बवाल काटने के दिन हैं. जिसको जब इच्छा हो वह बवाल काट सकता है. उधर पैंसठ सांसदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर नरेन्द्र मोदी को वीजा न देने का बवाल उठाया. बवाल उठा तो उन्हें पता चला कि लोग मीर जाफर और जयचंद को याद करने लगे. ऐसे में जरूरी था कि कुछ ऐसा कहा जाय जिससे लोग किसी और को याद करने लगें. इसी प्रयास के तहत राज बब्बर, रशीद मसूद और फारुख अब्दुल्ला ने क्रमशः १२ रूपये, ५ रूपये और १ रूपये में लोगों को खाने की थाली परोस दी. नया बवाल खड़ा हुआ. लोगों ने जयचंद वगैरह को भुलाकर फ्रांस की रानी साहिबा मारिया एंटोनिया को याद करना शुरू कर दिया. कुछ न्यूज़ चैनल्स की चाँदी और कुछ का सोना हो गया.
ऐसे में हमारे ब्लॉग संवाददाता चंदू चौरसिया ने इस मुद्दे पर तमाम लोगों के विचार इकठ्ठा किये. पेश है उन्ही विचारों से कुछ चुने हुए विचार. आप बांचिये.
लालू जी; "का मिलता है पाँच रुपिया में? ई देश के बुरबक बना रहा है लोग. आ ऊ बोल दिया अउर तुमलोग भी उसको लेकर बतियाने लगा. आज का ज़माना में मंहगाई जइसा बढ़ा है, पाँच रुपिया में त गाय का एक बखत का चारा नै मिलेगा आ ई लोग आदमी का चारा … कहने का मतलब आदमी का खाना का बात कर रहा है सब? सरकार अपना तरफ से कुछ देगा तब न मिलेगा जी? बाकी हमारा सरकार आया त हम दू रुपिया में खाना देंगे पब्लिक सब को. गरीब-गुरबा, माइनोरिटी भाई लोग के, वोमेन चिल्ड्रेन एंड भीकर सेक्शन आफ़ द सोसाइटी को खाली हमारा सरकार जो है सो दू रुपिया में खाना देगी …. अरे बीच में मत टोको … आ इधर देखो इधर … ई केतना अंगुली दिखाई दे रहा है? है न दू गो? त हमको कांग्रेस का नेता सब पर शक है बाकी हमारा सरकार एही दू रुपिया में पेटभर के खान देगा …. "
अमिताभ बच्चन; "देखिये हम नेता नहीं हैं. हम ठहरे अभिनेता. लोग बारह रुपया में खाना क्यों खाना चाहते हैं जब वे कौन बनेगा करोड़पति पर आकर पाँच करोड़ जीत सकते हैं? तो फिर फ़ोन उठाइये … और चंदू जी, आप भी पांच करोड़ जीत सकते हैं. क्योंकि बारह रूपये या पाँच रूपये में भोजन मिले या न मिले, लेकिन आपका ज्ञान जो है बस वही आपको ढंग का भोजन खिला सकता है. वैसे इस बारह रूपये वाले बयान पर मुझे पूजनीय बाबूजी की मधुशाला की एक रुबाई याद आ रही है. उन्होंने लिखा था;
बारह रुपये रख पॉकेट में निकला है खानेवाला
पस्त हो गया, नहीं मिला उसको फिर भी भोजन आला
बारह घंटे बीत चुके हैं, भूख गई, अब प्यास गई
इन रुपयों को खर्च करेगा अब जाकर वह मधुशाला
मुलायम सिंह जी; "अखियेश से जो है हमयें पूछा कि किसी अफसअ से पता लगाकअ बताएं कि बाअह में खाआं मिअ सकता ऐ? अखियेश एं बताआ कि नई मिएगा. राअ बब्बअ जब समाअवादी पाअटी में थे तो केवअ अमअ सिंअं जी के खिआफ़ बोअते थे कांगेस में गए ऐं तो पब्बइक के खिआफ बोअ अहे ऐं. केंद सअकाअ के लोग जनता से कट गए ऐं. ऐसा कएंगे तो संपदाइक शक्तिओं को बहावा मिएगा. हमाआ समअथन इस सअकाअ को सांपदाइक शक्तिओं को ओकने के लिए अहेगा "
भाग मिल्खा भाग वाले मिल्खा सिंह जी; "हम अभी बात नहीं कर सकते. हमसे हमारे डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा जी ने कहा कि भाग मिल्खा भाग और जाकर देख कि कहाँ बारह रूपये में भोजन मिल रहा है? उन्होंने मुझे चार रूपये पानी के लिए एक्स्ट्रा दिए और अब हम सोलह रूपये लेकर पूरे इंडिया में भाग रहे हैं. यह जानने के लिए इन रुपयों में कहाँ भोजन और पानी मिलेगा? मैंने इसीलिए जर्सी भी सोलह नंबर की पहन रखी है और जर्सी पर लिखा इंडिया यह बता रहा है कि हमें वह जगह पूरे इंडिया में भागकर देखना है. परसों मिलोगे तब हम बता पाएंगे कि वह ढाबा मिला या नहीं."
बरखा दत्त जी ; "टू से दैट वन कैन गेट अ मील फॉर ट्वेल्व रुपीज वाज सर्टेनली ऐन एरर ऑफ़ जजमेंट ह्विच राज बब्बर डिड नॉट रियेलाइज. हाउएवर आई ऐम स्योर दिस इज नॉट ऐन ऑफिसियल स्टैंड ऑफ़ द कांग्रेस पार्टी एंड वी गिव इट अ बेनिफिट ऑफ़ डाऊट हीयर "
मिथुन दा; "राज बब्बर के बयान पर मैं कहूँगा; क्या बात! क्या बात! क्या बात!
संजय झा; "मैं राज बब्बर के बयान पर कुछ नहीं कहना चाहूँगा. जरूर उनका कोई फेवरिट रेस्टोरेंट होगा जिसमें बारह रूपये में खाना मिलता होगा. वे झूठ नहीं बोल सकते. वे तो क्या कोई कांग्रेसी कभी झूठ नहीं बोलता. हाँ, मैं रशीद मसूद के बयान पर जरूर कहूँगा कि बारह रूपये में खाना मिले या न मिले पाँच रूपये में खाना पक्का मिलेगा क्योंकि पंजे में पाँच अंगुलियाँ होती हैं. आप तो देख ही रहे हैं कि मेरे पीछे मेरी पार्टी का हाथ है. वैसे मैं यहाँ आपको डेल कार्नेगी का एक प्रसिद्द कोट बताना चाहूँगा. डेल ने कहा था ; हैपीनेस डजन्ट डिपेंड ऑन एनी एक्सटर्नल कंडीशंस. इट इज गवर्रन्ड बाई आवर मेंटल ऐटीच्यूड. डेल और मेरे कहने का मतलब है कि खुश होने के लिए खाने की क्या जरूरत है? अगर आप आप अपने मन में सोच लें कि आपने खाना खा लिया है तो फिर आपको पाँच रूपये खर्च करने की जरूरत नहीं. अब जो लोग यह रहस्य समझ जायेंगे उन्हें किसी भोजन से क्या लेना-देना?"
नितीश कुमार जी; "आ पाँच रुपया वाला आदमी त स्पेशल स्टेटस का हकदार हो जाता है. आप हमारे बिहार को ही ले लें. हमारे इहाँ त बिना पइसा के ही मिड डे मील मिलता है. त जब बिना खर्च किये ही भोजन मिल रहा है त ई पाँच रुपया या बारह रुपया पर बहस जो है ऊ बेमानी है. और देखने वाली बात यह है कि ये सब बात बोल कौन है? तीनो लीडर सेक्युलर हैं. आ सेक्युलर कभी गलत बोल ही नहीं सकता."
रॉबर्ट वाड्रा ; "इफ यू हैव प्रॉपर चैनल, यू कैन बाई टू बनानाज फॉर फ़ाइव रुपीज. एंड ह्वाट वुड बी बेटर फ़ूड दैन बनाना इन अ बनाना रिपब्लिक? रशीद मसूद इज राईट."
राहुल गाँधी; "यूथ कांग्रेस ने मुझे बताया है कि बारह रूपये में चार किलो आलू मिलता है. और क्या चाहिए आपको? चार किलो आलू आप चार दिन तक खा कर भी ख़तम नहीं कर सकते. मुझे तो लगता है कि राज बब्बर ने जो कुछ भी कहा है वह सही कहा है. और अब हम डायरेक्ट आलू ट्रान्सफर प्रोग्राम ला रहे हैं. जिसके पास भी आधार कार्ड है उसके आलू अकाउंट में रोज सुबह चार किलो आलू डायरेक्टली ट्रान्सफर हो जायेगा. इससे यह होगा कि जिसका आलू है वह उसके पास पहुंचेगा और बिचौलिये उसमें से कुछ भी नहीं ले सकेंगे. अभी परसों मैंने पार्टी प्रवक्ताओं को बताया कि अगर यह डायरेक्ट आलू ट्रान्सफर प्रोग्राम सक्सेसफुली लागू कर लेते हैं तो अगला तीन चुनाव जीत सकते हैं."
चन्दन मित्रा; "राज बब्बर का यह बयान भारत के गरीबों का अपमान है. बीजेपी २०१४ में चुनाव जीत जाएगी तो हमलोग उनको मिला हर अवार्ड वापस ले लेंगे."
अडवाणी जी; "देखें इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर मैं कुछ कह नहीं सकता. इसपर कल मैं एक ब्लॉग पोस्ट लिखूंगा. आप मेरे विचार वहीँ से ले लीजियेगा."
योगेन्द्र यादव; "मैं हमेशा से कार्टूनों के द्वारा फ्री स्पीच का हिमायती रहा हूँ. जिन्होंने जो बयान दिया है वह देने का उनका अधिकार उनसे कोई छीन नहीं सकता. जहाँ तक मेरी पार्टी के स्टैंड का सवाल है तो मैं यही कहना चाहूँगा कि बारह रूपये में एक फ्रूटी भी नहीं आती जिसे पीकर हमारे नेता अरविन्द केजरीवाल अनशन तोड़ सकें. अब आ जाते हैं इन बयानों से होने वाले फायदे और नुक्सान पर. मेरा मानना है कि आनेवाले विधानसभा चुनावों में इन बयानों का असर साफ़ दिखाई देगा. राज बब्बर के बारह रूपये वाले बयान से निश्चित तौर पर कांग्रेस को यादवों और कुर्मियों के वोट कम मिलेंगे. राजपूत वोट की जहाँ तक बात है वह बंटने के आसार हैं. अगर राज बब्बर ने पाँच रुपया कहा होता तो कांग्रेस को ब्राह्मणों का वोट मिलता क्योंकि ब्राह्मण पांच की संख्या को शुभ मानते हैं. जहाँ तक दलितों का सवाल है तो मुझे लगता है कि दलित मायावती को ही वोट देंगे."
दिग्विजय सिंह; "हिंदुस्तान के कोने-कोने से लोगों ने मुझे फोन करके बताया कि बारह रूपये में बहुत अच्छा भोजन मिलता है. अगर कहीं न मिलता हो तो समझ जाइये कि उस जगह पर आरएसएस वालों ने साजिश के तहत खाने को मंहगा कर दिया होगा. जैसे मैं बटला हाउस पर अपने बयान पर कायम हूँ वैसे ही राज बब्बर के बयां पर भी कायम हूँ."
मायावती जी; "राज बब्बर का बयान दलितों के खिलाफ है. बारह रूपये में खाने की जहाँ तक बात है तो वह कहीं नहीं मिलेगा. ये देखिये मेरे हार तक में एक भी नोट दस रूपये का नहीं है. सारे हज़ार के नोट हैं. इसलिए मुझे लगता है कि खाना हज़ार रूपये में ही मिल सकता है."
अरनब गोस्वामी; "तमाम रिकार्ड्स, रेट-चार्ट, एक्सपर्ट्स ओपिनियन, बयान पढने के बाद और हमारी पोलिटिकल एडिटर नाबिका से सलाह लेने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि बीजेपी भी इन बयानों के लिए उतनी ही जिम्मेदार है जितना कांग्रेस के नेता राज बब्बर, रशीद मसूद और फारुख अब्दुल्ला हैं. अदालत पोलिटिकल पार्टीज को यह सलाह भी देती है कि इन मुद्दों को पोलिटिसाइज न किया जाय और न ही अदालत ऐसा होने देगी. और चूंकि आज न्यूज़-आवर पर राज बब्बर नहीं आये और बिकॉज नेशन वांट्स टू नो द ट्रुथ, हम इस मुद्दे पर तबतक न्यूज-आवर करते रहेंगे जबतक कोई और मुद्दा ……"
Friday, July 26, 2013
आइये बवाल काटें
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राजनीति
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