था कि लालू जी भड़क गए। बोले; "आ सुनो पाहिले। बात सुनो, ई तुम्हारा न्यूजआवर नै न है जो पब्लिक सब को बोलने नहीं देगा। ई अभी तुम टेलीफोन पर न बतिया रहा है। ता हमको पूरा बोलने देगा कि नहीं?"
अरनब गोस्वामी के चैनल ने होली पर नेताओं का एक गुझिया कम्पीटीशन आयोजित करने का फैसला किया और गोस्वामी जी ने नेताओं और विशेषज्ञों को फ़ोन पर इनवाईट करना शुरू कर दिया। कुछ को इनवाईट कर लेने के बाद वे लालू जी से बात कर रहे थे। उन्होंने लालू जी से कहा; "लेकिन लालू जी, आप तो यूपीए के साथ इतने सालों से हैं।"
"देखो, ई साला लोग का बात नै करो। आ ऊ लोग से हमरा कोई बास्ता नै है अब"; लालू जी फिर भड़क गए।
उनकी भड़क से अरनब गोस्वामी एकबार के लिए चुप हो गए। आगे बोले; "आप मुझे गलत समझ रहे हैं लालू जी। मैं आपके सालों की बात नहीं कर रहा था। मैं तो आपको रिमाइन्ड कर रहा था कि आप यूपीए के साथ इतने सालों से थे।"
वे बोले; "आछा ऊ बात कह रहे थे? देखो, हम यूपीए का साथ एही खातिर हैं कि हम सोनिया जी का बड़ा ईजत करते हैं। आ नै रहेंगे त केंद्र में फ्रिकापरस्त ताकत, सांप्रदायिक ताकत आ जाएगा।"
खैर काफी मान मनौव्वल के बाद लालू जी आने के लिए राजी हो गए। समारोह कब होगा, कैसे होगा, कौन आयेंगे यह सब फाइनल हो गया। टाइम्स नाऊ पर विज्ञापन आने लगे। उन विज्ञापनों को देखकर राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया; "महाराष्ट्रा इज रीलिंग अंडर ड्राऊट ऑफ़ द डबल सेंचुरी बट पीपुल आर ओर्गेनाइजिंग गुझिया कम्पीटीशन। कांट वी डू विदाऊट सच ...ऑर इज इट अस्किंग टू मच?"
उनकी इस ट्वीट पर अरनब गोस्वामी ने एक न्यूज-आर कर डाला और विनोद मेहता, कुमार केतकर, आर्यमा सुन्दरम, लार्ड मेघनाद देसाई, सुहेल सेठ, मारूफ रज़ा और पाकिस्तानी एक्सपर्ट ज़फर हिलाली के साथ मुद्दे को डिस्कश करके इस नतीजे पर पहुंचे कि भारत के लोकतंत्र में उनके मीडिया हाउस के योगदान को देखते हुए यह गुझिया कम्पीटीशन आयोजित करने का अधिकार उनके पास है।
कम्पीटीशन के दिन रामलीला मैदान में बड़ी भीड़ थी। दर्शक, पुलिस, जेड केटेगरी सिक्यूरिटी, नेता, नारे, बेचारे और चौबारे, सब एक जगह जमे थे। कम्पीटीशन शुरू होने वाला था। हर पार्टी की तरफ से एक नेता कम्पीटीशन में हिस्सा ले रहा था लेकिन उसे चीयर करने के लिए उसके पार्टी के और नेता वहां थे। उधर विशेषज्ञों का दल भी वहां था जिसे नेताओं की गुझिया देखकर उन्हें नंबर देना था। भारत के सबसे बड़े एक्सपर्ट सुहेल सेठ थे। उनके साथ आर्यमा सुन्दरम थे। चूंकि कम्पीटीशन दिन में था और विनोद शर्मा अपना ड्रिंक दिन में सिप नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने जूरी में रहने से इनकार कर दिया था।
कुल मिलाकर भारत दर्शन टाइप माहौल की सृष्टि हो गई थी।
हरतोष सिंह बाल थे। अरनब गोस्वामी के हाथ में माइक था। उन्होंने ऐन्करीय धर्म का पालन करते हुए श्रीगणेश किया; "लेडीज एंड जेंटिलमैन, इट्स होली टाइम एंड टूनाईट ऑन न्यूजआवर ........."
अभी उन्होंने इतना ही कहा था कि लालू जी बोल पड़े; "आरे ई तुम गोझिया कम्पीटीशन कर रहा है कि अपना रात वाला प्रोग्राम चला रहा हैं? हे अरनब, अरे इधर इधर ... आ इहाँ टीबी पर नै न हो। इहाँ त कम्पीटीशन न कराना है ..."
उनकी बात सुनकर अरनब जी लजा टाइप गए। बोले; "लालू जी क्या करें, आदत पड़ गई है।'
लालू जी बोले; "आ देखो, तुम लोग हम लोग के त बोलता है ..हमलोग के देखो, चुनाब परचार में एतना बोलता है चुनाब जीतने के बाद संसद में बोलते सुना है हमलोग को?"
अरनब गोस्वामी बोले; "सॉरी लालू जी।"
आगे बोले; "लेडीज एंड जेंटलमैन, जैसा कि आपसब जानते हैं हमारे चैनल ने इस गुझिया कम्पीटीशन को ऑर्गेनाइज किया है ताकि भारत में लोकतंत्र मजबूत हो सके और नेक्स्ट ईयर होने वाले एलेक्शन की फील मिल सके कि कौन सी पार्टी क्या करने वाली है ..."
अभी वे इतना बोले थे कि बीजेपी के रविशंकर प्रसाद बोले; "माई गुड फ्रेंड अरनब गोस्वामी, लेट मी टेक दिस ऑपरच्यूनिटी टू थैंक यू एंड योर चैनल फॉर ऑर्गेनाइजिंग दिस कम्पीटीशन ...और अरनब, यह कम्पीटीशन आयोजित करके टाइम्स नाऊ की टीम ने एकबार फिर से साबित कर दिया कि पिछले आठ-नौ वर्षों में देश में जो भी जो कुछ भी अच्छा हुआ है वह केवल टाइम्स नाऊ ने किया है।"
उनकी इस बात पर कहीं से आवाज़ आई; "पिछले नौ वर्षों का तो नहीं पता लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों में अर्नब ही भारत की एक मात्र अपोजीशन पार्टी रहे हैं।"
रविशंकर प्रसाद की बात पर लालू जी बोले; "आ आपलोग भी त अपोजिशने में थे, आपने काहे कुछ आछा नहीं कर दिया?"
रविशंकर प्रसाद बोले; "लालू जी की मैं बड़ी इज्ज़त करता हूँ लेकिन मैं कहना चाहूँगा कि हमारी पार्टी ने पिछले नौ वर्षों में कन्स्ट्रक्कटिव अपोजीशन की भूमिका का निर्वाह किया है और एक नहीं कई बार गुझिया बनाया है। और यही नहीं, जब भी यूपीए ने घटिया गुझिया बनाई, हमारी पार्टी ने उसे नहीं खाया।"
लालू जी ने में पूछा; "आ कह त ऐसे रहे हैं जैसे अपोजीशन में रहकर भारत को गोझिया से भर दिए हैं। कौन जगह गोझिया का महल कन्स्ट्रक्ट किये तानी हमें भी बताइए?"
अरनब ने देखा कि मामला फिसल रहा है तो बोले; "प्लीज प्लीज लालू जी, आई विल नॉट अलाऊ दिस कम्पीटीशन टू गेट पौलिटीसाइज्ड। हमें गोझिया के इश्यू पर ही रहना चाहिए।"
उधर बी जे पी की तरफ से भाग ले रहे नरेन्द्र मोदी जी ने गुझिया बनाना शुरू भी कर दिया था। उनके पास पहुंचकर अरनब ने ध्यान से सबकुछ देखा और बोले; "मोदी जी, सुना है आपकी पार्टी का एक फैक्सन नहीं चाहता था कि आप इस कम्पीटीशन में भाग लें। हमारे सोर्सेस तो यहाँ तक बताते हैं कि संघ के कुछ लोगों ने आपके द्वारा यहाँ यूज किया जाने वाला मैदा भी कहीं चुराकर रखा दिया था ताकि आपके हाथ न आये और आप गुझिया न बना सकें। उधर शिवसेना वाले भी चाहते थे कि सुषमा जी यहाँ ......"
मोदी जी बोले; "मित्रों, मैं कुछ करने में विश्वास रखता हूँ। मित्रों मैं गुझिया बनाता हूँ, उसे बनाने के सपने नहीं देखता। और मेरा कर्त्तव्य मुझसे यह कहता है कि मैं छ करोड़ गुजरातियों के लिए गुझिया बनाऊँ। वैसे मैं पार्टी का सिपाही हूँ और पार्टी जहाँ चाहेगी मैं वहां गुझिया बनाने के लिए तैयार हूँ। मुझे तो आश्चर्य होता है मित्रों कि आपके पास ये अफवाहें आती कहाँ से हैं?"
उनकी बात सुनकर केतकर बोले; "मोदी जी, ये अफवाहें नहीं हैं। ये सच है। और फिर पूरा भारतवर्ष, इन्क्लूडिंग तीश्ता सेतलवाड और संजीव भट्ट, यह मानता है कि आप जिस तरह की गुझिया बनाते हैं, वह पूरे भारतवर्ष को पसंद नहीं आएगी।"
मोदी जी बोले; "मेरे मीडिया के मित्र ऐसा मानते होंगे लेकिन ये बात सच नहीं है। मेरी बनाई गुझिया हर गुजराती को पसंद है। और मित्रों, मेरे गुजरात की गुझिया तो अब यूरोप तक जाती है। सिंगापुर तक जाती है। आपको जानकार आश्चर्य होगा मित्रों कि आज से बारह साल पहले तक गुजरात में गुझिया बहुत कम मात्रा में बनती थी। मैंने इस बारे में एक प्रयास किया। मैंने मेरे गुजरात के अफसरों के साथ मिलकर ऐसा प्रोग्राम बनाया जिसके तहत मित्रों गुझिया बनाने का मसाला से लेकर पानी तक, उस जगह पर उपलब्ध करवाया जहाँ मैदे की मिलें है। इसका फायदा यह हुआ मित्रों कि हर चीज एक ही जगह .... और आज मेरा गुजरात पूरे विश्व में गुझिया के लिए जाना जाता है। ...मित्रों आज से एक वर्ष पहले की बात है, मेरे पास एक आदमी आया। बोला साहब, हमें नवसारी में गुझिया बनाने का कारखाना खोलना है। मैंने कहा ......"
वे बोल रहे थे कि लालू जी ने उन्हें टोक दिया। बोले; "आ बस कीजिये। भार्टन के लिए जो लेक्चर का तइयारी किये थे ऊ एहीं डेलिभर कर देंगे का?"
यह सुनकर सब हंसने लगे। सुषमा स्वराज ने कहा; "अध्यक्ष जी, मैं ऐसा मानती हूँ कि संसद में केवल गुझिया पर बात हो। व्यक्तिगत आक्षेपों के लिए संसद के मंच का प्रयोग वर्जित किया जाना चाहिए।"
लालू जी बोले; "आ ए सुषमा जी, बिपच्छ का नेता रहने का एतना आदत पड़ गया है कि ई भी भूल गई हैं आप इहाँ कम्पीटीशन में हैं, संसद में नहीं। अइसा आदत पड़ जाएगा त रह जाएँगी विपच्छ में ही। आ उप्पर से मोदी जी रेसकोर्स रोड में गोझिया बनाना त दूर प्रगती मैदान में भी नहीं बना पायेंगे।"
उनके बात सुनकर मोदी जी बोले; "मित्रों, मेरा विश्वास गुझिया बनाने में है। वह रेसकोर्स रोड में बने या प्रगति मैदान में, मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। और मैं तो कहता हूँ मित्रों कि हमें केवल गुझिया के विकास की ही बात करनी चाहिए। हम कबतक पुराने तरीके से गुझिया बनाते रहेंगे? मित्रों, मेरे गुजरात ने पूरे देश को विकसित गुझिया बनाने का रास्ता दिखाया है। मेरे गुजरात ने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। मित्रों आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि जब यूरोपियन यूनियन के राजदूत ने हमारे अहमदाबाद की गुझिया का रंगरूप देखा तो वे आश्चर्य में पड़ गए। कहने लगे ....."
अभी वे इतना बोले थे कि कुमार केतकर कुछ कहने लगे। ऐसे में अरनब गोस्वामी ने मोदी जी को रोकते हुए कहा; "मोदी जी, मोदी जी, कुमार केतकर वांट्स टू रिबट यू। गो अहेड मिस्टर केतकर।"
कुमार केतकर बोले; "मोदी जी, आप तो ऐसा कह रहे हैं कि आपके आने के बाद ही गुजरात में अच्छी गुझिया बननी शुरू हुई। इतिहास गवाह है कि गुजराती श्रीकृष्ण के जमाने में, याने द्वारिका नगरी के समय से ही अच्छी गुझिया बनाते रहे हैं। और फिर जहाँ तक गुजरात के बाहर दिल्ली का सवाल है तो मैं अभी भी मानता हूँ कि श्रीमती गांधी सबसे बढ़िया गुझिया बनाती थी। मुझे तो इमरजेंसी के समय में भी उनकी बनाई गुझिया बहुत पसंद आई थी। मैं उन चाँद पत्रकारों में से हूँ जो आज भी यह मानते हैं कि उसके बाद उतनी बढ़िया गुझिया पूरे भारत में कहीं नहीं बनी।"
अभी वे यह कह हे रहे थे कि नितीश कुमार जो अपनी पार्टी को रिप्रजेंट कर रहे थे और स्पेशल बिहारी गुझिया बना रहे थे उन्होंने केतकर को टोंक दिया। बोले; "आ पता है कैसी गोझिया बने थी उन्होंने। आप जैसे लोगों की बजह से ही उनकी पूरी गोझिया तेल में डूबी रहती थी। मुझे भी पता है सबकुछ। मैंने भी उसी क्रांति से ही गोझिया बनाना शुरू किया। जैप्रकाश बाबू के साथ हमने गांधी मैदान पटना से ही गुझिया का मसाला सब इकठ्ठा किया आ दिल्ली आते-आते गोझिया तल डाली। ये बात औउर है कि कुछ और मित्र जो जैप्रकाश बाबू से गोझिया बनाना सीखे थे, अब भूल गए हैं और बहुत ज्यादा तेल वाली गोझिया बनाने लगे हैं।"
उनकी बात सुनकर लालू जी बोले; "जादा तेल बाला गोझिया जो है ऊ फ्रिकाप्रस्त गोझिया से तो नीक ही है। आ आप बीच में रास्ता भूलकर ऐसे लोगों के साथ रसोईया शेयर करने लगे जो गोझिया में भी केसर इस्तेमाल करता है। समाजवादी होकर भी आप केसरिया गोझिया खाने लगे। इसका बारे में काहे नै सोचते कभी? आ ई सोचे है कि पराचीन भारत से ही गोझिया में कभी केसर नहीं पड़ता था?"
उनकी बात सुनकर वहीँ खड़े सुशिल कुमार शिंदे बोल पड़े; "यह तो मैंने अखबारों में पढ़कर देश को बताया ही था कि बीजेपी और आरएसएस वाले केसरिया गुझिया बनाने का कैम्प चलाते हैं। और केसरिया गुझिया के कैम्प की बात दिग्विजय सिंह ने भी की थी।"
रविशंकर प्रसाद बोले; "मैं माननीय लालू जी से पूछना चाहता हूँ कि प्राचीन भारत के समय से ही गुझिया के मसाला में जो गरी काटकर डाली जाती थी वह रंगी नहीं जाती थी। यहीं देख लीजिये कि इन्होने जो मसाला यहाँ रखा है उसमें इस्तेमाल होने वाली गरी को इन्होने हरे रंग में रँग दिया है।"
........आगे का हाल अगले एपिसोड में।