Wednesday, November 13, 2013
चंदू इन एक्सक्लूसिव चैट विद सचिन'स बैट
सचिन रिटायर हो रहे हैं. मुम्बई में होनेवाले टेस्ट मैच के बाद क्रिकेट नहीं खेलेंगे. मीडिया के कार्यक्रमों को देखकर लग रहा है जैसे किसी ने उनसे कह दिया है कि; "बस सात दिन, सचिन के क्रिकेटीय जीवन के सात दिन हैं तुम्हारे पास. जो लिख सकते हो लिख दो. जो कह सकते हो कह दो. जो दिखा सकते हो दिखा दो. प्राइम टाइम, लंच टाइम, टी टाइम, हर टाइम सचिन के नाम लिख दो. पिछले बीस वर्षों से जो भी दिखाते आये हो, फिर से आख़िरी बार के लिए दिखा डालो"
सब लगे हुए हैं. कोलकाता टेस्ट के ख़त्म हो जाने के बाद चंदू ने मुझसे कहा; "सब सचिन का इंटरव्यू ले रहे हैं, आप कहें तो मैं भी ले लूँ."
मैंने कहा; "बिल्कुल ले लो. सचिन के रिटायरमेंटी यज्ञ में ब्लॉगरीय हवन हो जायेगा."
वो गया. शाम को वापस आया तो मुंह लटका हुआ था. मैंने पूछा; "क्या हुआ? मुंह लटकाये खड़े हो?"
वो बोला; "लोगों ने सचिन को पुरस्कार लेने के लिए, फ़ोटो सेशन के लिए, डिनर के लिए और न जाने क्या-क्या के लिए बिजी कर दिया. उनका इंटरव्यू मिला ही नहीं."
मैंने पूछा; "फिर?"
वो बोला;"फिर क्या? ड्रेसिंग रूम के एक कोने में उनका बैट पड़ा था. मैंने कहा इसी का इंटरव्यू ले लिया जाय. वैसे भी उनके ड्राइवर, पड़ोसी, सास, बचपन के दोस्त वगैरह टीवी वालों को इंटरव्यू देंगे कि किसी ब्लॉग पत्रकार को? अब लीजिये यही छाप दीजिये. वैसे भी आपने बहुत दिनों से ब्लॉग पर कोई इंटरव्यू नहीं छापा."
तो पेश हैं सचिन के बैट का इंटरव्यू. बांचिये.
चंदू : नमस्कार बैट जी. स्वागत है आपका इस इंटरव्यू में.
बैट : आदाब चंदू भाई. आपका शुक्रिया कि आपने मुझे इस इंटरव्यू में मधो किया. कोई मुझे मुँह नहीं लगाता लेकिन आपने मुझे जो इज्जत दी है उसके लिए मैं आपका मशकूर हूँ."
चंदू : अरे आप तो उर्दू भी जानते हैं!
बैट : कैसे नहीं जानेंगे जनाब? मेरी पैदाइश कश्मीर की है. वैसे अगर आपको उर्दू के शब्द अटपटे लग रहे हों तो मैं हिंदुस्तानी जबान में इंटरव्यू दे लूँगा.
चंदू : शुक्रिया शुक्रिया. मेरा पहला सवाल है कि आपको कैसा लग रहा है?
बैट : आप क्या पहले टीवी पत्रकारिता में थे चंदू जी?
चंदू : अरे आपको कैसे पता?
बैट : यह घटिया सवाल तो टीवी वाले पूछते थे. आप तो बोले कि आप ब्लॉग पत्रकार हैं.
चंदू : अरे ऐसा नहीं है. वैसे मेरा अगला सवाल यह है कि चौबीस साल तक सचिन के साथ रहने के बाद अब आप भी रिटायर होने वाले हैं ऐसे में कैसा महसूस कर रहे हैं?
बैट : वैसा ही जैसा सचिन महसूस कर रहे हैं. अब मैं भी घरवालों के लिए समय दे सकूँगा। बेटे की शिकायत रहती थी कि पापा पैरेंट्स डे पर भी स्कूल नहीं गए कभी. अब उसके स्कूल जा सकूँगा. उसे एक सफल बैट बनने के गुर सिखा सकूँगा। लगातार इतने सालों तक गेंदो से लड़ा. अब थोडा आराम करूँगा.
चंदू : हाँ, आपने गेंदों से बहुत लड़ाई की. वैसे ये बताइये कि आपको क्या पहले से ही पता था कि आप सचिन के बैट बनेंगे?
बैट : यह अच्छा सवाल किया आपने. देखिये मैं जिस पेड़ से निकला शायद उसको पता था. बड़ी इंटरेस्टिंग स्टोरी है. कहते हैं कि जब वह छोटा था तो एकबार जंगल का एक ठेकेदार उसको काटने आया. उसने ठेकेदार से विनती करते हुए कहा मुझे इतनी कच्ची उम्र में मत काटो. मुझे भगवान के लिए छोड़ दो. और देखिये कि ठेकेदार ने उसे सचमुच भगवान के लिए ही छोड़ दिया. मेरा जनम उसी पेड़ से हुआ.
चंदू : अच्छा ये बताइये कि किस बॉलर का बाल ठोंकने में आपको खूब आनंद आता था.
बैट : चंदू जी, ये किस तरह का अश्लील सवाल कर रहे हैं आप?
चंदू : अरे बैट जी, मेरा मतलब वो नहीं था जो आप समझ रहे हैं.
बैट : नहीं, आपको सवाल पूछने से पहले याद रखना चाहिए कि आप सचिन तेंदुलकर के बैट से सवाल पूछ रहे हैं, हरभजन सिंह के बैट से नहीं. वैसे मैं आपका आशय समझ गया मैं और आपको बताऊँ कि मुझे शेन वार्न और मैग्रा का बाल पीटने में खूब मजा आता था. यू कैन से आई हैड बाल ऑफ़ अ टाइम हिटिंग वार्न एंड मैग्रा.
चंदू : और किस बॉलर के बॉल से आपको खीज होती थी?
बैट : शोएब अख्तर के बॉल से. वो इतनी दूर से दौड़ के आता था कि बॉल फेंकने से पहले जो इंतज़ार करना पड़ता था उससे मैं बोर हो जाता था.
चंदू : अच्छा ये बताएं कि आपने तो दुनियाँ भर घूम के बॉल की पिटाई की है. कौन सा शहर आपको सबसे अच्छा लगा?
बैट : सिडनी. सिडनी मुझे सबसे अच्छा लगता था. वैसे चेन्नई भी काफी अच्छा लगा मुझे.
चंदू : अच्छा ये बताइये कि चौबीस सालों में आपकी बात ड्रेसिंग रूम में और भारतीय खिलाड़ियों के बैट से होती रही होगी. किस खिलाडी के बैट से आपकी नहीं बनती थी?
बैट : अज़हरुद्दीन के बैट से. वो हमेशा हल्का रहा और जब भी बात करता, मुझे मोटू कहकर चिढ़ाता था. कहता था वेट कम कर मोटू अपना वेट कम कर मोटू अपना. बहुत चिढ़ाया उसने मुझे. फिर एक दिन मैंने दो टूक सुना दिया तब जाकर बंद हुआ.
चंदू : क्या कहा आपने उससे?
बैट : मैंने उससे कहा कि मैं वजनदार खिलाडी का बैट हूँ बे इसलिए वजनदार हूँ तू हलके खिलाडी का बैट है इसलिए हल्का है.
चंदू : और किस खिलाडी के बैट से आपकी खूब जमती थी?
बैट : धोनी के बैट से. वो भी वजनी और मैं भी वजनी. इसलिए दोनों में खूब बनती थी.
चंदू : अच्छा ये बताएं कि आपको क्या ऐसा भी लगता था कि आप का मैदान में जाना निरर्थक रहा?
बैट : हाँ, जब भी सचिन बॉल को पैड से खेलते थे तो मेरे मन में आता था कि मेरा जीवन किस काम का जब पैड से ही खेलना है तो?
चंदू: अच्छा ये बताएं कि आपको कौन सा शॉट लगाने में सबसे ज्यादा मज़ा आता था?
बैट : स्ट्रेट ड्राइव. जब वे स्ट्रेट ड्राइव लगाते थे तो मैं बॉल के साथ खुल के मिलता था. लगता था जैसे बॉल से गले मिल रहे हैं. आप खुद ही सोचिये कि खुल के गले मिलने में जो मज़ा है वह हाथ जोड़ के मिलने में कहाँ मिलेगा? हाँ जब वे डिफेंसिव शॉट खेलते थे तो मुझे लगता था जैसे मैं बॉल से हाथ जोड़ के मिलना पड़ रहा है. और बॉल से हाथ जोड़ के मिलना मुझे बिलकुल पसंद नहीं था.
चंदू : अच्छा ऐसा भी कोई शॉट था जिसकी वजह से आपको तकलीफ होती थी?
बैट : पैडल-स्वीप, वे जब पैडल-स्वीप मारते थे तो कई बार मुझे ज़मीन से घिसटना पड़ता था. फिर भी ये सोच के घिसट लेता था कि कोई बात नहीं इसबार घिसट ले. अगली बार बॉल से खुल के मिलेंगे.
चंदू : अच्छा बैट जी, ये बताइये कि सचिन की कोई आदत जिससे आपको कोफ़्त होती थी?
बैट : हाँ जब ओवर के दौरान वे मुझी पटक पटक कर क्रीज समतल बनाते थे तब थोड़ी कोफ़्त होती थी. वैसे मुझे गुस्सा उनके ऊपर नहीं आता था, मुझे पिच क्यूरेटर के ऊपर गुस्सा आता था. मुझे लगता था कि पिच क्यूरेटर ने अपनी ड्यूटी सही तरह से क्यों नहीं की?
चंदू : और कभी किसी बात के लिए आपको बुरा लगता था?
बैट : हाँ लगता था न. जब कमेंटेटर लोग सचिन के बॉटम ग्रिप की बात करते थे. मुझे लगता था कैसी अश्लील बातें कर रहे हैं ये लोग? बॉटम ग्रिप। छि.
चंदू : हा हा हा. अच्छा और कोई मौका जब आपको कुछ अच्छा नहीं लगा हो?
बैट : हाँ ऐसे कई मौके आये. जैसे टेस्ट मैच के पहले वाली रात वे होटल रूम में बॉल लटका कर प्रैक्टिस करते थे तो मुझे अच्छा नहीं लगता था. अरे कल सुबह टेस्ट मैच है और रात भर बैट को सोने नहीं दोगे तो वह सुबह जाकर कैसे परफॉर्म करेगा?
चंदू : अच्छा कोई ऐसी इनिंग जब उसके दौरान आपको कष्ट हुआ हो?
बैट : कष्ट कभी नहीं हुआ मुझे. मैं सचिन का बैट था, किसी आम खिलाडी का नहीं. हाँ वैसे आपने पूछ ही लिया है तो बता दूँ कि शारजाह वाली इनिंग में जब आंधी आ गई थी तब सचिन ने मुझे पिच पर लिटा दिया था और मेरी आँख में रेत घुस गई थी. मैंने उनको बताया तो बोले कि नाराज मत हो, अभी होटल चलेंगे तो तुझे नहला देंगे और सब ठीक हो जाएगा.
चंदू : और कोई यादगार दिलचस्प बात जो आपको हमेशा याद रहेगी?
बैट : एक-दो नहीं, बहुत सी बातें हैं. वैसे एक बात बड़ी हंसने वाली बताता हूँ आपको. जब उनको टेनिस एल्बो हुआ तो मैंने उनसे कहा कि आप क्रिकेट के इतने बड़े खिलाडी हैं. मैं आपके साथ हमेशा से रहा हूँ. मैंने आजतक चलने से कभी मना नहीं किया. ऐसे में आपको टेनिस खेलने की क्या जरूरत थी जिससे आपका एल्बो हर्ट हो गया. मेरी बात सुनकर खूब हँसे. तब जब उन्होंने मुझे बताया कि टेनिस एल्बो क्या होता है तो मुझे भी अपनी बेवकूफी पर पर बड़ी हंसी आई.
चंदू : हा हा हा. अच्छा ये बताएं कि सचिन के रिटायर होने से इफेक्टिवेली आप भी रिटायर हो जायेंगे. कैसे बीतेंगे आपके दिन अब?
बैट : सच कहें तो सचिन के बिना मेरा कोई वजूद ही नहीं है चंदू जी. जैसे सचिन कई बार कह चुके हैं कि क्रिकेट के बिना वे अपना जीवन अधूरा मानते हैं वैसे ही मैं आपको बता दूँ कि मुझे सचिन के हाथों में रहने के अलावा और कुछ नहीं आता. फिर भी वे रिटायर हो जायेंगे तो मैं भी पहले कुछ दिन आराम करूँगा. अपना समय अपने परिवार को दूँगा. वैसे मैंने उनसे कहा कि मुझे अर्जुन की सेवा में लगा दें. लेकिन अगर वे नहीं लगाएंगे तो मैं अपने बेटे को एक सफल बैट बनाकर अर्जुन की सेवा में अर्पित कर दूँगा. मैंने सचिन के लिए काम किया. मेरा बेटा अर्जुन के लिए काम करेगा. हो सकता है उसका बेटा आगे चलकर अर्जुन के बेटे के लिए काम करे. तो जीवन तो देखिये किसी तरह से कट ही जायेगा. सचिन के घर में ही एक कोने में पड़ा रहूँगा. अब इस उमर में कहाँ जाऊँगा?
चंदू : चलिए मेरी भी शुभकामनाएं आपके साथ हैं. हम सभी यह चाहेंगे कि आपका आगे का जीवन अच्छे से कटे. इस इंटरव्यू के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
बैट : आपका भी इंटरव्यू लेने के लिए धन्यवाद चंदू जी.
सब लगे हुए हैं. कोलकाता टेस्ट के ख़त्म हो जाने के बाद चंदू ने मुझसे कहा; "सब सचिन का इंटरव्यू ले रहे हैं, आप कहें तो मैं भी ले लूँ."
मैंने कहा; "बिल्कुल ले लो. सचिन के रिटायरमेंटी यज्ञ में ब्लॉगरीय हवन हो जायेगा."
वो गया. शाम को वापस आया तो मुंह लटका हुआ था. मैंने पूछा; "क्या हुआ? मुंह लटकाये खड़े हो?"
वो बोला; "लोगों ने सचिन को पुरस्कार लेने के लिए, फ़ोटो सेशन के लिए, डिनर के लिए और न जाने क्या-क्या के लिए बिजी कर दिया. उनका इंटरव्यू मिला ही नहीं."
मैंने पूछा; "फिर?"
वो बोला;"फिर क्या? ड्रेसिंग रूम के एक कोने में उनका बैट पड़ा था. मैंने कहा इसी का इंटरव्यू ले लिया जाय. वैसे भी उनके ड्राइवर, पड़ोसी, सास, बचपन के दोस्त वगैरह टीवी वालों को इंटरव्यू देंगे कि किसी ब्लॉग पत्रकार को? अब लीजिये यही छाप दीजिये. वैसे भी आपने बहुत दिनों से ब्लॉग पर कोई इंटरव्यू नहीं छापा."
तो पेश हैं सचिन के बैट का इंटरव्यू. बांचिये.
चंदू : नमस्कार बैट जी. स्वागत है आपका इस इंटरव्यू में.
बैट : आदाब चंदू भाई. आपका शुक्रिया कि आपने मुझे इस इंटरव्यू में मधो किया. कोई मुझे मुँह नहीं लगाता लेकिन आपने मुझे जो इज्जत दी है उसके लिए मैं आपका मशकूर हूँ."
चंदू : अरे आप तो उर्दू भी जानते हैं!
बैट : कैसे नहीं जानेंगे जनाब? मेरी पैदाइश कश्मीर की है. वैसे अगर आपको उर्दू के शब्द अटपटे लग रहे हों तो मैं हिंदुस्तानी जबान में इंटरव्यू दे लूँगा.
चंदू : शुक्रिया शुक्रिया. मेरा पहला सवाल है कि आपको कैसा लग रहा है?
बैट : आप क्या पहले टीवी पत्रकारिता में थे चंदू जी?
चंदू : अरे आपको कैसे पता?
बैट : यह घटिया सवाल तो टीवी वाले पूछते थे. आप तो बोले कि आप ब्लॉग पत्रकार हैं.
चंदू : अरे ऐसा नहीं है. वैसे मेरा अगला सवाल यह है कि चौबीस साल तक सचिन के साथ रहने के बाद अब आप भी रिटायर होने वाले हैं ऐसे में कैसा महसूस कर रहे हैं?
बैट : वैसा ही जैसा सचिन महसूस कर रहे हैं. अब मैं भी घरवालों के लिए समय दे सकूँगा। बेटे की शिकायत रहती थी कि पापा पैरेंट्स डे पर भी स्कूल नहीं गए कभी. अब उसके स्कूल जा सकूँगा. उसे एक सफल बैट बनने के गुर सिखा सकूँगा। लगातार इतने सालों तक गेंदो से लड़ा. अब थोडा आराम करूँगा.
चंदू : हाँ, आपने गेंदों से बहुत लड़ाई की. वैसे ये बताइये कि आपको क्या पहले से ही पता था कि आप सचिन के बैट बनेंगे?
बैट : यह अच्छा सवाल किया आपने. देखिये मैं जिस पेड़ से निकला शायद उसको पता था. बड़ी इंटरेस्टिंग स्टोरी है. कहते हैं कि जब वह छोटा था तो एकबार जंगल का एक ठेकेदार उसको काटने आया. उसने ठेकेदार से विनती करते हुए कहा मुझे इतनी कच्ची उम्र में मत काटो. मुझे भगवान के लिए छोड़ दो. और देखिये कि ठेकेदार ने उसे सचमुच भगवान के लिए ही छोड़ दिया. मेरा जनम उसी पेड़ से हुआ.
चंदू : अच्छा ये बताइये कि किस बॉलर का बाल ठोंकने में आपको खूब आनंद आता था.
बैट : चंदू जी, ये किस तरह का अश्लील सवाल कर रहे हैं आप?
चंदू : अरे बैट जी, मेरा मतलब वो नहीं था जो आप समझ रहे हैं.
बैट : नहीं, आपको सवाल पूछने से पहले याद रखना चाहिए कि आप सचिन तेंदुलकर के बैट से सवाल पूछ रहे हैं, हरभजन सिंह के बैट से नहीं. वैसे मैं आपका आशय समझ गया मैं और आपको बताऊँ कि मुझे शेन वार्न और मैग्रा का बाल पीटने में खूब मजा आता था. यू कैन से आई हैड बाल ऑफ़ अ टाइम हिटिंग वार्न एंड मैग्रा.
चंदू : और किस बॉलर के बॉल से आपको खीज होती थी?
बैट : शोएब अख्तर के बॉल से. वो इतनी दूर से दौड़ के आता था कि बॉल फेंकने से पहले जो इंतज़ार करना पड़ता था उससे मैं बोर हो जाता था.
चंदू : अच्छा ये बताएं कि आपने तो दुनियाँ भर घूम के बॉल की पिटाई की है. कौन सा शहर आपको सबसे अच्छा लगा?
बैट : सिडनी. सिडनी मुझे सबसे अच्छा लगता था. वैसे चेन्नई भी काफी अच्छा लगा मुझे.
चंदू : अच्छा ये बताइये कि चौबीस सालों में आपकी बात ड्रेसिंग रूम में और भारतीय खिलाड़ियों के बैट से होती रही होगी. किस खिलाडी के बैट से आपकी नहीं बनती थी?
बैट : अज़हरुद्दीन के बैट से. वो हमेशा हल्का रहा और जब भी बात करता, मुझे मोटू कहकर चिढ़ाता था. कहता था वेट कम कर मोटू अपना वेट कम कर मोटू अपना. बहुत चिढ़ाया उसने मुझे. फिर एक दिन मैंने दो टूक सुना दिया तब जाकर बंद हुआ.
चंदू : क्या कहा आपने उससे?
बैट : मैंने उससे कहा कि मैं वजनदार खिलाडी का बैट हूँ बे इसलिए वजनदार हूँ तू हलके खिलाडी का बैट है इसलिए हल्का है.
चंदू : और किस खिलाडी के बैट से आपकी खूब जमती थी?
बैट : धोनी के बैट से. वो भी वजनी और मैं भी वजनी. इसलिए दोनों में खूब बनती थी.
चंदू : अच्छा ये बताएं कि आपको क्या ऐसा भी लगता था कि आप का मैदान में जाना निरर्थक रहा?
बैट : हाँ, जब भी सचिन बॉल को पैड से खेलते थे तो मेरे मन में आता था कि मेरा जीवन किस काम का जब पैड से ही खेलना है तो?
चंदू: अच्छा ये बताएं कि आपको कौन सा शॉट लगाने में सबसे ज्यादा मज़ा आता था?
बैट : स्ट्रेट ड्राइव. जब वे स्ट्रेट ड्राइव लगाते थे तो मैं बॉल के साथ खुल के मिलता था. लगता था जैसे बॉल से गले मिल रहे हैं. आप खुद ही सोचिये कि खुल के गले मिलने में जो मज़ा है वह हाथ जोड़ के मिलने में कहाँ मिलेगा? हाँ जब वे डिफेंसिव शॉट खेलते थे तो मुझे लगता था जैसे मैं बॉल से हाथ जोड़ के मिलना पड़ रहा है. और बॉल से हाथ जोड़ के मिलना मुझे बिलकुल पसंद नहीं था.
चंदू : अच्छा ऐसा भी कोई शॉट था जिसकी वजह से आपको तकलीफ होती थी?
बैट : पैडल-स्वीप, वे जब पैडल-स्वीप मारते थे तो कई बार मुझे ज़मीन से घिसटना पड़ता था. फिर भी ये सोच के घिसट लेता था कि कोई बात नहीं इसबार घिसट ले. अगली बार बॉल से खुल के मिलेंगे.
चंदू : अच्छा बैट जी, ये बताइये कि सचिन की कोई आदत जिससे आपको कोफ़्त होती थी?
बैट : हाँ जब ओवर के दौरान वे मुझी पटक पटक कर क्रीज समतल बनाते थे तब थोड़ी कोफ़्त होती थी. वैसे मुझे गुस्सा उनके ऊपर नहीं आता था, मुझे पिच क्यूरेटर के ऊपर गुस्सा आता था. मुझे लगता था कि पिच क्यूरेटर ने अपनी ड्यूटी सही तरह से क्यों नहीं की?
चंदू : और कभी किसी बात के लिए आपको बुरा लगता था?
बैट : हाँ लगता था न. जब कमेंटेटर लोग सचिन के बॉटम ग्रिप की बात करते थे. मुझे लगता था कैसी अश्लील बातें कर रहे हैं ये लोग? बॉटम ग्रिप। छि.
चंदू : हा हा हा. अच्छा और कोई मौका जब आपको कुछ अच्छा नहीं लगा हो?
बैट : हाँ ऐसे कई मौके आये. जैसे टेस्ट मैच के पहले वाली रात वे होटल रूम में बॉल लटका कर प्रैक्टिस करते थे तो मुझे अच्छा नहीं लगता था. अरे कल सुबह टेस्ट मैच है और रात भर बैट को सोने नहीं दोगे तो वह सुबह जाकर कैसे परफॉर्म करेगा?
चंदू : अच्छा कोई ऐसी इनिंग जब उसके दौरान आपको कष्ट हुआ हो?
बैट : कष्ट कभी नहीं हुआ मुझे. मैं सचिन का बैट था, किसी आम खिलाडी का नहीं. हाँ वैसे आपने पूछ ही लिया है तो बता दूँ कि शारजाह वाली इनिंग में जब आंधी आ गई थी तब सचिन ने मुझे पिच पर लिटा दिया था और मेरी आँख में रेत घुस गई थी. मैंने उनको बताया तो बोले कि नाराज मत हो, अभी होटल चलेंगे तो तुझे नहला देंगे और सब ठीक हो जाएगा.
चंदू : और कोई यादगार दिलचस्प बात जो आपको हमेशा याद रहेगी?
बैट : एक-दो नहीं, बहुत सी बातें हैं. वैसे एक बात बड़ी हंसने वाली बताता हूँ आपको. जब उनको टेनिस एल्बो हुआ तो मैंने उनसे कहा कि आप क्रिकेट के इतने बड़े खिलाडी हैं. मैं आपके साथ हमेशा से रहा हूँ. मैंने आजतक चलने से कभी मना नहीं किया. ऐसे में आपको टेनिस खेलने की क्या जरूरत थी जिससे आपका एल्बो हर्ट हो गया. मेरी बात सुनकर खूब हँसे. तब जब उन्होंने मुझे बताया कि टेनिस एल्बो क्या होता है तो मुझे भी अपनी बेवकूफी पर पर बड़ी हंसी आई.
चंदू : हा हा हा. अच्छा ये बताएं कि सचिन के रिटायर होने से इफेक्टिवेली आप भी रिटायर हो जायेंगे. कैसे बीतेंगे आपके दिन अब?
बैट : सच कहें तो सचिन के बिना मेरा कोई वजूद ही नहीं है चंदू जी. जैसे सचिन कई बार कह चुके हैं कि क्रिकेट के बिना वे अपना जीवन अधूरा मानते हैं वैसे ही मैं आपको बता दूँ कि मुझे सचिन के हाथों में रहने के अलावा और कुछ नहीं आता. फिर भी वे रिटायर हो जायेंगे तो मैं भी पहले कुछ दिन आराम करूँगा. अपना समय अपने परिवार को दूँगा. वैसे मैंने उनसे कहा कि मुझे अर्जुन की सेवा में लगा दें. लेकिन अगर वे नहीं लगाएंगे तो मैं अपने बेटे को एक सफल बैट बनाकर अर्जुन की सेवा में अर्पित कर दूँगा. मैंने सचिन के लिए काम किया. मेरा बेटा अर्जुन के लिए काम करेगा. हो सकता है उसका बेटा आगे चलकर अर्जुन के बेटे के लिए काम करे. तो जीवन तो देखिये किसी तरह से कट ही जायेगा. सचिन के घर में ही एक कोने में पड़ा रहूँगा. अब इस उमर में कहाँ जाऊँगा?
चंदू : चलिए मेरी भी शुभकामनाएं आपके साथ हैं. हम सभी यह चाहेंगे कि आपका आगे का जीवन अच्छे से कटे. इस इंटरव्यू के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
बैट : आपका भी इंटरव्यू लेने के लिए धन्यवाद चंदू जी.
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